बजट 2023-24: केंद्र सरकार ने पेश किया बजट, जानिए किसानों के लिए क्या है खास

कृषि बजट 2023-24 में किसानों के लिए क्या है खास

केन्‍द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज 01 फरवरी, 2023 को संसद में केन्‍द्रीय बजट 2023-24 पेश कर दिया है। बजट में सरकार ने किसानों के लिए कोई नई बड़ी योजना की शुरुआत नहीं की है, न ही किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों को दिए जाने वाले 6,000 रुपए में किसी प्रकार की वृद्धि की गई है। 

सरकार ने इस वर्ष अपने बजट में प्राकृतिक खेती एवं सहकारिता को बढ़ावा देने की बात कही है। साथ ही पीएम मत्‍स्‍य संपदा योजना की एक नई उप-योजना की शुरुआत की जाएगी। साथ ही कृषि के लिए डिजिटल जन-अवसंरचना को एग्री-टेक उद्योग और स्‍टार्टअप्‍स को बढ़ावा देने के लिए प्रावधान किया है। 

जानिए किसानों के लिए क्या खास है इस बजट में

  • सरकार अगले तीन वर्षों में एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रोत्‍साहित करेगी और उनकी सहायता करेगी। इसके लिए राष्‍ट्रीय स्‍तर पर वितरित सूक्ष्‍म उर्वरक और कीट नाशक विनिर्माण नेटवर्क तैयार करते हुए 10,000 बायो-इनपुट रिसोर्स केन्‍द्र स्‍थापित किए जाएंगे।
  • युवा उद्यमी ग्रामीण क्षेत्रों में एग्री-स्‍टार्टअप्‍स शुरू कर सकें, इसके लिए कृषि वर्धक निधि की स्‍थापना की जाएगी।
  • भारत को ‘श्री अन्‍न’ के लिए वैश्विक केन्‍द्र बनाने के उद्देश्‍य से हैदराबाद के भारतीय मोटा अनाज अनुसंधान संस्‍थान को उत्‍कृष्‍टता केन्‍द्र के रूप में बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे यह संस्‍थान सर्वश्रेष्‍ठ कार्यप्रणालियों, अनुसंधान तथा प्रौद्योगिकियों को अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर साझा कर सके।
  • कृषि ऋण के लक्ष्‍य को पशुपालन, डेयरी और मत्‍स्‍य उद्योग को ध्‍यान में रखते हुए 20 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाया जाएगा।
  • पीएम मत्‍स्‍य संपदा योजना की एक नई उप-योजना को 6,000 करोड़ रुपये के लक्षित निवेश के साथ शुरू किया जाएगा, जिसका उद्देश्‍य मछली पालकों, मत्‍स्‍य विक्रेताओं और सूक्ष्‍म तथा लघु उद्योगों को अधिक सक्षम बनाना है। इससे मूल्‍य श्रृंखला दक्षताओं में सुधार लाया जाएगा तथा बाजार तक पहुंच को बढ़ाया जाएगा।
  • कृषि के लिए डिजिटल जन-अवसंरचना को एग्री-टेक उद्योग और स्‍टार्टअप्‍स को बढ़ावा देने के लिए आवश्‍यक सहयोग प्रदान करने और किसान केन्द्रित समाधान उपलब्‍ध कराने के उद्देश्‍य से तैयार किया जाएगा।
  • सरकार ने 2,516 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 63,000 प्राथमिक कृषि ऋण सोसाइटियों (पीएसीएस) के कंप्‍यूटरीकरण कार्य शुरू किया है।
  • व्‍यापक विकेन्‍द्रीकृत भंडारण क्षमता बढ़ाने का प्रावधान किया गया है, जिससे किसानों को अपने उत्‍पादों का सुरक्षित भंडारण करने और उचित समय पर उनकी बिक्री करके लाभकारी मूल्‍य प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।

पाला एवं ओले से 65 फ़ीसदी फसल हुई खराब, सरकार ने दिए विशेष गिरदावरी के निर्देश

ओला वृष्टि एवं पाला से हुए फसल नुकसान का आंकलन

जनवरी महीने में किसानों की फसलों को प्राकृतिक आपदाओं जैसे शीतलहर, पाला, आंधी-बारिश एवं ओला वृष्टि से काफी नुकसान हुआ है। जिसको लेकर राजस्थान सरकार ने ओला वृष्टि, पाला व शीतलहर से रबी फसल में हुए नुकसान का आकलन करने के लिए विशेष गिरदावरी के निर्देश दे दिए हैं। राजस्थान के कृषि मंत्री श्री लालचंद कटारिया ने कहा है कि राज्य सरकार प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।

कृषि मंत्री ने बताया कि प्रदेश के सभी क्षेत्रों में ओलावृष्टि से नुकसान हुआ है। सभी जिला कलक्टर को इस संबंध में तत्काल सर्वे कर विशेष गिरदावरी की रिपोर्ट आपदा प्रबंधन विभाग को भेजने के लिए निर्देशित कर दिया गया है। फसली नुकसान के आकलन के लिए पटवारी मौके पर जाएंगे और कलक्टर को रिपार्ट देंगे।

कौन सी फसल को हुआ कितना नुकसान

कृषि मंत्री ने विधानसभा में जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2022-23 में रबी फसल में 109 लाख 55 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई हुई है। प्रारम्भिक अनुमान के अनुसार गेहूं की फसल के 29 लाख 65 हजार हेक्टेयर बोये गए क्षेत्रफल में से लगभग 42 हजार हेक्टेयर, जौ फसल के 4 लाख 8 हजार हेक्टेयर बोये गए क्षेत्रफल में से 19 हजार हेक्टेयर, चना फसल के 20 लाख 57 हजार हेक्टेयर बोये गए क्षेत्रफल में से 2 लाख 25 हजार हेक्टेयर में 2 से 40 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है।

सरसों व तारामीरा का कुल बोये गए 39 लाख 36 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में से 9 लाख 83 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में 2 से 65 प्रतिशत तक का खराबा हुआ है। इसी तरह सब्जियां एवं उद्यानिकी फसलों के कुल बोये गए 15 लाख 89 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में से 2 लाख 22 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में 2 से 60 प्रतिशत तक खराबा हुआ है।

इन ज़िलों में हुआ सबसे अधिक फसलों को नुकसान

वर्ष 2023 के जनवरी महीने में पाले एवं शीत लहर से कुल बोये गए क्षेत्रफल 109 लाख 55 हजार हेक्टेयर में से लगभग 14 लाख 92 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में 2 से 65 प्रतिशत तक फसल नुकसान होने की सूचनाएं हैं। यह नुकसान प्रमुख रूप से श्रीगंगानगर, हनुमानगढ, चूरू, झुन्झुनूं, जयपुर, जालोर, बीकानेर, चित्तौड़गढ़, सीकर, भरतपुर, पाली, अजमेर, जोधपुर और प्रतापगढ़ में हुआ है।

किसानों को दिया जाएगा मुआवजा

कृषि मंत्री ने बताया कि प्रभावित किसानों को आपदा राहत कोष व प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के मापदण्डों के अनुसार राहत दी जा रही है। उन्होंने जन प्रतिनिधियों से कहा कि फसली नुकसान की सूचना प्राप्त होने पर वे विभाग को सूचित करें, ताकि प्रभावित किसानों को हर स्तर पर सहायता मिल सके। राज्य सरकार प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।

लास्ट डेट: गेहूं एवं अन्य रबी फसलें समर्थन मूल्य पर मंडियों में बेचने के लिए किसान 31 जनवरी तक करें पंजीयन

गेहूं एवं अन्य रबी फसलें MSP पर बेचने के लिए किसान पंजीयन

किसानों को फसलों का उचित मूल्य मिल सके इसके लिए सरकार द्वारा फसलों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP पर की जाती है। समर्थन मूल्य योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को पंजीयन कराना जरुरी होता है, अभी कई राज्य सरकारों के द्वारा रबी फसलों के पंजीयन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। हरियाणा के किसानों को इस योजना का लाभ लेने के लिए 31 जनवरी तक  पंजीयन कराना आवश्यक है।

हरियाणा में किसान अपनी फसलों मंडियों में बेचने के लिए 31 जनवरी तक पंजीयन करा सकते हैं। इस वर्ष राज्य सरकार रबी सीजन 2022-23 में गेहूं, सरसों, चना, सूरजमुखी, दलहन और जौ की ख़रीद की जाएगी। अतः जो किसान इन फसलों को समर्थन मूल्य पर बेचना चाहते हैं वह किसान 31 जनवरी तक अपना पंजीयन ज़रूर करा लें।

किसान कहाँ करें पंजीयन

राज्य के किसानों को अपनी फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP पर बेचने के लिए 31 जनवरी 2023 तक “मेरी फसल मेरा ब्यौरा” fasal.haryana.gov.in पोर्टल पर पंजीकरण अपने नज़दीकी सी.एस.सी. सेंटर के माध्यम से कराना होगा। जिन किसानों का पोर्टल पर पंजीकरण होगा, वही किसान अपनी फसल को बेच पाएँगे और इसके साथ कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं जैसे:-भावांतर भरपाई योजना, मेरा पानी मेरी विरासत, इम्पलिमेंट आदि का लाभ भी किसान ले सकते हैं। 

ई-फसल क्षतिपूर्ति की सूचना देने के लिए भी मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर फसल का पंजीकरण अनिवार्य है। इसलिए राज्य सरकार ने सभी किसानों से अपील की है वे मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर पंजीकरण करवाकर योजनाओं का लाभ उठाएँ।

किसान पंजीयन के लिए क्या–क्या दस्तावेज लगेंगे ? 

किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर पंजीयन मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर ऑनलाइन कर सकते हैं। पंजीयन के समय किसानों के पास निम्न दस्तावेज होना चाहिए :- 

  • आधार कार्ड, 
  • जमीन की जानकारी के लिए नक़ल की कॉपी/खसरा नम्बर/ फारद की कॉपी,
  • फसल का नाम/किस्में/ बुआई का समय,
  •  बैंक पासबुक की कॉपी,  
  • परिवार पहचान पत्र।

क्या है इस वर्ष रबी फसलों का समर्थन मूल्य MSP

सभी राज्यों में किसानों से फसलों की खरीदी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जाती है। इस वर्ष के लिए केंद्र सरकार ने पहले ही गेहूं सहित अन्य रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा कर दी है। जो इस प्रकार है:-

  • गेहूं – 2125 रुपए प्रति क्विंटल
  • जौ – 1735 रुपए प्रति क्विंटल
  • चना – 5335 रुपए प्रति क्विंटल
  • मसूर – 6000 रुपए प्रति क्विंटल
  • रेपसीड/ सरसों – 5450 रुपए प्रति क्विंटल
  • कुसुम – 5650 रुपए प्रति क्विंटल

किसान पंजीयन से सम्बंधित समस्या के समाधान के लिए ज़िला उपायुक्त के तहत गठित ज़िला कष्ट निवारण समिति या सम्बंधित कृषि उपनिदेशक से सम्पर्क कर सकते हैं। इसके अलावा किसान विभाग के टोल फ्री नम्बर 1800-180-2117 पर कॉल कर सकते हैं। 

अभी हुई बारिश एवं ओला वृष्टि से हुए फसल नुकसान का मुआवजा लेने के लिए किसान करें यह काम

फसल नुकसान की भरपाई के लिए किसान क्या करें

देश के उत्तरी राज्यों में अभी कई स्थानों पर तेज हवाओं के साथ बारिश एवं ओला वृष्टि हुई है, जिससे किसानों की खड़ी फसलों को काफी नुकसान हुआ है। ऐसे में जिन किसानों ने अपनी फसलों का बीमा कराया है वह किसान योजना के अंतर्गत भरपाई के लिए 72 घण्टे के अंदर सम्बंधित जिले में कार्यरत बीमा कम्पनी को खराबे की सूचना अवश्य दें ताकि फसल नुकसानी का आंकलन किया जा सके।

इस सम्बंध में अधिक जानकारी देते हुए राजस्थान के कृषि आयुक्त श्री कानाराम ने बताया कि वर्तमान में मौसम की विपरीत परिस्थितियों के कारण किसानों की फसलों में नुकसान हुआ है तो प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अन्तर्गत ओलावृष्टि व जलभराव के कारण बीमित फसल में नुकसान होने पर किसान को व्यक्तिगत आधार पर बीमा आवरण उपलब्ध कराया गया है।

किसान फसल खराबे की जानकारी कहाँ दें?

बीमित फसल को ओलावृष्टि या जलभराव के कारण नुकसान होने पर घटना के 72 घण्टे के भीतर जिले में कार्यरत बीमा कंपनी को सूचना देना आवश्यक है। इसकी सूचना बीमा कंपनी के टोल फ्री नम्बर अथवा क्रोप इंश्योरेंस ऎप के माध्यम से दी जा सकती है। इसके अलावा प्रभावित बीमित किसान जिलों में कार्यरत बीमा कंपनी, कृषि कार्यालय अथवा संबंधित बैंक को भी हानि प्रपत्र भरकर सूचना दे सकते हैं। खराबे की सूचना नहीं देने वाले किसान समय पर सूचना दर्ज कराएं ताकि योजना के प्रावधानों के मुताबिक बीमा लाभ दिया जा सके। 

किसान फसल बीमा कम्पनी के इन टोल फ्री नम्बर पर करें कॉल

राजस्थान राज्य के अलग-अलग ज़िलों में अलग-अलग फसल बीमा कम्पनियों के द्वारा बीमा किया जाता है, ऐसे में किसान अपने ज़िले में कार्य कर रही कम्पनी को फसल नुकसान की सूचना उनके टोल फ्री नम्बर पर दे सकते हैं। बीमा कंपनियों के जिलेवार टोल फ्री नम्बर इस प्रकार हैं:-

  • एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड जिले बांरा, धौलपुर, हनुमानगढ़, बाड़मेर, झुंझुनू, करौली एवं उदयपुर टोल फ्री नंबर 18004196116
  • एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड जिले चूरू, भीलवाड़ा, राजसमंद, दौसा, झालावाड़, श्रीगंगानगर एवं अलवर टोल फ्री नंबर 18002091111
  • रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड जिले बांसवाड़ा, नागौर भरतपुर, जयपुर, पाली एवं प्रतापगढ़ टोल फ्री नंबर 18001024088
  • फ्यूचर जनरली इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड जिले बूंदी, डूंगरपुर जोधपुर टोल फ्री नंबर 1800266 4141
  • बजाज अलायंज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड जिले अजमेर, जालौर, सवाई माधोपुर एवं कोटा टोल फ्री नंबर 18002095959
  • एचडीएफसी एर्गो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड जिले जैसलमेर, सीकर एवं टोंक टोल फ्री नंबर 1800266 0700
  • यूनिवर्सल सोमपो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड जिले बीकानेर,चित्तौड़गढ़ एवं सिरोही टोल फ्री नंबर 18002005142

सब्सिडी पर कृषि यंत्र एवं कस्टम हायरिंग केंद्र की स्थापना के लिए आवेदन करें

कृषि यंत्र एवं कस्टम हायरिंग केंद्र अनुदान हेतु आवेदन

देश में सभी किसानों तक कृषि यंत्रों की पहुँच बनाने के लिए सरकार द्वारा कृषि यंत्रों की खरीद पर सब्सिडी दी जाती हैं। वही ऐसे किसान जो इसके बाद भी कृषि यंत्र नहीं खरीद सकते ऐसे किसानों के लिए ग्रामीण स्तर पर कस्टम हायरिंग केंद्र की स्थापना की जा रही है ताकि किसान यहाँ से किराए पर कृषि यंत्र लेकर उनका उपयोग कर सकें। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के किसानों को कृषि यंत्र, कस्टम हायरिंग केंद्र एवं हाई टेक हब फ़ॉर कस्टम हायरिंग पर अनुदान देने के लिए लक्ष्य जारी किए हैं।

सरकार द्वारा जारी इन लक्ष्यों के विरुद्ध राज्य के इच्छुक किसान ऑनलाइन आवेदन 30 जनवरी 2023 से कर सकते हैं। सरकार ने अलग-अलग मंडल के किसानों के लिए आवेदन कि तिथि अलग-अलग रखी है। प्रत्येक निर्धारित तिथि को मंडलवार बुकिंग दोपहर 12 बजे से प्रारम्भ की जाएगी। जो कि इस प्रकार है:-

  • 30-01-2023 के दिन झाँसी, विंध्याचल एवं लखनऊ मंडल के किसान आवेदन कर सकते हैं,
  • 31-01-2023 के दिन चित्रकूट, प्रयागराज एवं सहारनपुर मंडल के किसान आवेदन कर सकते हैं,
  • 01-02-2023 के दिन मुरादाबाद, आगरा एवं वाराणसी मंडल के किसान आवेदन कर सकते हैं,
  • 02-02-2023 के दिन आजमगढ़, अयोध्या एवं मेरठ मंडल के किसान आवेदन कर सकते हैं,
  • 03-02-2023 के दिन बस्ती, देवीपाटन एवं बरेली मंडल के किसान आवेदन कर सकते हैं,
  • 04-02-2023 के दिन अलीगढ़, कानपुर एवं गोरखपुर के किसान आवेदन कर सकते हैं। 

कृषि यंत्र एवं कस्टम हायरिंग केंद्र पर कितना अनुदान Subsidy दिया जायेगा

राज्य के किसान रोटावेटर, ट्रैक्टर आपरेटेड हार्वेस्टर कम स्ट्रॉकलेक्टर, बैक हो, लोडर डोजर (ट्रैक्टर आपरेटेड), कम्बाइन हार्वेस्टर विथ सुपर एम. एम.एस. थ्रेसिंग फ्लोर, स्मॉल गोदाम, कस्टम हायरिंग सेंटर एवं हाई टेक हब फ़ॉर कस्टम हायरिंग इत्यादि के लिए आवेदन कर सकते हैं। इन पर दिया जाने वाला अनुदान इस प्रकार है:-

कृषि यंत्र पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy

एक किसान परिवार (पति अथवा पत्नी में से कोई एक) को वित्तीय वर्ष में योजना अंतर्गत उपलब्ध कराए जाने कृषि यंत्रों में से अधिकतम किसी दो कृषि यंत्रों हेतु ही अनुदान दिया जाएगा। दो कृषि यंत्रों के अतिरिक्त सम्बंधित को सिवाय ट्रैक्टर माउंटेड स्प्रेयर के अन्य कृषि यंत्र हेतु अनुदान अनुमन्य नहीं होगा। 

एक कृषि यंत्र लेने के लिए अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति लघु तथा सीमांत एवं महिला किसानों को अधिकतम 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। वहीं अन्य किसानों को कृषि यंत्रों की खरीद पर अधिकतम 40 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाएगा।

कस्टम हायरिंग सेंटर पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy

योजना के अंतर्गत कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना के लिए किसान, ग्रामीण उद्यमी, पंजीकृत कृषक सहकारी समिति, कृषक उत्पादक संघ ( एफ.पी.ओ ) एवं पंचायत लाभार्थी होंगे। कस्टम हायरिंग सेंटर हेतु लाभार्थी व्यक्ति को 10 लाख रुपए तक की लागत पर 40 प्रतिशत अधिकतम 4 लाख रुपए अनुदान दिया जाएगा।

हाई टेक हब फ़ॉर कस्टम हायरिंग केंद्र पर दिया जाने वाला Subsidy

योजना के अंतर्गत हाई टेक हब फ़ॉर कस्टम हायरिंग की स्थापना के लिए ग्रामीण उद्यमी, पंजीकृत कृषक सहकारी समिति एवं कृषक उत्पादक संघ (एफ.पी.ओ) आवेदन कर सकते हैं। हाई टेक हब फ़ॉर कस्टम हायरिंग की स्थापना हेतु 1 करोड़ रुपए तक की परियोजना लागत पर 40 प्रतिशत अधिकतम 40 लाख रुपए का अनुदान दिया जाएगा।

किसानों को देना होगा ज़मानत राशि

सरकार ने योजना के अंतर्गत यंत्रों की कीमत के अनुसार ज़मानत राशि तय की है जो किसान ऑनलाइन अथवा ऑफ़लाइन जमा कर सकते हैं। किसानों को 10 हजार रुपये तक के अनुदान वाले कृषि यंत्रों के लिए कोई ज़मानत धनराशि नहीं देना होगा। जबकि 10,001 रुपए से अधिक तथा 1 लाख तक अनुदान वाले कृषि यंत्र हेतु 2,500 रुपए की ज़मानत धनराशि देनी होगी। 1,00,001 रुपए से अधिक अनुदान वाले कृषि यंत्रों/ कस्टम हायरिंग सेंटर/ हाई टेक हब फ़ॉर कस्टम हायरिंग हेतु 5,000 रुपए की ज़मानत धनराशि जमा करना होगा।

ऑनलाइन टोकन जनरेट करने के उपरांत ज़मानत धनराशि ऑनलाइन अथवा ऑफ़लाइन चालान के माध्यम से निर्धारित समय के अंतर्गत नज़दीकी यूनियन बैंक के किसी भी शाखा में निर्धारित ज़मानत धनराशि जमा करनी होगी। ऑनलाइन टोकन धनराशि जमा करने पर बैंक द्वारा निर्धारित सेवा शुल्क भी लाभार्थी द्वारा ही वहन किया जाएगा। निर्धारित तिथि तक टोकन धनराशि नहीं जमा करने पर प्रतीक्षा सूची के अगले लाभार्थी का चयन स्वतः हो जायेगा।

कस्टम हायरिंग केंद्र पर बैंक लोन लेने पर मिलेगा ब्याज अनुदान

जो किसान कस्टम हायरिंग सेंटर/ हाई टेक हब फ़ॉर कस्टम हायरिंग पर ऋण लेते हैं, ऐसे कृषकों तथा एफ.पी.ओ.को ऋण प्राप्त होने पर कृषि अवस्थापना कोष (एग्रीकल्चर इंफ़्रास्ट्रक्चर फंड) तथा आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजना के अंतर्गत लाभार्थी अंश के ऋण पर 6 प्रतिशत ब्याज उपादान का प्रावधान है।

अनुदान पर कृषि यंत्र एवं कस्टम हायरिंग केंद्र के लिए आवेदन कहाँ करें?

किसानों को योजना का लाभ लेने के लिए उत्तर प्रदेश की कृषि विभाग की पारदर्शी किसान सेवा योजना पोर्टल upagriculture.com पर जाकर यंत्र अनुदान हेतु प्री बुकिंग/टोकन जनरेट करना होगा। प्री बुकिंग एवं टोकन जनरेशन के लिए किसान स्वयं या अपने परिवार (ब्लड रिलेशन) का ही मोबाइल नम्बर का उपयोग करें। प्री बुकिंग वाले लाभार्थियों को “आपकी बुकिंग स्वीकार कर ली गई है” का मेसेज आएगा साथ ही टोकन कन्फ़र्म करने का संदेश भी मोबाइल पर भेजा जाएगा। योजना के निर्धारित लक्ष्यों के 100 प्रतिशत तक की बुकिंग प्रतीक्षा सूची भी तैयार की जाएगी।

कृषि यंत्र अनुदान पर लेने के लिए किसान इन बातों का रखें ध्यान

  • किसान भाई upyantratracking.in पोर्टल पर उपलब्ध निर्माता कम्पनी/अधिकृत विक्रेताओं से ही अनिवार्य रूप से कृषि यंत्र ख़रीदें।
  • कृषक द्वारा अनुदान पर खरीदे गए कृषि यंत्र को 05 वर्षों तक गिरवी रखने/नहीं बेचने का शपथ-पत्र जनपदीय उप कृषि निदेशक कार्यालय को उपलब्ध कराना होगा। 
  • कृषि यंत्र खरीदने के पहले किसान यह सुनिश्चित कर लें कि कृषि यंत्र पर लेजर कटिंग/उभरा हुआ सीरियल नम्बर अवश्य अंकित हो, यंत्र पर ऐसा नहीं होने पर अनुदान देय नहीं होगा।

सब्सिडी पर कृषि यंत्र एवं कस्टम हायरिंग केंद्र के लिए आवेदन करने हेतु क्लिक करें

सरकार ने देशी गाय पालने वालों के लिए शुरू की नई पुरस्कार योजना, जीतने वाले को मिलेगा 2 लाख रुपए का ईनाम

देशी गाय पालन के लिए नई पुरस्कार योजना

देश में देशी गाय की महत्ता को देखते हुए उनका संरक्षण एवं नस्ल सुधार आदि कार्य किए जा रहे हैं ताकि दुग्ध उत्पादन बढ़ाकर किसानों की आमदनी को बढ़ाया जा सके। इसके लिए सरकार द्वारा किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए कई नई योजनाओं की शुरुआत की गई है। इस कड़ी में मध्य प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री पशुपालन विकास योजना में “प्रदेश की मूल गौ-वंशीय नस्ल एवं भारतीय उन्नत नस्ल की दुधारू गायों के लिये पुरस्कार योजना” लागू की है।

देश-प्रदेश की देशी नस्लों के गौपालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई योजना में 1 से 15 फरवरी तक प्रदेश की मूल और भारतीय उन्नत नस्ल की गायों की प्रतियोगिताएँ होंगी। इसमें 201 जिला स्तरीय पुरस्कार दिये जायेंगे, जो 45 मध्यप्रदेश के मूल गौवंशीय और 156 भारतीय उन्नत नस्ल की गायों के लिए होंगे। इसके अलावा 6 राज्य स्तरीय पुरस्कार भी दिये जाएँगे।

सभी ज़िलों में आयोजित की जाएँगी प्रतियोगिता

इस नई योजना में मध्य प्रदेश की मूल गौवंशीय और भारतीय उन्नत नस्ल की दुधारू गायों को शामिल किया गया है। जिनके लिए अलग-अलग प्रतियोगिता की जाएगी। प्रदेश की मूल गौवंशीय और भारतीय उन्नत नस्ल की दुधारू गायों की प्रतियोगिता जिलों में अलग-अलग की जायेंगी। भारतीय उन्नत नस्ल गाय प्रतियोगिता सभी 52 जिलों में होगी। अधिक दूध देने वाली गायों के पशुपालकों को पुरस्कार दिया जायेगा। 

मध्य प्रदेश की मूल गोवंश के लिए इन ज़िलों में होगी प्रतियोगिता

योजना के अंतर्गत मध्य प्रदेश की मूल गोवंश एवं भारतीय उन्नत नस्ल की दुधारू नस्लों को शामिल किया गया है। जिसमें मध्य प्रदेश की मूल गौवंशीय नस्ल प्रतियोगिता 15 जिलों आगर-मालवा, शाजापुर, राजगढ़, उज्जैन, इंदौर, खंडवा, खरगोन, बुरहानपुर, बड़वानी, धार, दमोह, पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर और निवाड़ी में की जायेगी। प्रदेश की मूल गौवंशी नस्ल-मालवी, निवाड़ी और केनकथा नस्ल गाय का प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन 4 लीटर या अधिक और भारतीय गाय का 6 लीटर या उससे अधिक होना चाहिए। इस प्रतियोगिता में भी ज़िला स्तर एवं राज्य स्तर पर प्रथक पुरस्कार दिए जाएँगे।

कितना पुरस्कार दिया जाएगा?

दोनों प्रकार की गायों में जितने वालों ज़िला स्तर पर एवं प्रादेशिक स्तर पर पुरस्कार दिए जाने का प्रावधान किया गया है। जिसमें दोनों प्रतियोगिताओं में जिला स्तरीय प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार क्रमश: 51 हजार, 21 हजार और 11 हजार रूपये दिया जाएगा । इसी तरह राज्य स्तरीय पुरस्कार भी क्रमश: 2 लाख, 1 लाख और 50 हजार रूपये का होगा। तीनों पुरस्कार के अलावा शेष प्रतियोगी गायों को प्रमाण-पत्र प्रदान दिए जाएँगे।

मालवी नस्ल की गाय के लिए इन जिलों में आयोजित की जाएगी प्रतियोगिता

मध्य प्रदेश की मूल गोवंश में मालवी, निवाड़ी और केनकथा नस्ल की गाय को शामिल किया गया है। मालवी नस्ल की गायों की प्रतियोगिता जिला आगर-मालवा, शाजापुर, राजगढ़, उज्जैन और इंदौर, निमाड़ी नस्ल की जिला खंडवा, खरगोन, बुरहानपुर, बड़वानी, धार और केनकथा नस्ल की जिला दमोह, पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर और निवाड़ी जिले में होगी।

किसान कैसे लें प्रतियोगिता में भाग

प्रदेश की मूल गौवंशीय और भारतीय उन्नत नस्ल की दुधारू गायों की प्रतियोगिता जिलों में अलग-अलग की जायेंगी। इसके लिए मध्य प्रदेश के सभी 52 जिलों के किसान भाग ले सकते हैं। प्रतियोगिता के लिए सभी जिलों के विकासखंडों से पशुपालन विभागीय अमला भाग लेने के इच्छुक एवं पात्र पशुपालकों से आवेदन प्राप्त कर जिला स्तर पर उप संचालक पशु चिकित्सा सेवाएँ को प्रस्तुत करना होगा। अधिक जानकारी के लिए किसान अपने यहाँ के सरकारी पशु चिकित्सालय या ज़िले के पशु पालन विभाग में सम्पर्क कर सकते हैं। 

मौसम चेतावनी: 29 से 31 जनवरी के दौरान इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

29 से 31 जनवरी के लिए मौसम पूर्वानुमान

उत्तर भारत समेत देश के कई राज्यों में एक बार फिर मौसम करवट बदलने वाला है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग IMD के अनुसार एक नया पश्चिमी विक्षोभ 28 जनवरी से उत्तर पश्चिम WD भारत में दस्तक देने वाला है। जिसकी वजह से उत्तर भारतीय राज्यों में कई स्थानों पर 29 से 30 जनवरी के दौरान आंधी-बारिश के साथ ही कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि भी हो सकती है। 

मौसम विभाग की माने तो पश्चिमी हिमलायी क्षेत्र में इस दौरान वर्फवारी हो सकती है तो वहीं 29 से 30 जनवरी के दौरान हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश, राजस्थान एवं मध्य प्रदेश के कई जिलों में तेज हवाओं के साथ हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है। वहीं शेष उत्तर भारतीय राज्यों में इस दौरान मौसम शुष्क रहने का अनुमान है।

राजस्थान के इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

भारतीय मौसम विभाग के जयपुर केंद्र के द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार 28 से 29 जनवरी के दौरान अजमेर, अलवर, बाँसवाड़ा, बारां, भरतपुर, भीलवाड़ा, बूंदी, चित्तौरगढ़, दौसा, धौलपुर, डूंगरपुर, जयपुर, झालावाड़, झुंझुंनू, करौली, कोटा, प्रतापगढ़, राजसमंद, सवाईमाधोपुर, सीकर, सिरोही, टोंक, उदयपुर, बाड़मेर, बीकानेर, चूरु, हनुमानगढ़, जलौर, जोधपुर, नागौर, पाली एवं श्रीगंगानगर ज़िलों में कहीं-कहीं कुछ स्थानों पर तेज आंधी के साथ हल्की से मध्यम वर्षा एवं कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि होने की संभावना है।

मध्यप्रदेश के इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

भारतीय मौसम विभाग के भोपाल केंद्र के द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार 29 एवं 30 जनवरी के दौरान मध्यप्रदेश के भोपाल, रायसेन, सिहोर, विदिशा, राजगढ़, नर्मदापुरम, बैतूल, रतलाम, उज्जैन, देवास, शाजापुर, मंदसौर, नीमच, गुना, अशोक नगर, शिवपुरी, ग्वालियर, दतिया, भिंड, मुरैना, शयोपुर कला जिलों में एवं 30-31 जनवरी के दौरान रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली, पन्ना, दमोह, सागर, छतरपुर, टीकमगढ़ एवं निवाड़ी ज़िलों में कहीं-कहीं कुछ स्थानों पर तेज हवाओं के साथ हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है।

उत्तर प्रदेश के इन ज़िलों में हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि 

भारतीय मौसम विभाग के लखनऊ केंद्र के द्वारा जारी पूर्वानुमान के अनुसार 29 से 30 जनवरी के दौरान आगरा, मथुरा, मैनपुरी, फ़िरोज़ाबाद, अलीगढ़, एटा, हाथरस, कासगंज, अयोध्या, अमेठी, बरेली, बंदायू, पीलभीत, शाहजहांपुर, चित्रकूट, बाँदा, हमीरपुर, महोबा, बहराइच, गोंडा, बाराबंकी, श्रावस्ती, झाँसी, जालौन, ललितपुर, कानपुर नगर, कानपुर देहात, इटावा, औरैया, कन्नौज, फ़र्रुखाबाद, लखनऊ, लखीमपुर खीरी, हरदोई, रायबरेली, सीतापुर, मेरठ, बागपत, बुलंदशहर, गौतम बुद्ध नगर, ग़ाज़ियाबाद, हापुड़, मुरादाबाद, मिर्ज़ापुर, भदोही, रामपुर, अमरोहा, संभल, प्रयागराज, फ़तेहपुर, कौशाम्बी, प्रतापगढ़, सहारनपुर, मुज्जफरनगर, जौनपुर एवं शामली ज़िलों में कहीं-कहीं कुछ स्थानों पर तेज हवा आंधी के साथ हल्की से मध्यम वर्षा एवं कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि होने की संभावना है।

पंजाब एवं हरियाणा राज्य के इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि  

भारतीय मौसम विभाग चंडीगढ़ केंद्र के द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार 29 से 30 जनवरी के दौरान पठानकोट, गुरदासपुर, अमृतसर, तरन-तारण, होशियारपुर, नवांशहर, कपूरथला, जालंधर, फिरोजपुर, फाजिल्का, फरीदकोट, मुक्तसर, मोगा, भटिंडा, लुधियाना, बरनाला, मनसा, संगरूर, फतेहगढ़ साहिब, रूपनगर, पटियाला एवं सास नगर जिलों में अधिकांश स्थानों पर गरज-चमक के साथ बारिश एवं कहीं-कहीं ओलावृष्टि होने की सम्भावना है। 

वहीँ हरियाणा राज्य में 29 से 30 जनवरी के दौरान चंडीगढ़, पंचकुला, अम्बाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, कैथल, करनाल, महेंद्र गढ़, रेवारी, झज्जर, गुरुग्राम, मेवात, पलवल, फरीदाबाद, रोहतक, सोनीपत, पानीपत, सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, जींद, भिवानी एवं चरखी दादरी जिलों में अधिकांश स्थानों पर गरज-चमक के साथ बारिश एवं कहीं-कहीं ओलावृष्टि होने की सम्भावना है।

किसानों को फल फसलों का मिलेगा अच्छा भाव, फलों का निर्यात बढ़ाने के लिए किया जाएगा किसान पंजीयन

फलों का निर्यात के लिए किसान पंजीयन

देश में किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा बागवानी फसलों जैसे फल, फूल, सब्जी आदि को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए सरकार द्वारा किसानों की उपज को सीधे बाजार में पहुँचाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इसमें बागवानी फसलों का दूसरे देशों को निर्यात करना भी शामिल है। कृषि उत्पादों के निर्यात के लिए किसानों का एपीडा में पंजीकरण होना आवश्यक है।

इसके लिए राजस्थान कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री दिनेश कुमार ने फलों के निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों का कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) में रजिस्ट्रेशन कराने के निर्देश दिए हैं। यह बात उन्होंने सचिवालय में किन्नू, संतरा, अनार और अमरूद के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए आयोजित वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान कही।

हर महीने किया जाएगा 50 किसानों का पंजीयन

प्रमुख शासन सचिव ने कहा कि जालौर, बाड़मेर, सिरोही और झालावाड़ से 50-50 किसानों का रजिस्ट्रेशन एक महीने में किया जाए जिससे एक साल में इन जिलों से दो-दो कंसाइनमेंट एक्सपोर्ट हो सके। इन किसानों को बायर-सेलर्स मीट में आमंत्रित करने को कहा ताकि यह अधिक उपज एवं कीमत ले सकें।

इन फलों के निर्यात के लिए किया जाएगा पंजीयन

एपीडा रीजनल हेड श्री हरप्रीत सिंह ने कहा कि राजस्थान में किन्नू, संतरा, अनार एवं अमरूद के निर्यात को बढ़ावा दिया जाए जिससे कृषकों की आमदनी में वृद्धि हो। इसके लिए निर्यातक देशों की कंडीशन के अनुसार फार्म और किसानों का रजिस्ट्रेशन किए जाए। रजिस्ट्रेशन में फसल बुवाई, फ्लोरिंग एवं कटाई के समय फसल की स्थिति का रिकॉर्ड रहता है, जिससे यह पता चल जाता है कि फसल निर्यात योग्य गुणवत्ता वाली है या नहीं।

अनार का निर्यात पूरे देश में 688 करोड़ रुपए का है जिसमें राजस्थान का हिस्सा लगभग नगण्य है। उन्होंने बताया कि फलों के उत्पादन को बढ़ावा देकर निर्यात द्वारा कृषकों को अच्छा भाव दिलवाया जा सकेगा। इसके लिए उन्होंने जयपुर में एपीडा का स्थानीय ऑफिस खोलने की भी इच्छा जाहिर की।

इसलिए हो रही है अफीम की फसल खराब, कृषि वैज्ञानिकों ने बचाव के लिए दी यह सलाह

अफीम की खेती करने वाले किसानों को लिए सलाह

राजस्थान एवं मध्यप्रदेश के कई जिलों में अफीम की खेती की जाती है। इस समय कई स्थानों से अफीम की फसल खराब होने की सूचना मिल रही है ऐसे में चित्तौड़गढ़ ज़िले के कृषि (विस्तार) अधिकारियों एवं वैज्ञानिको की संयुक्त टीम ने पंचायत समिति भदेसर के सोनियाणा, रेवलिया कला, दौलतपुरा, सुरपुर, पीपलवास, मुरलिया आदि गांवों का दौरा कर अफ़ीम की फसल में खराबे की जांच की। जांच में रसायनों के अधिक इस्तेमाल से अफीम की फसल में खराबे की बात सामने आई हैं।

उप निदेशक कृषि (आईपीएम) ओम प्रकाश शर्मा ने बताया कि अफीम एक नकदी फसल होने से किसानों में भ्रांति है कि रसायनों के ज्यादा उपयोग करने से अफीम फसल में दूध की मात्रा बढ़ेगी एवं उत्पादन ज्यादा होगा इस हेतु बिना जानकारी लिए अत्याधिक कीटनाशक रसायनों एवं रसायनिक उर्वरकों का प्रयोग करते है जो हानिकारक है। विभाग ने किसानों को अपने क्षेत्र में कार्यरत कृषि कार्मिको से सम्पर्क कर कीटनाशक रसायनों का छिड़काव करने की सलाह दी हैं।

कृषि अधिकारियों एवं वैज्ञानिकों ने दी यह जानकारी

कृषि खण्ड भीलवाडा एवं कृषि महाविद्यालय भीलवाड़ा के पूर्व डीन डॉ. किशन जीनगर ने बताया कि कृषकों ने पौधों की बढ़वार के लिए जिब्रेलिक एसिटिक एसिड एवं नेफथेलिन एसिटिक एसिड का बिना सलाह के उपयोग किया गया जो कि अफीम की फसल के लिए घातक सिद्ध हुआ हैं। किसानों से वार्ता करने के पश्चात् भ्रमण दल के संज्ञान में आया कि निम्बाहेडा में स्थित ई-किसान आदान विक्रेता द्वारा क्षेत्र के कई किसानों को गुमराह करते हुए अफीम की फसल में दूध की मात्रा बढ़ने एवं अफीम फसल अच्छी होने की बात कहते हुए अत्यधिक मात्रा में पौध बढ़वार रसायनों का उपयोग करने हेतु विक्रय किया गया

अतिरिक्त निदेशक कृषि (विस्तार) भीलवाड़ा कार्यालय के दिलीप सिंह, सहायक निदेशक (पौध संरक्षण) ने बताया कि कृषि आदान लेते समय विक्रेता से पक्का बिल अवश्य लें ताकि फसल खराब होने की स्थिति में कृषि आदान विक्रेता पर नियमानुसार कार्यवाही की जा सके।

अफ़ीम में होने वाले रोग एवं उसके उपचार 

बारनी कृषि अनुसंधान केन्द्र आरजिया भीलवाडा के पौध व्याधि वैज्ञानिक डॉ. ललित छाता ने बताया कि अफीम फसल मुख्य रूप में डाउनी मिल्ड्यू (काली मस्सी) पाउडरी मिल्ड्यू, जड़ गलन, डोडा सडन एवं तना सड़न आदि रोग आते है तथा समय पर पता लगने पर इनका उपचार संभव है। डॉ. छाता ने जड़ गलन, तना सड़न एवं डाउनी मिल्ड्यू (काली मस्सी) के प्रकोप होने पर रिडोमिल एम जेड तथा डोडा लट एवं अन्य कीट आने का स्थिति में प्रोफेनोफॉस या मोनोक्रोटोफॉस आदि का छिड़काव कृषि कर्मियों से सलाह लेकर किया जा सकता हैं।

गन्ने के भाव में की गई 10 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी, अब किसानों को मिलेगा गन्ने का यह भाव

गन्ने के मूल्य में की गई वृद्धि

पिछले कुछ दिनों से हरियाणा के किसान गन्ना के मूल्य में वृद्धि की मांग को लेकर आन्दोलन कर रहे हैं, उनका मानना है की मौजूदा गन्ने के भाव से उसकी लागत की भरपाई नहीं हो पा रही है। किसानों के इस आंदोलन के चलते चीनी मिल बंद पड़ी हैं क्योंकि गन्ना किसान अपने गन्ने लेकर चीनी मिल नहीं जा रहे हैं। जिसको देखते हुए हरियाणा सरकार ने गन्ने के मूल्य में 10 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की घोषणा कर दी है।

गन्ने के मूल्य निर्धारण के लिए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री जेपी दलाल की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की थी, जिसने गन्ना किसान की मांगों पर विचार करने के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपी। समिति ने किसानों, सहकारी विभाग, निजी मिलों और विशेषज्ञों के साथ कई बैठकें की हैं और अन्य महत्वपूर्ण सिफारिशों के साथ गन्ने के मूल्य में बढ़ोतरी की सिफारिश की।

अब किसानों को गन्ने का यह मूल्य मिलेगा

राज्य के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने गन्ना किसानों के हित में गन्ने के मूल्य में 10 रूपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की घोषणा कर दी है। 10 रूपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी के कारण राज्य में गन्ने का मूल्य 362 रूपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 372 रूपये प्रति क्विंटल हो गया है। इस वृद्धि के साथ ही मुख्यमंत्री ने किसानों से गन्ना लेकर चीनी मिल जाने का आह्वान किया है।

किसानों की माँग है की गन्ने के मूल्य में और अधिक वृद्धि की जाए। इस पर राज्य के मुख्यमंत्री ने बताया है कि चीनी की मौजूदा कीमत उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ी है, फिर भी हम चीनी की कीमत की तुलना में गन्ना किसानों को अधिक कीमत दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि चीनी मिले लगातार घाटे में चल रही है, लेकिन फिर भी हमने समय – समय पर किसानों के हितों की रक्षा की है।

घाटे में चल रहीं है चीनी मिलें

राज्य के मुख्यमंत्री ने बताया है कि राज्य की चीनी मीलों पर 5293 करोड़ रूपये का घाटा है। चीनी उत्पादन की औसत लागत 4341 रूपये प्रति क्विंटल है, जोकि चीनी के विक्रय मूल्य यानि 3400 रूपये प्रति क्विंटल से अधिक है । सहकारी चीनी मीलों को 1005 करोड़ रूपये का ऋण दिया गया है। वित्तीय सहायता के रूप में पिछले दो वर्षों (2020-21 और 2021-22) में सभी सहकारी और निजी चीनी मीलों को 329 करोड़ रूपये की राशि सब्सिडी के रूप में दी गई है।

गन्ना किसानों को समय पर हो रहा भुगतान 

गन्ना किसानों की बड़ी समस्या भुगतान को लेकर रहती है। चीनी मीलों के द्वारा गन्ना खरीदी के बावजूद भी किसानों को भुगतान में महीनों लग जाता है। हरियाणा के मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्ष 2020–21 में 2628 करोड़ रूपये का भुगतान किया गया है और इस वर्ष को कोई भी बकाया नहीं है। इसी प्रकार वर्ष 2021–22 में केवल 17.94 करोड़ रूपये नारायणगढ़ चीनी मिल के पीडीसी को छोड़कर 2727.29 करोड़ रूपये का भुगतान किया गया है। उन्होंने कहा कि सहकारी चीनी मीलों को निर्देश दिए हुए हैं कि एक सप्ताह के भीतर किसानों को भुगतान किया जाए।

गन्ने उत्पादन की लागत में हुई है वृद्धि

किसानों के द्वारा की जा रही मांगों को लेकर राज्य के कृषि मंत्री जे.पी. दलाल की अध्यक्षता में एक कमिटी का गठन किया गया था। यह कमिटी ने राज्य के मुख्यमंत्री को रिपोर्ट में बताया कि सिफारिशों के अनुसार, कृषि विभाग के आकलन के अनुरुप लागत, श्रम शुल्क आदि की लागत में बढ़ोतरी के कारण खेती की लागत में वृद्धि हुई है। समिति ने इन मुद्दों जैसे वित्तीय व्यवहार्यता की बाधाओं, सहकारी चीनी मिलों को भारी वित्तीय नुकसान पर विस्तार से विचार-विमर्श किया। समिति का विचार था कि भारी वित्तीय नुकसान के बावजूद गन्ने के राज्य परामर्शित मूल्य (एसएपी) को बढ़ाया जा सकता है।