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शुक्रवार, जुलाई 18, 2025
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प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को सरकार देगी 20,000 रुपए, उत्पाद बेचने के लिए खोली जाएंगी मंडिया

किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए मुख्यमंत्री ने 5 जून के दिन कई घोषणाएँ की। इसमें किसानों को 20,000 रुपये का सहायता अनुदान, उत्पाद बेचने के लिए नई मंडियों की स्थापना के साथ ही सरकारी ज़मीन पर प्राकृतिक खेती करने के लिए किसानों को पट्टे देना शामिल है।

फसलों की लागत कम करने के साथ ही गुणवत्ता युक्त उत्पाद प्राप्त करने के लिए सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। ऐसे में अधिक से अधिक किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा सके इसके लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं भी शुरू की गई हैं। इस कड़ी में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने प्राकृतिक खेती को व्यापक स्तर पर बढ़ावा देने और किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक करने के लिए 5 जून के दिन कई घोषणाएँ की है। मुख्यमंत्री ने यह घोषणायें चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आयोजित प्राकृतिक खेती सम्मेलन में की।

मुख्यमंत्री ने घोषणा करते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती तथा जैविक खेती से उत्पादित गेहूं, धान, दालों आदि उत्पादों के लिए प्राकृतिक तथा जैविक मंडी की स्थापना गुरुग्राम में की जाएगी। साथ ही, प्राकृतिक तथा जैविक खेती से उत्पादित फल, सब्जियों के लिए हिसार में भी प्राकृतिक खेती तथा जैविक मंडी की स्थापना की जाएगी। इसके अलावा, प्राकृतिक तथा जैविक खेती के उपज के उचित मूल्य निर्धारण के लिए हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण के तहत एक समिति का गठन किया जाएगा।

प्राकृतिक खेती के लिए सरकार देगी 20,000 रुपए

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने घोषणा करते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती से प्राप्त उत्पादों की ब्रांडिंग और पैकेजिंग के लिए प्रति किसान 20 हजार रुपये प्रदान किए जाएंगे। उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि प्राकृतिक और जैविक खेती की उपज की जांच हेतु प्रयोगशालाएं भी स्थापित की जाएंगी। ये प्रयोगशालाएं किसानों की फसल की निःशुल्क जांच करेंगी।

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उन्होंने यह भी घोषणा की कि खंड पूंडरी, जिला कैथल में कृषि विभाग की 53 एकड़ भूमि प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को नीलामी के आधार पर पट्टे पर दी जाएगी। उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि प्रत्येक पंचायत में पंचायती भूमि में से 10 प्रतिशत भूमि या कम से कम एक एकड़ भूमि प्राकृतिक खेती के लिए आरक्षित की जाएगी। यह भूमि केवल भूमिहीन किसानों को नीलामी के माध्यम से दी जाएगी।

प्राकृतिक खेती के लिए मिलेगा अनुदान

मुख्यमंत्री ने घोषणा करते हुए कहा कि सरकारी और पंचायती जमीन पर जो भी किसान प्राकृतिक खेती करेगा, उन किसानों को भी प्राकृतिक खेती योजना के तहत वित्तीय प्रोत्साहन के रूप में कच्चे माल के भंडारण और संस्करण के लिये चार ड्रम की खरीद के लिए 3 हजार रुपये प्रति किसान दिया जाएगा। एक देसी गाय की खरीद पर 30 हजार रुपये की सब्सिडी दी जाएगी।

उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि प्राकृतिक खेती के लिए देसी गायों की खरीद पर सरकार 30 हजार रुपये की सब्सिडी दे रही है। अब तक 492 देसी गायों की खरीद के लिए 1 करोड़ 23 लाख रुपये सीधे किसानों को दिए गए हैं। इसके अलावा, अब तक 2500 किसानों को ड्रम खरीदने के लिए 75 लाख रुपये की राशि दी जा चुकी है।

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किसानों को प्रशिक्षण देने के लिए बनाये गए हैं केंद्र

मुख्यमंत्री ने कहा कि 2025-26 के दौरान प्रदेश में एक लाख एकड़ भूमि को प्राकृतिक खेती के अधीन लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। वर्ष 2022 से अब तक 720 किसान गोष्ठियां, 22 कार्यशालाएं एक राज्यस्तरीय मेले का आयोजन किया जा चुका है। जिसमें 35 हजार से अधिक किसानों ने भाग लिया। प्राकृतिक खेती अपनाने हेतु प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए कुरुक्षेत्र के गुरुकुल, जींद के हमेटी, सिरसा के मंगियाना और करनाल के घरौंडा में प्रशिक्षण केंद्र वो स्थापित किए हैं। गुरुकुल कुरुक्षेत्र के प्रशिक्षण केंद्र में प्रगतिशील किसानों को प्रशिक्षण देने के लिए राज्य सलाहकार की भी नियुक्ति की है।

उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश में वर्ष 2022 में प्राकृतिक खेती योजना का शुभारंभ किया गया और इसमें लगभग 97 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया और इसे हर वर्ष लगातार बढ़ाया जा रहा है। प्राकृतिक खेती के लिए सरकार ने पोर्टल भी शुरू किया है। अब तक इस पोर्टल पर लगभग 1,84,665 किसानों ने 2,73,955 एकड़ क्षेत्र का पंजीकरण कराया है। इसमें से, 17,087 एकड़ क्षेत्र में प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए 10,550 किसानों का सत्यापन भी किया जा चुका है।

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