बीमा कंपनी द्वारा किसानों के खारिज बीमा क्लेम दावो का किया जायेगा सत्यापन

बीमा क्लेम दावो का सत्यापन

किसान परिवारों को सामाजिक सुरक्षा मुहैया करवाने के उद्देश्य से राज्य सरकारों के द्वारा कई योजनायें चलाई जा रही है, इनमें किसानों का बीमा भी शामिल है | जहाँ प्राक्रतिक आपदाओं से फसलों के नुकसान की भरपाई के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई जा रही है वहीँ कृषि कार्यों के दौरान किसानों की दुर्घटना से होने वाली क्षति से भरपाई के लिए भी योजना चलाई जा रही है | राजस्थान सरकार ने किसानों के दुर्घटना बीमा के तहत जो क्लेम खारिज किये जा चुके हैं उनका पुनः सत्यापन करने का आदेश दिया है |

राजस्थान के रजिस्ट्रार सहकारिता श्री मुक्तानन्द अग्रवाल ने कहा कि बीमा कंपनी द्वारा किसानों के दुर्घटना बीमा एवं सहकार जीवन सुरक्षा बीमा योजना के लिए किसानों के खारिज बीमा क्लेम दावो का सत्यापन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसान परिवार को कठिन परिस्थितियों में मदद के लिए बीमा की व्यवस्था की गई है। ऐसे में किसी भी किसान के साथ दस्तावेजों के अभाव में यदि बीमा क्लेम खारिज हुआ है तो इसका सत्यापन करवाकर क्लेम दिलवाया जाएगा।

वर्ष 2016 से 21 के मध्य खारिज हुए बीमा क्लेम का होगा सत्यापन

श्री अग्रवाल ने बीमा कंपनियों के साथ वर्ष 2016-17 से वर्ष 2020-2021 तक बीमा कंपनी को प्रस्तुत दावों, क्लेम भुगतान एवं कंपनी द्वारा खारिज दावों की समीक्षा बैठक की | उन्होंने कहा कि कंपनी किसानों के लंबित क्लेम का त्वरित निस्तारण करे एवं किसान को राहत दे। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सल शैम्पों द्वारा वर्तमान में बड़ी संख्या में लंबित दावो की सूची में जिन दस्तावेजों की कमी है, उसे केन्द्रीय सहकारी बैंकों के साथ साझा करें। बैठक में विभाग, बैंक एवं 6 बीमा कंपनियों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

पशुपालन और डेयरी विभाग की योजनाओं के लिए 54,618 करोड़ रुपये के पैकेज को मिली मंजूरी

डेयरी और पशुपालन सेक्टर के लिए पैकेज को मंजूरी

देश में पशुपालन क्षेत्र में रोजगार सृजन एवं पशुपालकों की आय बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा कई योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है | इन योजनाओं को देश में आगे भी जारी रखने के लिए आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने विशेष पशुधन सेक्टर पैकेज के क्रियान्वयन को मंजूरी दे दी है। इसके तहत कई गतिविधियां शामिल हैं| साथ ही सरकार की इन योजनाओं के कई घटकों को संशोधित किया गया है । यह अगले पांच वर्षों के लिये है, जो 2021-22 से शुरू होकर आने वाले 5 वर्षों के लिए चलेगा |

इस पैकेज से पशुधन क्षेत्र में विकास को प्रोत्साहन मिलेगा, जिसके कारण पशुपालन क्षेत्र से जुड़े 10 करोड़ किसानों को लाभ होगा | इस पैकेज के तहत केंद्र सरकार अगले पांच वर्षों के दौरान 54,618 करोड़ रुपये का कुल निवेश जुटाने के लिये 9,800 करोड़ रुपये की सहायता देगी।

इन योजनाओं में किया जायेगा निवेश

पशुपालन विभाग की सभी योजनाओं को तीन वृहद विकास योजनाओं की श्रेणी में समाविष्ट कर दिया जायेगा। इनमें राष्ट्रीय गोकुल मिशन, राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी), राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम) और पशुधन की गणना तथा एकीकृत नमूना सर्वेक्षण (एलसी-एंड-आईएसएस) को उप-योजनाओं के तौर पर शामिल किया गया है। रोग नियंत्रण कार्यक्रम का नाम बदलकर पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी) रख दिया गया है। इसमें मौजूदा पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण तो है ही, लेकिन इसके साथ राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम और अवसंरचना विकास निधि को शामिल किया गया है।

उल्लेखनीय है कि पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (एएचआईडीएफ) और डेयरी अवसंरचना विकास निधि (डीआईडीएफ) को आपस में मिला दिया गया है। इस तरह अवसंरचना विकास निधि तैयार की गई है। डेयरी गतिविधियों में संलग्न डेयरी सहकारिता और किसान उत्पादक संगठनों को भी इस तीसरी श्रेणी में शामिल कर लिया गया है, ताकि डेयरी सहकारिताओं को सहायता मिल सके।

पशुपालकों को होने वाले लाभ

राष्ट्रीय गोकुल मिशन से स्वदेशी प्रजातियों के विकास और संरक्षण को मदद मिलेगी। इससे गांव के गरीब लोगों की आर्थिक हालत में भी सुधार होगा। राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम योजना (एनपीडीडी) का लक्ष्य थोक में लगभग 8900 कूलरों को लगाने का है, जिसमें दूध रखा जा सके। इस कदम से आठ लाख से अधिक दुग्ध उत्पादकों को फायदा होगा और 20 एलएलपीडी दूध की अतिरिक्त प्राप्ति संभव होगी। एनपीडीडी के अंतर्गत जापान इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी (जीआईसीए) से वित्तीय सहायता प्राप्त होगी, जिससे 4500 गांवों में नई अवसंरचना का निर्माण होगा |

किसानों के पास जाकर की जाएगी मिट्टी एवं पानी की जांच

मिट्टी एवं पानी की जांच

फसलों की अच्छी बढ़ोतरी एवं अधिक उत्पादन के लिए पौधों को सही मात्रा में पोषक तत्वों की उपलब्धता होना आवश्यक है, जिसके लिए किसानों को उनकी भूमि में उपलब्ध पोषक तत्वों की मात्रा का सही ज्ञान होना चाहिए | किसान खेत की भूमि में उपलब्ध पोषक तत्वों की मात्रा की जानकारी मिट्टी की जांच करवा कर ले सकते हैं | केंद्र सरकार ने देश भर में मिट्टी की जाँच के लिए एक अभियान चला रखा है | इसके तहत किसान अपने तहसील केंद्र पर जाकर खेत की मिट्टी की जाँच करा सकते हैं |

मिट्टी जांच केंद्र कम होने से तथा किसानों के बीच जागरूकता कम होने के चलते मिट्टी जाँच का रफ्तार काफी कम रहती है | इसके लिए जाँच केंद्र बढाने के अलावा किसानों को मिट्टी जांच के प्रति जागरूक करना जरुरी है | इसको ध्यान में रखते हुए हरियाणा में स्थिति चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविध्यालय हिसार के वैज्ञनिक खुद किसानों के पास जाकर उनके खेत की मिट्टी–पानी की जाँच करेंगे | अब मिट्टी-पानी जाँच के लिए हिसार स्थित लैब के अलावा यह सुविधा नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से भी किसानों को उपलब्ध की जाएगी |

विश्वविध्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने मोबाईल डायग्नोस्टिक–कम–एग्जिबिशन यूनिट (मिट्टी – पानी जांच एवं प्रदर्शनी वाहन) को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया | यह वैन सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों पर जाएगी तथा आस–आस के किसानों के खेत की मिट्टी जांच करेगी | इसके अलावा कृषि से संबंधित फिल्म भी किसानों को दिखाई जाएगी |

इस वैन में एक टीम इंचार्ज, कृषि विज्ञान केंद्र से वैज्ञानिक, लैब सहायक व मृदा विज्ञान विभाग से एक तकनीकी लैब सहायक शामिल होगा, जो किसानों को जानकारी देगा | साथ ही विश्वविद्यालय की ओर से विभिन्न फसलों की उन्नत किस्मों और विकसित तकनीकों के बारे में भी जानकारी दी जाएगी।

एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत जाने किस जिलें में लगायें कौन सी फसल

किस जिले में लगायें कौन सी बागवानी

किसानों को आत्मनिर्भर बनाने एवं उनकी आय को दोगुना करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने नवम्बर 2020 में एक जिला एक उत्पाद योजना की शुरुआत की है | इसके तहत देश के सभी जिलों के लिए एक फसल पंजीकृत की गई है | योजना के शुरुआत करते हुए कृषि तथा कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया था कि इस योजना से 8 लाख किसान सीधे तौर पर लाभन्वित होंगे |

इस योजना के लिए केंद्र सरकार ने 10,000 करोड़ रूपये का बजट जारी किया है | जिससे देश भर में 2 लाख नई सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों को वित्तीय लाभ पहुँचाया जायेगा | प्रारंभ में इस योजना से उत्तर प्रदेश को जोड़ा गया था | जिसकी सफलता को देखते हुए इसे देश भर में लागू किया गया है | अब इस योजना से जुड़ने वाले नए राज्यों में छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश भी शामिल हो गए हैं | अब यहाँ के किसान अपने जिले के पंजीकृत फसल की खेती एवं व्यापार कर सकते हैं | इसके लिए सरकार प्रशिक्षण के साथ–साथ अनुदान और ऋण भी उपलब्ध करायेगी |

छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के लिए यह फसलें की गई चयनित

उधानिकी विभाग ने एक जिला एक उत्पादन के तहत 9 फसलों को शामिल किया है | इसके तहत छत्तीसगढ़ उधानिकी विभाग अदरक, पपीता, आम, सीताफल, चाय, काजू, टमाटर, हल्दी एवं लीची को शामिल किया गया है |

जिलेवार कौन सी फसलों का किया गया चयन

राज्य उधानिकी विभाग ने 14 जिलों के लिए 9 उधानिकी फसलों को शामिल किया है | कुछ जिले में एक उत्पाद है तो कहीं दो जिलों में एक उत्पाद को शामिल किया गया है जो इस प्रकार है :-

  • बलोद – अदरक
  • सूरजपुर – हल्दी
  • रायपुर एवं बेमेतरा – पपीता
  • दंतेवाडा – आम
  • गौरेला – पेंड्रा – मरवाही एवं कांकेर – सीताफल
  • जशपुर – चाय
  • कोंडागांव – काजू
  • कोरिया, मुंगेली, रायगढ़ एवं दुर्ग के लिए टमाटर
  • सरगुजा – लीची

खरीफ फसल की बुआई के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए जारी की सलाह

बुआई के लिए किसानों को सलाह

खरीफ सीजन 2021–22 की शुरुआत हो चुकी है | किसान भाई अलग–अलग फसलों की बुवाई जलवायु एवं मौसम के आधार पर एवं केंद्र सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधार पर कर रहे हैं | कृषि विभाग के वैज्ञानिकों के द्वारा किसानों को खरीफ फसल की बुवाई से पहले समसामयिक सलाह जारी की गई है, जिसके अनुसार किसान अभी खरीफ सीजन में फसलों की बुआई के लिए क्या-क्या करें इसकी जानकारी दी गई है |

धान की खेती करने वाले किसानों क लिए सलाह

धान का थरहा डालने या बुवाई से पूर्व स्वयं उत्पादित बीजों को 17 प्रतिशत नमक घोल में उपचारित करने को कहा गया है | धान की कतारों में बोनी करते वक्त प्रति हैक्टेयर के मान से 80 से 90 किलो बीज का उपयोग करना तथा कतार के कतार के बीच 20 सेंटीमीटर की दुरी रखने की सलाह दी गई है | छिड़का बोनी में प्रति हेक्टेयर के मान से 100 से 120 किलो बीज एजोसपाइ’रिलम तथा पीएसबी कल्चर 5 से 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित कर बोनी की सलाह दी गई है |

किसान भाईयों को शीघ्र एवं मध्यम अवधि वाली धान के किस्मों की कतार बोनी करने को कहा गया है | कतार बोनी करने से बियासी करने की जरूरत नहीं पडती है एवं धान की फसल निर्धारित समय से 10 से 15 दिन पूर्व ही पक जाती है | धान की रोपाई वाले कुल क्षेत्रों के लगभग 10 वें हिस्से में नर्सरी तैयार करने तथा मोटा धान वाले किस्मों की मात्रा 50 किलो प्रति हेक्टेयर एवं पतला धान के किस्मों की मात्रा 40 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से बीज डालने की समझाईश दी गई है |

जिन किसानों की धान की पौधशाला लग गयी हो वे बकानी रोग के लिए पौधशाला की निगरानी करते रहें तथा लक्षण पाये जाने पर कार्बेन्डिजम 2.0 ग्राम/लीटर पानी घोल कर छिडकाव करें। धान की पौधशाला मे यदि पौधों का रंग पीला पड रहा है तो इसमे लौह तत्व की कमी हो सकती है। पौधों की ऊपरी पत्तियॉ यदि पीली और नीचे की हरी हो तो यह लौह तत्व की कमी दर्शाता है। इसके लिए 0.5 % फेरस सल्फेट +0.25 % चूने के घोल का छिडकाव करें।

अरहर की खेती करने वाले किसानों के लिए सलाह

इसी तरह अरहर की शीघ्र पकने वाली किस्मों की कतार बुआई करते समय कतारों के बीच 7 सेंटीमीटर एवं पौधों की दुरी 15 सेंटीमीटर रखने की सलाह दी गई है | मध्यम अवधि वाली अरहर की फसल की बोनी में कतार से कतार की बीज की दुरी 90 सेंटीमीटर तथा पौधे से पौधे की दुरी 20 सेंटीमीटर रखने को कहा गया है |

मक्का की बुआई करने वाले किसानों के लिए सलाह

मक्का की कतार बुआई करते समय कतार से कतार की दुरी 60 से 75 सेंटीमीटर तथा पौधे से पौधे की दुरी 20 से 25 सेंटीमीटर रखना चाहिए | इस मौसम में किसान मक्का फसल की बुवाई के लिए खेतो को तैयार करें। मक्का की संकर किस्में: ए एच-421,ए एच-58 तथा उन्नत किस्में: पूसा कम्पोजिट-3,पूसा कम्पोजिट-4 बीज किसी प्रमाणित स्रोत से ही खरीदें।  बीज की मात्रा 20 किलोग्राम/हैक्टर रखें। पंक्ति-पंक्ति की दूरी 60-75 से.मी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 18-25 से.मी. रखें। मक्का में खरपतवार नियंत्रण के लिए एट्राजिन 1 से 1.5 किलोग्राम/हैक्टर 800 लीटर पानी में घोल कर छिडकाव करें।

सब्जी फसलों के लिए सलाह

यह समय मिर्च, बैंगन व फूलगोभी (सितम्बर में तैयार होने वाली किस्में) की पौधशाला बनाने के लिए उपयुक्त है। किसान पौधशाला में कीट अवरोधी नाईलोन की जाली का प्रयोग करें, ताकि रोग फैलाने वाले कीटों से फसल को बचा सकें। पौधशाला को तेज धूप से बचाने के लिए छायादार नेट द्वारा 6.5 फीट की ऊँचाई पर ढक सकते है। बीजों को केप्टान (2.0 ग्राम/ कि.ग्रा बीज) के उपचार के बाद पौधशाला में बुवाई करें। जिन किसानों की मिर्च, बैंगन व फूलगोभी की पौध तैयार है, वे मौसम को मध्यनजर रखते हुए रोपाई की तैयारी करें।

कद्दूवर्गीय सब्जियों की वर्षाकालीन फसल की बुवाई करें लौकी की उन्नत किस्में पूसा नवीन, पूसा समृद्वि करेला की पूसा विशेष, पूसा दो मौसमी, सीताफल की पूसा विश्वास, पूसा विकास तुरई की पूसा चिकनी धारीदार, तुरई की पूसा नसदार तथा खीरा की पूसा उदय, पूसा बरखा आदि किस्मों की बुवाई करें। मिर्च के खेत में विषाणु रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर जमीन में गाड़ दें। उसके उपरांत इमिडाक्लोप्रिड 0.3 मि.ली./लीटर की दर से छिड़काव करें।

66 प्रतिशत तक की सब्सिडी पर डेयरी फार्म खोलने के लिए आवेदन करें

डेयरी फार्म पर अनुदान हेतु आवेदन

किसानों कि आय बढ़ाने के लिए सरकारों द्वारा पशुपालन, बागवानी एवं मछली पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है | इन क्षेत्रों से जहाँ किसान रोजाना की आमदनी कर सकते हैं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छा रोजगार का अवसर भी दे सकते हैं | डेयरी किसानों के लिए एटीएम की तरह है जहाँ प्रतिदिन आमदनी सुनिश्चित होती है | राज्य तथा केंद्र सरकार डेयरी व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं का क्रियान्वयन कर रही है जिसका लाभ लेकर किसान अनुदान पर डेयरी फार्म की शुरुआत कर सकते हैं |

ऐसी ही एक योजना है “ डेयरी उद्यमिता विकास योजना” जो केंद्र सरकार की मदद से कई राज्यों में चलाई जा रही है | छत्तीसगढ़ में भी इस योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है, इसके तहत किसानों को दुधारू पशु खरीदने पर सब्सिडी दी जा रही है | इच्छुक व्यक्ति अभी इस योजना के लिए आवेदन कर योजना का लाभ ले सकते हैं |

हितग्राहियों को डेयरी फार्म खोलने पर कितनी सब्सिडी दी जाएगी ?

डेयरी उधमिता विकास योजना के तहत 2 दुधारू पशुओं (गाय अथवा भैंस) के लिए सब्सिडी दी जा रही है | योजना के तहत कुल लागत मूल्य पर सब्सिडी दी जाएगी | सरकार ने 2 पशुओं के लिए 1 लाख 40 हजार रूपये निर्धारित किया है | सामान्य वर्ग के हितग्राहियों के लिए 50 प्रतिशत (0.70 लाख) तथा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसानों के लिए 66.6 प्रतिशत (0.932 लाख) कि सब्सिडी देने का प्रावधान किया है | हितग्राही योजना के तहत बैंक ऋण प्राप्त कर सकते हैं |

योजना के तहत जारी लक्ष्य

राज्य सरकार द्वारा डेयरी व्यवसाय को प्रोत्साहित करने के तहत चालू वित्त वर्ष 2021–22 में 950 हितग्राहियों को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है | जिनमें से 200 हितग्राही अनुसूचित जनजाति वर्ग के तथा 168 हितग्राही अनुसूचित जाति वर्ग के रहेंगे, शेष सामान्य वर्ग के हितग्राहियों के लिए लक्ष्य निर्धारित किये गये हैं |

पिछले वर्ष इस योजना के तहत 527 हितग्राहियों को लाभ पहुँचाया गया था | इसके लिए 15 करोड़ 17 लाख रूपये का अनुदान दिया गया था | इनमें से 310 अनुसूचित जनजाति और 36 अनुसूचित जाति के हितग्राही शामिल है , शेष सामान्य वर्ग के हितग्राहियों के लिए था |

अनुदान प्राप्त करने के लिए आवश्यक दस्तावेज

हितग्राहियों को अनुदान राशि प्राप्ति हेतु निम्न दस्तावेज प्रस्तुत करना होगा:-

  • पशुधन क्रय संबंधी दस्तावेज जो कि सत्यापन समिति द्वारा सत्यापित हो |
  • बीमा संबंधी दस्तावेज
  • क्रय पशु में कृत टीकाकरण प्रमाण पत्र
  • हितग्राही एवं दो गवाह द्वारा हस्ताक्षरित अनुबंध पत्र | हितग्राही द्वारा इकाई को कम से कम 5 वर्ष तक संचालित किया जाना होगा | इस संबंध में एक अनुबंध हितग्राही एवं विभाग के बीच में संपादित किया जाना होगा |
  • बैंक खाते का विवरण
  • जाति प्रमाण पत्र | अनुसूचित जाति / जनजाति के हितग्राहीयों को सक्षम अधिकारी द्वारा जारी जाति संबंधी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा |
  • पता एवं पहचान पत्र
  • छत्तीसगढ़ मूल निवासी प्रमाण पत्र |

इन व्यक्तियों को दी जाएगी प्राथमिकता

छत्तीसगढ़ सरकार डेयरी उदधमिता योजना के तहत भूमिहीन, लघु एवं सीमांत कृषक, गरीबी रेखा के नीचे के परिवार, दुग्ध सहकारी समिति के सदस्यों, दुग्ध संकलन मार्ग पर स्थित ग्राम, गौठान योजना के अंतर्गत चिन्हित ग्रामों के पशुपालकों, महिला स्व सहायता समूह के सदस्यों एवं पूर्व से दुग्ध उत्पादन में संलग्न परिवार को प्राथमिकता दी जाएगी |

डेयरी फार्म अपर अनुदान हेतु कहाँ करें आवेदन ?

योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए इच्छुक हितग्राही अपने नजदीक के पशु चिकित्सा संस्था – पशु औषधालय, कृत्रिम गर्भधान उपकेन्द्र, मुख्य ग्राम इकाई, पशु चिकित्सालय, कृत्रिम गर्भधान केंद्र, मुख्य ग्राम खंड में निर्धारित प्रपत्र में आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं | अधिक जानकारी के लिए पशु चिकित्सा कार्यालय अथवा संस्था में संपर्क किया जा सकता है |

अधिक पैदावार के लिए सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों के लिए वैज्ञानिकों ने जारी की सलाह

सोयाबीन की बुआई के लिए वैज्ञानिकों की सलाह

देश में अभी खरीफ फसलों की बुआई का समय चल रहा है, खरीफ फसलों में सोयाबीन एक प्रमुख फसल है | पिछले कुछ वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं के चलते सोयाबीन की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है ऐसे में जरुरी है कि किसान इस वर्ष सावधानीपूर्वक वैज्ञानिक तरीके से ही सोयाबीन की खेती करें | सोयाबीन की खेती के लिए किसान किस तरह तैयारी करें एवं बुआई के बाद क्या करें इसको लेकर भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान इंदौर के द्वारा सलाह जारी की है |

सोयाबीन की बुआई की तैयारी इस तरह करें

किसान सोयाबीन की खेती के लिए इन विशेषताओं (उत्पादन क्षमता, पकने की अवधि तथा जैविक कारकों के लिए प्रतिरोधक क्षमता) के आधार पर विभिन्न समयावधि में पकने वाली अपने क्षेत्र के लिए अनुशंसित 2 से 3 किस्मों का चयन करें | प्रत्यके 3 वर्ष में एक बार जमींन की गहरी जुताई करने की अनुशंसा है | इस वर्ष यदि गहरी जुताई नहीं करनी हो, विपरीत दिशाओं में दो बार बक्खर चलाकर खेत को बोवनी हेतु तैयार करें |

सलाह है कि 4 से 5 वर्ष में एक बार अपने खेत में 10 मीटर के अंतराल पर आड़ी एवं खड़ी दिशा में सब–साईलर चलायें | इससे अधोभूमि की कठोर परत को तोड़ने में सहायता मिलती है जिससे जमीन में नमी का अधिक से अधिक संचयन होता है व सूखे की स्थिति में फसल को सहायता मिलती है |

बुआई एवं बखरनी

अंतिम बखरनी के पूर्व पूर्णत: पकी हुई गोबर की खाद की अनुशंसित मात्रा (5 से 10 टन/है.) या मुर्गी की खाद 2.5 टन प्रति है. की दर से फैला दें | सोयाबीन की बुआई बी.बी.एफ. पद्धति या रिज एवं फरो पद्धति से करें | इससे अतिरिक्त पानी का निकास व जल संचय न होने से सूखे की स्थिति में लाभ मिलता है | न्यूनतम 4 इंची वर्षा होने पर ही सोयाबीन की बोवनी करें जिससे उगी हुई फसल को कम नमी के कारण किसी प्रकार का कोई नुक्सान नहीं हो |

सोयाबीन की बुआई के लिए बीज दर

सोयाबीन की बोवनी हेतु अपने पास उपलब्ध बीज के न्यूनतम 70 प्रतिशत अंकुरण के अनुसार बीज दर का प्रयोग करें | जैसे कि 70 प्रतिशत अंकुरण क्षमता वाले बीज को 70 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर तथा 65, 60, 55 या 50 प्रतिशत अंकुरण क्षमता वाले बीज को 18 इंच कतारों की दुरी रखते हुए 75, 80, 90 या 100 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर बीज दर का उपयोग करें |

सोयाबीन में बुआई के समय कितनी खाद डालें

फसल के लिए आवश्यक पोषक तत्वों (20:60:40:20 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर नाईट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश व सल्फर) की पूर्ति केवल बोवनी के समय चयन उर्वरकों के विभिन्न श्रोतों जैसे 56 किलोग्राम यूरिया + 375 किलोग्राम सुपर फास्फेट व 67 किलोग्राम म्यूरेट आँफ पोटाश अथवा 125 किलोग्राम डी.ए.पी. + 67 किलोग्राम म्यूरेट आँफ पोटाश + सल्फर अथवा 200 किलोग्राम या मिश्रित उर्वरक 12:32:16 + सल्फर की सम्पूर्ण मात्रा का उपयोग केवल सोयाबीन की बोवनी से पहले फैलाकर बोवनी करें |

कीट एवं रोगों से बचाव के लिए क्या करें

प्रारंभिक अवस्था में रोग तथा कीटों से बचाव के साथ–साथ उपयुक्त पौध संख्या सुनिश्चित करने हेतु सोयाबीन में बीजोपचार अत्यंत आवश्यक हैं, इसके लिए अनुशंसा हैं कि सर्वप्रथम बीज को अनुशंसित पूर्व मिश्रित फफूंदनाशक थायोफिनेट मिथाईल + पायरोक्लोस्ट्रोबीन अथवा पेनफ्लूफेन + ट्रायफ्लोकिसस्ट्रोबीन 38 एफ.एस. (1 मि.ली. . किलोग्राम बीज) अथवा कार्बोक्सिन 37.5% + थाइरस 37.5% (3 किलोग्राम प्रति बीज) अथवा थाइरस (2 ग्राम) एवं कार्बेन्डाजिम (1 ग्राम) प्रति किलोग्राम बीज से उपचारित कर थोड़ी देर छाया में सुखाएं | तत्पश्चात अनुशंसित कीटनाशक थायामिक्स्म 30 एफ.एस. (10 मि.ली. प्रति किलोग्राम बीज) अथवा इमिडाक्लोप्रिड (1.25 मिली. प्रति किलोग्राम बीज) से भी उपचारित करें | यह भी अनुशंसा है कि अनुशंसित फफूंदनाशक व कीटनाशक से बीजोपचार के पश्चात् अनुशंसित जेविक कल्चर ब्रेडिराय्जोबियम + पी.एस.एम. (प्रत्येक 5 ग्राम / किलोग्राम बीज की दर से) करें |

इनमे से फफूंदनाशक व कीटनाशक से बीजोपचार बोवनी के पूर्व भी किया जा सकता हैं जबकि जैविक कल्चर से टीकाकरण केवल बोवनी के समय ही किये जाने की अनुशंसा हैं | कृषकगण रसायनिकी फफूंदनाशक के स्थान पर जैविक फफूंदनाशक ट्रायकोडर्मा (10 ग्राम/किलोग्राम बीज) का भी उपयोग कर सकते है जिसको जैविक कल्चर के साथ मिलाकर प्रयोग किया जा सकता है |

सफेद सुंडी (वाइट ग्रब) के प्रयोग से सुरक्षित करने हेतु कीटनाशक विशेषकर इमिडाक्लोप्रिड (1.25 मि.ली. / किलोग्राम बीज) से उपचारित करने से पौधों की जड़ों का नुकसान कम किया जा सकता है | इसके बाद प्रकाश प्रपंच लगाकर सफेद सुंडी के नर वयस्कों को आकर्षित कर नष्ट करें |

सोयाबीन में इन दवाओं से करें खरपतवार नियंत्रण

सोयाबीन की फसल में खरपतवार को रोकने के लिए खरपतवारनाशी का प्रयोग करना चाहिए | खरपतवारनाशी को रोकने के लिए बुवाई से पहले तथा बुवाई के बाद दोनों प्रकार के दवा का प्रयोग कर सकते हैं |

बौवनी पूर्व उपयोगी (पीपीआई) : – बुवाई से पहले सोयाबीन की खेत में खरपतवार रोकने के लिए पेंडीमिथालीन + इमेझेथापायर की 2.5 से 3 लीटर मात्रा प्रति हैक्टेयर उपयोग कर सकते हैं |

बौवनी के तुरंत बाद (पीई) :- बुवाई के बाद सोयाबीन के खेत से खरपतवार रोकने के लिए निम्नलिखित दवा का प्रयोग कर सकते हैं |

  • डायक्लोसुलम 84 डब्ल्यू.डी.पी. (26 ग्राम)/हैक्टेयर
  • सल्फेंट्राझोन 48 एस.सी. (0.75 ली.)/हैक्टेयर
  • क्लोमोझोम 50 ई.सी. (2.00 ली.)/हैक्टेयर
  • पेंडीमिथालीन 30 ई.सी. (3.25 ली.)/हैक्टेयर
  • पेंडीमिथालीन 38.7 सी.एस. (1.5 से 1.75 किलोग्राम)/हैक्टेयर
  • फ्लूमिआक्साझिन 50 एस.सी. (0.25 ली.)/हैक्टेयर
  • मेटालोक्लोर 50 ई.सी. (2 ली.)/हैक्टेयर
  • मेट्रीब्युझिन 70 डब्ल्यू.पी. (0.75 से 1 किलोग्राम)/हैक्टेयर
  • सल्फेन्ट्राझोन + क्लोमोझोन (1.25 ली.)/हैक्टेयर
  • पायरोक्सासल्फोन 85 डब्ल्यू.जी. (150 ग्राम)/हैक्टेयर 

80 प्रतिशत की सब्सिडी पर कृषि यंत्र बैंक की स्थापना के लिए आवेदन करें

फार्म मशीनरी बैंक स्थापना हेतु अनुदान

देश में सभी किसानों तक कृषि यन्त्र आसानी से उपलब्ध किये जा सके इसके लिए सरकार द्वारा कई योजनायें चलाई जा रही हैं | इन योजनाओं के तहत किसान सब्सिडी पर कृषि यंत्र खरीद सकते हैं | केंद्र सरकार इसके लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर कृषि यंत्र बैंक (कस्टम हायरिंग सेण्टर) की स्थपना कर रही है | इसके लिए राज्य तथा केंद्र सरकार दोनों मिलकर किसानों को सब्सिडी देती है | उत्तरप्रदेश सरकार ने किसानों को फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना हेतु आवेदन आमंत्रित किये हैं |

फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना हेतु प्रमोशन आँफ एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन फार इन–सीटू मैनेजमेंट आँफ क्रांप रेज्डयू योजना के तहत किसानों को कृषि यंत्रों की खरीद पर 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान है | योजना के तहत फसल अवशेष प्रबंधन हेतु उपयोगी कृषि यन्त्र पर किसानों को सब्सिडी दी जाएगी |

80 प्रतिशत की सब्सिडी पर किसान कौन से कृषि यंत्र ले सकते हैं?

उत्तरप्रदेश के किसान फार्म मशीनरी बैंक योजना के तहत ट्रेक्टर एवं ट्रेक्टर चालित कृषि यंत्र सब्सिडी पर खरीद सकते हैं | इसके अलावा कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव ने बताया कि इन सीटू योजना के तहत किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन हेतु पैडी स्ट्राचापर, श्रेडर, मल्चर, श्रब मास्टर, रोटरी स्लेशर, हाइड्रोलिक रिवर्सेबल एम.बी. पलाऊ, सुपर सीडर, बेलर, सुपर स्ट्रा, मैनेजमेंट सिस्टम, जरो टिल सीड कम फर्टीड्रिल, हैप्पी सीडर, स्ट्रा रेक, क्रांप रीपर व रीपर क्म्बांडर इत्यादि दिया जायेगा | यह सभी कृषि यंत्र ट्रेक्टर ट्रेक्टर की मदद से संचालित किये जाते हैं |

योजना के तहत दिया जाने वाला अनुदान

इन सीटू योजना के अंतर्गत किसानों को लागत का 80 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है | सरकार ने 5 लाख रूपये से लेकर 15 लाख रूपये तक के लागत वाले कृषि यंत्रों पर किसानों को 80 प्रतिशत तक कि सब्सिडी दी जाएगी | डॉ. चतुर्वेदी ने बताया कि इन-सीटू योजना के तहत 5 लाख रुपये तक के कृषि यंत्र के क्रय हेतु कुल मूल्य के 80 प्रतिशत अर्थात 4 लाख रुपये का भुगतान कृषि विभाग द्वारा अग्रिम तौर पर ऑनलाइन सम्बंधित समितियों एवं ग्राम पंचायतों के खाते में उपलब्ध करवाया जायेगा | रुपये 5 लाख से 15 लाख तक के कृषि यंत्रों की खरीद हेतु कोई अग्रिम धनराशि नहीं दी जाएगी | सम्बंधित संस्था को स्वयं निजी बजट से यंत्रों को खरीदना होगा |

आवेदन के लिए यह सभी दस्तावेज साथ रखें

कृषि यंत्र पर अनुदान पाने के लिए किसानों को आनलाइन आवेदन करना होगा | इसके लिए किसानों के पास पहले से कुछ दस्तावेज होना चाहिए |

  • आधार कार्ड – लाभार्थी की पहचान हेतु
  • खतौनी (भूमि की पहचान हेतु )
  • बैंक पास बुक का पहला पन्ना जिस पर लाभार्थी का विवरण हो (लाभ सीधे खाते में पहुँचाया जायेगा)

किसान आवेदन कहाँ से करें ?

किसान अपनी आवश्यकता के अनुसार दिए गए कृषि यंत्रों/ फार्म मशीनरी बैंक में से कोई भी कृषि यंत्र विभागीय वेबसाइट पारदर्शी किसान सेवा योजना पोर्टल www. upagriculture.com पर पंजीकरण कर टोकन निकाल सकते हैं | अधिक जानकारी के लिए किसान पाने जिले या ब्लॉक के कृषि विभाग में सम्पर्क करें |

90 प्रतिशत की सब्सिडी पर कुक्कुट पालन व्यवसाय शुरू करने के लिए आवेदन करें

कुक्कुट पालन Poultry Farming पर अनुदान हेतु आवेदन

किसानों के लिए कृषि के अलावा अतिरिक्त आमदनी के लिए पशुपालन या कुक्कुट पालन बेहतर जरिया है | इससे किसानों को प्रतिदिन कुछ अतिरिक्त आमदनी प्राप्त की जा सकती है | किसानों की आय बढ़ाने एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन हेतु सरकारों द्वारा पशुपालन, मुर्गीपालन आदि के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है | जिनमें अपने घर में खाली स्थान पर पशु-पक्षी पालन पर अनुदान दिया जाता है, जिससे कम लागत में अधिक आय प्राप्त की जा सके | छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बैकयार्ड कुक्कुट पालन योजना के तहत आवेदन मांगे गए हैं |

छत्तीसगढ़ शासन द्वारा कुक्कुट पालन व्यवसाय के लिए अधिकतम 90 प्रतिशत तक अनुदान दिए जाने का प्रावधान बैकयार्ड कुक्कुट, बत्तख या बटेर पालन योजना के अंतर्गत है। राज्य के पशुधन विकास विभाग द्वारा बैकयार्ड कुक्कुट इकाई वितरण योजना संचालित की जा रही है | इच्छुक व्यक्ति अपने आवास में ही छोटे स्थान पर या बाड़े में इन पक्षियों का पालन करने के लिए आवेदन कर सकते हैं |

बैकयार्ड कुक्कुट पालन योजना पर हितग्राहियों को दिया जाने वाला अनुदान

कुक्कुट, बत्तख या बटेर के चूजे के लिए राज्य सरकार सब्सिडी दे रही है | सामान्य वर्ग के लिए लागत का 75 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए 90 प्रतिशत कि सब्सिडी लाभार्थियों को दी जाएगी | पशुधन विभाग ने 28 दिवसीय 45 कुक्कुट / बत्तख के चूजे अथवा 80 बटेर के चूजे के लिए 3,000 रूपये की लागत तय की है | जिसपर सामान्य वर्ग को 75 प्रतिशत यानि 2,250 रूपये और अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के लिए 90 प्रतिशत यानि 27,00 रूपये अनुदान के रूप में दिए जाएंगे |

योजना का लक्ष्य कितना है ?

कुक्कुट पालन योजना के तहत छत्तीसगढ़ राज्य सरकार राज्य के हितग्राहियों को 5 करोड़ 17 लाख रूपये की राशि को अनुदान के रूप में दिये जाने का प्रावधान किया है | योजना के तहत चालू वित्तीय वर्ष में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के 15 हजार तथा सामान्य वर्ग के 5 हजार लोगों को लाभान्वित किया जायेगा | इस प्रकार राज्य में 20 हजार लोगों को लाभान्वित किया जायेगा |

बैकयार्ड कुक्कुट पालन हेतु आवास पर सब्सिडी

बैकयार्ड कुक्कुट इकाई वितरण योजना अंतर्गत पक्षियों के पालन –पोषण, रख–रखाव तथा आवास व्यवस्था हेतु पृथक से किसी राशि की आवश्यकता नहीं होती है इसलिए आवास के लिए किसी प्रकार का पैसा नहीं दिया जायेगा | हितग्राही कुक्कुट पालन को घर पर ही करना होगा |

बैकयार्ड कुक्कुट पालन से होने वाली आय ( Backyard Poultry Farming Income)

राज्य के पशुपालन विभाग के अनुसार हितग्राहियों को 28 दिवसीय 45 कुक्कुट/बतख चूजे अथवा 80 बटेर चूजे प्रदाय किये जाते हैं। दिए जाने वाले चूजों से 5 माह पश्चात औसतन 10 से 12 अण्डे प्रतिदिन उत्पादित होते हैं, जो लगभग 10 रूपए प्रति नग के हिसाब से विक्रय किये जाते हैं। इसी तरह 3 माह की उम्र में पक्षियों का औसत वजन लगभग दो से ढाई किलोग्राम का हो जाता है जो 700 से 800 रुपये किलो की दर से विक्रय किया जाता है।

बेचने के लिए मार्किट Market कहाँ मिलेगा ?

वर्तमान में आदिवासी बाहुल्य बस्तर संभाग में स्व-सहायता समूहों को बैकयार्ड कुक्कुट इकाई योजना से लाभान्वित किया जा रहा है, जिससे इन समूहों द्वारा अण्डों का उत्पादन अच्छा-खासा मुनाफा होने लगा है। बैकयार्ड कुक्कुट इकाई में उत्पादित अण्डो की आपूर्ति आंगनबाड़ी केन्द्रों में होने से हितग्राहियों को इसकी मार्केटिंग की समस्या नहीं आती है।

योजना का लाभ कहाँ से मिलेगा ?

यह योजना छत्तीसगढ़ के सभी जिलों के लिए लागू की गई | इसका लाभ लेने के लिए हितग्राही अपने नजदीकी पशु चिकित्सक संस्था से संपर्क स्थापित कर के आवेदन कर सकते हैं |

 

सब्सिडी पर आम की बागवानी और वाक इन टनल विथ सीडलिंग ट्रे खेती के लिए आवेदन करें

आम की बागवानी और वाक इन टनल विथ सीडलिंग ट्रे अनुदान हेतु आवेदन

किसानों की आमदनी दुगना करने के लिए बागवानी फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है इसके लिए कई योजनाओ का क्रियान्वयन किया जा रहा है | इसके तहत किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए फलदार वृक्षों, फूलों की खेती, सब्जी फसलें आदि पर सब्सिडी दी जाती है | मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में फल क्षेत्र विस्तार तथा promotion of plug type seeding production at farmers field को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहन के रूप में सब्सिडी उपलब्ध करा रही है | इसके लिए किसानों से ऑनलाइन आवेदन मांगे गये हैं |

फल क्षेत्र विस्तार (राज्य) योजना

राज्य में बागवानी के विस्तार के लिए सरकार ने आम की फसल के लिए प्रोत्साहन दे रही है | यह योजना आम की तोतापरी किस्म को बढ़ाबा देने के लिए चलाई जा रही है | योजना के तहत किसानों को तोतापरी किस्म की उच्च घनत्व पर बागवानी पर अनुदान दिया जायेगा |

यह किसान कर सकते हैं ऑनलाइन आवेदन

यह योजना मध्य प्रदेश के 3 जिलों के किसानों से आनलाइन आवेदन माँगा गया है | मध्य प्रदेश के होशंगाबाद, हरदा तथा बैतूल जिलों के किसान आवेदन कर सकते हैं | इस योजना के लिए राज्य उधानकी विभाग ने लक्ष्य जारी किए है | इस बार आम की बागवानी के लिए 148 एकड़ के लिए 63.94 लाख रूपये का लक्ष्य रखा है | जिले के अनुसार सामान्य, अनुसूचित तथा अनुसूचित जनजाति के लिए अलग – अलग लक्ष्य निर्धारित किये गए हैं |

होशंगाबाद :- जिले में आम की बागवानी के लिए लिए कुल 59 एकड़ का लक्ष्य रखा गया है | इसके लिए 25.49 लाख रूपये की सब्सिडी दी जाएगी | योजना के तहत सामान्य वर्ग के लिए 39 एकड़, अनुसूचित जाति के लिए 10 एकड़, अनुसूचित जनजाति के लिए 10 एकड़ का लक्ष्य रखा है |

हरदा :- जिले में आम की बागवानी के लिए कुल 35 एकड़ का लक्ष्य रखा गया है | इसके लिए 15.12 लाख रूपये की सब्सिडी दिया जा रहा है | योजना के तहत सामान्य वर्ग के लिए 20 एकड़, अनुसूचित जाति के लिए 10 एकड़, अनुसूचित जनजाति के लिए 5 एकड़ का लक्ष्य रखा गया है |

बैतूल :- जिले में आम की खेती के लिए 54 एकड़ का लक्ष्य रखा गया है | इसके लिए 23.33 लाख रूपये का सब्सिडी दिया जा रहा है | योजना के तहत सामान्य वर्ग के लिए 35 एकड़, अनुसूचित जाति के लिए 4 एकड़, अनुसूचित जनजाति के लिए 15 एकड़ का लक्ष्य रखा गया है |

वाँक इन टनल विथ सीडलिंग ट्रे योजना

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना – रफ्तार के अंतर्गत वर्ष 2021–22 में promotion of plug type seeding production at farmers field के लिए मध्य प्रदेश के 10 जिलों से आवेदन मांगे गये हैं | राज्य के धार, झाबुआ, रतलाम, मंदसौर, शाजापुर, बड़वानी, देवास तथा दमोह जिला के किसान आनलाइन आवेदन मांगे गये हैं |

किसानों को कितनी सब्सिडी दी जाएगी ?

walk in tunnels कि स्थापना पर इकाई लगत का 50 प्रतिशत सब्सिडी हितग्राही को दी जाएगी | walk in tunnels की स्थापना हेतु 500 वर्ग मीटर क्षेत्र के लिए इकाई लागत 3 लाख रुपये रखी गई है | इस पर 50 प्रतिशत यानि 1.50 लाख रूपये की सब्सिडी दी जाएगी |

इसके अलावा plug types seeding के उत्पादन हेतु 1000 सीडलिंग ट्रे (tray) के लिए इकाई लगत 50,000 रुपया रखा गया है | इस पर 25 प्रतिशत की सब्सिडी दिया जायेगा जो अधिकतम 12,500 रुपया होगा | इस प्रकार दोनों को मिलाकर कुल 1.625 लाख रूपये की सब्सिडी रखा गया है |

किसान कब आवेदन कर सकते हैं ?

राज्य में दो योजनाओं के लिए आवेदन मांगे गये हैं | इन दोनों योजनाओं के लिए किसान 23/06/2021 को दिन में 11:00 बजे से आवेदन कर सकते हैं | आवेदन लक्ष्य पूरा होने तक लिए जाएंगे | योजना के अनुसार जो लक्ष्य दिया गया है उससे 10 प्रतिशत अधिक लक्ष्य स्वीकार किया जायेगा | आवेदन के लिए किसान के पास विभिन्न प्रकार के दस्तावेज होना चाहिए:-

  • आधार कार्ड,
  • फोटो खसरा नम्बर बी1,
  • बैंक बुक के प्रथम पृष्ट के छाया प्रति,
  • जाति प्रमाण पत्र (सामान्य वर्ग को छोड़कर)

सब्सिडी के लिए आवेदन कहाँ करें ?

दी गई सभी सामग्री के लिए आवेदन उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग मध्यप्रदेश के द्वारा आमंत्रित किये गए हैं अत; किसान भाई यदि योजनाओं के विषय में अधिक जानकारी चाहते हैं तो उद्यानिकी एवं विभाग मध्यप्रदेश पर देख सकते हैं | मध्यप्रदेश में किसानों को आवेदन करने के लिए ऑनलाइन पंजीयन उद्यानिकी विभाग मध्यप्रदेश फार्मर्स सब्सिडी ट्रैकिंग सिस्टम पर जाकर कृषक पंजीयन कर सकते हैं |