प्रो–ट्रेज (मिट्टी रहित माध्यम) में पौध उत्पादन
अपेक्षाकृत अधिक सफल – स्वस्थ व समान वृद्धि वाली सब्जियों की पौध प्लास्टिक की बनी प्रो – ट्रेज में तैयार की जाती है | इसे 40 – 60 मेस की कीट – अवरोधी नायलान जाली युक्त ग्रीन / पालीहाउस के अन्दर या फिर खुले में भी कर सकते हैं | बाजार में प्रो – ट्रेज विभिन्न आकार के प्लग या छिद्रों व इनकी संख्या के आधार पर बेंची जाती है | इसमें आमतौर पर 98 छिद्र वाली ट्रे (आकार 30×20 ×35 मिमी,) टमाटर, बैंगन, मिर्च के लिए और 50 छिद्र वाली (40×30×45मिमी. आकार) खीरा, खरबूजा, तरबूज, लौकी, कद्दू इत्यादी के लिए उपयुक्त होती हैं |
कैसे तैयार करें
प्रो – ट्रेज के लिए प्रयुक्त माध्यम में कोकोपिट (नारियल का बुरादा) प्रमुख है, जिसे वर्मीकुलाइट व परलाइट के साथ 3:1:1 के अनुपात के मिश्रण में प्रयोग करते हैं | इसके अलावा कोकोपिट को केंचुए की खाद के साथ 4:1 के अनुपात में भी प्रयुक्त किया जा सकता है | प्रो – ट्रेज में सब्जियों के बीज की बुआई एक बीज प्रति छिद्र करते हैं | बुआई के पश्चात् ट्रेज को 2 – 3 दिनों (अंकुरण होने से पूर्व) तक पालीथीन से ढक देते हैं, इससे जमाव उत्तम व जल्दी होता है |
एहतियात के तौर पर बीज जमाव के लगभग एक सप्ताह बाद कार्बेन्डाजिम + मेंकोजेब के मिश्रण रसायन की 2 – 2.5 ग्राम / लीटर के दर से पौधों की जड़ों को ट्रे करने से नर्सरी के फफूंद जनित रोग जैसे आद्रपतन (डैम्पिंग आफ) के प्रकोप से बचा जा सकता हैं | एक छिड़काव कीटनाशी इमिडाकलोप्रिड या थायमेंथोक्साम (0.3 – 0.5 ग्राम / ली.) का कर सकते हैं | पोषण हेतु पौधों को एन.पी.के. (19:19:19) की 2 ग्राम / लीटर पानी के घोल की दर से एक सप्ताह के अन्तराल पर पौधों पर पर्णीय छिड़काव करना चाहिए | मिटटी की अपेक्षा प्रो – ट्रेज में पौधों की जड़ व तने का विकास तेजी से व समान होता है जिससे पौध लगभग एक सप्ताह पूर्व तथा एक साथ तैयार हो जाती है |
अधिक लाभ के लिए कब लगायें
बदलते परिवेश में देखा जा रहा है कि किसानों को उन्हीं सब्जियों की अच्छी कीमत मिल पाती है जो सब्जियां सबसे पहले बाजार में आ जाती हैं | जैसे – जैसे सब्जियों की अधिक मात्रा बाजार में आने लगती है उनकी कीमत कम होने लगती है | एसी परिस्थिति में यदि समय से पूर्व सब्जियों की पौध तैयार करके क्द्दुवर्गीय सब्जियों की अगेती खेती की जाय तो काफी लाभदायक सिद्ध हो सकता है |
बिना मिट्टी के खेती या हाइड्रोपोनिक्स खेती
इसके लिए दिसम्बर – जनवरी माह में तैयार की गयी पौध का ही इस्तेमाल किया जाता है | जिससे फरवरी माह में तापमान अनुकूल होते ही रोपण हेतु प्रदान किया जा सकता है | इससे अगेती खेती करने वाले किसान को अन्य की तुलना में एक से डेढ़ माह पूर्व फल लेकर अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं | इसके लिए प्रो – ट्रेज (50 छिद्र वाली) या फिर पालीथीन की थैलियों (6×4 इंच आकार) में किसी पालीहाउस या प्लास्टिक संरचना के अंदर तैयार की गयी पौध का इस्तेमाल कर सकते हैं जो नर्सरी में आसानी से संभव है |
रोपाई से पूर्व सब्जी – पौध का उपचार ( स्टार्टर ट्रीटमेंट)
रोपाई से पूर्व कुछ समय तक पौधों की जड़ों को मुख्य पोषक तत्वों (एन.पी.के.) घोल से तर करने से पौधों की बढवार और उत्पादन बेहतर होता है | इसके अलावा ट्राइकोडर्मा, एजोटोबेक्टर, माइकोराइजा जैसे जैव कारक आदि से भी उपचारित करने के बाद रोपाई करने से फसल उत्पादन में बढ़ोत्तरी होती है साथ ही उत्पाद की गुणवत्ता में भी वृद्धि होती है | पौधों की जड़ों को रोपाई से पूर्व इमिडाक्लोप्रिड (1 मिली/ली.) के घोल में डुबोकर उपचारित करने से पौधो में कीट अवरोधिता बढ़ जाती है | कभी – कभी कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में कुछ विशेष प्रकार के वृद्धि नियामकों का इस्तेमाल भी सब्जी – फसल उत्पादन में लाभकारी पाया गया है |