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सोमवार, फ़रवरी 17, 2025
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गेहूं की नई उन्नत किस्म करण आदित्य DBW 332 की जानकारी

देश में गेहूं का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के साथ ही किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों और विश्वविद्यालयों के द्वारा गेहूं की नई उन्नत किस्में विकसित की जा रही हैं, जो रोग रोधी होनी के साथ ही कम लागत में ज्यादा पैदावार देती हैं। गेहूं की एक ऐसी ही किस्म “करण आदित्य DBW 332” का विकास भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान द्वारा किया गया है, जो गेहूं की अन्य किस्मों के मुकाबले ज्यादा उत्पादन देती है।

भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल द्वारा विकसित गेहूं किस्म करण आदित्य DBW 332 को भारत के उत्तर पश्चिम मैदानी क्षेत्र की सिंचित दशा और अगेती बुआई वाली खेती के लिए अनुशंसित किया गया है। किस्मों की विमोचन और अधिसूचना के लिए केंद्रीय उप समिति द्वारा इस किस्म को वर्ष 2021 में जारी किया गया है। इस किस्म को पंजाब, हरियाणा, दिल्ली राजस्थान (कोटा और उदयपुर डिवीजन को छोड़कर) और उत्तर पश्चिमी उत्तर प्रदेश (झाँसी डिवीजन को छोड़कर), जम्मू-कश्मीर (जम्मू और कठुआ जिले), हिमाचल प्रदेश (ऊना जिला और पांवटा घाटी) और उत्तराखंड के तराई क्षेत्र के लिए अधिसूचित किया गया है।

करण आदित्य DBW 332 किस्म की विशेषताएँ

  • अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना गेहूं के अगेती उच्च उपज क्षमता परिणामों में इस किस्म की औसत उपज 78.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पायी गई है, जो HD 2967 से 31.3 प्रतिशत एवं HD 3086 से 12 प्रतिशत अधिक है।
  • उत्पादन परीक्षणों के तहत इस किस्म द्वारा 83.0 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की अधिकतम पैदावार क्षमता दर्ज की गई है।
  • इस किस्म की पूरे जोन में पैदावार की अच्छी स्थिरता पायी गई है और अधिक उर्वरकों और वृद्धि नियंत्रकों के प्रयोग के लिये अच्छे परिणाम मिले हैं।
  • यह किस्म पीला और भूरा रतुआ की सभी प्रमुख रोग जनक प्रकारों के लिए प्रतिरोधी पायी गई है।
  • इसके अलावा DBW 332 में करनाल बंट रोग के प्रति अन्य किस्मों की तुलना में अधिक रोगरोधिता पायी गई है।
  • DBW 332 किस्म में औसतन 101 दिन में बाली निकालने लगती है वहीं यह किस्म लगभग 156 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।
  • इस किस्म के पौधों की ऊँचाई औसतन 97 सेमी और 1000 दानों का वजन लगभग 46 ग्राम होता है।
  • यह किस्म में उच्च प्रोटीन (12.2%) और उच्च आयरन (39.2 PPM) की मात्रा होती है, साथ ही यह किस्म गेहूं के कई उत्पादों के लिए बहुत उपयुक्त है।
  • करण आदित्य DBW 332 से किसान औसतन 31.32 क्विंटल प्रति एकड़ एवं अधिकतम 33.20 क्विंटल प्रति एकड़ तक की उपज प्राप्त कर सकते हैं।
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करण आदित्य DBW 332 की खेती कैसे करें

अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए किसान करण आदित्य DBW 332 की बुआई 20 अक्टूबर से 5 नवम्बर तक कर सकते हैं। इसके लिए किसानों को 100 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होगी। किसान बुआई के समय पंक्तियों के बीच 20 सेमी की दूरी रखें। किसान इस क़िस्म की बुआई से पहले खेत की भूमि को समतल कर अच्छी तरह से तैयार कर लें। इसके बाद गेहूं के कंडुवा रोग से बचाने के लिए वीटावैक्स (कार्बॉक्सिन 37.5 प्रतिशत थीरम 37.5 प्रतिशत) प्रति 2-3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज से उपचारित कर लें। इस क़िस्म में सामान्यतः 5 से 6 सिंचाई की आवश्यकता होती है। जिसमें किसान पहली सिंचाई बुआई के 20 से 25 दिन बाद तथा उसके बाद की सिंचाई प्रत्येक 20 से 25 दिनों के अन्तराल पर करें।

करण आदित्य DBW 332 में कितनी खाद डालें

सामान्यतः किसानों को उर्वरकों का उपयोग मिट्टी परीक्षण के आधार पर ही करना चाहिए। किसान करण आदित्य DBW 332 किस्म में उच्च उर्वरता वाली भूमि के लिए N: 150, P: 60, K: 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर का उपयोग करें। इसमें फॉस्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा तथा नाइट्रोजन की आधी मात्रा का भाग बिजाई के समय तथा नाइट्रोजन की एक चौथाई मात्रा का भाग पहली सिंचाई के बाद तथा शेष मात्रा दूसरी सिंचाई के बाद देनी चाहिए। किस्म की पूर्ण क्षमता को प्राप्त करने के लिए, 150 प्रतिशत एनपीके और वृद्धि नियंत्रकों के साथ 15 टन प्रति हेक्टेयर देसी खाद का प्रयोग करना चाहिए।

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