अभी के मौसम में जब फसलें बढ़वार की अवस्था में है, इस समय फसलों में कई तरह के कीट एवं रोग लग सकते हैं। ऐसे में कृषि विभाग द्वारा बाजरा की फसल को कीटों तथा रोगों से बचाने के लिए किसानों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। ग्राहृय परीक्षण केन्द्र तबीजी फार्म के उप निदेशक कृषि (शस्य) मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि बाजरा राजस्थान की प्रमुख खाद्यान्न फसल है। वर्तमान समय में बाजरा की फसल में तुलासिता रोग, ब्लास्ट रोग तथा सफेद लट, प्ररोह मक्खी, तना छेदक व कातरा कीट आदि का प्रकोप होता हैं।
बाजरा की फसल को इन कीटों तथा रोगों से बचाने के लिए विभागीय सिफारिशों के अनुसार ही उसका उपचार करना चाहिए। छिड़काव करते समय किसान हाथों में दस्ताने, चश्मा, मुंह पर मास्क, पूरे वस्त्र पहने तथा इस बात का विशेष ध्यान रखें कि छिड़काव मौसम साफ होने के उपरान्त ही करें।
बाजरा में तुलसिता और ब्लास्ट रोग का नियंत्रण
कृषि अनुसंधान अधिकारी (पौध व्याधि) डॉ. जितेन्द्र शर्मा ने जानकारी दी कि बाजरा में तुलसिता रोग से बचाव के लिए जिन खेतों में रोग का प्रकोप दिखाई दे रहा है वहां बुवाई के 21 दिन बाद मैन्कोजेब 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें एवं ब्लास्ट रोग का शुरुआती प्रकोप होने पर इसके नियंत्रण के लिए प्रोपीकोनाजोल 25 ईसी या ट्राइफलोक्सीस्ट्रोबिन 25 प्रतिशत के साथ टेबुकोनाजोल 50 प्रतिशत (75 डब्ल्यूजी) का 0.05 प्रतिशत घोल का छिड़काव करें। यह छिड़काव को 15 दिन बाद पुनः दोहराएँ।
बाजरा में लगने वाले कीटों का नियंत्रण
कृषि अनुसंधान अधिकारी (कीट) डॉ. दिनेश स्वामी ने बताया कि बाजरा में कातरा के नियंत्रण के लिए फसल व फसल के पास उगे जंगली पौधों पर क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से भुरकाव करें एवं खेत में लट को आने से रोकने के लिए खेत के चारों ओर खाई खोदकर खाई में क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण भुरक दें ताकि खाई में आने वाली लटें नष्ट हो जायें। जहां पानी की उपलब्धता हो वहां क्यूनालफॉस 25 ईसी 625 मिली लीटर या क्लोरोपायरीफॉस 20 ईसी एक लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से घोल बना कर छिड़काव करें।
वहीं खड़ी फसल में सफेद लट व दीमक के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल का 60 ग्राम सक्रिय तत्व बुवाई के 21 दिन पश्चात प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करें। प्ररोह मक्खी व तना छेदक के नियंत्रण के लिए फिप्रोनिल 40 प्रतिशत के साथ इमिडाक्लोप्रिड 40 प्रतिशत डब्ल्यूजी का 5 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी के हिसाब से अंकुरण के 35 दिन बाद प्रयोग करें। फड़का का प्रकोप होने पर नियंत्रण के लिए क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से भुरकाव करें।