देश में विभिन्न फसलों का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों एवं संस्थानों के द्वारा नई-नई किस्में विकसित की जा रही है। इस कड़ी में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), नई दिल्ली द्वारा सरसों की उन्नत किस्म “पूसा सरसों 32” का विकास किया गया है। सरसों की यह किस्म सिंचित अवस्था और समय से बुआई के लिए अनुशंसित की गई है। सरसों किस्म पूसा सरसों 32 को वर्ष 2021 में केंद्रीय किस्म विमोचन समिति द्वारा किसानों के लिए जारी किया गया है।
सरसों किस्म पूसा सरसों 32 को जोन-II के लिए जारी किया गया है। इसमें राजस्थान (उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्र), पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के मैदानी क्षेत्र शामिल है। इन क्षेत्रों के किसान इस किस्म की खेती करके अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
पूसा सरसों 32 की विशेषताएँ
- सरसों की यह किस्म 145 दिनों में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
- इस किस्म से किसान औसतन 27.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।
- वहीं सरसों की इस किस्म की अधिकतम उपज क्षमता 33.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
- यह किस्म रबी मौसम में समय से बुआई और सिंचित अवस्था के लिए अनुशंसित की गई है।
- इसमें तेल की मात्रा 38 प्रतिशत तक होती है साथ ही यह किस्म कम जल के तनाव की स्थिति के लिए सहिष्णु है।
- इसके मुख्य तने की लंबाई 73 सेंटीमीटर तक होती है साथ ही इस किस्म का फली घनत्व बहुत अधिक हैं।