भारतीय मौसम विभाग ने जारी किया वर्ष 2019 के लिए मानसून पूर्वानुमान
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने समूचे देश के लिए वर्ष 2019 के लिए दक्षिण-पश्चिम मानसून का पहला पूर्वानुमान जारी कर दिया है | किसानों को पिछले दो वर्ष से मौसम साथ नहीं देने के कारण खेती में लगातार घाटा हो रहा है | वर्षा समय पर नहीं होने के कारण उत्पादन में कमी आने के साथ – साथ बुवाई का रकबा भी कम हुआ है | अभी हालत यह हो चुके है कि पानी का स्तर लगातार कम होने के कारण सिंचाई के लिए काफी परेशानी हो रही है तथा पीने के लिए भी पानी की कमी हो रही है | वर्ष 2016 में अच्छा मौसम रहने के बाद फिर से इस वर्ष मानसून सामन्य से ज्यादा रहने की उम्मीद है |
वर्ष 1951 से 2000 तक भारत में जून से सितम्बर तक औसतन 89 से.मी. वर्षा होती थी, लेकिन इस वर्ष भारत में जून से सितम्बर तक वर्षा सामन्य से ज्यादा होगी | मौसम विभाग के अनुसार इस वर्ष जून से सितम्बर तक औसतन 96± प्रतिशत या उससे ज्यादा वर्षा रहने की उम्मीद है |
भारत में जून से सितम्बर के बीच में होने वाली वर्षा को 5 भागों में बता जाता है |
- न्यूनतम – अगर वर्षा 90 प्रतिशत से कम होता है |
- सामान्य से कम – इस श्रेणी में वर्षा 90 से 96 प्रतिशत की बीच रहती है
- लगभग सामन्य – इस श्रेणी में वर्षा 96 से 104 प्रतिशत रहती है
- सामन्य से अधिक – इस श्रेणी में वर्षा 104 से 110 प्रतिशत की बीच रहती है
- अत्यधिक इस श्रेणी में वर्षा 110 प्रतिशत से ज्यादा होती है |
मौसम विभाग के अनुसार इस वर्ष वर्षा 96 से 104 के बीच रहने वाली है इसलिए यह कहा जा सकता है की इस वर्ष मानसून सामन्य रहने वाली है | जिससे खरीफ मौसम में बुवाई के रकबा बढ़ने की उम्मीद है |
इसी तरह का दूसरी मानसून की जानकारी जून के पहले सप्ताह में दी जायेगी | जो खरीफ मौसम में बुवाई के लिए जरुरी रहेगा |