17 अक्टूबर के दिन प्रधानमंत्री किसानों को जारी करेंगे 16,000 करोड़ रुपये की पीएम-किसान सम्मान निधि

0

पीएम-किसान सम्मान निधि किस्त

देश में किसानों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए “प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना” चलाई जा रही है।इस योजना के तहत पात्र किसान परिवारों को प्रत्‍येक चार माह के अंतराल पर 2000 रुपये की तीन समान किश्तों में प्रति वर्ष 6000 रुपए का लाभ प्रदान किया जाता है। योजना के तहत अभी तक लाभार्थी किसानों को 11 किस्तें जारी की जा चुकी है। योजना की अगली किस्त यानी 12वीं किस्त 17 अक्टूबर को जारी की जाएगी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी 17 अक्टूबर को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली में लगभग 11:30 बजे दो दिवसीय कार्यक्रम “पीएम किसान सम्मान सम्मेलन 2022” का उद्घाटन करेंगे।

यह आयोजन देश भर के 13,500 से अधिक किसानों और 1500 एग्रीस्टार्टअप को एक साथ लाएगा। इस कार्यक्रम में 1 करोड़ से अधिक किसान वर्चुअल रूप से भाग लेंगे जिसमें 700 कृषि विज्ञान केंद्र, 75 आईसीएआर संस्थान, 75 राज्य कृषि विश्वविद्यालय, 600 पीएम किसान केंद्र, 50,000 प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां और 2 लाख सामुदायिक सेवा केंद्र (सीएससी) जैसे विभिन्न संस्थान शामिल हैं।

आयोजन के दौरान किसानों को जारी की जाएगी 12वीं किस्‍त

पीएम किसान सम्मान सम्मेलन 2022 के आयोजन के दौरान प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) के तहत प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से 16,000 करोड़ रुपये की 12वीं किस्‍त जारी करेंगे। इस योजना के तहत पात्र किसान परिवारों को दो-दो हजार रुपये की तीन समान किस्‍तों में 6000 रुपये प्रतिवर्ष का लाभ उपलब्‍ध कराया जाता है। अभी तक पात्र किसान परिवारों को पीएम-किसान के योजना के तहत 2 लाख करोड़ रूपये से अधिक का लाभ प्राप्‍त हो चुका है।

एक राष्ट्र एक उर्वरक योजना भी होगी शुरू

इस आयोजन के दौरान प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना- एक राष्ट्र एक उर्वरक का भी शुभारंभ करेंगे। भारत सरकार उर्वरक कंपनियों के लिए ब्रांड नाम “भारत” के तहत उनकी वस्‍तुओं का विपणन करना अनिवार्य कर रही है ताकि देश भर में उर्वरक ब्रांडों का मानकीकरण किया जा सके, भले ही कोई भी कंपनी इसे बनाती हो। यह “भारत यूरिया, भारत डीएपी, भारत एमओपी, और भारत एनपीके हो सकता है। सभी उर्वरकों के लिए एकल ब्रांड ‘भारत’ के विकास से उर्वरकों की बेतरतीब आवाजाही कम हो जाएगी जो उच्च माल ढुलाई सब्सिडी का कारण है। पीएम एग्री-स्टार्टअप कॉन्क्लेव और किसान सम्मेलन, 2022 के भाग के रूप में माननीय प्रधानमंत्री इस कार्यक्रम के दौरान “भारत यूरिया बैग” लॉन्च करेंगे।

1 नवम्बर से शुरू होगी मूंग, उड़द, सोयाबीन एवं मूंगफली की खरीद, किसान इस दिन से करा सकेंगे ऑनलाइन पंजीयन

मूंग, उड़द, सोयाबीन एवं मूंगफली समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए किसान पंजीयन

खरीफ फसलों की कटाई के साथ ही सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर इन फसलों की खरीद शुरू कर दी जाती है। इस कड़ी में राजस्थान सरकार ने राज्य में मूंग, उड़द, सोयाबीन एवं मूंगफली की उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP पर खरीदने का निर्णय लिया है। सरकार ने इसके लिए किसान पंजीयन एवं मंडियों में खरीद के लिए तारीखों का भी ऐलान कर दिया है। सरकार द्वारा घोषित तारीखों के अनुसार राज्य में 879 खरीद केन्द्रों पर मूंग, उड़द एवं सोयाबीन की 1 नवम्बर से तथा 18 नवम्बर से मूंगफली खरीद की जाएगी।

राजस्थान के सहकारिता मंत्री श्री उदय लाल आंजना ने बताया कि प्रदेश में राजफैड द्वारा समर्थन मूल्य पर मूंग, उड़द, सोयाबीन एवं मूंगफली की खरीद के लिये ऑनलाइन पंजीकरण गुरूवार, 27 अक्टूबर से शुरू किया जाएगा। जिसमें 879 खरीद केन्द्रों पर मूंग, उड़द एवं सोयाबीन की 1 नवम्बर से तथा 18 नवम्बर से मूंगफली खरीद की जाएगी।

ऑनलाइन होंगे उपज बेचने के लिए किसान पंजीयन 

किसानों को किसी प्रकार की असुविधा नहीं हो इसके लिए ऑनलाइन पंजीकरण की व्यवस्था ई-मित्र एवं खरीद केन्द्रों पर प्रातः 9 बजे से सायं 7 बजे तक की गई है। किसान समर्थन मूल्य पर मूंग, उड़द, सोयाबीन एवं मूंगफली की खरीद के लिये ऑनलाइन पंजीकरण गुरूवार, 27 अक्टूबर से करा सकते हैं। किसान एक जनआधार कार्ड में अंकित नाम में से जिसके नाम गिरदावरी होगी उसके नाम से एक पंजीयन करवा सकेंगे। किसान इस बात का विशेष ध्यान रखे कि जिस तहसील में कृषि भूमि है उसी तहसील के कार्यक्षेत्र वाले खरीद केन्द्र पर उपज बेचान हेतु पंजीकरण कराएँ। दूसरी तहसील में पंजीकरण मान्य नही होगा।

उपज बेचान के लिए पंजीयन हेतु आवश्यक दस्तावेज

किसान अपनी उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए ई-मित्र केंद्र एवं खरीद केंद्र पर जाकर अपना पंजीयन करा सकते हैं। इसके लिए किसानों निम्न दस्तावेज अपने साथ लेकर जाना होगा:-

  • जनआधार कार्ड नम्बर, 
  • खसरा गिरदावरी की प्रति 
  • बैंक पासबुक की प्रति
  • पंजीकृत मोबाइल नम्बर (जन आधार कार्ड से लिंक)

किसानों को यह दस्तावेज पंजीयन फार्म के साथ अपलोड करने होंगे। जिस किसान द्वारा बिना गिरदावरी के अपना पंजीयन करवाया जायेगा, उसका पंजीयन समर्थन मूल्य पर खरीद के लिये मान्य नहीं होगा। ई-मित्र केन्द्र भी समर्थन मूल्य योजना मे किसानों का पंजीयन पूर्ण सावधानी से करें और तहसील से बाहर पंजीयन नही करें।

इस भाव पर की जाएगी मूंग, उड़द, सोयाबीन एवं मूंगफली की खरीद

भारत सरकार द्वारा राजस्थान में समर्थन मूल्य पर मूंग का खरीद का लक्ष्य 3 लाख 2 हजार 745 मीट्रिक टन, उडद का 62 हजार 508 मीट्रिक टन, मूंगफली का 4 लाख 65 हजार 565 मीट्रिक टन तथा सोयाबीन का 3 लाख 61 हजार 790 मीट्रिक टन खरीद का लक्ष्य दिया गया है। जिसमें सरकार द्वारा एफ.ए.क्यू श्रेणी के लिए घोषित मूंग का समर्थन मूल्य 7 हजार 755 रूपये, उडद का 6 हजार 600, मूंगफली का 5 हजार 850 एवं सोयाबीन का 4 हजार 300 रूपये प्रति क्विंटल है, जिस पर ही खरीद केंद्रों पर खरीद की जाएगी।

879 खरीद केंद्रों पर किसान बेच सकेंगे अपनी उपज

सहकारिता मंत्री ने बताया कि 879 खरीद केन्द्रों पर मूंग, उड़द, मूँगफली एवं सोयाबीन की खरीद की जाएगी। जिसमें मूंग के लिए 363 उड़द के लिए 166 मूंगफली के 267 एवं सोयबीन के लिए 83 खरीद केन्द्र खोले गए हैं। जिसमें से 419 केन्द्र क्रय-विक्रय सहकारी समितियों पर तथा 460 ग्राम सेवा सहकारी समितियों पर बनाए गए है।

किसान पंजीयन कराते समय यह सुनिश्चित कर ले कि पंजीकृत मोबाईल नम्बर से जनआधार कार्ड लिंक हो जिससे समय पर तुलाई दिनांक की सूचना मिल सके। किसान प्रचलित बैंक खाता संख्या सही दे ताकि ऑनलाइन भुगतान के समय किसी प्रकार की परेशानी न हो। किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए 27 अक्टूबर से हेल्प लाइन नम्बर 1800-180-6001 आरम्भ कर दिया जाएगा।

भावांतर भरपाई योजना के तहत किसानों को बाजरा की खरीद पर किया जायेगा 450 रुपए प्रति क्विंटल का भुगतान

बाजरा की खरीद पर किसानों को भावांतर का भुगतान

खरीफ फसलों की कटाई के साथ ही कई राज्य सरकारों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP पर इनकी खरीदी भी शुरू कर दी गई है। इस कड़ी में हरियाणा सरकार ने बाजरा की खरीद शुरू कर दी है। सरकार ने इस वर्ष बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2350 घोषित किया है परंतु मंडियों में बाजरे की खरीद 1850 से 1900 रुपये प्रति क्विंटल पर हो रही है। ऐसे में किसानों को काफी नुकसान हो रहा है, जिसे देखते हुए सरकार ने किसानों को होने वाले इस नुकसान की भरपाई के लिए भावांतर भरपाई योजना की शुरुआत करने की घोषणा की है।

हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर ने घोषणा करते हुए कहा कि किसानों को किसी भी प्रकार का नुकसान न हो इसके लिए सरकार इसकी भरपाई भावांतर योजना के तहत करेगी। राज्य सरकार भावांतर भरपाई योजना के तहत किसानों को 450 रुपये का भुगतान करेगी।

अभी तक हुई 59,414 मीट्रिक टन बाजरे की खरीद

मुख्यमंत्री ने कहा कि हैफेड द्वारा भी बाजरे की खरीद की जा रही है। मंडियों में व्यवस्था ठीक है और खरीद सुचारू रूप से चल रही है। मौसम खराब होने की वजह से फसल खरीद में थोड़ी-बहुत दिक्कतें आई। इस कारण किसान अपनी फसल मंडियों में जल्दी लेकर आ गये। 10 अक्तूबर, 2022 तक प्रदेश में 59,414 मीट्रिक टन बाजरे की खरीद हुई है।

किसान एप पर देख सकेंगे मंडियों में खरीदी सम्बंधित जानकारी

सरकार ने किसानों की सुविधा के लिए ई-खरीद हरियाणा मोबाइल एप लॉन्च की है। इसमें किसानों को पंजीकृत फसलों की संख्या, गेट पास और खरीद के लिए लायी जा सकने वाली फसल की मात्रा के बारे में वास्तविक जानकारी मिल रही है। कोई भी किसान मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर पंजीकृत अपने मोबाइल नंबर दर्ज करके ये विवरण प्राप्त कर सकता है। इस एप पर किसान अपनी शिकायत भी दर्ज करवा सकते हैं।

इसके अलावा, इस ऐप के माध्यम से किसान तुरंत कहीं भी, कभी भी जे-फॉर्म डाउनलोड कर सकते हैं। वह भुगतान की स्थिति भी देख सकते हैं। किसानों की मदद के लिए एक टोल फ्री नंबर भी साझा किया गया है। ऐप में जिला-विशिष्ट सूचनाएं भेजने की सुविधा भी है।

अब अकृषि कार्यों के लिए भी मिलेगा बिना किसी ब्याज के लोन

अकृषि कार्यों के लिए ब्याज मुक्त ऋण

अभी तक किसानों को राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित विभिन्न योजनाओं के माध्यम से कृषि कार्यों के लिए सहकारी एवं क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक से बिना किसी ब्याज के फसली ऋण उपलब्ध कराया जाता है जो मुख्यतः कृषि आदानों की खरीद जैसे खाद-बीज, रासायनिक दवाओं आदि के लिए होता है। इस कड़ी में अब राजस्थान सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र के परिवारों के लिए “राजस्थान ग्रामीण परिवार आजीविका ऋण योजना लागू की है। इस नई योजना में वर्ष 2022-23 में एक लाख परिवारों को अकृषि कार्यों के लिए 2 हजार करोड़ रूपये का ब्याज मुक्त ऋण दिए जाने का लक्ष्य रखा गया है।

राजस्थान के सहकारिता मंत्री श्री उदय लाल आंजना ने जानकारी देते हुए बताया कि यह ऋण वाणिज्यिक बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों एवं स्माल फाईनेन्स बैंकों के माध्यम से मिलेगा। राज्य सरकार इस प्रकार के ऋणों के लिए 100 करोड रूपये का ब्याज अनुदान देगी। योजना का लाभ राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्र में पिछले 5 वर्षों से निवास कर रहे परिवार को दिया जायेगा।

यह व्यक्ति ले सकेंगे बिना किसी ब्याज के लोन

पात्रता मापदण्डों की पूर्ति करने वाले लघु एवं सीमान्त कृषक तथा भूमिहीन श्रमिक जो कि किरायेदार, मौखिक पट्टेदार, बटाईदार आदि के रूप में काश्त कर रहे हैं, के परिवार पात्र होंगे। इसके अतिरिक्त ग्रामीण दस्तकार तथा अकृषि कार्यों में जीवन यापन करने वाले ग्रामीण परिवार जैसे हस्तशिल्प, लघु उद्योग, कताई-बुनाई, रंगाई-छपाई आदि के सदस्य भी पात्र होंगे। इसके साथ ही राजीविका के स्वयं सहायता समूहों, उत्पादक समूहों एवं व्यवसायिक समूहों के व्यक्तिगत सदस्यों को सामूहिक गतिविधियों के लिए ऋण उपलब्ध करवाया जायेगा। प्रति समूह अधिकतम 10 सदस्यों को व्यक्तिगत रूप से ऋण दिया जायेगा एवं ऋण की अधिकतम राशि 2 लाख रूपये होगी।

कितना ब्याज मुक्त ऋण मिलेगा?

सहकारिता मंत्री ने बताया कि आवेदक को सम्पूर्ण ऋण साख सीमा के रूप में स्वीकृत किया जायेगा। साख सीमा राशि का आँकलन व्यवसाय की पूँजीगत आवश्यकताओं, कार्यशील पूँजी तथा रोजमर्रा की जरूरतों को ध्यान में रखकर की जायेगी। स्वीकृत साख सीमा का प्रतिवर्ष नवीनीकरण करवाना होगा अर्थात् एक वर्ष पूर्ण होने पर खाते में बकाया राशि जमा करवाकर साख सीमा को अगले वर्ष के लिए नवीनीकृत करवाना होगा। इस योजना के लिए राज्य सरकार द्वारा आगामी वर्षों में भी निरंतर ब्याज अनुदान राशि दी जायेगी। योजना के तहत ऋण की न्यूनतम सीमा 25 हजार रूपये एवं अधिकतम 2 लाख रूपये रखी गई है। 

ब्याज मुक्त ऋण लेने के लिए आवश्यक दस्तावेज

ऋण के लिए आवेदक का बैंक शाखा के कार्य क्षेत्र अथवा जिले का निवासी होना जरूरी है तथा उसका आधार एवं जनाधार बना होना चाहिए। परिवार के सदस्य के पास किसी भी लाईसेंसधारी बैंक से जारी किया हुआ किसान कार्ड होना चाहिए। जिन परिवारों के पास किसान क्रेडिट कार्ड नहीं हो उनको नये सदस्य के रूप में अकृषि कार्यों हेतु किसान क्रेडिट कार्ड स्वीकृत किया जायेगा। सहकारिता मंत्री ने बताया कि राजीविका के इन समूहों एवं इन समूहों में से पात्र लाभार्थियों का चयन राजीविका की स्थानीय ईकाई द्वारा किया जाकर जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में कमेटी को अनुशंषा करेगी।

यहाँ से ले सकेंगे बिना किसी ब्याज के अकृषि ऋण

सहकारिता मंत्री ने बताया कि वाणिज्यिक बैंकों द्वारा 55 हजार 158, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा 36 हजार 741, सहकारी बैंकों द्वारा 5 हजार 949 तथा स्माल फाईनेन्स बैंकों द्वारा 2 हजार 152 सहित कुल एक लाख ग्रामीण परिवारों को ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। स्वीकृत ऋण राशि का चुकारा एक वर्ष की अवधि में करना होगा तथा ऋणी आगामी वर्ष के लिए साख सीमा का नवीनीकरण करवा सकेगा। जिला कलेक्टर द्वारा जिले को आवंटित कुल लक्ष्य संख्या के आधार पर ग्रामीण क्षेत्र से पात्र परिवार का चयन किया जायेगा। पोर्टल पर प्राप्त ऑनलाइन आवेदनों का जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में कमेटी पात्रता मापदण्डों का परीक्षण कर ऋण आवेदन-पत्र सम्बन्धित बैंक शाखा को भेजेगी। शाखा 15 दिवस में ऋण स्वीकृति पर निर्णय लेगी। आवेदक से कोई प्रोसेसिंग फीस नहीं ली जायेगी।

14 अक्टूबर से पांच दिनों के लिए आयोजित किया जायेगा अन्तर्राष्ट्रीय कृषि मड़ई एग्री कार्नीवाल 2022, किसानों को मिलेंगे यह लाभ

अन्तर्राष्ट्रीय कृषि मड़ई एग्री कार्नीवाल 2022

किसानों की आय बढ़ाने के लिए समय-समय पर किसानों को कृषि क्षेत्र की नई-नई तकनीकों से अवगत कराया जाता है, इसके लिए विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों के द्वारा कृषि मेलों का आयोजन कराया जाता है। इस कड़ी में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा छत्तीसगढ़ बायोटेक्नोलॉजी प्रमोशन सोसायटी, अन्तर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, फिलीपींस, नाबार्ड, कंसल्टेटिव ग्रुप ऑफ इन्टरनेशनल एग्रीकल्चरल रिसर्च, कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा), एनएबीएल तथा अन्य संस्थाओं के सहयोग से 14 से 18 अक्टूबर तक कृषक नगर रायपुर में अन्तर्राष्ट्रीय कृषि मड़ई ‘‘एग्री कार्नीवाल 2022’’ का आयोजन किया जा रहा है।

जिसमें अन्तर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों के निदेशक, कृषि वैज्ञानिक, विभिन्न कृषि उत्पाद निर्माता कम्पनियों के वरिष्ठ अधिकारी, स्टार्टअप्स उद्यमी एवं बड़ी संख्या में प्रगतिशील कृषक शामिल होंगे। अन्तर्राष्ट्रीय कृषि मड़ई में लगभग 20 हजार किसानों के शामिल होने की संभावना है। इस अवसर पर एक वृहद अन्तर्राष्ट्रीय कृषि मेले सह प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जाएगा। एग्री कार्नीवाल के दौरान प्रत्येक दिन कृषकों, छात्रों एवं आम नागरिकों के लिए विश्वविद्यालय के अनुसंधान प्रक्षेत्र में उगाई जा रही फसलों एवं कृषि प्रदर्शनी का भ्रमण आयोजित किया जाएगा।

एग्री कार्नीवाल में किसानों को दी जाएगी यह जानकारियाँ

पांच दिवसीय कृषि मड़ई के दौरान विविध कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे जिनमें कृषि उपज निर्यात बढ़ाने हेतु क्रेता-विक्रता सम्मेलन, नवाचार स्टार्टअप्स एवं उद्यमिता पर कार्यशाला, लघु वनोपज के प्रसंस्करण एवं निर्यात पर संगोष्ठी, जैव विविधता संरक्षण एवं कृषक प्रजातियों के पंजीयन हेतु प्रशिक्षण कार्यशाला, परीक्षण प्रयोगशालाओं की मान्यताओं हेतु एनएबीएल द्वारा प्रशिक्षण, फसल प्रजनन आधुनिकीकरण एवं डिजिटलीकरण आदि प्रमुख हैं। 

कृषि मड़ई में फसलों की नई किस्में, अधिक आय देने वाली वैकल्पिक फसलें, नवीन कृषि प्रौद्योगिकी, प्राकृतिक एवं जैविक कृषि, जैव उर्वरक एवं जैव कीटनाशक, पशु पालन, मछली पालन एवं चारा उत्पादन, समन्वित फसल पोषक तत्व तथा कीट एवं बीमारी प्रबंधन, मृदा उर्वरता एवं मृदा स्वास्थ्य, वर्षा जल प्रबंधन एवं भू-जल संवर्धन, संरक्षित खेती, उन्नतशील कृषि यंत्र प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन आदि के संबंध में विषय विशेषज्ञ वैज्ञानिकों द्वारा जानकारी दी जाएगी। इस दौरान कृषि आधारित स्टार्टअप्स के सफल उद्यमियों द्वारा नवीन स्टार्टअप्स स्थापित करने के इच्छुक युवाओं को मार्गदर्शन भी प्रदान किया जाएगा।

14 अक्टूबर को मेले में आयोजित किया जायेगा क्रेता-विक्रेता सम्मेलन

इस पांच दिवसीय एग्री कार्नीवाल एवं अन्तर्राष्ट्रीय कृषि मड़ई के पहले दिन 14 अक्टूबर, 2022 को प्रातः 10 बजे से ‘‘क्रेता-विक्रेता सम्मेलन एवं कार्यशाला’’ का आयोजन किया जाएगा जिसमें एपीडा द्वारा छत्तीसगढ़ से कृषि, उद्यानिकी खाद्य पदार्थों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए गुणवत्ता नियंत्रण, मापदंड एवं नियमों की जानकारी प्रदान की जाएगी। इस कार्यशाला में लगभग 500 कृषक, उद्यमी, निर्यातक एवं एपीडा के विशेषज्ञ उपस्थित रहेंगे।

15 अक्टूबर को आयोजित किया जायेगा यह कार्यक्रम

एग्री कार्नीवाल के दूसरे दिन 15 अक्टूबर, 2022 को प्रातः 09 बजे से ‘‘इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय बायोटेक्नॉलाजी विभाग का रजत जयंती समारोह’’ का आयोजन किया जाएगा। कार्यशाला में बायोटेक्नोलॉजी के शिक्षकों, छात्रों एवं उद्यमियों के मध्य विचार-विमर्श का आयोजन किया जाएगा तथा बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में हुए नए अनुसंधानों तथा बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में रोजगार एवं स्व-रोजगार की संभावनाओं पर गहन विचार-मंथन किया जाएगा। कार्यशाला में 125 से अधिक छात्र एवं वैज्ञानिक उपस्थित रहेंगे। प्रातः 11 बजे से ‘‘नवाचार, स्टार्टअप एवं उद्यमिता पर कार्यशाला’’ का आयोजन किया जाएगा।

कार्यशाला में युवाओं, स्नातकों एवं स्टार्टअप को नवाचार की जनकारी दी जाएगी जो स्टार्टअप एवं निवेशकों के मध्य सेतु का कार्य करेगा एवं स्टार्टअप को बैंक एवं अन्य संस्थानों से ऋण एवं निवेश उपलब्ध हेतु विचार-मंथन किया जाएगा। कार्यशाला में लगभग 400 युवा उद्यमी, स्टार्टअप तथा कृषि से जुडे़ युवा प्रगतिशील कृषक उपस्थित रहेंगे। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे, उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री श्री कवासी लखमा एवं अन्य विशेषज्ञ उपस्थित रहेंगे। 

16 अक्टूबर के दिन आयोजित किए जाएँगे यह कार्यक्रम

कार्यक्रम के तीसरे दिन यानि 16 अक्टूबर, 2022 को प्रातः 11 बजे से ‘‘लघु वनोपज का संग्रहण, संरक्षण प्रसंस्करण एवं निर्यात हेतु कार्यशाला‘‘ का आयोजन किया जाएगा जिसमें किसानों एवं निर्यातकों को लघु वनोपज के विपणन एवं निर्यात हेतु गुणवत्ता नियंत्रण, मानकों एवं नियमों की जनकारी प्रदान की जाएगी।

17 अक्टूबर के दिन आयोजित किए जाएँगे यह कार्यक्रम

एग्री कार्नीवाल के चौथे दिन 17 अक्टूबर, 2022 को प्रातः 11 बजे से ‘‘जैव विविधता संरक्षण एवं कृषकों की प्रजातियों के पंजीयन पर कार्यशाला’’ का आयोजन किया जाएगा। कार्यशाला में भारत सरकार द्वारा कृषकों एवं आम जनता में जैव विविधता संरक्षण एवं कृषको की प्रजातियों का भारत सरकार के पौध प्रजाति एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण में पंजीयन हेतु जागरूक किया जाएगा। 

18 अक्टूबर के दिन आयोजित किए जाएँगे यह कार्यक्रम

पांच दिवसीय एग्री कार्निवाल एवं अन्तराष्ट्रीय कृषि मड़ई के अंतिम दिन 18 अक्टूबर, 2022 को प्रातः 11 बजे से ‘‘प्रयोगशालाओं की मान्यता हेतु कार्यशाला’’ का आयोजन किया जाएगा जिसमें छत्तीसगढ़ के शासकीय एवं निजी संस्थानों द्वारा संचालित प्रयोगशालाओं के एक्रीडीटेशन के लिए मापदंडों की जानकारी प्रदान की जाएगी। कार्यशाला में लगभग 300 शासकीय एवं निजी प्रयोगशालाओं के प्रतिनिधि उपस्थित रहेंगे।

अन्तर्राष्ट्रीय कृषि मड़ई एग्री कार्नीवाल 2022 में पंजीयन एवं अधिक जानकारी के लिए क्लिक

कृषि वैज्ञानिकों ने विकसित की सोयाबीन की उच्च उपज देने वाली तीन क़िस्में

सोयाबीन की नई उन्नत विकसित किस्म

कृषि क्षेत्र में उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा लगातार नई-नई क़िस्में विकसित की जा रही है। जिससे जहां फसलों की अधिक पैदावार से किसानों को को लाभ होता है वहीं विभिन्न कीट एवं रोगों के प्रति रोधी होने के कारण लागत में भी कमी आती है। ICAR-सोयाबीन अनुसंधान केंद्र इंदौर द्वारा उच्च उत्पादन देने वाली तथा कीट-रोगों के प्रतिरोधक तीन क़िस्में विकसित की गई हैं।

सोयाबीन अनुसंधान केंद्र इंदौर द्वारा हाल ही में विकसित NRC 157, NRC 131 और NRC 136 को सरकार ने मंजूरी दे दी है। इन तीनों किस्मों से जहां पैदावार में वृद्धि होगी वहीं कीट-रोगों के प्रति रोधी होने के चलते फसल की लागत में भी कमी आएगी। आइए जानते इन किस्मों की विशेषताएँ क्या हैं:-

सोयाबीन किस्म NRC 157 की विशेषताएँ 

यह एक मध्य अवधि में पकने वाली किस्म है जो मात्र 94 दिनों में पक जाती है। इस किस्म का औसत उत्पादन 16.5 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। यह किस्म अल्टरनारिया लीफ स्पॉट, बैक्टीरीयल पस्तुल्स एवं टार्गेट लीफ स्पॉट जैसी बीमारियों के लिए मध्यम प्रतिरोधी है। इस किस्म की बुआई देरी से की जा सकती है। वैज्ञानिकों के अनुसार किसान इस किस्म की बुआई 20 जुलाई तक की जा सकती है। 

सोयाबीन किस्म NRC 131 की विशेषताएँ

कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा विकसित सोयाबीन की यह किस्म 93 दिनों पककर तैयार हो जाती है, इसका औसतन उत्पादन 15 क्विंटल/हैक्टेयर है। इसके साथ ही चारकोल रॉट एवं टारगेट लीफ स्पॉट जैसे रोगों के लिए मध्यम प्रतिरोधक है। सोयाबीन की इस किस्म को देश के पूर्वी क्षेत्रों के लिए विकसित किया गया है।

NRC-136 की विशेषताएँ

सोयाबीन की यह किस्म 105 दिनों में पककर तैयार हो जाता है, इस किस्म से औसतन 17 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से पैदावार प्राप्त की जा सकती है। सोयाबीन की यह किस्म सूखे के प्रति सहनशील है। सोयाबीन की इस किस्म को मध्य क्षेत्र के लिए अनुमोदित किया गया है। सोयाबीन की यह किस्म मूँगबीन येलो मोज़ेइक वाइरस के प्रति रोधी है। 

किसानों को जल्द दिया जायेगा अभी हुई वर्षा से फसलों को हुए नुकसान का मुआवजा

फसल खराब होने पर मुआवजा 

अभी देश के कई राज्यों में बारिश का सिलसिला जारी है, ऐसे में खेत में खड़ी फसल एवं कटाई के बाद सूखने के लिए रखी गई फसल को काफी नुकसान हुआ है। किसानों को हो रहे इस नुकसान की भरपाई सरकार द्वारा की जाएगी, जिसके लिए सरकार ने कृषि विभाग को सर्वे करने के आदेश दे दिए हैं। इस कड़ी में राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने बीते 2 दिनों में राज्य में भारी बारिश के कारण कई जिलों में हुए फसलों के नुकसान के लिए किसानों को उचित मुआवजा देने के दिशा-निर्देश दिए हैं।

राजस्थान के मुख्यमंत्री ने जिला कलेक्टरों को निर्देशित किया है कि वे फसल खराबे की विशेष गिरदावरी करवाकर किसानों को राहत दें। वहीं राजस्थान के कृषि आयुक्त श्री कानाराम ने विभागीय अधिकारियों और बीमा कंपनियों को तत्काल फील्ड में पहुंचकर फसल खराबे पर संयुक्त सर्वे कार्यवाही प्रारंभ करने के निर्देश दिए हैं, ताकि प्रभावित किसानों को बीमित फसलों के नुकसान का क्लेम दिलवाकर राहत प्रदान की जा सके।

फसल खराब होने के 72 घंटे के अंदर देना होगा सूचना

बरसात से खड़ी फसल के साथ कटाई के बाद खेत में सुखाने के लिए रखी फसल खराब होने पर भी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अन्तर्गत नुकसान की भरपाई की जाती है। इसके लिए प्रभावित किसान को 72 घंटे के भीतर खराबे की सूचना संबंधित जिले में कार्यरत बीमा कंपनी को देनी होती है। इसके लिए कृषि विभाग ने बीमा कंपनियों को तत्काल सर्वे कार्यवाही शुरू करने के निर्देश दिए हैं। 

फसल कटाई के बाद भी नुकसान होने पर दिया जाता है बीमा

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अन्तर्गत जलभराव के कारण किसान की बीमित खड़ी फसल में तथा फसल कटाई उपरान्त खेत में बंडल के रूप में सुखाने के लिए रखी फसल को 14 दिन तक की अवधि में नुकसान होने पर व्यक्तिगत आधार पर बीमा आवरण उपलब्ध कराने का प्रावधान है। असामयिक वर्षा एवं जल भराव से प्रभावित किसानों के लिए बीमित फसल के नुकसान की सूचना घटना घटने के 72 घण्टे के भीतर जिले में कार्यरत बीमा कंपनी को देना जरूरी है, ताकि नुकसान का आकलन कर बीमा क्लेम देने की कार्यवाही की जा सके। 

फसल में हुए नुकसान की सूचना बीमा कंपनी के टोल फ्री नंबर या क्रॉप इंश्योरेंस ऐप के माध्यम से दे सकते हैं। इसके अलावा प्रभावित किसान जिलों में कार्यरत बीमा कंपनी, कृषि कार्यालय अथवा संबंधित बैंक को भी हानि प्रपत्र भरकर सूचना दे सकते हैं।

किसान इन टोल फ्री नंबर पर करें कॉल

किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत नुकसान के आंकलन की भरपाई के लिए बीमा कंपनी को टोल फ्री नंबर पर फोन करना होगा। राजस्थान में अलग-अलग जिलों में अलग-अलग कंपनियों के द्वारा बीमा किया गया है, ऐसे में किसानों को अपने ज़िले में जिस कंपनी में बीमा किया है उसके टोल फ्री नम्बर पर कॉल करके सर्वे कराएँ। यह टोल फ्री नम्बर इस तरह है :-

जिले का नाम
फसल बीमा कंपनी का नाम 
टोल फ्री नंबर 

बारां, धौलपुर, हनुमानगढ़, बाडमेर, झुन्झुनू, करौली एवं उदयपुर

एग्रीकल्चर इन्श्योरेन्स कंपनी ऑफ इण्डिया लिमिटेड

18004196116

चूरू, भीलवाड़ा, राजसमन्द, दौसा, झालावाड़, श्रीगंगानगर एवं अलवर

एसबीआई जनरल इन्श्योरेन्स कंपनी

18002091111

बांसवाड़ा, नागौर भरतपुर, जयपुर, पाली एवं प्रतापगढ़

रिलायन्स जनरल इन्श्योरेंस कम्पनी लिमिटेड

18001024088

बूंदी, डुंगरपुर एवं जोधपुर 

फ्यूचर जनरली इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड

18002664141

अजमेर, जालौर, सवाई माधोपुर एवं कोटा

किसान बजाज अलायन्ज जनरल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड

18002095959

जैसलमेर, सीकर एवं टोंक

एचडीएफसी एग्रो जनरल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड 

18002660700

बीकानेर, चितौड़गढ़ एवं सिरोही

यूनिवर्सल सोम्पो जनरल  इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड

18002005142

किसान अधिक पैदावार के लिए लगाएं गेहूं की नई विकसित किस्म पूसा गौतमी HD 3086

गेहूं की उन्नत विकसित किस्म पूसा गौतमी HD 3086

देश में फसलों का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के साथ ही किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि विश्वविद्यालयों के द्वारा विभिन्न फसलों की नई-नई क़िस्में विसकित की जा रही हैं। ऐसी ही गेहूं की एक उन्नत किस्म पूसा गौतमी HD-3086 विकसित की गई है। गेहूं की इस किस्म से न केवल अधिक पैदावार प्राप्त होती है वहीं गेहूं में लागने वाले कुछ रोगों के प्रतिरोधी होने के कारण फसल की लागत में भी कमी आती है।

पूसा गौतमी HD-3086 मध्य बौनी गेहूं की एक किस्म है, जो लगभग 145 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म में पत्ती स्ट्राइप रतुओं के लिए उच्च स्तर की प्रतिरोधकता है। यह किस्म रोटी के बनाने के लिए भी उत्तम है, क्योंकि इसका ग्लू-1 आँकड़ा 10/10 है। इस किस्म की ब्रेड बनाने वाली औद्योगिक इकाइयों में माँग अच्छी है, जिससे इसके भाव भी अच्छे मिलते हैं।

इन क्षेत्रों में की जा सकती है पूसा गौतमी HD-3086

कृषि विश्वविद्यालय द्वारा अलग-अलग क्षेत्रों की जलवायु के अनुसार किस्मों का विकास किया जाता है ताकि विशेष क्षेत्र की जलवायु में वह अच्छा उत्पादन दे सकें। इसी तरह पूसा गौतमी किस्म को भी विशेष क्षेत्रों के लिए विकसित किया गया है। जो इस प्रकार है: उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र [पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर संभाग को छोड़कर)], पश्चिमी उत्तर प्रदेश (झाँसी डिवीजन को छोड़कर), जम्मू कश्मीर के हिस्से (कठुआ जिला), हिमाचल प्रदेश (ऊना ज़िला और पाँवटा के कुछ हिस्से) और उत्तराखंड (तराई क्षेत्र), उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्र (पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम और अन्य उत्तर पूर्वी राज्यों के मैदान) में इस किस्म की खेती की जा सकती है।

पूसा गौतमी HD-3086 किस्म से प्राप्त उत्पादन

समय से बुआई तथा सिंचित अवस्था में गेहूं की इस किस्म से उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों में लगभग 54.6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की औसत उपज तो उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्रों में 50.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की औसत उपज प्राप्त की जा सकती है। वहीं पूसा गौतमी किस्म की अधिकतम संभावित उपज उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों में लगभग 81.0 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है वहीं उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्रों में अधिकतम संभावित उपज 61.0 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है।

पूसा गौतमी HD-3086 किस्म की अन्य विशेषताएँ

गेहूं की यह किस्म उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों में लगभग 145 दिनों में पककर तैयार होती है वहीं उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्रों में यह किस्म लगभग 121 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। पूसा गौतमी किस्म पीले तथा भूरा रतुआ रोग के लिए भी प्रति रोधी है।

पशुपालन के लिए दिए जाने वाले अनुदान में की गई वृद्धि, अब पशुपालन के लिए मिलेगा इतना अनुदान

डेयरी एवं पशुपालन पर दिया जाने वाला अनुदान

ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन एक अच्छी आय के साथ ही रोजगार का भी जरिया है, इसलिए सरकार द्वारा पशु पालन को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन स्वरूप अनुदान दिया जाता है। सरकार पशुपालन क्षेत्र में अधिक से अधिक व्यक्तियों को जोड़ने के लिए कई प्रकार की योजनाएँ चला रही है। इस कड़ी में झारखंड सरकार द्वारा राज्य में ग्रामीण आबादी की आर्थिक स्थिति मज़बूत करने के लिए पशुधन विकास योजना चला रही है। सरकार ने योजना के तहत दिए जाने वाले अनुदान की मात्रा में संशोधन किया है। 

झारखण्ड सरकार ने राज्य में पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के सफल संचालन हेतु सब्सिडी की में बढ़ोतरी की है। इसमें मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना, मिनी डेयरी की योजना एवं डेयरी विकास के लिए आधुनिक यंत्रों की खरीद पर दी जाने वाली सब्सिडी शामिल है। अब इन योजनाओं के तहत विभिन्न वर्ग के लाभार्थी व्यक्तियों को सरकार 50 से 90 प्रतिशत तक का अनुदान देगी।

पशुधन विकास योजना के तहत दिया जाने वाला अनुदान Subsidy

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने गव्य विकास निदेशालय द्वारा संचालित उपयोजना के तहत लाभुकों को मिलने वाले अनुदान में संशोधन किया गया है। योजना के तहत अब आपदा, आगलगी, सड़क दुर्घटना से प्रभावित परिवार की महिला, परित्यक्त और दिव्यांग महिलाओं को दुधारू गाय या भैंस की खरीद पर दिए जाने वाले अनुदान में वृद्धि कर दी गई है। अब लाभार्थी महिला को 90 प्रतिशत अनुदान पर दो दुधारू गाय या भैंस दिए जाएँगे, इससे पहले लाभार्थी को 50 प्रतिशत अनुदान ही दिया जाता था।

डेयरी योजना के तहत दिया जाने वाले अनुदान Subsidy

कामधेनु डेयरी फार्मिंग की उपयोजना के तहत मिनी डेयरी के जरिए पाँच दुधारू गाय/भैंस वितरण और मिडी डेयरी के जरिए मिलने वाले दस गाय और भैंस वितरण योजना के लिए अनुसूचित जाती जनजाति के लाभुकों को जहां पहले 33.33 प्रतिशत का अनुदान दिया जाता था। जिसे अब बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके अलावा अन्य वर्ग के लाभुकों को योजना के तहत गाय या भैंस के मिनी डेयरी की लिए लागत का 25 प्रतिशत अनुदान दिया जाता था, जिसे बढ़ाकर अब 50 प्रतिशत कर दिया गया है।

डेयरी में उपयोग होने वाले आधुनिक कृषि यंत्रों पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy

अभी तक राज्य में लाभार्थियों को हस्त चलित चैफ कटर का वितरण योजना के तहत 50 प्रतिशत के अनुदान पर किया जाता था, इसमें संसोधन करते हुए अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति वर्ग के दुग्ध उत्पादकों को 90 प्रतिशत अनुदान पदिया जायेगा। इसके अलावा अन्य सभी जातियों के लिए 75 प्रतिशत का अनुदान निर्धारित किया गया है।

वही प्रगतिशील डेयरी कृषकों को सहायता प्रदान करने के लिए उपलब्ध कराए जाने वाले मल्किंग मशीन, पनीर खोवा मशीन, बोरिंग एवं काऊ मैट के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति और दुग्ध उत्पादक समिति को 90 एवं अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लाभुकों के अतिरिक्त अन्य सभी जातियों के लिए 75 प्रतिशत अनुदान का उपबंध किया गया है।

अन्य पशुपालन योजना के तहत दिया जाने वाला अनुदान

इसके अलावा पशु पालन निदेशालय द्वारा संचालित योजनाएँ जैसे बकरा पालन, सूकर पालन, बैकयार्ड लेयर, कुक्कुट पालन, बायलर, कुक्कुट पालन और बत्तख चूजा पालन में असहाय विधवा महिला, दिव्यांग, नि:संतान दंपत्ति को छोड़कर अन्य सभी वर्गों को 75 प्रतिशत अनुदान पर योजना का लाभ दिया जाएगा। इससे पूर्व इन कार्यों के लिए लाभार्थी को लागत का 50 प्रतिशत अनुदान देने की व्यवस्था की गई थी।

कृषि क्षेत्र में पढ़ाई के लिए लड़कियों को दी जा रही है 15 हजार रुपए तक की प्रोत्साहन राशि, यहाँ करें आवेदन

कृषि में अध्ययनरत छात्राओं के लिए प्रोत्साहन योजना

कृषि के क्षेत्र में बुवाई से लेकर रोपाई, जल निकासी, सिंचाई, उर्वरक, पौध संरक्षण, कटाई, खरपतवार हटाने और भंडारण तक के कार्यों में महिलाएं अग्रणी भूमिका निभाती हैं। इस क्षेत्र में उनके सशक्तिकरण और उनकी प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए राजस्थान सरकार राज्य में कृषि में अध्ययनरत छात्राओं को प्रोत्साहन योजना चला रही है। योजना के तहत अध्ययन के लिए कृषि को विषय के तौर पर चुनने वाली बालिकाओं को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से कृषि संकाय में 11वीं कक्षा से लेकर पीएचडी कर रही छात्राओं को 5 हजार से लेकर 15 हजार की राशि प्रतिवर्ष दी जा रही है।

राजस्थान सरकार द्वारा राज्य में चलाई जा रही इस योजना का मुख्य उद्देश्य है कि बालिकाएं कृषि के क्षेत्र की नवीनतम तकनीकों का अध्ययन करें और औपचारिक शिक्षण-प्रशिक्षण प्राप्त करें, जिससे न केवल परिवार की आय बढ़ेगी, बल्कि वे राज्य और देश की समृद्धि में भी योगदान देंगी।

योजना के तहत छात्राओं को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि

राजस्थान में लड़कियों को कृषि क्षेत्र में अध्ययन के लिए प्रोत्साहन हेतु राजस्थान सरकार कृषि में अध्ययनरत छात्राओं को प्रोत्साहन योजना चला रही है। योजना के अंतर्गत राजस्थान राज्य में कृषि विषय लेकर अध्ययन करने वाली 11वीं एवं 12वीं कक्षा की छात्राओं को प्रतिवर्ष 5 हजार रुपये की राशि प्रदान की जाती है। कृषि विज्ञान से स्नातक के विषयों जैसे कि उद्यानिकी, डेयरी, कृषि अभियांत्रिकी, खाद्य प्रसंस्करण के साथ ही स्नातकोत्तर (एम.एस.सी. कृषि) में अध्ययन करने वाली छात्राओं को 12 हजार रुपये प्रतिवर्ष दिये जाते हैं। इसी प्रकार कृषि विषय में पीएचडी करने वाली छात्राओं को 15 हजार रुपये प्रतिवर्ष (अधिकतम 3 वर्ष) प्रोत्साहन राशि दिये जाने का प्रावधान किया गया है।

65 हजार से अधिक छात्राओं को दिया गया लाभ

कृषि छात्रा प्रोत्साहन योजना के तहत गत 4 वर्षों में अध्ययनरत 65 हजार 424 छात्राओं को कुल 4,257.78 लाख रुपये का भुगतान किया गया है। वर्ष 2018-19 में अध्ययनरत 14 हजार 130 छात्राओं को 967.93 लाख रुपये का, वर्ष 2019-20 में 15 हजार 780 अध्ययनरत छात्राओं को 930.06 लाख रुपये का, वर्ष 2020-21 में अध्ययनरत 14 हजार 647 छात्राओं को 1075.23 लाख रुपये का तथा वर्ष 2021-22 में 20 हजार 867 कृषि संकाय में अध्ययनरत छात्राओं को 1284.56 लाख रुपये का भुगतान किया गया है।

आवश्यक दस्तावेज

योजना में आवदेन करने के लिए छात्रा का राजस्थान का मूल निवासी होना तथा किसी भी राजकीय एवं राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त विद्यालय, महाविद्यालय या विश्वविद्यालय में कृषि संकाय में अध्ययनरत होना आवश्यक है। कृषि में अध्ययनरत छात्राओं को प्रोत्साहन योजना में आवेदन करते समय छात्राओं को यह आवश्यक दस्तावेज अपने पास रखना होगा:-

  • जन आधार कार्ड, 
  • गत वर्ष की अंकतालिका, 
  • मूल निवास प्रमाण पत्र, 
  • संस्था प्रधान का ई-साइन प्रमाण पत्र, 
  • नियमित विद्यार्थी होने का संस्था प्रधान का प्रमाण पत्र,
  • श्रेणी सुधार हेतु प्रवेश नहीं लेने का प्रमाण पत्र।

प्रोत्साहन राशि लेने के लिए यहाँ करें आवेदन

योजना में आवेदन की इच्छुक छात्राएँ मित्र के माध्यम से अथवा स्वयं की एस.एस.ओ. आई.डी. से राज किसान साथी पोर्टल पर प्रोत्साहन राशि के लिए आवेदन कर सकती हैं। योजना अथवा आवेदन के संबंध में कोई भी जानकारी प्राप्त करने के लिए छात्राएं निकट के किसान सेवा केंद्र पर कृषि पर्यवेक्षक या सहायक कृषि अधिकारी या जिला स्तर पर उप निदेशक कृषि (विस्तार) से भी सम्पर्क कर सकती हैं।