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मंगलवार, जनवरी 14, 2025
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मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण कार्यक्रम में वैज्ञानिकों ने दी मशरूम उत्पादन, बिक्री व रोगों के रोकथाम के बारे में जानकारी

कम क्षेत्र में अधिक आमदनी के लिए मशरूम की खेती अच्छा विकल्प है, इस कारण से युवाओं और किसानों में इसके उत्पादन के लिए रुझान बढ़ा है। जिसको देखते हुए विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केंद्रों आदि स्थानों पर किसानों को मशरूम उत्पादन के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस कड़ी में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के सायना नेहवाल कृषि प्रोद्योगिकी, प्रशिक्षण एवं शिक्षा संस्थान द्वारा मशरूम उत्पादन तकनीक पर तीन दिनों का प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस प्रशिक्षण में हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के विभिन्न 16 जिलों से युवाओं और किसानों ने भाग लिया।

संस्थान के सह निदेशक डॉ. अशोक कुमार गोदारा ने बताया कि मशरूम उत्पादन एक ऐसा व्यवसाय है जिसे भूमिहीन, शिक्षित या अशिक्षित युवक व युवतियाँ कम से कम खर्च में इसे स्वरोजगार के रूप में अपनाकर आय में बढ़ोतरी कर सकते हैं। इस संस्थान में मशरूम के अलावा मधुमक्खी पालन, केंचुआ खाद उत्पादन, आर्गेनिक फार्मिंग, बीज उत्पादन, डेयरी फार्मिंग, फल एवं सब्जी प्रशिक्षण, दूध व दूध से बने उत्पाद, बेकरी, स्प्रे तकनीक खाद्य पदार्थों का मूल्य संवर्धन, नर्सरी रेजिंग, बाग लगाने आदि विभिन्न विषयों पर पूरे वर्ष प्रशिक्षण आयोजित किए जाते हैं।

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वर्ष में इन मशरूम प्रजातिओं का किया जा सकता है उत्पादन

प्रशिक्षण के आयोजक डॉ. सतीश कुमार मेहता ने बताया कि ज्यादातर किसान सर्दी के मौसम में सफेद बटन मशरूम की खेती करते हैं और इसके बाद फार्म को बंद कर दिया जाता है जबकि बटन मशरूम के बाद ढींगरी व दूधिया मशरूम का उत्पादन भी किया जा सकता है। डॉ. राकेश चुग ने ढींगरी और कीड़ा जड़ी मशरूम उगाने की विधि के बारे में बताया वहीं डॉ.अमोघवर्षा ने शिटाके मशरूम की उत्पादन तकनीक पर व्याख्यान दिया।

डॉ. संदीप भाकर ने बताया कि सफेद बटन मशरूम उगाने पर लगभग 50 रुपये प्रति किलो की लागत आती है और बाजार में लगभग 100 रुपये प्रति किलो इसका भाव मिल जाता है। सूत्रकृमि विभाग के डॉ. अनिल वत्स ने मशरूम उत्पादन में सूत्रकृमियों की रोकथाम तथा डॉ. भूपेन्द्र सिंह ने मशरूम में नुकसान पहुंचाने वाले कीड़ों के प्रबंधन रसायनों के प्रयोग की बजाए दूसरे सुरक्षित तरीकों पर प्रशिक्षणार्थियों को अवगत कराया।

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डॉ. पवित्रा मौर्य पुनिया ने बताया कि खुम्ब में मुख्यतः गीला बुलबुला व सूखा बुलबुला रोग का प्रकोप देखा जाता है तथा इनके प्रबंधन के लिए फफूँदनशियों के प्रयोग की बजाय मशरूम भवन में साफ़ सफाई का ध्यान रखना चाहिए।

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