सहकारी बैंकों में 551 पदों पर की जाएगी भर्ती, 5 लाख नए किसानों को मिलेगा ऋण

सहकारी बैंकों में भर्ती

देश में किसानों को उचित दरों पर ऋण उपलब्ध कराने के लिए सहकारी बैंकों का महत्वपूर्ण योगदान है। ऐसे में अधिक से अधिक किसानों को पारदर्शिता पूर्वक सहकारी योजनाओं का लाभ मिल सके इसके लिए सहकारी बैंकों को कम्प्यूटरीकृत किया जा रहा है। जिससे बैंकों में होने वाले काम तेजी आ सके और अधिक से अधिक किसानों को ऋण एवं अन्य सुविधा का लाभ मिल सके। 

इसको लेकर राजस्थान के रजिस्ट्रार सहकारिता, श्री मेघराज सिंह रतनू ने कहा कि केन्द्रीय सहकारी बैकों में कम्प्यूटर प्रोग्रामर, प्रबंधक एवं बैंकिग सहायक के रिक्त 551 पदों पर भर्ती की शीघ्र ही विज्ञप्ति जारी की जाएगी, ताकि बैंकों में होने वाले कार्यों में गति आ सके। उन्होंने कहा कि राजस्थान सहकारी भर्ती बोर्ड को बैंकों में रिक्त पदों पर भर्ती के लिए पदों की सूचना भेजी जा चुकी है।

5 लाख नए किसानों को दिया जाएगा फसली ऋण

सहकारिता रजिस्ट्रार ने जयपुर जिले की ग्राम सेवा सहकारी समिति, धानक्या का दौरा किया। इस अवसर पर उन्होंने किसानों को जानकारी दी कि इस वर्ष प्रदेश में 5 लाख नए किसानों को फसली ऋण वितरण का लक्ष्य रखा गया है। जिसमें से जयपुर जिले में 35 हजार नए किसानों को फसली ऋण का वितरण किया जाएगा और नवम्बर, 2022 तक 12 हजार नए किसानों को फसली ऋण दिया जा चुका हैं। उन्होंने समिति में ऋण वितरण की ऑनलाइन प्रक्रिया के बारे में जानकारी ली तथा मौके पर ही समिति ने सदस्य किसान की बॉयोमैट्रिक पद्धति से ऋण से संबंधित प्रक्रिया को पूरा किया।

सहकारी बैंकों से किसानों को दिया जा रहा है ऑनलाइन फसली ऋण 

राजस्थान में किसानों को सहकारी बैंकों के माध्यम से ब्याज मुक्त अल्पकालीन फसली ऋण दिया जाता है, इसके लिए किसान ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। अपनी विज़िट के दौरान उपस्थित किसानों ने रजिस्ट्रार को मृत किसानों की हिस्सा राशि वापस लेने में पोर्टल से संबंधित आ रही परेशानी से अवगत कराया। किसानों ने ऑनलाइन फसली ऋण वितरण की प्रशंसा की।

कस्टम हायरिंग सेन्टर के बारे में ली जानकारी

रजिस्ट्रार ने किसानों से सहकारी समिति में संचालित हो रहे कस्टम हायरिंग सेन्टर के बारे में जानकारी ली और किसानों को इससे मिल रहे लाभ के बारे में विस्तार से चर्चा की। केन्द्रीय सहकारी बैंक, जयपुर के प्रबंध निदेशक श्री मदन लाल गुर्जर ने बताया कि समिति द्वारा कस्टम हायरिंग सेन्टर से 2.36 लाख का लाभ अर्जित किया है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष जयपुर जिले में 17 ग्राम सेवा सहकारी समितियों में कस्टम हायरिंग सेन्टर की शुरूआत हुई है तथा इस वर्ष 16 ग्राम सेवा सहकारी समितियों में कस्टम हायरिंग सेन्टर की स्वीकृति जारी की गई है।

फसल बीमा का सबसे अधिक लाभ लेने वाले किसानों को किया गया सम्मानित, किसान 31 दिसंबर तक कराएँ फसल बीमा

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना हेतु पंजीयन

प्राकृतिक आपदा से किसानों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई जा रही है। योजना के अंतर्गत किसान अपनी फसलों का बीमा अधिकांश राज्यों में 31 दिसंबर तक करा सकते हैं वहीं कुछ राज्यों जैसे छत्तीसगढ़ में किसान 15 दिसंबर तक ही फसल बीमा योजना के तहत अपना पंजीयन करा सकते हैं। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश में राज्य स्तरीय फसल बीमा जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। 

इस अवसर पर राज्य के कृषि मंत्री ने कहा कि जागरूकता के अभाव में किसानों द्वारा अपनी फसलों का बीमा नहीं कराया जाता है जिस कारण आपदा के समय में उन्हें भारी नुक़सान उठाना पड़ता है, इसलिए प्रत्येक किसान को चाहिए कि वह अपने नुक़सान की क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के लिए अपनी फसलों का बीमा अवश्य करवाएँ।

किसान 31 दिसंबर तक करा सकते हैं रबी फसलों का बीमा

भारत सरकार द्वारा किसानों को फसल बीमा के प्रति जागरूक कराने के लिए 01 से 07 दिसंबर, 2022 तक प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना सप्ताह मनाया गया है। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश में भी किसानों को जागरूक करने का कार्यक्रम व्यापक स्तर पर चलाया जा रहा है, यह कार्यक्रम पूरे प्रदेश में दिसम्बर माह के अंत तक चलेगा। किसान रबी मौसम के लिए अपना नामांकन 31 दिसम्बर तक करा सकते हैं। 

किसान इन फसलों का करा सकते हैं बीमा

किसानों द्वारा ग्राम पंचायत स्तर पर रबी सीजन में गेहूं, जौ, चना, मटर, मसूर, लाही-सरसों, अलसी व आलू का बीमा कराया जा सकता है। सभी फसलों हेतु किसानों द्वारा वहन किए जाने वाले प्रीमियम दर को रबी में बीमित राशि का 1.5 प्रतिशत तथा वार्षिक नगदी फसल हेतु बीमित राशि के 5 प्रतिशत की अधिकतम दर तक सीमित रखा गया है। कृषक अंश के अतिरिक्त प्रीमियम की धनराशि को केंद्र व राज्य सरकार द्वारा बराबर-बराबर वहन किया जाएगा। 

किसानों को किया गया सम्मानित

फसल बीमा जागरूकता अभियान कार्यक्रम के दौरान कृषि विभाग द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत बीमा का सर्वाधिक लाभ उठाने वाले कृषकों को भी सम्मानित किया गया। रबी मौसम 2021-22 में सर्वाधिक क्षतिपूर्ति प्राप्त करने वाले किसानों में फर्रूखाबाद के किसान धर्मेंद्र सिंह (3.48 लाख) सहित ललितपुर के नाथूराम, फर्रूखाबाद के राम प्रकाश सिंह, पीलभीत के गुरमीत सिंह, बाराबंकी के लाल बहादुर तथा सतनलाल लखनऊ की किसान फूलमती को सम्मानित किया गया।

गायों की पहचान के लिए जारी किया गया एप, गौमूत्र से बनाई गई हाइड्रोजन और बिजली

गौ एप का हुआ डेमो गौ मूत्र से बनाया गया हाइड्रोजन

भारतीय संस्कृति में गाय का बहुत महत्व है परंतु आज के समय में गाय को बेसहारा छोड़ दिया जाता है। ऐसे में गोवंश के सरंक्षण के लिए कई पहल की जा रही है। ऐसी ही एक पहल डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू ) में की गई है। एकेटीयू में 9 दिसम्बर के दिन गौ एप और गौमूत्र से हाइड्रोजन और फिर बिजली बनाने का डेमो दिया गया। 

इस दौरान वहाँ मौजूद लोगों ने एप को अपने मोबाइल में डाउनलोड भी किया। साथ ही परिसर में मौजूद एक गाय का चेहरा एप में फ़ीड कर खुद डेमो किया। आने वाले दिनों में यह एप गायों को पहचान देगा। एस एप में गायों की पूरी कुंडली रहेगी। वही गो मूत्र का इस्तेमाल हाइड्रोजन बनाने में किया जा सकेगा। 

गौ एप से क्या लाभ होगा

एकेटीयू के कुलपति प्रोफ़ेसर प्रदीप कुमार मिश्र ने बताया कि गायों का पूरा ब्योरा इस एप में दर्ज होगा। साथ ही एप के ज़रिए दान दाताओं को जोड़ा जाएगा। जो एनजीओ के ज़रिए गौशालाओं को दान करेंगे। एप के ज़रिए उन्हें पता चलेगा कि उनका पैसा सही जगह लगा है या नहीं। साथ ही गायों की सेहत भी उन्हें पता चलती रहेगी। साथ ही एनजीओ को गोशालाओ से गोबर और गोमूत्र मिलेगा। जिसके ज़रिए वो खाद और अन्य चीजें बना सकेंगे। इस एप से जन साधारण भी जुड़ सकेंगे। 

इंडियन बायोगैस एसोसिएशन के सहयोग से टेक मशीनरी लैब के निशांत कृष्णा और उनकी टीम से मिलकर गौ एप बनाया है। फ़ेस बायोमेट्रिक की तरह गोवंश के चेहरे से उनकी पहचान एप के ज़रिए होगी। इस एप में गो वंश की पूरी डीटेल रहेगी साथ ही एप में गायों को दान देने वालों को भी जोड़ा जाएगा। 

गायों के लिए एप बनेगा सहारा

इस पहल से न केवल गाय बेसहारा होने से बचेंगी बल्कि उनसे फ़ायदा भी होगा। गोशालाओं से गोबर और मूत्र लेकर बायोगैस, खाद, अगरबत्ती समेत अन्य चीजें बनेगी। इस माडल के प्रयोग से गोशालाओं से निकलने वाले गोबर से खाद बनेगी तो मूत्र से आयुर्वेदिक दवा बनाने के साथ बायो हाइड्रोजन बनाने का भी प्रयास हो रहे हैं। इसका फ़ायदा पर्यावरण को होगा। 

पशुओं को नहीं छोड़ पाएँगे बेसहारा

इस एप का एक फ़ायदा ये भी होगा कि लोग अपने पालतू जानवरों को बेसहारा नहीं छोड़ पाएँगे। क्योंकि इस एप में पशुओं का पूरा ब्योरा फोटो के साथ डालने की सुविधा होगी। इसके बाद दोबारा एप पर पशुओं की फोटो डालने पर पता चल जाएगा कि उक्त पशु का मालिक कौन है। 

गाय आधारित उन्नति यानी गौ एप को कुलपति प्रो.प्रदीप कुमार मिश्र और आईआईएम अहमदाबाद के प्रो.अमित गर्ग के मार्गदर्शन में इंडियन बायोगैस एसोसिएशन व टेक मशीनरी लैब ने मिलकर बनाया है। 

इस वर्ष अभी तक रबी फसलों की बुवाई के रकबे में हुई 15 फीसदी तक की वृद्धि

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गेहूं, चना एवं सरसों की बुआई के क्षेत्र में वृद्धि

देश में अभी रबी फसलों को बुआई का काम ज़ोरों पर चल रहा है, इस बीच केंद्र सरकार ने देश में अभी तक हुई रबी फसलों की बुआई के आँकडें जारी किए हैं। जारी हुए आँकड़ों के अनुसार इस वर्ष रबी फसलों के रकबे में बड़े पैमाने में वृद्धि हुई है। जारी किए गए आँकड़ों के अनुसार 09 दिसम्बर 2022 तक रबी फसलों की बुवाई का रकबा 457,80 से बढ़कर 526,27 लाख हेक्टेयर हो गया है। 68.47 लाख हेक्टेयर का यह अंतर वर्ष 2021-22 की इसी अवधि की तुलना में 15% अधिक है।

यह वृद्धि रबी सीजन में लगाई जाने वाली फसलों गेहूं, चना, सरसों एवं मोटे अनाजों में हुई है। लेकिन सबसे ज्यादा वृद्धि गेहूं में देखने को मिली है। सभी रबी फसलों के रकबे में हुई 68.47 लाख हेक्टेयर की वृद्धि में से 51.85 लाख हेक्टेयर वृद्धि गेहूं के रकबे में हुई है, जो 203.91 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 255.76 लाख हेक्टेयर हो गया है। रबी सीजन में गेहूं के बाद तिलहन के रकबे में सबसे अधिक वृद्धि हुई है। 

सरसों एवं रेपसीड की क्षेत्र में हुई वृद्धि

तिलहन की खेती का रकबा वर्ष 2021-22 के 87.65 लाख हेक्टेयर से 7.55 लाख हेक्टेयर बढ़कर इस साल 95.19 लाख हेक्टेयर हो गया है। तिलहन के रकबे में हुई 7.55 लाख हेक्टेयर की वृद्धि में से अकेले रेपसीड और सरसों के रकबे में 7.17 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। 

जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि रबी 2022-23 के दौरान, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन-तिलहन के तहत 18 राज्यों के 301 जिलों में 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से अधिक उपज क्षमता वाले 26.50 लाख एचवाईवी बीज मिनीकिट किसानों को वितरित किए गए।

चना एवं मोटे अनाज के बुआई रकबे में हुई वृद्धि

दलहन का रकबा 3.30 लाख हेक्टेयर वृद्धि के साथ 123.77 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 127.07 लाख हेक्टेयर हो गया। सभी दालों के रकबे में हुई 3.30 लाख हेक्टेयर की वृद्धि में से 2.14 लाख हेक्टेयर की वृद्धि अकेले चने की फसल में हुई है। वहीं मोटे सह पोषक अनाजों की खेती के रकबे में 4.34 लाख हेक्टेयर की वृद्धि देखी गई। वर्ष 2021-22 में 32.05 लाख हेक्टेयर की तुलना में इस वर्ष अब तक का कवरेज 36.39 लाख हेक्टेयर है। 

गोबर विक्रेताओं को किया गया 4.62 करोड़ रुपए की राशि का भुगतान

गोबर विक्रेताओं को भुगतान

जैविक खेती को बढ़ावा देने एवं गोवंश संरक्षण, पशुपालकों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य में गोधन न्याय योजना चलाई जा रही है। योजना के अंतर्गत गोबर एवं गौमूत्र की खरीदी की जाती है, जिसके बाद स्वयं सहायता समूहों के द्वारा इनसे जैविक खाद, बायो गैस एवं अन्य उत्पाद तैयार किए जाते हैं। 8 दिसम्बर के दिन मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने हितग्राहियों को योजना की 57वीं किस्त के रूप में 7.83 करोड़ रुपए का ऑनलाइन भुगतान किया।

इस राशि में 16 नवम्बर से 30 नवम्बर तक गौठानों में गोबर विक्रेता पशुपालक ग्रामीणों, किसानों, भूमिहीनों से क्रय किए गए गोबर के एवज में उनके खाते में 4 करोड़ 62 लाख रूपए की राशि ऑन लाईन अंतरित की। इसी प्रकार गौठान समितियों को एक करोड़ 28 लाख रुपए तथा महिला समूहों के खाते में एक करोड़ 93 लाख रूपए की लाभांश राशि अंतरित की गई। 

अब गौठान खुद खरीद रहे हैं गोबर

इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि गौठानों द्वारा खुद की जमा पूंजी से गोबर खरीदना गोधन न्याय योजना की बड़ी सफलता है। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के आधे से अधिक गौठान स्वयं के संसाधनों से गोबर की खरीदी कर रहे हैं। गोबर विक्रेताओं को अभी भुगतान की गई 4.62 करोड़ रुपए की राशि में से 4270 स्वावलंबी गौठानों द्वारा 2.88 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया तथा कृषि विभाग द्वारा 1.74 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है।

4270 गौठान हुए स्वावलंबी

कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने बताया कि प्रदेश में 11 हजार 252 गौठानों को स्वीकृति दी गई है, जिनमें से 9 हजार 619 गौठान निर्मित किए गए हैं, इनमें से ग्रामीण क्षेत्रो में 8440 गौठान निर्मित किए गए हैं। इन गौठानों में से 4270 गौठान स्वावलंबी हो गए हैं। गोबर खरीदी, वर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन और वितरण का काम विभिन्न विभागों के समन्वय से किया जा रहा है। आने वाले समय में वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन छत्तीसगढ़ में एक बड़ा अभियान बनेगा।

अभी तक 188.45 करोड़ रुपए का किया गया भुगतान

गोधन न्याय मिशन के प्रबंध संचालक डॉ. अय्याज तम्बोली ने बताया कि गोबर खरीदी के एवज में गोधन न्याय योजना शुरू होने के बाद से अब तक 188.45 करोड़ रूपए तथा गौठान समितियों और महिला स्व सहायता समूहों को लाभांश की राशि के रूप में 170.05 करोड़ रूपए की राशि का भुगतान किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि अब तक गौठानों में 19.82 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन किया गया है। इसमें से 16.24 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट का विक्रय किया जा चुका है

लिस्ट आ गई है, इन किसानों को सब्सिडी पर दिए जाएँगे थ्रेशर एवं प्लाऊ कृषि यंत्र

सब्सिडी पर थ्रेशर एवं चीसल प्लाऊ

किसानों को सब्सिडी पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराने के उद्देश्य से कृषि अभियांत्रिकी संचनालय द्वारा समय-समय पर विभिन्न कृषि यंत्रों के लिए लक्ष्य जारी किए जाते हैं। इन जारी लक्ष्यों के विरुद्ध पात्र किसान ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं, जिसके बाद विभाग द्वारा लॉटरी जारी की जाती है। लॉटरी में चयनित किसान आवेदन अनुरूप कृषि यंत्र खरीद सकते हैं। इसी क्रम में बीते दिनों 22 नवंबर 2022 को मध्य प्रदेश कृषि अभियांत्रिकी संचनालय द्वारा मल्टीक्रॉप थ्रेशर/एक्सियल फ्लो पैडी थ्रेशर एवं चिसल प्लाऊ के जिलेवार लक्ष्य जारी किये गए थे, जिसका लॉटरी परिणाम जारी कर दिया गया है।

कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय, मध्यप्रदेश द्वारा राज्य में मल्टीक्रॉप थ्रेशर/एक्सियल फ्लो पैडी थ्रेशर एवं चिसल प्लाऊ के जिलेवार लक्ष्य 22 नवंबर 2022 को जारी किए गए थे जिसके विरुद्ध किसान 06 दिसंबर 2022 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते थे। इस दौरान जिन किसानों ने इन कृषि के लिए आवेदन किया था उसकी लिस्ट 07 दिसंबर 2022 को जारी कर दी गई हैं।

यह किसान ले सकते हैं सब्सिडी पर थ्रेशर एवं चीसल प्लाऊ

मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों को अनुदान पर कृषि यंत्र देने के लिए लॉटरी सिस्टम की व्यवस्था की है जिसमें निश्चित समय में किसानों के द्वारा आवेदन किये जाते हैं और आवेदन समाप्त हो जाने के बाद प्रत्येक जिले से किसानों का चयन किया जाता है। इस लिस्ट में लक्ष्य से अधिक किसानों का नाम होता है जिसमें यदि चयनित किसान यंत्र नहीं लेते हैं तो वह यंत्र लेने का मौका अन्य किसानों को दिया जायेगा।

उदहारण के लिए यदि किसी जिले में 10 किसानों को थ्रेशर Alloted की गई है तो उसके अलावा 5 अन्य किसान हैं जो वेटिंग (Waiting) में है अर्थात इन किसानों को थ्रेशर कृषि यंत्र पर सब्सिडी तब ही दी जाएगी जब ऊपर के चयनित किसान किसी कारण से कृषि यंत्र नहीं लेते हैं।

चयनित किसानों को क्या करना होगा

लॉटरी में चयनित किसानों को 7 दिनों के अंदर जिस कम्पनी का कृषि यंत्र लेना चाहते हैं उसका एवं डीलर का चयन लॉग-इन करके करना होगा। पोर्टल पर कृषक लॉग-इन अंतर्गत डीलर रीसेट, मॉडल रीसेट, निर्माता रीसेट एवं मोल-भाव की गई दर को पुनः भरे जाने का विकल्प दिया गया है। इस विकल्प का प्रयोग कृषक अधिकतम 2 बार कर सकेंगे उसके उपरांत यह विकल्प किसी भी परिवर्तन के लिये उपलब्ध नही होगा। इस विकल्प का प्रयोग डीलर से यंत्र क्रय किये जाने के पूर्व तक किया जा सकेगा।

थ्रेशर एवं चीसल प्लाऊ कृषि यंत्र सब्सिडी हेतु चयनित किसान लिस्ट कैसे देखें?

जिन किसानों ने योजना के तहत तय तारीखों के दौरान आवेदन किया है वह किसान ऑनलाइन लिस्ट देख सकते हैं। यह लिस्ट ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर जारी की गई है। इसमें किसानों को वित्तीय वर्ष 2022-23, विभाग- कृषि अभियांत्रिकी का चयन करना होगा। इसके बाद किसान अपने ज़िले का चयन कर कृषक वर्ग, जोत श्रेणी आदि जानकारी का भरना होगा। जिसके बाद वह चयनित किसानों की लिस्ट देख सकते हैं।

थ्रेशर एवं चीसल प्लाऊ हेतु चयनित किसानों की लिस्ट देखने के लिए क्लिक करें 

इन किसानों को जल्द दिया जायेगा कृषि ऋण माफी योजना का लाभ

कृषि ऋण माफी योजना

किसानों को कृषि ऋण से छुटकारा दिलाने के उद्देश्य से कई राज्य सरकारों के द्वारा राज्य में कृषि ऋण माफी योजना लाई गई थी, परंतु कुछ कारणों से सभी पात्र किसानों को योजना का लाभ अभी तक नहीं मिल पाया है। इस बीच झारखंड के मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने झारखंड कृषि ऋण माफी योजना (JKRMY) की समीक्षा की। समीक्षा बैठक में मुख्य मंत्री ने कृषि ऋण माफी योजना के वंचित पात्र किसानों की ऋण माफी कार्य को गति देने की बात कही साथ ही किसानों के ऋण माफी से संबंधित समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान करने को भी कहा।

समीक्षा बैठक में बताया गया कि जेकेआरएमवाई के तहत राज्य में 9 लाख 7 हजार 753 पात्र किसानों का ऋण माफी किया जाना था परंतु विभिन्न बैंकों द्वारा 9 लाख 7 हजार 753 पात्र किसानों के विरुद्ध मात्र 6 लाख 6 हजार किसानों का डाटा ही अपलोड किया जा सका है।

मुख्यमंत्री ने किसान कर्ज माफी को लेकर दिए यह निर्देश

झारखंड के मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि अधिकारी अभियान चलाकर पात्र किसानों का पंचायत वार डाटा बेस तैयार कराएं, ताकि झारखंड कृषि ऋण माफी योजना के अंतर्गत उन्हें ऋण माफी का लाभ उपलब्ध कराया जा सके। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि वैसे पात्र किसान जिनका ऋण माफी किया जा चुका है उनका डाटा पब्लिक प्लेटफॉर्म पर भी सार्वजनिक किया जाए।

क्या है कृषि ऋण माफी योजना 

किसानों को कृषि ऋण से मुक्ति देने के लिए झारखंड सरकार ने वर्ष 2020-21 में “झारखंड कृषि ऋण माफी योजना” की शुरुआत की गई थी। इस योजना का लाभ राज्य के सभी रैयत/ गैर रैयत किसानों को दिया जा रहा है, जो झारखंड राज्य स्थित किसी भी बैंक से फसल अल्पावधि ऋण (KCC) पर लिए हैं। योजना के अंतर्गत 31 मार्च 2020 तक के मानक फसल ऋण बकाया बैंक खातों में 50,000 रुपए तक की बकाया राशि माफ की जाएगी। इस योजना में एक परिवार के एक ही सदस्य को लाभ दिया जाएगा।

झारखंड ऋण माफी योजना सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें 

महिला किसानों को फ्री में दिया जा रहे हैं उन्नत किस्मों के बीज, इस तरह ले सकते हैं लाभ 

महिलाओं को निःशुल्क उन्नत बीजों का वितरण

किसानों की आय बढ़ाने के साथ ही फसलों का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा किसानों को प्रमाणित उन्नत किस्मों के बीज उपलब्ध कराए हैं ताकि किसान कम लागत में अधिक पैदावार प्राप्त कर सकें। इस कड़ी में राजस्थान सरकार राज्य की महिलाओं को सशक्त एवं आत्मनिर्भर बनाने के लिए मुख्यमंत्री कृषक साथी योजना के अंतर्गत राजस्थान मिलेट्स प्रोत्साहन मिशन और राजस्थान बीज उत्पादन एवं वितरण जैसे कई मिशनों के माध्यम से राज्य में महिलाओं को मूंग, मोठ, उड़द, सरसों ज्वार, जई, बाजरा जैसी कई प्रकार की फसलों के नि:शुल्क बीज के मिनी किट दे रही है।

कृषि के क्षेत्र में महिलाएं बुवाई से लेकर कटाई तक अहम भूमिका निभाती है। ऐसे में महिलाओं को अधिक से अधिक योजना का लाभ मिलने से न केवल कृषि में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित होगी बल्कि राज्य और देश की अर्थव्यवस्था में भी उनका योगदान बढ़ेगा। महिलाओं को निः शुल्क बीज दिए जाने से न केवल राज्य में खरीफ की फसलों का उत्पादन बड़ा हैं बल्कि रबी में भी इस बार ज्यादा क्षेत्र में बुवाई की गयी हैं। 

54 लाख से अधिक महिलाओं को दिए गए मुफ्त में उन्नत बीज

राजस्थान के कृषि आयुक्त श्री कानाराम ने बताया कि योजना के अंतर्गत कृषि विभाग द्वारा गत 4 वर्षों में रबी एवं खरीफ सीजन में कुल 54 लाख 30 हजार 781 महिला किसानों को नि:शुल्क बीज की मिनीकिट का वितरण किया जा चुका हैं। जिसमें से वर्ष 2022-23 में अब तक 26 लाख 6 हजार 977 महिला किसानों को नि:शुल्क मिनी किट वितरण की गई है।

इसमें सरसों की 2 एवं 3 किलोग्राम की 8 लाख 11 हजार 52, बाजरा की 1.5 किलोग्राम की 8 लाख 60 हजार 610, मक्का की 5 किलोग्राम की 7 लाख 95 हजार 774, मसूर की 8 किलोग्राम की 22 हजार 475, अलसी की 2 किलोग्राम की 4 हजार 144, मोठ की 4 किलोग्राम की 26 हजार 315 मिनी किट दी गयी है। वहीं खरीफ चारे की 59 हजार 882 मिनी किटों के साथ ही पशुपालक किसानों को हरे चारे (रिजका, बरसीम, जई ) की 60 हजार मिनी किट के वितरण का लक्ष्य रखा गया है जिनमें से अब तक 26 हजार 725 बीज की मिनी किट महिला किसानों को नि:शुल्क वितरण की जा चुकी है।

यह कृषक महिलाएँ ले सकती हैं निःशुल्क बीज योजना का लाभ

योजना के तहत मिनीकिट का वितरण में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाली महिला कृषकों को प्राथमिकता दी जा रही हैं। साथ ही मिनीकिट महिला के नाम से दिए जाएंगे, चाहे भूमि महिला के पिता, पति, ससुर के नाम से हो। एक महिला को मिनीकिट का एक ही पैकेट दिया जाएगा।

यहाँ से ले सकते हैं मुफ्त में उन्नत बीज

कृषि आयुक्त श्री कानाराम ने बताया कि मिनीकिट का वितरण संबंधित कृषि पर्यवेक्षक के माध्यम से किया जाता है। उन्होंने कहा कि मिनीकिट का वितरण जन आधार कार्ड के माध्यम से ही किया जा रहा है। किसान अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए निकटतम कृषि कार्यालय में संपर्क कर सकते है या किसान कॉल सेंटर के निःशुल्क दूरभाष नंबर 1800-180-1551 पर बात कर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

कृषि विश्वविद्यालय ने विकसित की तीसी की नई उन्नत किस्म, अन्य किस्मों से इस तरह है बेहतर

तीसी की नई उन्नत किस्म बिरसा तीसी-2

देश में विभिन्न फसलों का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए कृषि विश्वविद्यालयों के द्वारा विभिन्न फसलों की उन्नत क़िस्में विकसित की जा रही है, ताकि किसान कम लागत में अधिक पैदावार प्राप्त कर सकें। जिससे किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी। इस कड़ी में केन्द्रीय उप आयुक्त कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय ने 30 नवंबर को बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची द्वारा विकसित तीसी की नई उन्नत किस्म “बिरसा तीसी–2 (बीएयू -14-09)” गजट जारी किया है।

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची द्वारा विकसित की गई तीसी की नई उन्नत किस्म “बिरसा तीसी–2” को भारत सरकार के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय द्वारा गठित फसल मानकों, अधिसूचना एवं फसल किस्मों के विमोचन की केन्द्रीय उप समिति द्वारा अनुमोदित कर दिया गया है।

क्या है बिरसा तीसी-2 किस्म की विशेषताएँ

इस किस्म को देश के 25 वर्षा आश्रित क्षेत्रों में तीन वर्षों के प्रदर्शन के आधार पर जारी किया गया है। इस किस्म की उपज क्षमता 13.83 क्विंटल/ हेक्टेयर है, जो नेशनल चेक (टी–397) एवं जोनल चेक (प्रियम) की अपेक्षा करीब 11 प्रतिशत सुपीरियर है। इन दोनों की अपेक्षा इसकी (परिपक्वता अवधि 128-130 दिन) भी कम है। इसमें करीब 44.54 % तेल की मात्रा पाई गयी है, जो नेशनल एवं जोनल किस्मों से अधिक है। यह किस्म रस्ट रोग के प्रति उच्च प्रतिरोधी तथा विल्ट, अल्टरनरिया ब्लाइट, पाउडरी माइल्डयू एवं बडफ्लाई रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है।

इससे पूर्व रांची केंद्र द्वारा परियोजना के अधीन तीसी फसल की विकसित तीन प्रभेदों (प्रीयम, दिव्या एवं बिरसा तीसी–1) को सेंट्रल वेरायटल रिलीज़ कमिटी से अनुमोदन मिल चुका है।

तीसी-2 किस्म विकसित करने में इन इन वैज्ञानिकों ने दिया है योगदान

झारखण्ड राज्य के लिए उपयुक्त इस नये किस्म को आईसीएआर–अखिल भारतीय समन्वित तीसी व कुसुम फसल परियोजना, रांची केंद्र के परियोजना अन्वेंषक एवं मुख्य प्लांट ब्रीडर (तेलहनी फसल) के नेतृत्व में विकसित किया गया है। इस किस्म को वर्षो शोध उपरांत विकसित करने में शोध से जुड़े बीएयू वैज्ञानिक डॉ. परवेज आलम, डॉ. सविता एक्का, डॉ. एमके वर्नवाल, डॉ. रबिन्द्र प्रसाद, डॉ. एकलाख अहमद, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. एनपी यादव, डॉ. नरगिस कुमारी एवं डॉ. वर्षा रानी तथा सहयोगी फील्ड स्टाफ जयंत कुमार राम, देवेन्द्र कुमार सिंह, विशु उरांव एवं राम लाल उरांव का उल्लेखनीय योगदान रहा है।

किसानों को जल्द किया जाएगा 811 करोड़ रुपए के फसल बीमा दावों का भुगतान

फसल बीमा योजना के तहत क्लेम का भुगतान

देश में किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान से सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना कई वर्षों से चलाई जा रही है परंतु कई वर्ष बीत जाने के बाद भी कई किसानों को अभी तक भुगतान नहीं हो पाया है। इस दौरान कई राज्य भी इस योजना से बहार हो गए है। ऐसे में झारखंड के किसानों के लिए अच्छी खबर सामने आई है, राज्य के किसानों को 2017-18 से वर्ष 2020 तक का लम्बित भुगतान जल्द किया जाएगा।

किसानों को लम्बित फसल बीमा राशि का भुगतान किया जा सके इसके लिए झारखंड के कृषि मंत्री श्री बादल ने भारत सरकार की ओर से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के सीईओ रितेश चौहान और इंश्योरेंस कम्पनियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। उसमें कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार अपने हिस्से का राज्यांश देने को तैयार है, बशर्ते बीमा कम्पनियाँ अपनी तरफ़ से शपथ पत्र दें। 

किसानों को जल्द किया जाएगा फसल बीमा राशि का भुगतान

झारखंड कृषि मंत्री श्री बादल ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा से जुड़ी इंश्योरेंस कम्पनियों को राज्यांश की राशि देने की पहल की जाएगी। राज्यांश और केंद्रांश की राशि मिलते ही प्रभावित किसानों को क्लेम की राशि उनके बैंक खाते में ट्रांसफ़र कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि बीमा कंपनियों के द्वारा किसानों के लम्बित दावे का भुगतान जल्द से जल्द कराया जाएगा।

मंत्री श्री बादल ने कहा कि राज्य सरकार बीमा कम्पनियों को लगातार 2015-16 से राशि तो दे रही है पर किसानों को उस मात्रा में उसका लाभ नहीं मिल पाता है। ऐसे में बीमा कम्पनियों के द्वारा जैसे ही शपथ पत्र दिया जाएगा राज्य सरकार अपने हिस्से की राशि तुरंत रिलीज कर देगी, इसे लेकर केंद्र सरकार से आई टीम ने स्पष्ट तौर से बीमा कम्पनियों को शपथ पत्र देने के निर्देश दिए हैं।

किसानों को किया जाएगा 811 करोड़ की राशि का भुगतान

झारखंड के किसान जो पीएम फसल बीमा योजना के तहत रजिस्टर्ड हैं तथा जिनका 2017-18 से 2020 तक का क्लेम सेटलमेंट नहीं हुआ है, उन किसानों को जल्द ही क्लैम का भुगतान सुनिश्चित किया जायेगा। राज्य सरकार के द्वारा जैसे ही राशि रिलीज की जाएगी इंश्योरेंस कंपनियां किसानों के लंबित दावे 811 करोड़ की राशि का भुगतान 7 दिनों के अंदर करेगी। किसानों को भुगतान पोर्टल के माध्यम से किया जायेगा और लापरवाही बरतने वाली कंपनी के उपर पैनाल्टी लगाने का प्रावधान भी किया गया है। यह भी तय किया गया कि सभी इंश्योरेंस कंपनियां राज्य सरकार को शपथ पत्र  देंगी। केन्द्रांश और राज्यांश की राशि मिलने के सात दिनों के अंदर सभी किसानों के क्लैम का भुगातन उनके बैंक एकाउंट में कर दिया जायेगा।