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बुधवार, जून 18, 2025
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मुर्गी पालन से हर महीने एक से डेढ़ लाख रुपये कमा रही हैं ज्योति राजपूत

कम समय में अच्छी कमाई के लिए मुर्गी पालन एक अच्छा विकल्प है, मुर्गी पालन से कम समय में ही लाखों रुपये की आमदनी कमाई जा सकती है। इसकी मिसाल बनी छत्तीसगढ़ के मुंगेली विकासखंड की महिला ज्योति राजपूत। गांव चारभाठा की ज्योति राजपूत ने मेहनत और लगन से अपनी तकदीर बदली है। मुर्गीपालन के व्यवसाय को अपनाकर उन्होंने न केवल अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन गई हैं। आज वे हर महीने एक से डेढ़ लाख रुपये तक की शुद्ध आमदनी अर्जित कर रही हैं, जिससे वे ‘लखपति दीदी’ के नाम से पहचानी जाने लगी हैं।

ऋण लेकर 50 मुर्गियों से शुरू किया था व्यवसाय

महिला किसान ज्योति राजपूत मुर्गी पालन व्यवसाय शुरू करने के लिए सबसे पहले बिहान समूह से जुड़ी, उसके बाद ऋण लेकर 50 मुर्गियों से अपना व्यवसाय शुरू किया। शुरुआती दौर में बाजार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। जब पहली खेप की मुर्गियां बिक गईं, तो उन्होंने बैंक से दोबारा ऋण लिया और 300 मुर्गियों का पालन शुरू किया। पहले यह व्यवसाय अस्थायी शेड में संचालित हुआ, लेकिन आमदनी बढ़ने पर उन्होंने स्थायी संरचना का निर्माण किया। उनके परिवार ने भी इस कार्य में सहयोग दिया, जिससे व्यवसाय को मजबूती मिली।

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अब कर रहीं है 8,000 मुर्गियों का पालन

वर्तमान में ज्योति राजपूत 8,000 मुर्गियों के साथ-साथ बत्तख और देशी मुर्गियों का भी पालन कर रही हैं। उन्होंने हेचरी मशीन खरीदी है, जिससे वे हर महीने 20,000 चूजों का विक्रय कर रही हैं। इससे उनकी आर्थिक स्थिति पहले से कहीं अधिक मजबूत हो गई है। मुर्गी पालन से हुई आय का उपयोग ज्योति राजपूत अपने जीवन स्तर को सुधारने में कर रही हैं। उन्होंने पक्के घर के निर्माण की दिशा में कदम बढ़ाया है और अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में शिक्षा दिला रही हैं। इसके साथ ही वे कृषि विभाग की चिराग योजना के तहत मछली पालन के लिए तालाब खुदवा रही हैं, जिससे उनकी आय के और अधिक स्रोत विकसित हो सकें।

ज्योति राजपूत की सफलता उन महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो स्वरोजगार के माध्यम से आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया कि यदि संकल्प मजबूत हो और परिश्रम किया जाए, तो कोई भी आर्थिक रूप से सशक्त हो सकता है। ‘लखपति दीदी’ ज्योति राजपूत न केवल खुद आत्मनिर्भर बनीं, बल्कि अन्य महिलाओं को भी स्वरोजगार अपनाने के लिए प्रेरित कर रही हैं। उनकी यह सफलता ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देने का एक बेहतरीन उदाहरण बन चुकी है।

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