back to top
28.6 C
Bhopal
शनिवार, दिसम्बर 7, 2024
होमकिसान समाचारराज्य में 290 लाख गो-भैंस वंशीय पशुओं की टैगिंग के साथ...

राज्य में 290 लाख गो-भैंस वंशीय पशुओं की टैगिंग के साथ लगाया जायेगा एफएमडी टीका

पशु टैगिंग एवं टीकाकरण प्रोग्राम

देश में पशुओं को बिमारी से बचाने के लिए पिछले वर्ष से राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम NADCP की शुरुआत की गई है | योजना के तहत गौ, भैंस, बकरी, भेंड़, सूकर आदि पशुओं को टीका लगाया जाता है | खुरपका और मुँहपका की बीमारी तथा ब्रुसेलोसिस आदि बिमारियों से बचाव के लिए यह टीका कार्यक्रम चलाया जा रहा है | कई राज्यों में पशुओं के टीकाकरण एवं टैगिंग का कार्य प्रारंभ भी हो चूका है ताकि पशुओं को बारिश में होने वाले संक्रामक रोग जैसे खुरपका-मुहपका, गलघोटू, लगड़ी आदि रोगों से बचाया जा सके |

मध्यप्रदेश के पशुपालन मंत्री ने बताया कि केन्द्र शासन द्वारा गौ, भैंस, बकरी, भेंड़, सूकर के टीकाकरण के लिये नेशनल एनीमल डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम (NADCP) प्रारंभ किया गया है। प्रथम चरण में मात्र गौ-भैंस वंश का टीकाकरण किया जायेगा। टैगिंग पशुओं की जानकारी आईएनएपीएच सॉफ्टवेयर में दर्ज की जायेगी। कार्यक्रम 6 माह के अंतराल में वर्ष में दो बार संचालित होगा।

गौ-भैस वंशीय पशुओं को टैग के साथ लगाया जायेगा एफएमडी टीका

मध्यप्रदेश के पशुपालन मंत्री श्री प्रेम सिंह पटेल ने बताया कि एक अगस्त से पूरे प्रदेश में गौ-भैंस वंशीय पशुओं का टीकाकरण किया जायेगा। एनएडीसीपी योजना में प्रदेश के 290 लाख गौ-भैस वंशीय पशुओं को टैग लगाये जाने हैं। भारत सरकार को 200 लाख टैग के लिये मांग पत्र भेजे गये थे। इसके प्रत्‍युत्तर मे प्रदेश को 200 लाख टैग उपलब्ध करा दिये गये हैं। साथ ही इन पशुओं के लिए 262 लाख एमएफडी टीका द्रव्य भी प्राप्त हो गया है।

यह भी पढ़ें:  चना और सरसों की तुलाई में वजन और नमी को लेकर राजफैड ने कही यह बात

टीकाकरण के प्रथम चरण के लिये केन्द्र शासन द्वारा 48 करोड़ 82 लाख रुपये की राशि प्राप्त हो गई है। इसमें से 12 करोड़ 62 लाख 83 हजार शीत श्रंखला व्यवस्था, 11 करोड 12 लाख 39 हजार टीकाकरण सामग्री और 25 करोड 7 लाख 59 हजार गौ सेवक, मैत्री कार्यकर्ता आदि के मानदेय, ईयर टैग और स्वास्थ्य प्रमाण-पत्र भुगतान पर व्यय किये जायेगे।

उल्लेखनीय है कि भारत सरकार की पशु संजीवनी योजना में प्रदेश को पूर्व में 90 लाख टैग प्राप्त हुए थे जो मात्र 30 प्रतिशत प्रजनन योग्य पशुओं के लिये पर्याप्त थे। इनमें से 70 लाख 49 हजार टैग लगाये जा चुके हैं।

खुरपका, मुंहपका (एफएमडी) तथा ब्रुसेलोसिस क्या है ?

खुरपका तथा मुंहपका रोग से गाय तथा भैंस में दूध देनी की क्षमता घट जाती है तथा एक समय यह स्थिति आती है की 100 प्रतिशत तक दूध नहीं देती है | यह स्थिति 6 माह तक बनी रह सकती है | अगर ब्रुसेलोसिस बीमारी से पीड़ित है तो पुरे जीवनचक्र के दौरान 30 प्रतिशत तक दूध उत्पादन घट जाता है | ब्रुसेलोसिस बीमारी से पशुओं में बांझपन भी हो सकती है | मवेशियों के साथ रहने वाले व्यक्ति भी इस बीमारी से प्रभावित हो सकते हैं | इसका असर मवेशी के दूध पर असर पड़ता है तथा दूध दूषित हो जाता है |

यह भी पढ़ें:  किसान सुपर सीडर मशीन से करें ग्रीष्मकालीन मूंग की बुआई, मिलेंगे यह फायदे

किसान समाधान के YouTube चेनल की सदस्यता लें (Subscribe)करें

download app button
google news follow
whatsapp channel follow

Must Read

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
यहाँ आपका नाम लिखें

Latest News