कपास की चित्तीदार सूंडियों की पहचान एवं नियंत्रण
भारत में कपास की खेती मुख्यतः नगदी फसल के रूप में की जाती है | देश में मुख्यतः देसी एवं अमेरिकन कपास की बुआई की जाती है | अमेरिकन कपास में ज्यादातर बीटी हाइब्रिड का प्रयोग होता है जो की कपास की टिंडे की सूंडियों के प्रति सहनशील होती है जबकि देसी कपास में सूंडियों का प्रकोप अधिक होता है | इन सूंडियों में सबसे अधिक अमेरिकन सूंडी, चित्तीदार सूंडी एवं गुलाबी सूंडी का प्रकोप सबसे अधिक होता है | इन सूंडियों का प्रकोप को सही समय पर नियंत्रण न किया जाये तो कपास की फसल को काफी नुकसान पहुँचता है | किसान समाधान चित्तीदार सूंडियों को कैसे नियंत्रित किया जाये इसकी जानकारी लेकर आया है |
ऐसे पहचानें चित्तीदार सूंडी को
सुबह-सुबह अपने खेत का निरिक्षण करें तथा खेत में 4–5 जगह से नीचे गिरी 100 फूल ड़ोंडियां उठाकर देखें | यदि इन फुल डोंडियों पर छेद व सूंडी का मल दिखाई पड़ता है, तो फसल में चित्तीदार सूंडी का आक्रमण हो सकता है |
कपास में चित्तीदार सूंडी के लक्षण
चित्तीदार सूंडी कपास, भिंडी, गुड़हल के अलावा कुछ अन्य फसलों पर अपना जीवनचक्र पूरा करती है | उत्तर भारत में इसकी दो प्रजातियों में से “इरियास इंसुलाना” ज्यादा प्रबल है | दोनों प्रजातियों के नुकसान का तरीका एक जैसा है | चित्तीदार सूंडी का प्रयोग फसल की बिजाई के 3 सप्ताह बाद ही शुरू हो जाता है | फल–फूल आने से पहले चित्तीदार सूंडी तने के उपरी भाग पर आक्रमण करके उसमें छिद्र कर देती है |
पौधे के उपरी हिस्सों को नुकसान होने के कारण कई बार पौधा ऊपर से सूख जाता है | इसके द्वारा नुकसान की गई फूल डोंडियाँ दूर से ही पहचानी जा सकती हैं | फूल बनने से पहले ही उनकी पंखुड़िया फैली हुई नजर आ जाती हैं | कपास में चित्तीदार सूंडी के प्रकोप से फूल ड़ोंडिया अपने आप को एक ही टिंडे/फूल/कली तक सिमित न रखते हुए एक से ज्यादा टिंडे/फूल/कली को नुकसान पहुँचाती हैं | नुकसान किये गए टिंडे/कली पर इसका मलमूत्र साफ़ दिखाई पड़ता है | टिंडा दुसरे कीटाणुओं के आक्रमण का शिकार हो जाता है| देसी कपास में चित्तीदार सूंडी के प्रकोप से फूल डोंडियों से टिंडे पुरे बड़े आकार के नहीं बनते और टिंडे लगातार नीचे गिरते रहते हैं | इसके कारण फसल के उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है |
कपास में चित्तीदार सूंडी का नियंत्रण
खेत में नीचे गिरी 100 फूल डोंडियों में से 5 फूल डोंडियों पर चित्तीदार सूंडी का प्रकोप हो, तो इसकी रोकथाम के लिए छिडकाव करने की जरूरत है | सूंडी के नियंत्रण के लिए निम्नलिखित कीटनाशकों का छिडकाव करें :-
- चित्तीदार सूंडी के निरीक्षण के लिए खेत में स्लीव या मोथ कैच 2 फेरोमोन ट्रैप प्रति हैक्टेयर लगाने चाहिए, ताकि किसान, सूंडियों के प्रकोप को समय पर पहचान लें | अगर नुकसान के लक्ष्ण दिखाई देते हैं, तो एक या दो छिड़काव नीम आधारित कीटनाशक जैसे कि निम्बेसिडिन 1.0 लीटर + 1 ग्राम डिटर्जेंट पाउडर प्रति लीटर पानी की दर से 200 लीटर पानी का घोल बनाकर एक एकड में करने चाहिए | ये सभी रस चूसकर कीट व सूंडियों की संख्या कम करने में सहायक होते हैं |
- जब भी फसल में 10 प्रतिशत पौधों पर फूल डोडी व फूल दिखाई देने लग जाएं या जुलाई के पहले सप्ताह में बचाव के टूर पर सिंथेटिक पायरीथ्राइड जैसे–फेनप्रोपेथरीन 10 ई.सी./300 एम.एल या डेल्टामेथ्रिन 2.8 ई.सी./160 एम.एल या फेनवलरेट 20 प्रतिशत ई.सी./100 एम.एल. या साइपरमेथरीन 25 प्रतिशत ई.सी./80 एम.एल. प्रति एकड़ की दर से छिडकाव कर देना चाहिए |
- इसके बाद भी सूंडी का प्रकोप रहता है तो ही अगला छिडकाव करें | जैसे – स्पाइनोसेड 48 एस.सी./75 एम.एल. या फ्लूबेंडीयामाइड 480 एस.सी./ 40 एम.एल. या इडोक्साकार्ब 15 प्रतिशत ई.सी./ 200 एम.एल. प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें | इसके अलावा प्रोफेनोफाँस 50 ई.सी./500 एम.एल. या इथियोन 50 ई.सी. / 800 एम.एल. प्रति एकड़ की दर से छिडकाव कर सकते हैं | इससे चित्तीदार सूंडी के साथ–साथ सफेद मच्छर व मिलीबग नियंत्रण करने में सहायता मिलती है |
सावधानियां
- एक ही कीटनाशक का छिडकाव बार–बार नहीं करना चाहिए | देसी कपास में चित्तीदार सूंडी के लिए सिंथेटिक पायरीथ्राइड का प्रयोग करना उचित है | नाँन बीटी अमेरिकन कपास में इसका प्रयोग सफेद मच्छर के प्रकोप को ध्यान में रख कर करें |
- छिडकाव करने के 24 घंटे के अंदर वर्षा होने पर छिड़काव दोबारा करें |
- कपास की फसल 2–4 डी के प्रति बहुत संवेदनशील है | इसलिए 2 – 4 डी के छिडकाव करने में काम में लिए गए छिडकाव यंत्रों का प्रयोग करें | कीटनाशकों के मिश्रण का प्रयोग करने से बचें |
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