राष्ट्रीय आयुष मिशन

राष्ट्रीय आयुष मिशन

योजना का उद्देश्य :-

  • औषधीय पादप जो आयुष चिकित्सा पद्धतियों की अखंडता, गुणवत्ता, प्रभावोत्पादकता और सुरक्षा की कुंजी हैं, उन्हे कृषि प्रणालियों में शामिल करके, उनकी कृषि को बढ़ावा देना जिससे कृषि किसानों को फसल विविधता का एक विकल्प मिलेगा और उनकी आमदनी बढ़ेगी।
  • मानकीकरण तथा गुणवत्ता आश्वासन को बढ़ावा देने के लिए अच्छी कृषि एवं संग्रहण अभ्यासों का अनुकरण करते हुए कृषि करना जिससे आयुष पद्धतियों की वैश्विक स्तर पर स्वीकार्यता में वृद्धि होगी और जड़ी-बूटियों अर्कों, फाइटो-रासायनिकों, आहार पूरकों, सौन्दर्य प्रसाधनों और आयुष उत्पादों जैसी मूल्य वर्धित वस्तुओं के निर्यात में बढ़ोत्तरी होगी।
  • कृषि अभिसरण, भण्डारण, मूल्यवर्धन एवं विपणन के माध्यम से प्रसंस्करण समूहों की स्थापना को सहायता देना और उद्यमियों के लिए अवसंरचना का विकास ताकि ऐसे समूहों में एकक (Unit) स्थापित की जा सकें।
  • गुणवत्ता मानकों, अच्छे कृषि अभ्यासों, अच्छे संग्रहण अभ्यासों और अच्छे भण्डारण अभ्यासों के लिए प्रमाणन क्रियाविधि को लागू करना तथा उसका समर्थन करना।
  • राष्ट्रीय, क्षेत्रीय राज्यीय और उप राज्यीय स्तर पर सार्वजनिक निजी क्षेत्र में अनुसंधान एंव विकास, प्रसंस्करण तथा विपणन में जुटे हुए पणधारियों (Stack holders) के बीच भागीदारी, अभिसरण (Convergence) और सहक्रिया (Synergy) को बढ़ावा देना।

आच्छादित जनपदः-

सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, बिजनौर,सम्भल, मेरठ, बुलंदशहर, बरेली, बदायूं, शाहजहाँपुर, लखनऊ, सीतापुर, हरदोई, फैजाबाद, बाराबंकी, अम्बेडकर नगर, सुल्तानपुर, बस्ती, गोरखपुर, महाराजगंज, कुशीनगर, इलाहाबाद, कौशाम्बी, प्रतापगढ़, कन्नौज, कानपुर देहात, इटावा, फतेहपुर, आगरा, मथुरा, एटा, अलीगढ़, हाथरस, आजमगढ़, वाराणसी, गाजीपुर, जौनपुर, चन्दौली, मिर्जापुर, सोनभद्र, बाँदा, चित्रकूट, हमीरपुर, महोबा, झांसी, जालौन, ललितपुर एवं बहराइच।

कार्यक्रम का नामः-

    • औषधीय पौध क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम के अन्तर्गत विभिन्न फसलें यथा- सर्पगन्धा, अश्वगंधा, ब्र्राम्ही, कालमेघ, कौंच, सतावरी, तुलसी, एलोवेरा, वच एवं आर्टीमीशिया के क्षेत्र विस्तार का कार्यक्रम कराया जाता है।
    • पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेन्टः- पोस्ट हार्वेस्ट कार्यक्रम के अन्तर्गत निजी क्षेत्र में स्टोरेज गोडाउन एवं ड्राइंगशेड का निर्माण।

अनुमन्य अनुदान मदवारः-

  • सर्पगन्धाः- इकाई लागत धनराशि रू0 91506.25 प्रति हेक्टेयर के सापेक्ष 50 देय अनुदान अधिकतम धनराशि रू0 45753.00 का भुगतान किया जायेगा।
  • अश्वगंधाः- इकाई लागत धनराशि रू0 36602.50 प्रति हेक्टेयर के सापेक्ष 30 देय अनुदान अधिकतम धनराशि रू0 10980.75 का भुगतान किया जायेगा।
  • ब्राम्हीः- इकाई लागत धनराशि रू0 58564.00 प्रति हेक्टेयर के सापेक्ष 30% देय अनुदान अधिकतम धनराशि रू0 17569.20 का भुगतान किया जायेगा।
  • कालमेघः- इकाई लागत धनराशि रू0 36602.50 प्रति हेक्टेयर के सापेक्ष 30% देय अनुदान अधिकतम धनराशि रू0 10980.75 का भुगतान किया जायेगा।
  • कौंचः- इकाई लागत धनराशि रू0 29282.00 प्रति हेक्टेयर के सापेक्ष 30% देय अनुदान अधिकतम धनराशि रू0 8784.60 का भुगतान किया जायेगा।
  • सतावरीः- इकाई लागत धनराशि रू0 91506.25 प्रति हेक्टेयर के सापेक्ष 30% देय अनुदान अधिकतम धनराशि रू0 27451.80 का भुगतान किया जायेगा।
  • तुलसीः- इकाई लागत धनराशि रू0 43923.00 प्रति हेक्टेयर के सापेक्ष 30% देय अनुदान अधिकतम धनराशि रू0 13176.90 का भुगतान किया जायेगा।
  • एलोवेराः- इकाई लागत धनराशि रू0 62224.25 प्रति हेक्टेयर के सापेक्ष 30% देय अनुदान अधिकतम धनराशि रू0 18672.20 का भुगतान किया जायेगा।
  • वचः- इकाई लागत धनराशि रू0 91506.25 प्रति हेक्टेयर के सापेक्ष 30% देय अनुदान अधिकतम धनराशि रू0 27451.80 का भुगतान किया जायेगा।
  • आर्टीमीशियाः- इकाई लागत धनराशि रू0 48741.25 प्रति हेक्टेयर के सापेक्ष 30% देय अनुदान अधिकतम धनराशि रू0 14622.25 का भुगतान किया जायेगा।
  • ड्राइंगशेडः- इकाई लागत धनराशि रू0 10.00 लाख प्रति इकाई के सापेक्ष 50% देय अनुदान अधिकतम धनराशि रू0 5.00 लाख का भुगतान किया जायेगा।
  • स्टोरेज गोडाउनः- इकाई लागत धनराशि रू0 10.00 लाख प्रति इकाई के सापेक्ष 50% देय अनुदान अधिकतम धनराशि रू0 5.00 लाख का भुगतान किया जायेगा।

आवेदक की पात्रता शर्तेः-

  • कृषक को योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु वेबसाइट www.upagriculture.com पर ऑनलाइन पंजीकरण कराना होगा।
  • लाभार्थी के पास राजस्व भू-अभिलेखों में स्वयं के नाम भूमि उपलब्ध होनी चाहिए।
  • लाभार्थी के पास सिंचाई का पर्याप्त साधन होना चाहिए।
  • लाभार्थी कृषक के पास बैंक खाता एवं चेकबुक उपलब्ध होना चाहिए।
  • लाभार्थी योजना के अन्तर्गत अनुदान धनराशि के अतिरिक्त कार्यक्रम पर व्यय होने वाली धनराशि वहन करने में सक्षम हो।
  • लाभार्थी के पास हेतु पहचान हेतु वोटर कार्ड/राशन कार्ड/आधार कार्ड/पासपोर्ट में से कोई एक उपलब्ध होना चाहिए।
  • लाभार्थी को सम्बन्धित कार्यक्रम की प्रारम्भिक तकनीकी जानकारी हो एवं कार्यक्रम में उसकी अभिरूचि हो।
  • लाभार्थी का चयन प्रथम आवक-प्रथम पावक के सिद्धान्त के आधार पर किया जायेगा।

अनुमन्य क्षेत्रफल/मात्रा/संख्याः-

  • सर्पगन्धाः अधिकतम् क्षेत्रफल-2 हेक्टेयर, बीज की मात्रा-ताजी जड़ 100 Kg. प्रति हेक्टेयर
  • अश्वगंधाः अधिकतम् क्षेत्रफल-2 हेक्टेयर, बीज की मात्रा- 8 से 10 Kg. प्रति हेक्टेयर
  • ब्राम्हीः अधिकतम् क्षेत्रफल-2 हेक्टेयर, बीज की मात्रा- 100 Kg. रनर्स प्रति हेक्टेयर
  • कालमेघः अधिकतम् क्षेत्रफल-2 हेक्टेयर, बीज की मात्रा- 450 Gm.प्रति हेक्टेयर
  • कौंचः अधिकतम् क्षेत्रफल-2 हेक्टेयर, बीज की मात्रा- 9 से 10 Kg. प्रति हेक्टेयर
  • सतावरीः अधिकतम् क्षेत्रफल-2 हेक्टेयर, बीज की मात्रा- 2.5 से 3 Kg. प्रति हेक्टेयर
  • तुलसीः अधिकतम् क्षेत्रफल-2 हेक्टेयर, बीज की मात्रा- 1 Kg. प्रति हेक्टेयर
  • एलोवेराः अधिकतम् क्षेत्रफल-2 हेक्टेयर, बीज की मात्रा- 50000 पौध/सकर्स प्रति हेक्टेयर
  • वचः अधिकतम् क्षेत्रफल-2 हेक्टेयर, बीज की मात्रा- 74074 तनों के सकर्स प्रति हेक्टेयर
  • आर्टीमीशियाः अधिकतम् क्षेत्रफल-2 हेक्टेयर, बीज की मात्रा- 50 Gm.प्रति हेक्टेयर

आवेदन कैसे करें

योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए वेबसाइट  पर ऑन लाइन पंजीकरण कराना होगा] इसके लिए जनसुविधा केन्द्र] कृषक लोकवाणी साइबर कैफे आदि के माध्यम से पंजीकरण करा सकता है।