खरीफ फसलों की बुआई का समय नजदीक आ रहा है, ऐसे में किसान फसलों का उत्पादन बढ़ाने के साथ ही अपनी आमदनी बढ़ा सकें इसके लिए कृषि विभाग और कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। इस कड़ी में कृषि वैज्ञानिकों ने एमपी के सिवनी जिले के किसानों को धान की खेती की श्री पद्धति की जानकारी दी। इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र सिवनी की दर्पण सभागार में धान की उत्तम खेती हेतु एस.आर.आई (श्री) तकनीकी का प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण शिविर में जिले के 40 किसानों ने भाग लिया।
श्री विधि से खेती करने पर मिलता है ज्यादा उत्पादन
प्रशिक्षण कार्यक्रम में केंद्र के प्रमुख डॉ. शेखर सिंह बघेल ने बताया कि धान की खेती में परंपरागत खेती से अधिक उत्पादन श्री पद्धति से प्राप्त होता है। श्री पद्धति जिसे सिस्टम आफ राईस इंटेंशिफिकेशन (एस.आर.आई) या धान की मेडागास्कर पद्धति के नाम से जाना जाता है जिसे फ्रांस के धर्मगुरु फादर हेनरी दी लौलाने ने 1980 के दशक के दौरान मेडागास्कर में धान की श्री पद्धति का विकास किया था, वर्तमान में धान की श्री पद्धति पानी की बचत के साथ ही प्रति हेक्टेयर कम बीज उपयोग एवं अधिक उत्पादन की दृष्टिकोण से उत्तम तकनीक है।
कार्यक्रम में धान की श्री पद्धति से खेती हेतु तकनीकी मार्गदर्शन बीज का चुनाव, खेत की तैयारी एवं महत्वपूर्ण तकनीकी मार्गदर्शन वैज्ञानिक डॉ. निखिल सिंह द्वारा प्रदान किया गया। इसके अलावा वर्तमान में धान की खेती में संतुलित पोषक तत्व प्रबंधन के विषय में विस्तार से जानकारी डॉ. के.के. देशमुख मृदा वैज्ञानिक द्वारा प्रदान की गई। धान की मुख्य खरीफ फसलों के उत्पादन तकनीक पर किसानों के साथ वैज्ञानिकों की परिचर्चा भी आयोजित की गई। कार्यक्रम के समापन अवसर उपसंचालक कृषि श्री मोरिस नाथ के कर कमलों द्वारा समस्त कृषकों को मृदा स्वास्थ्य पत्रक वितरित किया गया।