धान में मटमैले रंग के धब्बे या बैंगनी रंग के किनारे हों तो कौन सी दवा का छिडकाव करें
धान के खेतों में पानी की सतह के ऊपर पौधों के तनों पर यदि मटमैले रंग के बड़े-बड़े धब्बे दिख रहे हों तथा ये धब्बे बैंगनी रंग के किनारों से घिरे हांे तो इसे शीथ ब्लाईट रोग कहते हैैं। इस रोग के नियत्रंण के लिए हेक्साकोनाजोल फफूंदनाशक दवा का छिड़काव धान पौधों के रोगग्रस्त हिस्से में करना चाहिए। जरूरत होने पर इसका छिड़काव 12-15 दिन में एक बार फिर से करना उचित होता है। धान की फसल में झुलसा रोग के लक्षण नाव आकार के छब्बे के रूप में दिखते ही ट्राइसाईक्लोजोल (0.6 ग्रा./ली.पानी) या आइसोप्रोथियोलेन (1मिली लीटर/1 लीटर पानी) फफूंदनाशक दवा का छिड़काव करना चाहिए। रोग की तीव्रता ज्यादा होने पर 10-12 दिन में पुनः दवा छिड़कना चाहिए। फफूंदनाशक दवा का छिड़काव दोपहर 3 बजे से करने से रोग पर प्रभावी नियंत्रण होगा।
सितम्बर-अक्टूबर महीने में बीमारियों के प्रकोप
कृषि वैज्ञानिकों तथा कृषि विभाग के अधिकारियों ने सितम्बर-अक्टूबर महीने में बीमारियों के प्रकोप की अधिक आशंकाओं को देखते हुए किसानों को फसलों की सतत निगरानी करने की सलाह देते है। खेतों में तना छेदक के व्यस्क कीट नजर आ रहे हैं तो फिरोमेन ट्रेप 10 नग प्रति एकड़ की दर से लगाना चाहिए। तना छेदक के अण्डे समूहों को नष्ट कर देना चाहिए। रासायनिक नियंत्रण के लिए ट्राइजोफास 1 लीटर प्रति हेक्टेयर या रिनॉक्सिपायर 150 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि धान की फसल में कहीं-कही पर माहो का प्रकोप शुरू हो गया है। कीड़ों की संख्या 10-15 प्रति पौधा हो जाने पर शुरूआत में ब्यूपरोफेजिन 800 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़कने की सलाह किसानों की दी गई है।
कीट का प्रकोप बढ़ता दिखाई दे 15 दिन बाद डाईनेतोफ्युरान 200 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी में घोल बनाकर अपरान्ह में पानी की सतह के ऊपर के हिस्से में पौधों में छिड़काव करना चाहिए। कृषि वैज्ञानिकों ने बताया है कई स्थानों पर धान की फसल में पेनिकलमाईट का प्रकोप देखने में आया है। इसकी पहचान पोंचे व बदरंग दाने तथा तने पर भूरापन देखकर किया जा सकता है। इसके निदान के लिए प्रोपिकोनाजोल 2 मिली लंीटर और प्रोफेनोफास 2 मिली लीटर प्रति लीटर पानी में घोल कर 500 लीटर घोल प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए।