किसानों को नहीं मिलेगी खरीफ 2018 की भावान्तर राशि
किसान अपनी फसल के मूल्यों को लेकर वर्ष 2017 में आन्दोलन करने लगा तो यह आंदोलन हिंसा में बदल गया | इस हिंसा में किसानों की जान भी चली गई थी | इस आंदोलन के दवाब में सरकार ने भवान्तर भुगतान योजना लेकर आई थी | इस योजना के तहत किसानों को मंडी मे बेचने पर न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम मूल्य मिलने पर सरकार भरपाई करती थी |
क्या थी भावान्तर योजना
इस योजना के तहत सरकार चार राज्यों के भाव के आधार पर एक माडल रेट तय करती है |सरकार किसानों को माडल रेट तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य के बीच के अन्तर की भरपाई करती है | भावान्तर योजना के तहत दिया जानेवाला पैसा केंद्र तथा राज्य सरकार दोनों मिलकर देती हैं | सरकार ने पिछले वर्ष नियम में बदलाव कर दिया गया था | इस नियम के तहत सरकार ने सोयाबीन तथा मक्के पर 500 रु./ किवंटल फ्लैट भावान्तर भुगतान करने का फैसला किया है | मतलब यह है की किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम कितना भी कम मिल रहा हो लेकिन उसे 500 रु. / किवंटल दिया जायेगा |
यहां पर सरकार ने किसानों के साथ धोखा किया है | पहले पिछली सरकार ने किसानों के लिए यह घोषणा की थी की 500 रु. / किवंटल फ्लैट दिया दीया जायेगा | बाद में जो आदेश निकाला उसके अनुसार किसानों को अधिकतम 500 रु. / किवंटल तक दिया जायेगा | इसका मतलब यह हुआ की अगर किसी किसान को 500 रु. / किवंटल से कम न्यूनतम समर्थन मूल्य मिला है तो उस किसान को 500 रु . / किवंटल से कम पैसा मिलेगा |
अभी क्या हुआ भावान्तर योजना का
भावान्तर योजना मध्य प्रदेश में पिछले 2 वर्षों से चल रही थी लेकिन इस वर्ष सोयाबीन की खरीदी के बाद भी किसानों को भवान्तर का पैसा नहीं दिया गया है | अभी रबी फसल की खरीदी शुरू होने वाली है लेकिन खरीफ फसल का भावान्तर का पैसा नहीं आया है |
मध्य प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ ने कहा है की केंद्र सरकार सोयाबीन के भावान्तर भुगतान का अपना हिस्सा नहीं दे रही है | केंद्र सरकार को सोयाबीन के भावान्तर भुगतान का 1,000 करोड़ रु.की राशी देनी है | अगर केंद्र सरकार अपना हिस्सा राज्य सरकार को देगी तब उसमें राज्य सरकार अपना हिस्सा जोड़कर किसानों की भुगतान करेगी | पहले नियम में फेरबदल किया गया तो अब पैसे के भुगतान में देरी हो रही है | कुल मिलाकर यह हुआ की केंद्र तथा राज्य सरकार की लडाई में किसानों का नुकसान हो रहा है |