देश में किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा कई नई योजनाओं की शुरुआत की जा रही है। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार 28 जनवरी के दिन राज्य के किसानों को बड़ी सौगात दी है। मंगलवार के दिन मुख्यमंत्री ने यूपी-एग्रीज (उत्तर प्रदेश एग्रीकल्चर ग्रोथ एंड रूरल एण्टरप्राइज इको-सिसाइटम स्ट्रेंथिंग) परियोजना की शुरुआत की। साथ ही उन्नाव में इंटीग्रेटेड मैनुफैक्चरिंग एण्ड लॉजिस्टिक क्लस्टर में कैनपैक इंडिया द्वारा 1300 करोड़ रुपये की लागत की एक ग्रीन फील्ड मैनुफैक्चरिंग इकाई का शिलान्यास किया।
कार्यक्रम में एक्वाब्रिज के चेयरमैन द्वारा उत्तर प्रदेश में मत्स्य पालन के क्षेत्र की संभावनाओं के दृष्टिगत 4,000 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की गई है। प्रदेश में ग्लोबल लीड डेटा डिजिटल एग्रीकल्चर वर्ल्ड बैंक के अभियान को आगे बढ़ाकर किसानों के जीवन में परिवर्तन लाने के लिए यहां पर डाटा बैंक की उपयोगिता की दृष्टि से एक विजन प्रस्तुत किया गया है। यह आने वाले समय में किसानों के जीवन में व्यापक परिवर्तन का कारक बनेगा।
यूपी-एग्रीज योजना का उद्देश्य क्या है?
मुख्यमंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि यूपी एग्रीज 4,000 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट है। इसमें से 2,737 करोड़ रुपये का ऋण विश्व बैंक द्वारा और 1,166 करोड़ रुपये का अंशदान राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। यूपी-एग्रीज परियोजना का मुख्य उद्देश्य कृषि और उससे संबंधित क्षेत्र में कठिनाइयों को चिह्नित करना, प्रमुख फसलों की उत्पादकता में गुणात्मक वृद्धि करना तथा प्रदेश के विशिष्ट कृषि उत्पादों के पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट और मार्केट सपोर्ट सिस्टम को विकसित करना है, जिससे अन्नदाता किसानों की आय में वृद्धि हो सके। यह परियोजना कृषि सहवर्ती इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास और स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन के एक नए अभियान को आगे बढ़ाने की शुरुआत है।
28 जनपदों में लागू की जाएगी योजना
यूपी एग्रीज योजना पहले चरण में प्रदेश के 8 मंडलों के 28 जनपदों में लागू की जाएगी। इसमें गोरखपुर, आजमगढ़, बस्ती, देवीपाटन, वाराणसी, विंध्याचल, चित्रकूट और झाँसी शामिल है। यह पूर्वी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड के मंडल हैं। इसमें पूर्वी उत्तर प्रदेश के 21 जनपद और बुंदेलखंड के 7 जनपद शामिल है। इन सभी जनपदों में यह योजना लागू की जा रही है। यह प्रोजेक्ट 06 वर्षों का होगा। यह परियोजना वर्ष 2024-25 से शुरू होकर वर्ष 2029-30 तक लागू रहेगी। इस परियोजना के माध्यम से कृषि क्षेत्र की वर्तमान उत्पादकता को 30 प्रतिशत तक की वृद्धि किया जाना है।
योजना के माध्यम से किसानों को तकनीकी तथा समय पर बीज, खाद, सिंचाई और मार्केट जैसी अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। फसलों की गुणवत्ता को बनाये रखते हुए वैल्यू एडिशन के साथ जोड़ा जाएगा।
फसलों के उत्पादन में होगी वृद्धि
मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि किसान को समय पर अच्छी क्वालिटी के बीज, मौसम के बारे में जानकारी और तकनीक की जानकारी एवं अन्य सुविधाएं मिल जाए, तो उत्पादकता में वृद्धि होगी। जो किसान अभी तक एक एकड़ में 10 क्विंटल का उत्पादन कर रहा है। इस योजना से जुड़ने के बाद 14 से 15 क्विंटल तक का उत्पादन करने का सामर्थ्य रखेगा। इससे किसानों का खर्चा कम होगा और उत्पादकता ज़्यादा हो जाएगी। इससे उनकी आय में भी वृद्धि होगी। इस डिजिटल एग्रीकल्चर इको-सिस्टम प्लेटफॉर्म के माध्यम से इस पूरे कार्यक्रम को संपूर्ण राज्य में बढ़ाया जाएगा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश इस दिशा में अच्छा प्रयास कर रहा है, लेकिन पूर्वी उत्तर प्रदेश, विंध्य तथा बुंदेलखंड में इस दिशा में प्रयास किए जाने की आवश्यकता थी। यूपी-एग्रीज परियोजना इस दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है।
मछली पालन के लिए किसानों को भेजा जाएगा विदेश
योजना का लाभ किसानों के साथ ही राज्य के मछली पालकों को भी मिलेगा। योजना के तहत मत्स्य उत्पादन और उसके प्रसंस्करण में वृद्धि के लिए तथा टैंक और बायोफ्लॉक में मत्स्य पालन के कार्यक्रम को आगे बढ़ाया जा सके, इसके लिए यूपी एग्रीज परियोजना में 500 किसानों को उन्नत तकनीक देने और विदेश भ्रमण की कार्रवाई के साथ जोड़ा गया है, जिससे वह अन्य जगहों की सक्सेस स्टोरी देख सके। यह किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में नया प्रयास है।
परियोजना के क्रियान्वयन से प्रत्यक्ष रूप से 10 लाख किसानों को सहायता दी जाएगी। हमारा प्रयास होगा की 30 से 50 प्रतिशत तक महिला किसानों को इसके साथ जोड़ा जाए। 1 लाख से अधिक मछुआरा परिवारों को भी इस योजना से सहायता मिलेगी। इसके मध्य से कुछ अच्छे सेंटर ऑफ एक्सीलेंस विकसित किए जाएंगे। इससे किसानों की आय एवं फसलों की उत्पादकता में वृद्धि होगी।