भारत में भैंसों की प्रमुख नस्लें
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड ने भारत में भैंसों की प्रमुख नस्लें जिनकी संख्या तेरह हैं में नस्ल सुधार के लिए चिन्हित किया है वैसे तो भारत समृद्ध जैव-विविधता युक्त बड़ी देशी गोजातीय आबादी वाला देश है । यहां भैंसों की 13 भली भांति परिभाषित नस्लें हैं । कठोर जलवायु परिस्थ्ितियों में अपने अनुकूलन के कारण जीवित रहना, खराब गुणवत्ता वाले आहार एवं चारे पर उत्पादन की योग्यता, रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता इत्यादि गुणों के कारण कई पीढि़यों में इन नस्लों का विकास हुआ है ।
इस प्रकार की नस्लों की संख्या में कमी का प्रमुख कारण इनको उत्पादकता में कमी आना है जो कि किसानों के लिए लाभकर नहीं स्थिति है । इसलिए इसका समाधान दूध उत्पादकता के लिए इन नस्लों की आनुवंशिक क्षमता में वृद्धि करने में निहित है । इस दिशा में व्यवस्थित प्रयासों से न केवल इन नस्लों की उत्पादकता बढ़ेगी बल्कि इससे उनकी पुन: हानि को भी रोका जा सकेगा ।
विकास एवं संरक्षण के दोहरे उददेश्यों के साथ्, एनडीडीबी ने चुनी हुई देशी नस्लों की आनुवंशिक योग्यता में वृद्धि संबंधी कार्यक्रमों की शुरूआत की है । इनके द्वारा गाय-भैंसों की हमारी देसी नस्लों की उत्पादकता में वृद्धि होने की संभावना है ।
भारत में भैंसों की नस्लें (13 नस्लें):
क्रम सं. | नस्ल | गृह क्षेत्र |
1 | भदावरी | उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश |
2 | जाफराबादी | गुजरात |
3 | मराठवाड़ी | महाराष्ट्र |
4 | महेसाना | गुजरात |
5 | मुर्रा | हरियाणा |
6 | नागपुरी | महाराष्ट्र |
7 | नीली रावी | पंजाब |
8 | पंधरपुरी | महाराष्ट्र |
9 | सुर्ती | गुजरात |
10 | टोडा | तमिलनाडु |
11 | बन्नी | गुजरात |
12 | चिलिका | ओडिशा |
13 | कालाहांडी | ओडिशा |