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मंगलवार, फ़रवरी 11, 2025
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फसलों में पोटाश खाद का महत्व और कमी के लक्षण, किसान पौधों में कैसे करें पोटाश की पूर्ति

फसलों से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए आवश्यक है कि पौधों को सही मात्रा में उनकी आवश्यकता के अनुसार पोषक तत्वों की पूर्ति की जाए क्योंकि पौधे अपना भोजन पोषक तत्वों के रूप में ही ग्रहण करते हैं। फसल द्वारा पोषक ग्रहण किए गए तत्वों की क्षति पूर्ति उर्वरक और खाद द्वारा ना होने पर भूमि में तत्व विशेष की कमी हो जाती है और पौधा मरने लगता है। इसलिए फसलों को पोषक तत्व देने की आवश्यकता होती है। पौधों को सामान्यतः 17 प्रकार के तत्वों की आवश्यकता होती है। इनमें से कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन पानी और हवा से प्राप्त हो जाते हैं शेष 14 तत्वों की पूर्ति मिट्टी, उर्वरक और खादों से होती है।

विभिन्न फसलें एक उचित परंतु भिन्न-भिन्न मात्रा में पोषक तत्वों को ग्रहण करते हैं। मिट्टी में किसी भी पोषक तत्व की कमी हो जाने से पौधों का सही विकास नहीं हो पाता। इसलिए खाद व उर्वरक का उपयोग इस प्रकार से संतुलित होना चाहिए की फसल को पर्याप्त मात्रा में सभी पोषक तत्व मिल सके। इस प्रकार का सुनियोजित उर्वरक इस्तेमाल, संतुलित उर्वरक प्रयोग कहलाता है।

फसलों में पोटाश पोषक तत्व का महत्व

  • पौधों की वृद्धि एवं विकास के लिए पोटाश आवश्यक है, पोटाश फसलों को मौसम की प्रतिकूलता जैसे सूखा, ओला, पाला, बीमारी तथा कीड़े मकोड़े से बचाने में मदद करता है।
  • पोटाश जड़ों की समुचित वृद्धि करके फसलों को उखड़ने से बचाता है। पोटाश के प्रयोग से पौधे की कोशिका दीवारें मोटी होती हैं और तने की कोष्ठ की परतों में वृद्धि होती रहती है, जिसके फलस्वरूप फसल की गिरने से रक्षा होती है।
  • जिन फसलों को पोटेशियम की पूरी मात्रा मिलती है, उन्हें वांछित उपज देने के लिए अपेक्षाकृत कम पानी की आवश्यकता होती है, इस प्रकार पोटेशियम के प्रयोग से फसल की जल-धारण क्षमता बेहतर होती है।
  • पोटाश फसलों की गुणवत्ता बढ़ाने वाला सर्वाधिक महत्वपूर्ण तत्व है।
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पौधों में पोटाश की कमी के लक्षण

  • पोटाश की कमी से पौधों की वृद्धि एवं विकास में कमी आ जाती है।
  • पत्तियों का रंग गहरा हो जाता है।
  • पुरानी पत्तियों का नोकों या किनारे से पीला पड़ना, बाद में ऊतकों का मरना और पत्तियों का सूखना।

यदि फसल में एक बार तत्व विशेष की कमी के लक्षण दिखाई दे जाएं तो आप समझ लीजिए की फसल की क्षति हो चुकी है, जिसका पूरी तरह से उपचार संभव नहीं है। ऐसी स्थिति में पोटाश से पूरा लाभ नहीं मिलेगा। पौधों में पोटाश की छिपी हुई कमी की दशा में हम देखते हैं कि पोटाश के प्रयोग से स्वस्थ पौधे अपेक्षाकृत बहुत अधिक उपज देते हैं। इसलिए यदि फसल में पोटाश की कमी के लक्षण दिखाई दें तब तक काफी देर हो चुकी होगी और फसल की रक्षा आप नहीं कर पाएंगे।

पोटाश की कमी को कैसे दूर करें?

फसलों की अधिक उपज देने वाली किस्में और कृषि की नई और उन्नत तकनीक अपनाने से भूमि में पोटाश की कमी हो गई है। चूँकि पोटाश की पूर्ति इस अनुपात में नहीं हो पाई है, जिस अनुपात में अधिक उत्पादन तथा पोटाश का निष्कासन हुआ है। इसलिए मिट्टियों में पोटाश का अभाव स्पष्ट होने लगा है। किसान अपने खेत की मिट्टी में पोटाश की मात्रा जानने के लिए अवश्य ही मिट्टी की जांच करवायें।

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पोटाश का प्रयोग नाइट्रोजन और फास्फोरस उर्वरकों के साथ उचित मात्रा में किया जाना चाहिए। पोटाश पौधों के पोषण में नाइट्रोजन और फास्फोरस के प्रभाव को बढ़ा देता है। इस प्रकार पोटाश के प्रयोग से अधिकतम पैदावार, अधिक उत्पाद, गुणवत्ता और अधिकतम लाभ मिलता है।

आमतौर पर पोटाश पोटेशियम क्लोराइड के रूप में मिलता है। इसको खान से निकालकर साफ किया जाता है और परिशुद्ध लवण उर्वरक के रूप में म्यूरेट ऑफ पोटाश के नाम से बाजार में उपलब्ध है। इसके अलावा पोटेशियम सल्फेट और सल्पोमैग से भी पोटाश की पूर्ति होती है। पोटाश खाद का प्रयोग रोपाई और बुआई के समय करना चाहिए परंतु हल्की व बालू मिट्टी में पोटाश का निराई व गुड़ाई के समय प्रयोग किया जा सकता है।

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