डीजल अनुदान में की गई वृद्धि, अब किसानों को डीजल खरीदने पर मिलेगा इतना अनुदान

डीजल अनुदान में की गई वृद्धि

इस वर्ष देश में कई जगह मानसूनी वर्षा काफी कम हुई है, जिसके कारण खरीफ फसलों को काफी नुकसान हुआ है। ऐसे में किसान अपनी फसलों की उचित समय पर सिंचाई कर सकें इसके लिए बिहार सरकार विद्युत मोटर पम्प से सिंचाई हेतु 16 घंटे बिजली दे रही है। वहीं ऐसे किसान जिनके पास बिजली कनेक्शन नहीं हैं वे किसान डीजल पंपों की मदद से फसलों की सिंचाई कर सकें इसके लिए डीजल की खरीद पर अनुदान दे रही है। जिसके लिए किसान आवेदन 29 जुलाई 2022 से ही शुरू किए जा चुके हैं, सरकार ने अब किसानों को दिए जाने वाले अनुदान में वृद्धि कर दी है।

सरकार पहले किसानों को एक लीटर डीजल की खरीद पर 60 रुपए का अनुदान दे रही थी, जो एक एकड़ क्षेत्र की सिंचाई के लिए अधिकतम 10 लीटर डीजल के लिए ही देय था अर्थात् किसानों को फसल की एक बार की सिंचाई के लिए 600 रुपए का अनुदान दिया जाना था। सरकार ने अब प्रति लीटर दिए जाने वाले इस अनुदान में वृद्धि कर दी है। 

अब डीजल खरीद पर कितना अनुदान दिया जायेगा ?

बिहार सरकार ने किसानों को डीजल पम्पसेट से सिंचाई के लिए डीजल खरीदने पर अनुदान अब 75 रुपए प्रति लीटर कर दिया है। इस प्रकार किसानों को अब प्रति एकड़ सिंचाई के लिए 600 रुपए की जगह पर 750 रुपए की दर से अनुदान दिया जायेगा। जो अधिकतम 8 एकड़ भूमि के लिए ही देय होगा। 

जिसमें धान का बिचड़ा एवं जूट फसल की अधिकतम 2 सिंचाई के लिए 1500 रुपए प्रति एकड़ तक अनुदान दिया जाएगा। वहीं खड़ी फसलों में धान, मक्का एवं अन्य खरीफ फसलों के अंतर्गत दलहनी, तेलहनी, मौसमी सब्जी, औषधीय एवं सुगंधित पौधे की अधिकतम 3 सिंचाई के लिए 2250 रुपए प्रति एकड़ का अनुदान दिया जाएगा। यह अनुदान परिवार के एक ही सदस्य को दिया जाएगा। 

इन किसानों को मिलेगा डीजल अनुदान का लाभ 

योजना के तहत रैयत एवं गैर-रैयत दोनों प्रकार के किसानों को डीजल अनुदान दिया जायेगा। ऐसे किसान जो दूसरे कि ज़मीन पर खेती करते हैं (गैर-रैयत), उन्हें प्रमाणित/ सत्यापित करने के लिए सम्बंधित वार्ड सदस्य एवं कृषि समन्वयक के द्वारा पहचान की जाएगी। सत्यापित करते समय या ध्यान रखा जाएगा कि वास्तविक खेती करने वाले जोतदार को ही अनुदान का लाभ मिले। केवल वैसे किसान ही इस योजना के तहत आवेदन करें जो वास्तव में डीजल का उपयोग कर सिंचाई कर रहे हैं। डीजल की खरीद कर वास्तव में सिंचाई के लिए उपयोग किया गया है, की जाँच सम्बंधित कृषि समन्वयक द्वारा की जाएगी।

डीजल पर सब्सिडी लेने के लिए इन बातों का ध्यान रखें 

जो भी किसान डीजल पर अनुदान प्राप्त करना चाहते हैं वे किसान अधिकृत पेट्रोल पम्प से डीजल क्रय के उपरांत डिजिटल पावती रसीद (डिजिटल वाउचर) जिसमें किसान का 13 अंक का पंजीकरण संख्या का अंतिम 10 अंक अंकित हो, ही मान्य होगा। सत्यापन के समय डीजल खरीद का मूल अभिश्रत कृषि समन्वयक को देना अनिवार्य होगा। किसान एक समय में एक ही पटवन के लिए आवेदन कर सकेंगे। इस योजना का लाभ किसान 30/10/2022 तक ही ले सकते हैं। इसके बाद खरीदे गए डीजल पर अनुदान नहीं दिया जाएगा।

डीजल पावती रसीद पर किसानों का पूर्ण दस्तख़त अथवा अंगूठा का निशान होना अनिवार्य है। डीजल पावती रसीद पर अंगूठा का निशान देने की स्थिति में उस पर कृषि समन्वयक का सत्यापन कराकर ही किसान आवेदन करें।

डीजल अनुदान Subsidy के लिए किसान कहाँ आवेदन करें? 

बिहार राज्य के किसानों को योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन पंजीयन कराना आवश्यक है। आवेदन में कृषक को तीन प्रकार (स्वयं, बटाईदार, स्वयं+बटाईदार) से बांटा गया है। किसान किसी एक प्रकार के लिए ही आवेदन कर सकेंगे। किसान इस योजना के तहत ऑनलाइन पंजीयन कृषि विभाग, बिहार सरकार की वेबसाइट https://state.bihar.gov.in/krishi/CitizenHome.html पर या https://dbtagriculture.bihar.gov.in पर डीजल अनुदान के लिए आवेदन कर योजना का लाभ ले सकते हैं।

किसान योजना से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए अपने सम्बंधित कृषि समन्वयक/ प्रखंड कृषि पदाधिकारी/अनुमंडल कृषि पदाधिकारी/ ज़िला कृषि पदाधिकारी या किसान कॉल सेंटर के टोल फ्री नम्बर 1800-180-1551 पर सम्पर्क कर सकते हैं। 

डीजल अनुदान हेतु आवेदन करने के लिए क्लिक करें 

मशरूम की खेती के लिए प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए किसान आवेदन करें

मशरूम की खेती के लिए प्रशिक्षण Training हेतु आवेदन

देश में मशरूम की खेती किसानों के लिए लाभकारी होने के साथ ही रोजगार का भी एक अच्छा जरिया बनता जा रहा है। किसान कम क्षेत्र में इसकी खेती कर आसानी से अधिक मुनाफ़ा कमा सकते हैं, जिसके कारण इसकी लोकप्रियता किसानों के बीच बढ़ती जा रही है, साथ ही सरकार द्वारा इसका उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को अनुदान भी दिया जाता है। मशरूम उत्पादन के लिए इसका प्रशिक्षण लेना आवश्यक है, जिससे कम लागत में अधिक आय प्राप्त की जा सके, इसलिए विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केंद्रों एवं अन्य संस्थानों के द्वारा समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाता है।

इस कड़ी में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, बिहार द्वारा आगामी सितम्बर महीने में मशरूम उत्पादन सम्बन्धी विषयों पर प्रशिक्षण दिया जाना है। जिसके लिए इच्छुक किसान अगस्त महीने में आवेदन कर सकते हैं। किसान अपनी इच्छा के अनुसार सम्बंधित विषयों पर प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं।

मशरूम उत्पादन के इन विषयों पर दिया जाएगा प्रशिक्षण Training

कृषि विश्व विद्यालय द्वारा किसानों को अलग-अलग विषयों पर प्रशिक्षण अलग-अलग दिनों पर दिया जाएगा जिसके लिए किसानों आवेदन करना होगा। अभी किसान इन विषयों पर प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं:-

बटन मशरूम उत्पादन तकनीक

जो किसान बटन मशरूम उत्पादन तकनीक पर प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहते हैं, वे किसान 07 अगस्त 2022 से 25 अगस्त 2022 के दौरान आवेदन कर सकते हैं। चयनित किसानों को 1 से 7 सितम्बर तक 7 दिनों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा 1500 रुपए फीस रखी गई है। जो किसानों को बैंक ड्राफ़्ट के माध्यम से जमा करनी होगी। कुल 40 आवेदकों को ही यह प्रशिक्षण दिया जाएगा।

मशरूम उत्पादन तकनीक

जो किसान मशरूम उत्पादन तकनीक पर प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहते हैं, वे किसान 10 अगस्त 2022 से 30 अगस्त 2022 के दौरान आवेदन कर सकते हैं। चयनित किसानों को 12 से 18 सितम्बर तक 7 दिनों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा 1500 रुपए फीस रखी गई है। जो किसानों को बैंक ड्राफ़्ट के माध्यम से जमा करनी होगी। कुल 40 आवेदकों को ही यह प्रशिक्षण दिया जाएगा।

औषधीय मशरूम उत्पादन तकनीक

जो किसान औषधीय मशरूम उत्पादन तकनीक पर प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहते हैं, वे किसान 15 अगस्त 2022 से 20 सितंबर 2022 के दौरान आवेदन कर सकते हैं। चयनित किसानों को 27 से 29 सितम्बर तक 3 दिनों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा 600 रुपए फीस रखी गई है। जो किसानों को बैंक ड्राफ़्ट के माध्यम से जमा करनी होगी। कुल 40 आवेदकों को ही यह प्रशिक्षण दिया जाएगा। 

किसानों को यहाँ जमा करना होगा प्रशिक्षण शुल्क

प्रशिक्षण के लिए डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय द्वारा प्रशिक्षण शुल्क रखा गया है। किसानों को यह शुक्ल डिमांड ड्राफ़्ट (डी.डी.) बनाकर जमा करना होगा। किसान जो डी.डी. जमा करें उसकी एक छायाप्रति अपने पास रखें।

  • खाता धारक का नाम: Mushroom Revolving Fund
  • खाता संख्या: 4512002100001682
  • IFSC Code: PUNB0451200
  • बैंक का नाम: Punjab National Bank, RAU Pusa Branch

मशरूम पर प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए यहाँ करें आवेदन

इच्छुक किसान जो मशरूम से जुड़े इन विषयों पर प्रशिक्षण लेना चाहते हैं वह किसान डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्व विद्यालय के पोर्टल से आवेदन कर सकते हैं। प्रोजेक्ट डायरेक्टर मशरूम डॉ. दयाराम से उनके मेल आई-डी [email protected] पर मेल कर सकते हैं। इसके अलावा किसान मशरूम प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए https://www.rpcau.ac.in/mushroom-production-technology/#1524548998302-1ec56996-4a8e पर दी गई लिंक से आवेदन कर सकते हैं। 

किसानों को आम, अमरूद एवं नींबू के पौधों पर दिया जायेगा अनुदान, यहाँ करना होगा आवेदन

आम, अमरूद एवं नींबू के पौधे पर अनुदान हेतु आवेदन

सरकार द्वारा किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए फलों के उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है, इसके लिए सरकार द्वारा कई योजनाएँ चलाई जा रही है। जिसके तहत किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान दिया जाता है। अभी मध्य प्रदेश के उद्यानिकी विभाग ने राज्य के चयनित ज़िलों के किसानों से आम, अमरूद एवं नींबू के पौधे अनुदान पर वितरित करने के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। 

मध्यप्रदेश के उद्यानिकी एवं खाद्य एवं प्रसंस्करण विभाग द्वारा आम, अमरूद एवं नींबू के पौधे अनुदान पर देने के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। उद्यानिकी विभाग ने आम/अमरूद एवं नींबू के ड्रिप रहित सामान्य दूरी में भौतिक एवं वित्तीय लक्ष्य जारी किए हैं। इच्छुक किसान 17 अगस्त 2022 को सुबह 11 बजे से आवेदन कर सकते हैं।

आम/अमरूद एवं नींबू पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy

योजना का उद्देश्य राज्य में फल पौध क्षेत्र में विस्तार एवं फल उत्पादन में वृद्धि करना है, योजना के तहत हितग्राही को कम से कम 1/4 हेक्टेयर और अधिकतम 4 हेक्टेयर तक एक बार में अथवा खंड-खंड में रोपण पर अनुदान की पात्रता होगी। फलदार फसलों पर स्वयं के साधन से रोपण करने पर एवं बैंक ऋण पर भी प्रावधान अनुसार अनुदान दिया जाएगा। 

योजना के तहत लाभार्थी किसानों को निर्धारित मापदंड अनुसार 40-50 प्रतिशत अनुदान सहायता 60:20:20 के अनुपात में दी जाएगी। अभी विभाग द्वारा जो आवेदन माँगे गए हैं वह ड्रिप रहित पौधों के रोपण के लिए है जिस पर सरकार द्वारा 30,000 रुपए प्रति हेक्टेयर का अनुदान दिया जाता है। जिसमें सरकार द्वारा पौध रोपण के लिए आंकी गई लागत 60,000 रुपए प्रति हेक्टेयर है।

योजना का लाभ लेने के लिए यह किसान सकते हैं आवेदन

 अभी विभाग द्वारा राज्य के 26 जिलों के अनुसूचित जनजाति के किसान वर्ग के लिए लक्ष्य जारी किए गए हैं, जिसके तहत राज्य के बालाघाट, अनुपपूर, श्योपुर, उमरिया, शिवपुरी, नरसिंहपुर, सिवनी, कटनी, शहडोल, दमोह, झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी, खण्डवा, मंदसौर, नीमच, देवास, हरदा, सीहोर, रायसेन, टीकमगढ़, मंडला, डिंडोरी, सिंगरौली, रीवा तथा सतना के किसान आवेदन कर सकते हैं। 

आम/अमरूद ग्रैफ़्टेड एवं नींबू के पौधे विभागीय नर्सरियों से लिए जाएँगे, पौधे की रोपनियों में उपलब्ध नहीं हैं उन पौधों की व्यवस्था विभाग द्वारा प्रतिष्ठित मान्यता प्राप्त रोपनियों/NHB एक्रीडियेटेड रोपनियों से कराकर रोपण कराया जाएगा। 

फल पौध रोपण हेतु अनुदान के लिए यहाँ करें आवेदन

योजना का लाभ लेने के लिए राज्य के पात्र किसान उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, मध्य प्रदेश के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। किसानों को आवेदन करते समय अपने पास फ़ोटो, आधार, खसरा नम्बर/B1/ पट्टे की प्रति, बैंक पासबुक, जाति प्रमाण पत्र आदि आवश्यक दस्तावेज पाने पास रखना होगा। इसके अलावा किसान भाई यदि योजना के विषय में अधिक जानकारी चाहते हैं तो उधानिकी विभाग की वेबसाइट पर देख सकते हैं अथवा विकासखंड/जिला उद्यानिकी विभाग में संपर्क करें। किसानों को आवेदन करने के लिए ऑनलाइन पंजीयन उद्यानिकी विभाग मध्यप्रदेश फार्मर्स सब्सिडी ट्रैकिंग सिस्टम https://mpfsts.mp.gov.in/mphd/#/ पर जाकर करना होगा|

सब्सिडी पर आम/अमरूद एवं नींबू के पौधे लेने के लिए आवेदन करें

पशु पालक किसानों को अब नहीं है डरने कि जरुरत, लम्पी स्किन रोग की वैक्सीन हुई लांच

लम्पी स्किन रोग की वैक्सीन

अभी देश में राजस्थान और गुजरात समेत 10 राज्यों में गाय भैंस में जानलेवा लंपी वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। जहां लाखों पशु इस रोग की चपेट में आ गए हैं, वहीं हज़ारों पशुओं की मृत्यु भी इस रोग से हो चुकी है। इस बीच किसानों के लिए काफ़ी राहत भरी खबर आई है। देश के पशुधन के लिए बड़ी राहत प्रदान करते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पशुओं को लम्पी स्किन रोग से बचाव हेतु स्वदेशी वैक्सीन (लम्पीप्रो वैकइंड/ Lumpi-ProVac-Ind) लांच की। यह वैक्सीन राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, हिसार (हरियाणा) ने भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर (बरेली) के सहयोग से बनाई है।

इस अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री ने इस वैक्सीन को लम्पी बीमारी के निदान के लिए मील का पत्थर बताते हुए कहा कि मानव संसाधन के साथ ही पशुधन हमारे देश की बड़ी ताकत है, जिन्हें बचाना हमारा बड़ा दायित्व है।

लम्पी स्किन रोग पर शत-प्रतिशत कारगर है वैक्सीन

कृषि मंत्री ने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत यह वैक्सीन विकसित करके एक और नया आयाम स्थापित किया गया है। उन्होंने अश्व अनुसंधान केंद्र व पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों को बधाई दी, जिनके प्रयासों से लम्पी रोग के टीके को विकसित किया गया है। 2019 में जब से यह बीमारी भारत में आई, तब से ही संस्थान वैक्सीन विकसित करने में जुटे थे। कृषि मंत्री ने प्रसन्नता जताते हुए कहा की वैज्ञानिकों ने इस चुनौती को स्वीकार किया और अल्पावधि में, सीमित परीक्षण में सभी मानक स्तर पर शत-प्रतिशत कारगर वैक्सीन विकसित की है, जो लम्पी बीमारी से निजात दिलाने में असरकारी होगी।

किसान इस तरह बचाएँ पशुओं को लम्पी स्किन रोग से

पशुओं को इस रोग से बचाने के लिए संक्रमित पशु को स्वस्थ पशु से तत्काल अलग करें। संक्रमित क्षेत्र में बीमारी फैलाने वाले मक्खी-मच्छर की रोकथाम के लिये आवश्यक कदम उठायें। संक्रमित क्षेत्र से अन्य क्षेत्रों में पशुओं का आवागमन प्रतिबंधित करें। संक्रमित क्षेत्र के बाजार में पशु बिक्री, पशु प्रदर्शनी, पशु संबंधित खेल आदि पर पूर्णत: प्रतिबंध लगायें। संक्रमित पशु का सेम्पल लेते समय पीपीई किट सहित सभी सुरक्षात्मक उपाय अपनायें। संक्रमित पशु प्रक्षेत्र, घर आदि जगहों पर साफ-सफाई, जीवाणु एवं विषाणुनाशक रसायन का प्रयोग करें। रोग के लक्षण दिखने पर तुरंत ही अपने नज़दीकी पशु चिकित्सालय में या पशु चिकित्सक से सम्पर्क करें। 

 

किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर मिलेगा 3 लाख रुपए तक का लोन

शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर कृषि ऋण

किसानों को कृषि आदानों की खरीद जैसे खाद, बीज, कीटनाशक आदि कार्यों के लिए आवश्यक पूँजी उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा सस्ती दरों पर ऋण उपलब्ध कराया जाता है, इसके लिए देश भर में किसान क्रेडिट कार्ड योजना चलाई जा रही है। योजना के तहत किसानों को 4 प्रतिशत की ब्याज दर पर लोन उपलब्ध कराया जाता है। इस कड़ी में कई राज्य सरकारों के द्वारा किसानों को अतिरिक्त अनुदान दिया जाता है जिससे उन्हें यह ऋण शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर अर्थात् बिना किसी ब्याज के लोन मिलता है।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर दिए जाने वाले ऋण की योजना को स्वीकृति मिल गई है। जिससे किसानों को अब वर्ष 2022-23 में भी फसली ऋण बिना किसी ब्याज के मिल सकेगा। 

शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण के लिए योजना क्या है?

मध्य प्रदेश राज्य के किसानों को सहकारी बैंकों /प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों (पैक्स) से ऋण लेने पर ब्याज में अनुदान दिया जाएगा। मंत्रि-परिषद ने किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर अल्पावधि फसल ऋण दिये जाने की योजना को वर्ष 2022-23 में निरंतर रखे जाने का निर्णय लिया है। योजना में वर्ष 2022-23 के लिए बेसरेट 10 प्रतिशत रहेगा। खरीफ 2022 सीजन के लिए ड्यू डेट 28 मार्च 2023 और रबी 2022-23 सीजन के लिए ड्यू डेट 15 जून 2023 रहेगी।

निर्धारित बेसरेट 10 प्रतिशत के अधीन खरीफ और रबी सीजन में अल्पावधि फसल ऋण लेने वाले सभी किसानों के लिये 3 प्रतिशत (सामान्य) ब्याज अनुदान तथा निर्धारित ड्यू डेट तक ऋण की अदायगी करने वाले किसानों को 4 प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज अनुदान प्रोत्साहन स्वरूप राज्य शासन द्वारा दिया जायेगा। यह योजना वर्ष 2012-13 से लागू है। इसमें 3 लाख रूपये तक के अल्पावधि फसल ऋण पर राज्य शासन ब्याज अनुदान उपलब्ध कराता है।

सब्सिडी पर मछली पालन हेतु आवेदन करें

मछली पालन अनुदान हेतु आवेदन

मछली उत्पादन में भारत विश्व में अग्रिम स्थान रखता है, विश्व के कुल उत्पादन में 7.58 प्रतिशत की हिस्सेदारी भारत की है। जिसका मूल्य वैश्विक स्तर पर कुल मूल्य का 1.24 प्रतिशत है, यह राशि कृषि सकल मूल्य वर्धित में 7.28 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखती है। इसे आगे बढ़ाने के लिए एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के उद्देश्य से मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए 10 सितम्बर 2020 में “प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना PMMSY” की शुरुआत की गई थी।

योजना के तहत मछली उत्पादन और उत्पादकता, गुणवत्ता, प्रौद्योगिकी, पोस्ट-हार्वेस्ट अवसरंचना और प्रबंधन, आधुनिकीकरण और मूल्य श्रंखला को मजबूत बनाना आदि शामिल है । योजना के तहत मछली पालन सम्बंधी लगभग 40 अवयवों के तहत अनुदान दिया जाता है। योजना के तहत अभी बिहार राज्य सरकार ने इच्छुक व्यक्तियों से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। 

योजना के लिए पात्र आवेदक

बिहार के मत्स्य पालक, किसान, समूह एवं उद्यमी योजना का लाभ उठा सकते हैं। आवेदक की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष होना अनिवार्य है। योजना के लिए विभिन्न वर्ग के लोग आवेदन कर सकते हैं:-

  • मछुआरे,
  • मत्स्य किसान, 
  • मत्स्य श्रमिक और मत्स्य विक्रेता,
  • मत्स्य विकास निगम,
  • मात्स्यिकी क्षेत्र में स्वयं सहायता समूह (एस.एच.जी.)/संयुक्त देता समूह (जे.एल.जी.),
  • मत्स्य पालन सहकारिता,
  • मत्स्य पालन संघ, 
  • उद्यमी और निजी फर्म,
  • मत्स्य किसान उत्पादन संगठन / कंपनियां (एफ.एफ.पी.ओ.)/(सी.एस.),
  • अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति/ महिला/ दिव्यांग व्यक्ति,
  • राज्य सरकारें/संघ राज्य क्षेत्र और इनकी संस्थाएं जो इनमें शामिल हैं |

योजना के तहत कितना अनुदान Subsidy दी जाएगी?

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत लाभार्थी को तालाब निर्माण से लेकर मछली पालन से सम्बंधित कुल 38 अवयवों पर अनुदान दिया जाना है। योजना के तहत सभी वर्गों के किसानों को अनुदान दिया जाता है, जिसमें सामान्य श्रेणी के लाभार्थी को 40 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति/ महिला लाभार्थी को लागत का 60 प्रतिशत अनुदान दिए जाने का प्रावधान है। निर्धारित इकाई लागत की शेष राशि स्वलागत अथवा बैंक ऋण के माध्यम से लाभुकों के द्वारा वहन किया जाएगा।

मत्स्य सम्पदा योजना के तहत विभिन्न अवयवों पर आने वाली लागत एवं दिया जाने वाला अनुदान जानने के लिए क्लिक करें 

लाभुक को अनुदान स्वरूप उक्त अवयव हेतु निर्धारित अनुदान राशि अथवा वास्तविक क्रय मूल्य पर अनुमान्य अनुदानित प्रतिशत के समतुल्य राशि, दोनों में से जो न्यूनतम हो, की अनुमान्यता होगी। निर्धारित इकाई लागत से अधिक व्यय होने पर अतिरिक्त व्यय राशि का वहन लाभुक के द्वारा स्वयं किया जाएगा।

मत्स्य संपदा योजना के तहत आवेदन हेतु आवश्यक दस्तावेज

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का आवेदन ऑनलाइन किए जा रहे हैं। योजना के तहत व्यक्तिगत, समूह एवं व्यावसायिक संस्थान आवेदन कर सकते हैं, जिसके तहत अलग-अलग दस्तावेज़ों की आवश्यकता होगी। जिसमें सामान्य दस्तावेज इस प्रकार है:-

  • आवेदक का पासपोर्ट–साईज फोटो (समूह के लिए ग्रुप लीडर का फोटो)
  • आवेदक का आधार / भारत सरकार द्वारा मान्य कोई भी फोटो पहचान–पत्र (समूह के लिए ग्रुप लीडर का आधार कार्ड)
  • शपथ पत्र 
  • बैंक पासबुक अथवा चेक (जिसमें बैंक का नाम, शाखा का नाम, खाता संख्या, आई.एफ.एस.सी. कोड सहित) की छायाप्रति | (समूह के लिए संस्था का पासबुक अथवा चेक)
  • जाति प्रमाण–पत्र की छाया प्रति (अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए)
  • समूह के लिए पंजीकरण प्रमाण पत्र 
  • निजी भूमि का खाता, खेसरा, रकवा एवं स्पष्ट हिस्सेदारी सहित भू–स्वामित प्रमाण–पत्र अथवा लगान राजस्व रसीद (गत अथवा वर्तमान वर्ष) (समूह के लिए समूह के सदस्य के नाम भूमि होना चाहिए)
  • पट्टा / लीज की भूमि की स्थिति में योजनानुसार निबंधित लीज की प्रति 
  • सरकारी भूमि की स्थिति में सरकारी पट्टा / परवाना की प्रति, सरकारी भूमि आवंटन संबंधी दस्तावेज |
  • डी.पी.आर./एस.सी.पी.  

अनुदान पर मछली पालन हेतु यहाँ करें आवेदन

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत आवेदन शुरू हो चुके हैं, इच्छुक व्यक्ति, व्यक्तियों का समूह एवं कम्पनी योजना का लाभ उठाने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। योजना का लाभ लेने के लिए 23 अगस्त 2022 तक ही आवेदन किए जा सकेंगे। इच्छुक व्यक्तियों को योजना का लाभ लेने के लिए मछली पालन विभाग, बिहार के पोर्टल  http://fisheries.bihar.gov.in/Default.aspx पर आवेदन करना होगा। योजना से जुड़ी विस्तृत जानकारी नीचे दी गई लिंक पर देख सकते हैं या अपने यहाँ के प्रखंड या ज़िले के मछली पालन विभाग में सम्पर्क करें।

मछली पालन के लिए सब्सिडी हेतु आवेदन करने के लिए क्लिक करें

80 प्रतिशत तक की सब्सिडी पर कृषि यंत्र लेने के लिए आवेदन करें

कृषि यंत्र अनुदान हेतु आवेदन

सरकार द्वारा किसानों की आय बढ़ाने एवं कृषि के आधुनिकीकरण के लिए कई योजनाएँ चलाई जा रही है, इन योजनाओं के तहत किसानों को फसल बुआई से लेकर फसल कटाई, खाद्य प्रसंस्करण एवं फसल अवशेष प्रबंधन के लिए कृषि यंत्र सब्सिडी पर दिए जाते हैं। किसान इन योजनाओं के तहत आवेदन कर कृषि यंत्र पर अनुदान प्राप्त कर सकते हैं। इस कड़ी में अभी हरियाणा सरकार ने राज्य के किसानों से फसल अवशेष प्रबंधन के लिए उपयोगी कृषि यंत्र एवं कस्टम हायरिंग केंद्र के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। 

योजना के तहत व्यक्तिगत किसान, किसान समूह, किसान उत्पादक संगठन एवं ग्राम पंचायत आवेदन कर सकते हैं। योजना का लाभ लेने के लिए अभी आवेदन चल रहे हैं, किसान 25 अगस्त, 2022 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

कृषि यंत्रों पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy

योजना के तहत किसान व्यक्तिगत रूप से एवं समूह के आधार पर सकते हैं। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के एक प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुए बताया कि पंजीकृत किसान समूह/ किसान उत्पादक संगठन/ ग्राम पंचायत को कस्टम हायरिंग सेन्टर स्थापित करने के लिए 80 प्रतिशत या अधिकतम अनुदान राशि व व्यक्तिगत श्रेणी में 50 प्रतिशत या अधिकतम अनुदान राशि दी जायेगी।

इन कृषि यंत्रों पर अनुदान Subsidy के लिए कर सकते हैं आवेदन

राज्य के किसान फसल अवशेष प्रबंधन हेतु आवश्यक कृषि यंत्र जैसे कि सुपर एसएमएस, बेलिंग मशीन, हैप्पी सीडर, रोटरी स्लेशर /श्रब मास्टर, पैडी स्ट्रॉ चोपर/ मल्चर, रिवर्सिबल प्लो, जीरो टिल ड्रिल, सुपर सीडर, ट्रेक्टर चालित/ स्वचालित क्रॉप रीपर / रीपर कम बाईंडर पर अनुदान प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं। 

एक किसान विभिन्न प्रकार के अधिकतम 3 कृषि यंत्र ही ले सकता है और जिन किसानों ने पिछले दो वर्षों में जिन कृषि यंत्रों पर अनुदान लिया है, वे इस स्कीम में उस यंत्र के लिए अनुदान प्राप्त करने हेतू आवेदन करने के लिए पात्र नहीं होंगे। वहीं कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना हेतु अधिकतम 5 यंत्रों के लिए आवेदन किए जा सकते हैं।

किसानों को देना होगा टोकन राशि

किसानों के द्वारा पंजीकरण के बाद चयनित सूची में नाम आने के बावजूद भी कृषि यंत्र नहीं खरीदते हैं। इसको देखते हुए किसान को आवेदन के समय डिमांड ड्राफ्ट ऑनलाइन जमा करना होगा। ऑनलाइन आवेदन करने के लिए किसान को टोकन राशि 2500 रुपये एवं 5000 रुपये अलग-अलग कृषि यंत्र की अनुदान राशि के अनुसार ऑनलाइन ही जमा करवानी होगी। 2.5 लाख रूपये से कम मूल्य के कृषि यंत्र के लिए 2500 रुपए का डिमांड ड्राफ्ट बनाना होगा जबकि 2.5 लाख रूपये से अधिक मूल्य के कृषि यंत्र के लिए 5,000 रूपये का डिमांड ड्राफ्ट बनाना होगा।

कृषि यंत्रों पर अनुदान हेतु आवेदन हेतु आवश्यक दस्तावेज

योजना का लाभ लेने के लिए व्यक्तिगत लाभार्थी की श्रेणी में आवेदन करने के लिए किसान का ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर पंजीकृत होना अनिवार्य है। किसान के नाम रजिस्टर्ड ट्रैक्टर की वैध आर.सी, परिवार पहचान पत्र, पैन कार्ड, आधार कार्ड, स्वयं घोषणा पत्र, जमीन का विवरण एवं बैंक खाता होना भी आवश्यक है। अनुसूचित जाति के किसान के लिए जाति प्रमाण पत्र होना अनिवार्य है।

वहीं कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना हेतु आवेदन करने के लिए समिति का पंजीकरण, पैन कार्ड, ट्रेक्टर की आर. सी., बैंक खाते का विवरण व प्रधान का आधार कार्ड आवश्यक है।

अनुदान पर कृषि यंत्र अनुदान हेतु आवेदन कहाँ करें?

योजना का लाभ लेने के इच्छुक किसान 25 अगस्त, 2022 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को हरियाणा कृषि विभाग के पोर्टल  agriharyana.gov.in पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इसके अतिरिक्त किसान अधिक जानकारी के लिए उप निदेशक, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग तथा संबंधित जिला के सहायक कृषि अभियन्ता के कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं। किसान अधिक जानकारी के लिए किसान 1800-180-2117 पर कॉल कर सकते हैं। 

सब्सिडी पर कृषि यंत्र लेने के लिए आवेदन हेतु क्लिक करें

पशुओं में तेज़ी से फैल रही है यह बीमारी, सरकार ने बचाव एवं सुरक्षा के लिए जारी की एडवाइजरी

पशुओं में लम्पी स्किन डिज़ीज़ रोग से बचाव एवं सुरक्षा


लम्पी स्किन डिजीज रोग या ढेलेदार त्वचा रोग गौवंशीय पशुओं में होने वाला विषाणुजनित संक्रामक रोग है। जो कि पॉक्स (माता) का वायरस है जिससे पशुओं में पॉक्स (माता) रोग होता है। वातावरण में गर्मी एवं नमी के बढ़ने के कारण देश के विभिन्न प्रदेशों में जैसे राजस्थान और गुजरात समेत 10 राज्यों में गाय भैंस में जानलेवा लंपी वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। जहां लाखों पशु इस रोग की चपेट में आ गए हैं, वहीं हज़ारों पशुओं की मृत्यु भी इस रोग से हो चुकी है। तेजी से फैल रहे इस रोग से किसानों को पशु हानि से बचाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है।

सरकार द्वारा जारी एडवाइजरी के संबंध में पशुपालन विभाग के संबंधित अधिकारियों से कहा गया है कि गाइड-लाइन अनुसार रोग की पहचान एवं नियंत्रण के लिये सदैव सजग रहें। लक्षण दिखाई देने पर नमूने एकत्रित कर निर्धारित प्रपत्र में जानकारी राज्य पशु रोग अन्वेषण प्रयोगशाला भोपाल को भेजें।

पशुओं में इस तरह पहचानें लम्पी स्किन डिज़ीज़ रोग

लम्पी स्किन डिज़ीज़ पशुओं की वायरल बीमारी है, जो पॉक्स वायरस से मच्छर, मक्खी, टिक्स आदि से एक पशु से दूसरे पशु में फैलती है। शुरूआत में हल्का बुखार दो-तीन दिन के लिये रहता है। इसके बाद पूरे शरीर की चमड़ी में 2-3 सेंटीमीटर की गठानें निकल आती हैं। ये गठान गोल उभरी हुई होती है, जो चमड़ी के साथ मांसपेशियों की गहराई तक जाती है और मुँह, गले एवं श्वांस नली तक फैल जाती है। साथ ही लिम्फ नोड, पैरों में सूजन, दुग्ध उत्पादन में कमी, गर्भपात, बाँझपन और कभी-कभी पशु की मृत्यु भी हो जाती है।

अधिकतर संक्रमित पशु दो-तीन सप्ताह में ठीक हो जाते हैं, लेकिन दूध उत्पादकता में कमी कई सप्ताह तक बनी रहती है। मृत्यु दर एक से 5 प्रतिशत और संक्रामकता दर 10 से 20 प्रतिशत होती है। संक्रमण दर एवं मृत्यु दर के डेटा निर्धारित प्रपत्र में डीएचएडी को भेजा जाता है। पशुपालन विभाग द्वारा पशु पालकों से आग्रह किया जाता है कि एलएसडी से भयभीत न होकर उपरोक्त तरीकों से पशुओं का बचाव व उपचार करावें। विशेष परिस्थितियों में निकटम पशु चिकित्सक से तत्काल सम्पर्क करें।

लम्पी स्किन डिज़ीज़ से सुरक्षा एवं बचाव के उपाय

सरकार द्वारा जारी की गई एडवाइजरी में कहा गया है कि संक्रमित पशु को स्वस्थ पशु से तत्काल अलग करें। संक्रमित क्षेत्र में बीमारी फैलाने वाले मक्खी-मच्छर की रोकथाम के लिये आवश्यक कदम उठायें। संक्रमित क्षेत्र से अन्य क्षेत्रों में पशुओं का आवागमन प्रतिबंधित करें। संक्रमित क्षेत्र के बाजार में पशु बिक्री, पशु प्रदर्शनी, पशु संबंधित खेल आदि पर पूर्णत: प्रतिबंध लगायें। संक्रमित पशु का सेम्पल लेते समय पीपीई किट सहित सभी सुरक्षात्मक उपाय अपनायें। संक्रमित पशु प्रक्षेत्र, घर आदि जगहों पर साफ-सफाई, जीवाणु एवं विषाणुनाशक रसायन का प्रयोग करें।

लम्पी स्किन डिजीज रोग के उपचार के लिए करें पशुओं का वेक्सीनेशन 

राजस्थान सरकार के साथ हुई समीक्षा बैठक में केन्द्रीय पशुपालन मंत्री श्री पुरूषोतम रूपाला ने कहा कि इस वायरस जनित बीमारी को फैलने से रोकने के लिए पूरी क्षमता के साथ प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो पशु इससे सक्रंमित हो गए हैं, उन्हें स्वस्थ पशुओं से अलग रखें और स्वस्थ पशुओं का वेक्सीनेशन कराएं। उन्होंने कहा कि इस बीमारी से बचने के लिए गोट पॉक्स वेक्सीन पूरी तरह कारगर है। अति प्रभावित क्षेत्र में 3 एमएल के डोज का उपयोग करें और कम प्रभावित एवं अप्रभावित क्षेत्र के पशुओं को 1 एमएल का डोज लगाएं। 

लिस्ट आ गई है, इन किसानों को सब्सिडी पर दिए जाएँगे पाइप लाइन सेट, पम्प सेट एवं स्प्रिंकलर सेट

पाइप लाइन सेट, पम्प सेट एवं स्प्रिंकलर सेट सब्सिडी हेतु किसान लिस्ट

इस वित्त वर्ष में विभिन्न योजनाओं के तहत आवंटित बजट के तहत किसानों को सब्सिडी पर विभिन्न प्रकार के कृषि सिंचाई यंत्र अनुदान पर उपलब्ध कराने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों से आवेदन माँगे थे। जिसके तहत राज्य के इच्छुक किसान आवेदन कर चुके हैं। मध्यप्रदेश के कृषि विभाग द्वारा ज़िलेवार किसानों का चयन लॉटरी के माध्यम से कर लिया गया है, जिन किसानों ने इन योजनाओं के तहत आवेदन किया था।

बीते दिनों मध्य प्रदेश कृषि विभाग द्वारा वर्ष 2022-2023 हेतु राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना के विभिन्न घटकों के तहत ज़िलेवार सिंचाई यंत्रों के लिए लक्ष्य जारी किए गए थे। इन लक्ष्यों के विरुद्ध सिंचाई उपकरणों हेतु दिनांक 27 जुलाई 2022 से 4 अगस्त 2022 तक पोर्टल पर किसानों से आवेदन माँगे गए थे। प्राप्त आवेदनों में से लक्ष्यों के विरूद्ध लॉटरी ऑनलाइन सम्पादित 05 अगस्त 2022 को कर दी गई है, आवेदक किसान इस लिस्ट में अपना नाम देखकर आगे की कार्यवाही कर सकते हैं।

इन सिंचाई यंत्रों के लिए माँगे गए थे आवेदन 

मध्य प्रदेश कृषि विभाग द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना के विभिन्न घटकों के तहत निम्न सिंचाई उपकरणों के लिए आवेदन माँगे थे:-

  • स्प्रिंकलर सेट 
  • पाईप लाईन सेट 
  • पम्प सेट (डीजल/विद्युत) 
  • रेनगन सिस्टम

सिंचाई यंत्रों पर कितना अनुदान (Subsidy) दिया जाएगा?

राज्य में किसानों को विभिन्न योजनाओं के तहत अलग-अलग वर्ग के किसानों को अलग-अलग सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान है। जहां सरकार द्वारा किसानों स्प्रिंक्लर सेट एवं रेनगन पर अधिकतम 55 प्रतिशत तक की सब्सिडी एवं अन्य सिंचाई उपकरणों पर 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है। किसान जो भी कृषि सिंचाई यंत्र लेना चाहते हैं वह कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर उपलब्ध सब्सिडी कैलकुलेटर पर सिंचाई यंत्र की लागत के अनुसार उनको मिलने वाली सब्सिडी की जानकारी देख सकते हैं।

यह किसान ले सकेंगे सब्सिडी पर सिंचाई यंत्र

अलग-अलग ज़िले एवं किसान वर्ग के अनुसार यह कम्प्यूटरीकृत लॉटरी निकाली गई है। इस लिस्ट में लक्ष्य से अधिक किसानों का नाम है जिसमें यदि चयनित किसान यंत्र नहीं लेते हैं तो वह यंत्र लेने का मौका अन्य किसानों को दिया जायेगा। उदहारण के लिए यदि किसी जिले में 10 किसानों को पम्प सेट Alloted किया गया है तो उसके अलावा 15 अन्य किसान हैं जो वेटिंग (Waiting) में है अर्थात इन किसानों को पम्प सेट एवं अन्य सिंचाई यंत्र तब ही दिया जायेगा जब ऊपर के चयनित किसान किसी कारण से सिंचाई यंत्र नहीं लेते हैं।

सिंचाई यंत्र सब्सिडी हेतु चयनित किसान लिस्ट कैसे देखें ?  

नीचे किसान समाधान द्वारा लिस्ट देखने के लिए लिंक दी गई है, इसके अतिरिक्त किसान सीधे ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर भी यह लिस्ट देख सकते हैं। किसान भाई उस लिंक को जैसे ही खोलेंगे वैसे ही कृषि अभियांत्रिकी के पोर्टल e-कृषि यंत्र अनुदान पर प्राथमिकता सूचि देखने के लिए पेज खुल जाएगा। याद रहे अभी जो किसान सूची जारी की गई है वह “कृषि कल्याण तथा कृषि विभाग” द्वारा 5 अगस्त 2022-23 के लिए जारी की गई है। किसान अधिक जानकारी के लिए जिला कृषि विभाग अथवा कृषि अभियांत्रिकी संचनालय में संपर्क कर सकते हैं।

पाइप लाइन सेट, पम्प सेट एवं स्प्रिंकलर सेट सब्सिडी हेतु किसान लिस्ट देखने के लिए क्लिक करें

1 लाख 20 हजार रुपए के अनुदान पर ड्रैगन फ्रूट की खेती करने के लिए आवेदन करें

ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए अनुदान

सरकार द्वारा महँगे विदेशी फलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे किसानों की आमदनी को बढ़ाया जा सके। इसके लिए किसानों को सहायता प्रदान करने के लिए अनुदान भी दिया जाता है। इस कड़ी में हरियाणा सरकार ने ड्रैगन फ्रूट के लिए एक विशेष योजना शुरू की है, जिसके तहत किसानों को अनुदान देने के लिए सरकार ने आवेदन आमंत्रित किए हैं।

हरियाणा सरकार ने प्रदेश में ड्रैगन फ्रूट की खेती को बढ़ावा देने के लिए विशेष अनुदान योजना लागू की है। इस महंगे ड्रैगन फ्रूट की बाजार में मांग और इससे होने वाली आमदनी को देखते हुए इस फल की खेती मुनाफे का सौदा है। बागों की स्थापना से पानी की भी बचत होगी होगी और किसानों की आय में इजाफा होगा।

ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए दिया जाने वाला अनुदान Subsidy 

हरियाणा के एक एक सरकारी प्रवक्ता ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि हरियाणा में ड्रैगन फ्रूट के बाग के लिए 1,20,000 रुपए प्रति एकड़ के अनुदान का प्रावधान किया गया है। इसमें पौधा रोपण के लिए 50,000 रुपए एवं ट्रैलिसिंग सिस्टम (जाल प्रणाली) के लिए 70,000 रुपए प्रति एकड़ है। इस योजना के तहत एक किसान अधिकतम 10 एकड़ तक अनुदान की सुविधा का लाभ ले सकता है। किसानों को पौधा रोपण के लिए 50,000 रुपये का अनुदान तीन किस्तों में प्रथम वर्ष 30,000 रूपए, दूसरे वर्ष 10,000 रूपए व तीसरे वर्ष 10,000 रूपए दिये जाएंगे।

किसान योजना का लाभ लेने के लिए यहाँ करें आवेदन 

इस योजना के तहत एक किसान अधिकतम 10 एकड़ तक अनुदान की सुविधा का लाभ ले सकता है। अनुदान प्राप्त करने के लिए किसान का ‘मेरी फसल-मेरा ब्यौरा‘ पोर्टल पर पंजीकरण करना अनिवार्य है।अनुदान ‘पहले आओ-पहले पाओ‘ के आधार पर दिया जाएगा। किसान बागवानी विभाग की वेबसाइट http://hortnet.gov.in पर जाकर आवदेन कर योजना का लाभ ले सकते हैं।

किसान योजना से जुड़ी अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए टोल फ़्री नम्बर 1800-180-2021 पर कॉल कर सकते हैं। या किसान अपने ज़िले के ज़िला उद्यान अधिकारी से सम्पर्क कर सकते हैं। किसान अधिक से अधिक विभिन्न फलों के बाग लगाकर अच्छा मुनाफा ले सकते है। बागों की स्थापना से जहां पानी की बचत है, वहीं फलों के बाग किसानों की आय में इजाफा करने में सहायक है।