गेहूं की फसल में सिंचाई
गेहूं की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए आवश्यक है कि उचित समय पर इसमें सिंचाई की जाए। गेहूं की फसल की सम्पूर्ण अवधि में लगभग 35-40 से.मी. जल की आवश्यकता होती है। इसकी क्राउन (छत्रक) जड़ों तथा बालियों के निकलने की अवस्था में सिंचाई अतिआवश्यक होती है, इस समय सिंचाई न करने पर उपज पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
गेहूं की फसल के लिए सामान्यतः 4-6 सिंचाई की आवश्यकता होती है। जिसमें भारी मृदा में 4 एवं हल्की मिट्टी में 6 सिंचाई पर्याप्त होती है। गेहूं की फसल की 6 अवस्थाएँ ऐसी हैं जिनमें सिंचाई करना लाभकारी है। यह अवस्थाएँ इस प्रकार हैं।
गेहूं की फसल में सिंचाई कब करें?
सिंचाई | सिंचाई का सही समय ( बुआई के बाद) |
पहली सिंचाई | बुआई के 20-25 दिनों के बाद, मुख्य जड़ बनते समय। |
दूसरी सिंचाई | बुआई के 40-45 दिनों बाद, कल्लों के विकास के समय। |
तीसरी सिंचाई | बुआई के 65-70 दिनों बाद, तने में गाँठ पड़ते समय। |
चौथी सिंचाई | बुआई के 90-95 दिनों बाद, फूल आते समय। |
पाँचवी सिंचाई | बुआई के 105-110 दिनों बाद, दानों में दूध पड़ते समय। |
छठवीं सिंचाई | बुआई के 120-125 दिनों बाद, जब दाना सख़्त हो रहा हो, तब करनी चाहिए। |
देर से बोए गए गेहूं में पहली सिंचाई बुआई के 18-20 दिनों बाद तथा बाद की सिंचाई 15-20 दिनों के अंतराल पर करते रहना चाहिए।