आधी दरों पर किसानों को दी जाएगी खेती के लिए 12 घंटे बिजली

खेती के लिए बिजली दर

रबी फसल की बुआई शुरू हो गई है , अब खेती के लिए सिंचाई की जररूत किसानो को है | अभी तक किसी भी सरकार के द्वारा कृषि के लिए 12 घंटे की बिजली नहीं दी जा रही है एसे में किसानों की एक मांग रहती है की उनको सिंचाई के लिए 12 घंटे कम से कम बिजली दिया जाये | रबी की पूरी फसल सिंचाई पर ही निर्भर करती है इसलिए जरुरी है की किसानों को सभी समय पर किसानों को बिजली मिल सके |

मध्य प्रदेश में ऊर्जा मंत्री ने कहा है कि प्रदेश के किसानों को खेती के लिए लगातार 12 घंटे बिजली देने की योजना पर कार्य किया जा रहा है | ऊर्जा मंत्री के अनुसार अभी मध्य प्रदेश के विधुत विभाग पर 37 हजार 963 करोड़ ऋण था, साथ ही कंम्पनियों का संचयी घाटा बढ़कर लगभग 44 हजार 975 करोड़ हो गया था | इसके बाबजूद भी प्रदेश के किसानों को पहले से आधे दर पर 12 घंटे बिजली दिए जाने का प्रावधान किया जा रहा है |

किसानों को क्या लाभ मिलेगा ?

ऊर्जा मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने घरेलू उपभोगताओं के लिए इंदिरा गृह ज्योति योजना लागु की गई है | इसे अगस्त माह में संबल योजना से असम्बद्ध करते हुये सभी घरेलू उपभोगताओं, जिनकी 30 दिन की मासिक खपत 150 यूनिट से कम है, को 100 यूनिट की खपत तक 100 रूपये बिल दिया जा रहा है | गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले अनुसूचित जाती एवं अनुसूचित जनजाति के घरेलू उपभोगताओं को 30 यूनिट तक की मासिक खपत के लिए मात्र 25 रूपये की राशि देय होगी | ऊर्जा मंत्री ने बताया कि 4 माह में एक बार 100 रूपये लिए जाने की व्यवस्था भी की गई है | इस योजना में अभी तक एक करोड़ 86 हजार (92 प्रतिशत) से अधिक उपभोगताओं को लाभ मिला है | योजना में प्रतिवर्ष लगभग 3400 करोड़ रूपये की सब्सिडी शासन द्वारा दी जा रही है |

विधुत पम्प के लिए बिजली बिल आधा

राज्य सरकार ने किसानों का बिजली बिल आधा किये जाने का काम नियत समय में पूरा किया है | इसी के साथ ही, 10 हार्स पावर तक के कृषि पंप उपभोगताओं की विधुत दरों को आधा कर दिया गया है | पहले 1400 रुपया प्रति हार्स पावर, प्रति वर्ष कृषि पंपों की विधुत दर निर्धारित थी, उसे कम करके आधा कर दिया गया है | अब मध्य प्रदेश के किसानों के द्वारा 700 रुपया प्रति हार्स पावर प्रति वर्ष देय है | इस योजना से 19 लाख 91 हजार किसान लाभान्वित हो रहे हैं | राज्य सरकार प्रति वर्ष प्रति किसान 47 हजार रूपये की सब्सिडी दे रही है |

इसके साथ ही एक हेक्टेयर से कम भूमि वाले अनुसूचित जाती और अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसानों को 5 हार्स पावर तक के कृषि पंप कनेक्शनों के लिए नि:शुल्क बिजली दी जा रही है, जिसके एवज में राज्य सरकार बिजली कंपनियों को 3800 करोड़ रूपये वार्षिक सब्सिडी देगी |

अभी कितनी घंटे बिजली दी जा रही है ?

अभी राज्य में सप्लाई प्लान के अनुसार कृषि फीडरों को 2 समय सरणी में 6 घंटे, 4 घंटे बिजली दी जा रही है अर्थात एक दिन में 10 घंटे निरंतर विधुत प्रदाय करने के आदेश दिए गए हैं |

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खाद, बीज एवं कीटनाशक बेचने के लिए अब यह काम करना होगा जरुरी

बीज, खाद एवं कीटनाशक दुकान खोलने के लिए योग्यता

अक्सर देखते हैं कि गाँव और कस्बों में कोई भी व्यक्ति बीज, उर्वरक तथा कीटनाशक की दुकान खोल देता है और बेहिचक किसानों को यह सभी सामग्री बेचना शुरू भी कर देता है | दुकानदार के पास किसी भी तरह  की डीग्री है या नहीं इससे किसी को कोई लेना देना नहीं रहता है | बीज, उर्वरक तथा कीटनाशक कंपनियां भी इनको अपना प्रोडक्ट बिना जांचे दे देती है | कभी–कभी तो विना लाईसेंस के दुकान चलती रहती है |

परन्तु अब ऐसा नहीं होगा | कृषि तथा  किसान कल्याण मंत्री ने सांसद श्री कोठा प्रभाकर रेड्डी के द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में बताया है कि कीटनाशक की बिक्री तथा इसका स्टाक रखने या प्रदर्शित करने के लिए दुकानदार के पास कृषि विभाग से स्नातक की डिग्री होना जरुरी है |

बीज, कीटनाशक एवं खाद बेचने के लिए क्या है नियम ?

केंद्रीय कृषि तथा किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने बताया है कि जो व्यक्ति कीटनाशक की बिक्री करने, इसका स्टाक रखने या इसकी बिक्री को प्रदर्शित करने या इसका वितरण करने के लिए लाईसेंस प्रदान करने हेतु आवेदन करता है, उसके पास या उसके द्वारा नियुक्ति किये जाने वाले व्यक्ति के पास कृषि विज्ञान या जैव रसायन शास्त्र या जैवप्रौदयोगिक या जीवन विज्ञान या रसायन शास्त्र या वनस्पति शास्त्र या प्राणी विज्ञान के साथ विज्ञान में किसी मान्यता प्राप्त विश्वविध्यालय या संस्थान से स्नातक की डिग्री होनी चाहिए

उनके पास, कृषि या बागवानी या संबद्ध विषयों का सरकार से मान्यता–प्राप्त किसी विश्वविद्यालय या संस्थान से पादप संरक्षण और नाशीजीवनाशी प्रबंधन से संबंधित पाठ्यक्रम की विषय–वस्तु वाला एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स होना चाहिए |

अगर कोई व्यक्ति पहले से दुकान चला रहा है तो क्या होगा ?

कृषि तथा कल्याण मंत्री ने इसके बारे में बताया है कि बशर्ते सभी व्यापारी या विक्रेता जिनके पास , इन नियमों के प्रकाशन की तारीख को निर्धारित योग्यता के बिना वैध लाइसेंस है, जैसे कि कीटनाशी (द्वितीय संशोधन) नियमावली, 2017 द्वारा संशोधन किया गया है , उन्हें उक्त शर्तों का पालन करने के लिए दो वर्ष कि अवधि प्रदान की जायेगी |

अगर किसी के पढने का उम्र पार हो गई हो तो क्या करें ?

इसके बारे में कृषि मंत्री ने बताया है कि एसे नाशीजीवनाशी विक्रेताओं, जो पैतालीस वर्ष की आयु से अधिक के हैं और जो या तो स्वयं अपना व्यापर चला रहे हैं या जिन्हें कीटनाशी (द्वितीय संशोधन) नियमावली, 2017 द्वारा यथा संशोधित अनुसार, इन नियमों के प्रकाशन की तारीख को 10 वर्ष से अधिक की संचयी अवधि का अनुभव प्राप्त है और जिसका वार्षिक टर्नओवर रु. पांच लाख से कम है, उन्हें अपने नाम से व्यापर जारी रखते हुये लाइसेंस– धारित की अवधि के लिए उक्त नियम से छूट प्रदान की गई है |

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55 एच.पी. के ट्रैक्टर एवं 2 लाख कृषि यंत्रों की सब्सिडी किसानों को जल्द दी जाए

ट्रैक्टर एवं अन्य कृषि यंत्रों पर अनुदान

ट्रेक्टर एवं अन्य सभी प्रकार के कृषि यंत्र सब्सिडी 

वित्तीय वर्ष 2019-20 जल्द ही खत्म होने वाला है इसलिए सभी राज्य सरकारें जल्द ही इस वर्ष जो भी योजनायें चल रही हैं उनके लक्ष्य जल्द ख़त्म करना चाहती है | इसके आलवा अभी रबी फसलों का सीजन भी शुरू हो गया है ऐसे में किसानों को कृषि योजनाओं का लाभ देने का यही सही समय है | ऐसे में सरकारें चाहती हैं की किसानों को जल्द ही ट्रेक्टर एवं अन्य कृषि यंत्र की सब्सिडी किसानों को जल्द उपलब्ध कराई जाए | इन सब बातों को ध्यान में रखकर उत्तरप्रदेश के कृषि मंत्री श्री सूर्यप्रताप शाही ने उत्तरप्रदेश में किसानों के लिए चल रही योजनाओं की समीक्षा की |

किसानों को जल्द सब्सिडी पर कृषि यंत्र दिए जाए

प्रदेश में केंद्र एवं राज्य सरकार की मदद से बहुत सी योजनायें चल रही है कृषि मंत्रीं ने कहा है की किसानों द्वारा ख़रीदे गए कृषि यंत्रों सम्बंधित अनुदान भी एक माह के अंदर उनके बैंक खातों में सब्सिडी की राशि दे दी जाए | इस वर्ष उत्तरप्रदेश में अनुदान पर किसानों को 2 लाख कृषि यंत्रों के वितरण के लक्ष्य के सापेक्ष क्रय पूर्ती पर निर्देश देते हुए कहा की अभियान चलाकर किसानों को वितरण किया जाए | इसके अतिरिक्त योजना क्रियानावन की प्रक्रिया का सरलीकरण किया जाए ताकि किसान सहज रूप से योजनाओं का लाभ ले सके |

55 एच.पी. के ट्रैक्टर भी उपलब्ध कराये जाए

कृषि मंत्री ने किसानों के लिए चल रही योजनओं की समीक्षा करते हुए बताया की प्रदेश के प्रत्येक सहकारी समिति तथा गन्ना समितियों पर 5-5 लाख रुपये के कृषि यंत्र उपलब्ध कराये जा रहे है | साथ ही कृषि मंत्री ने निर्देश दिए की यंत्रों के सुचारू रूप से सञ्चालन के लिए इन स्थलों पर कम से कम 55 एच.पी. के ट्रेक्टर भी उपलब्ध कराये जाएँ | इसके अतिरिक्त कृषि विज्ञान केंद्र पर भारत सरकार द्वारा उपलब्ध कराये गए कृषि यंत्रों को चलाने के लिए ट्रेक्टर की उपलब्धता भी सुनिश्चित की जाए |

ट्रैक्टर एवं कृषि यंत्र सब्सिडी पर लेने हेतु आवेदन करें

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मात्र 1.5 प्रतिशत प्रीमियम राशि देकर करवाएं रबी फसलों का बीमा

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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना रबी सीजन 2019-20

रबी फसल की बुआई कई जगह चल रही है तो कई जगह पूरी तरह हो चुकी है | अब किसानों की सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है की उनकी फसल को किसी तरह की प्राकृतिक आपदा से नुकसान न हो क्योंकि खरीफ सीजन में पहले ही इस वर्ष की फसल अतिवृष्टि एवं सूखे से बर्बाद हो चुकी है | किसान भाई फसल को प्राक्रतिक आपदा से तो बचा नहीं सकते पर वह उस फसल का बीमा करवाने पर होने वाले नुकसान पर कुछ सहायता फसल बीमा के जरिये ले सकते हैं | इसके लिये यह जरुरी है की किसान फसल बीमा जरुर करवाएं ताकि बेमौसम बारिश या ओलावृष्टि से होने वाले नुकसान पर उन्हें कुछ मदद मिल सके |

अधिकतर राज्यों में फसल बीमा करवाने की अंतिम तिथि 31 दिसम्बर तक है | बिहार राज्य में फसल बीमा योजना लागू नहीं है वहीँ झारखण्ड में प्रीमियम की राशि का वहन राज्य सरकार द्वारा किया जाता है | किसानों को रबी फसलों के बीमा के लिए मात्र 1.5% प्रतिशत बीमा राशि ही कम्पनी को देनी होती है वही यदि किसान उद्यानिकी फसल की खेती करता है तो उसे 5% प्रीमियम देना होगा |

फसल बीमा का लाभ किन स्थितयों में किसान ले पाएंगे

फसल बुआई से लेकर कटाई तक की घटनाओं पर किसानों को मिलेगा फसल क्षतिपूर्ति होने पर बीमा राशि दी जाती है | मौसम की खराबी, सूखा, बाढ़, कीटव्याधी से लेकर फसल काटने के बाद फसल में होने वाले नुकसान की भरपायी के लिये प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू की गई है। बीमीत क्षेत्र में कम वर्षा, प्रतिकूल मौसम दषाओं के कारण फसलों के बोने या रोपाई नहीं कर पाने की दशा में भी किसानों को क्षतिपूर्ति मिल सकेगी। खड़ी फसल में सूखा, बाढ़, पानी भरने, कीटव्याधी (कीटों से होने वाले नुकसान) , भू-स्खलन, प्राकृतिक अग्नि दुर्घटनाओं,  आकाशीय बिजली गिरने, तूफान, ओला वृष्टि, चक्रवात, बवण्डर, ऑंधी आदि के कारण भी फसल को होने वाले नुकसान की क्षतिपूर्ति इस बीमा योजना में शामिल की गई है।

फसल कटाई के बाद खेतों-खलिहानों में रखी फसलों में दो सप्ताह तक चक्रवाती बारिश या बेमौसम पानी गिरने से होने वाले नुकसान पर भी क्षतिपूर्ति किसानों को मिल सकेगी । प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत् युद्ध, नाभिकीय जोखिम से होने वाली हानियों, दुर्भावना जनित क्षतियों आदि को शामिल नहीं किया गया है।

फसल बीमा किसान कैसे करवाएं

किसान फसल बीमा करवाने से पहले यह अच्छे से देख लें की जिस फसल की खेती वह कर रहे हैं वह फसल उस क्षेत्र में अधिसूचित हो | चालू रबी मौसम में फसलों के बीमा की इकाई गांव होगी। एक गांव में बीमा के लिये अधिसूचित फसलों का रकबा न्यूनतम दस हेक्टेयर या उससे अधिक होने पर उस फसल को अधिसूचित किया जा सकेगा। खेती के लिये चालू रबी मौसम में सहकारी समितियों या बैंकों से कर्ज लेने वाले किसानों को फसलों का बीमा कराना अनिवार्य है | गैर ऋणी किसान फसलों के रकबे और बुआई करने संबंधी पटवारी या ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के सत्यापन प्रमाण पत्र से फसलों का बीमा करा सकेंगे।

फसल बीमा करवाने के लिए आवश्यक दस्तावेज

किसानों को फसल बीमा करवाने के लिए यह दस्तावेज साथ ले जाना होगा |

  • भूमि का बी-1 खसरा,
  • ऋण पुस्तिका की छायाप्रति,
  • आवेदन पत्र, बैंक पासबुक,
  • आधार कार्ड की छायाप्रति,
  • फसल बुआई का प्रमाण-पत्र

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का फॉर्म कैसे प्राप्त करें? कहाँ कोन से कागजात के साथ जमा करें?

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अभी के मौसम में किसान खेती एवं पशुपालन के लिए यह कार्य करें

मौसम आधारित कृषि सलाह

देश में रबी सीजन की बुआई का काम तेजी से चल रहा है, रबी की बहुत सी ऐसी फसलें भी है जिनकी बुआई पहले की जा चुकी है और बहुत सी फसलों की बुआई चल रही है | देश की भोगोलिक स्थिति बड़ी होने के चलते सभी जगहों पर एक साथ बुआई का कार्य नहीं किया जाता | यह प्रदेशों की जलवायु एवं खरीफ फसल की कटाई पर निर्भर करता है | अब तक रवि फसलों में अनाज, दलहनी और तिलहनी फसलों की लगभग कार्य हो चूका है।

किसानों को मौसम आधारित सलाह

    मौसम आधारित कृषि सलाह के अंतर्गत किसानों को सामान्य फसले के लिए कृषि विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि धान फसल की कटाई के पश्चात् मृदा में नमी की उपलब्धता के अनुसार रबी फसलें की बुआई करें।  किसान भाई 10 दिसम्बर तक गेहूँ की शीघ्र पकने वाली प्रजातियों की बुवाई करें। इसके पश्चात् बुवाई करने पर बीज दर 25 प्रतिशत बढा देवें। किसान भाई रबी फसले जैसे- चना, कुसुम, अलसी, मसूर, सूरजमुखी, तिल, मूंगफली, एवं मक्का आदि फसलों की बोनी का कार्य जारी रख सकते हैं।

हमेशा प्रस्तावित किस्मों के प्रमाणित बीजों को बीजोपचार पश्चात् बुआई करें। चने के जिन खेतो में उकठा एंव काँलर राट बीमारी का प्रकोप प्रति वर्ष होता हैं, वहां चने के स्थान पर गेंहू, कुसुम एवं अलसी की बुवाई करें अर्थात फसल चक्र अपनाये। चने में बीजोपचार अवश्य करें। इसके लिए बीजों को कार्बेन्डाजिम दवा 1.5 ग्राम प्रति किलो बीज  राइजोबियम कल्चर 6-10 ग्राम तथा ट्राईकोडर्मा पाउडर 6-10 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें।

सब्जी की खेती करने वाले किसान क्या करें ?

    फल और सब्जी की फसलों में अधिक ठण्ड की अवस्था में भिंडी में पीतशिरा रोग की समस्या आती हैं अतरू दैहिक कीटनाशी का छिड़काव करना आवश्यक हैं। मटर में पाउडरी मिल्डीव की समस्या होने पर ताम्रयुक्त फफूदनाशी का छिड़काव करें। मटर में चूर्णिल आसिता के नियंत्रण हेतु तरल सल्फेक्स 8 उस प्रति 14 लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। जिन कृषक बंधुओं ने फलों में मुख्यतः अमरुद, चीकू, फालसा, अनार, नीबू में कटाई- सधाई नहीं किये हो तो अतिशीघ्र कटाई सधाई करें।

पशुओं की देखभाल ऐसे करें

    पशुपालक किसानों को अपने पशुओं की सुरक्षा की सलाह दी गई है । इसके अनुसार पशु बाड़े एवं मुर्गियों के घर में यदि खिड़कियाँ न लगी हो तो ठंडी हवा से बचाव के लिये बोरे लटकायें। नवजात बछड़ों मेमनों आदि को ठंड से बचाव हेतु फर्श पर पैरा का गहरा बिछावन बिछाये एवं छत वाले बाड़े में रात को रखें। दुधारू पशुओं को भरपूर पानी पिलायें अत्यधिक ठंडा पानी पीने न दें। किसानों को सलाह दी गई है कि चारा हेतु जई, बरसीम, एवं रबी ज्वार की बुवाई करें। बहुवार्षिक चारा फसल की कटाई कर ले एवं अतिरिक्त मात्रा का संग्रहण करके रखें।

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बकरी पालन योजना हेतु लोन एवं सब्सिडी लेने के लिए ऐसे बनायें 100 बकरी तथा 5 बकरे के लिए प्रोजेक्ट

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100 बकरी तथा 5 बकरे हेतु प्रोजेक्ट रिपोर्ट

बकरी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जिसे किसान एवं पशुपालक आसानी से शुरू कर सकते हैं और किसान अतिरिक्त आय के लिए बकरी पालन करना भी चाहते हैं | बकरी पालन के लिए बहुत से किसानों को लोन की आवशयकता भी होती है परन्तु किसानों को जानकारी के आभाव में लोन नहीं मिल पाता है | आज किसान समाधान आपको बताएगा किस तरह से किसान भाई या पशुपालक 100 बकरी पालन के लिए लोन एवं सरकार से अनुदान ले सकते हैं | सरकार की योजनाओं के अनुसार बकरियों के साथ बकरा लेना भी अनीवार्य है इसलिए  बकरी पालन प्रोजेक्ट रिपोर्ट में हम 100 बकरी एवं 5 बकरे के लिए जानकारी देंगे |

बकरी पालन हेतु लोन एवं सब्सिडी इस तरह लें

पशुपालन लोन लेने के लिए सबसे पहले जरुरी होता है प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाना यह रिपोर्ट आपको गाय पालन, भैस पालन एवं बकरी पालन आदि के लिए जरुरी होता है | इस पोस्ट में हम बकरी पालन के प्रोजेक्ट की जानकारी आपको देंगें | बकरी पालन प्रोजेक्ट रिपोर्ट में इच्छुक व्यक्ति को यह बताना होता है की वह किस जगह पर बकरी पालन करना चाहता है यह जमीन उसकी है या वह किराये पर यह जमीन लेकर फार्म डालेगा | बकरी फार्म के लिए कितनी भूमि का इस्तेमाल करेगा और उसमें बकरी आवास के निर्माण में कितना खर्च आएगा यह पूरा विवरण देना होता है |

  1. प्रोजेक्ट रिपोर्ट में आप जो बकरी एवं बकरा खरीदना चाहते हैं उसकी जो भी कीमत है बताना होता है | इच्छुक व्यक्ति अच्छी नस्ल की है बकरी एवं बकरे की खरीदने के लिए जो खर्च आ रहा है वह प्रोजेक्ट रिपोर्ट में अवश्य बताना होगा |
  2. आवस के बाद जरुरी होता है भोजन, प्रोजेक्ट रिपोर्ट में यह जानकारी भी विस्तृत रूप से देनी होती है की बकरियों को साल भर में जो भी भोजन दिया जायेगा उस पर कितना खर्च आएगा | बकरी फार्म में सारी बकरियों को जो भोजन दिया जाएगा उसकी कुल लागत भी प्रोजेक्ट रिपोर्ट में बताना जरुरी है |
  3. इसके आलावा बकरियों का इंश्योरेंस भी करवाना होगा जो किसान भाई पशुधन बीमा योजना के तहत करवा सकते हैं यह इंश्योरेंस का खर्च भी किसान भाइयों को प्रोजेक्ट रिपोर्ट में बताना होता है | 
  4. किसानों को अपनी प्रोजेक्ट रिपोर्ट में कुछ अतरिक्त खर्च जैसे यदि कोई मशीन का उपयोग करता है या कुछ अन्य सामग्री खर्च करता है तो इन सभी बातों का विवरण भी प्रोजेक्ट रिपोर्ट में देना होता है | इस तरह पशुपालक को कुल लागत अर्थात बकरी फार्म खोलने के लिए कितना खर्च किया जाना है यह बताना होता है |

प्रोजेक्ट रिपोर्ट का क्या करें ?

सब्सिडी अर्थात सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए व्यक्ति को यह रिपोर्ट जिला पशुपालन विभाग से स्वीकृत करवाना होगा | यदि यह प्रोजेक्ट रिपोर्ट स्वीकृत हो जाती है तो व्यक्ति सब्सिडी के लिए पात्र होगा | सब्सिडी वैसे तो सभी वर्गों के लिए अलग-अलग होती है इसके आलावा राज्यों में भी सब्सिडी की मात्रा में परिवर्तन हो सकता है | सामन्यतः यह 50 प्रतिशत तक होती है | यदि आप बकरी पालन के लिए लोन लेना चाहते हैं तो जो प्रोजेक्ट पशुपालन विभाग से स्वीकृत हो गया है उसे आप अपने बैंक में लेकर जाएं | बैंक व्यक्ति की सारी पड़ताल करके यदि उचित लगता है तो लोन दे देती है | इच्छुक व्यक्ति यदि चाहे तो जिला पशुपालन विभाग से या किसी ट्रेनिंग सेंटर से बकरी पालन के लिए प्रशिक्षण ले सकता है |

 किसान समाधान आपके लिए 100 बकरी एवं 5 बकरे के लिए प्रोजेक्ट रिपोर्ट लेकर आया है | किसान इस रिपोर्ट को अपने अनुसार परिवर्तित कर सकते हैं | यदि आपको लगता है किसी घटक पर अधिक लागत है तो आप अपनी रिपोर्ट में वह लिख सकते हैं |

100 बकरी तथा 5 बकरे हेतु प्रोजेक्ट रिपोर्ट इस तरह बनायें:-

आवास के लिए भूमि

  1. एक बकरी के लिए 12 वर्ग फीट के लिए भूमि की जरूरत है

100 बकरी के लिए भूमि की आवश्यकता है – 100 बकरी × 12 वर्ग फीट = 1200 वर्ग फीट

  1. एक बकरा के लिए 15 वर्ग फीट की भूमि होना चाहिए |

इसलिए 5 बकरे के लिए भूमि की आवश्यकता है – 5 बकरे × 15 वर्ग फीट = 750 वर्ग फीट

  1. एक बकरी के बच्चे के लिए 8 वर्ग फीट भूमि होना चाहिए |

100 बकरी के बच्चे के लिए भूमि की जरूरत है – 200 बच्चे × 8 वर्ग फीट = 1600 वर्ग फीट

कुल भूमि की 1 + 2 + 3 = 2875 वर्ग फीट होना चाहिए

इस भूमि पर आवास बनाने पर आने वाले खर्च

  1. 200 रुपये प्रति वर्ग फीट भूमि पर खर्च आयेगा

कुल खर्च 200 रुपये × 2875 वर्ग फीट = 5,75,000 रुपये

बकरी तथा बकरे को खरीदने के लिए खर्च

गर्भवती बकरी जिसका वजन लगभग 16 किलो है | उस एक बकरी का मूल्य लगभग 4,000 रुपये है |

100 बकरी का मूल्य = 4,000 रुपये प्रति बकरी × 100 बकरी = 4,00,000

  • एक बकरे का मूल्य (वजन लगभग 20 किलो) 5,000 रुपये

इसलिए 5 बकरे का की लागत = 5 बकरा × 5000 रुपये = 25,000

  • बकरी तथा बकरे खरीदी पर आनेवाली लागत (2+3)

100 बकरी तथा 5 बकरे की खरीदी पर आनेवाला खर्च = 4,00,000 + 25,000 = 4,25,000 रुपये

आवास, तथा बकरी एवं बकरे की खरीदी पर आने वाली कुल लागत

(1+4)

कुल खर्च (आवास तथा बकरी और बकरे की खरीदी) = 5,75,000 + 4,25,000 = 10,00,000 रुपये

एक वर्ष में भोजन पर आने वाली लागत

100 बकरी तथा 5 बकरा के लिए 300 ग्राम भोजन

इसलिए 100 बकरी तथा 5 बकरे के 12 माह के लिए भोजन की मात्रा = 105 × 0.3 किलोग्राम × 365 दिन =  11497.5 किलोग्राम (लगभग 11500 किलोग्राम)

इस पर आने वाली लागत

  • भोजन पर आनेवाला खर्च = 15 रुपये प्रति किलो
  • कुल खर्च 4600 किलोग्राम × 15 = 69,000 रुपये

इंश्योरेंस पर होने वाला  खर्च एक वर्ष के लिए 

  • 5% एक वर्ष के लिए 100 बकरी तथा 5 बकरे की खरीदी मूल्य पर = 4,25,000 का 5% = 21,250 रुपये
  • चिकित्सा उपचार पर आनेवाला खर्च 150 रुपये प्रति बकरा या बकरी एक वर्ष के लिए = 150 रुपये × 105 (100 बकरी तथा 5 बकरा) = 15,750 रुपये

अतरिक्त खर्च

  • रस्सी, भूसा बनाने वाला मशीन या कुछ अन्य पर आने वाला खर्च 250 रुपये प्रति बकरी या बकरा = 250 रुपये × 42 (40 बकरी और 2 बकरा) = 26,250 रुपये
  • कुल खर्च = भोजन खर्च + इंश्योरेंस + चिकित्सा + अन्य खर्च =(1,72,500 + 21,250 + 15,750 + 26,250) रुपये  = 2,35,750 रुपये सालाना
  • अर्थात 100 बकरी एवं 5 बकरे को साल भर पालने पर बकरी पालक को 1 साल में लगभग 2 लाख 35 हजार 750 रुपये खर्च करना होगा |

100 बकरी एवं 5 बकरा पालन में प्रथम वर्ष में कुल खर्च

किसान या पशुपालक को पहले वर्ष में आवास एवं बकरे एवं बकरी की खरीद पर ही खर्च करना होता है जिसकी कुल लागत 10 लाख रुपये है | द्वितीय वर्ष से यह लागत नहीं लगती अगले वर्ष किसान को सिर्फ भोजन खर्च, इंश्योरेंस, चिकित्सा एवं अन्य खर्च ही लगता है | जिस पर 2,35,750 रुपये का खर्च आता है |

  • 100 बकरी एवं 5 बकरा खरीद + आवास = 5,75,000 + 4,25,000
  • भोजन खर्च + इंश्योरेंस + चिकित्सा + अन्य खर्च = 1,72,500 + 21,250 + 15,750 + 26,250 रुपये = 2,35,750 रुपये सालाना

बकरी पालन से होने वाली आय

यह अच्छा होगा की बकरी पालन की शुरुआत करने से पूर्व व्यक्ति उससे होने वाली अनुमानित आय भी निकाल ले | लोन के लिए इच्छुक व्यक्ति प्रोजेक्ट रिपोर्ट में बकरी फ़ार्म से होने वाली आय का विवरण भी दे सकते हैं जिससे वह बैंक को बता सके की वह लिया गया लोन किस तरह से वापस करेगें | इससे उन्हें लोन मिलने में आसानी होगी | किसान भाई यह लोन किसान क्रेडिट कार्ड पर भी ले सकते हैं |

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5 करोड़ किसानों के बैंक खातों में इसी माह डाल दी जाएगी पीएम किसान योजना की तीनों किस्तें

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की तीनों किस्त

https://youtu.be/18Jpw1ZvlA4
PM-Kisan | प्रधानमंत्री किसान योजना में किसान स्वयं आवेदन कैसे करें | किसान आवेदन कैसे सुधारें |

किसान सम्मान निधि योजना को लागु हुये लगभग 10 माह बीत गए हैं परन्तु अभी भी मात्र 7.5 करोड़ किसानों को ही योजना का कुछ लाभ मिल पाया है जबकि योजना के अनुसार दिसम्बर माह तक सभी किसानों को तीनों किस्ते दी जानी थी | किसानों को तीनों किस्ते न दिए जाने का कारण किसानों का आधार कार्ड लिंक न होना,आवेदन में गलती होना या राज्य सरकारों द्वारा किसानों का डाटा उपलब्ध न करवाना बताया जा रहा है | आज सदन में केंद्र सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास और पंचायत राज मंत्री श्री नरेन्द्र सिंग तोमर ने राज्यसभा में एक सवाल के जबाब में पीएम किसान योजना सम्बंधित जानकारी दी-

आधार से लिंक 5 करोड़ किसानों को दी जाएगी तीनों किस्तें

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने बताया की पीएम किसान योजना का सञ्चालन पश्चिम बंगाल को छोड़कर पूरे देश में ठीक प्रकार से चल रहा है | उन्होंने ने सदन में बताया की मध्यप्रदेश, राजस्थान और पंजाब राज्य भी इस योजना से जुड़ चुके हैं एवं इन राज्यों से भी किसानों का डाटा केंद्र सरकार को मिलने लगा है | अभी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत अब तक लगभग 7.5 करोड़ किसानों को राशि का भुगतान किया जा चुका है और लगभग 05 करोड़ किसान आधार से लिंक हो चुके हैं, जिनकी राशि इसी माह किसानों के खातों में डाल दी जाएगी।

पीएम किसान योजना में किस्तों की ताजा स्थिति

किसान सम्मान निधि योजना के तहत अभी तक कूल 7 करोड़ 62 लाख 20 हजार 384 किसानों को पहली क़िस्त वहीं 6 करोड़ 49 लाख 94 हजार 048 किसानों को दूसरी क़िस्त एवं 3 करोड़ 85 लाख 69 हजार 154 किसानों को तीसरी क़िस्त दी जा चुकी है | इनमें से अभी तक पश्चिम बंगाल, सिक्किम एवं लक्षद्वीप के किसानों को इस योजना के तहत एक भी क़िस्त नहीं दी गई है |

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इन किसानों को नहीं मिलेगा 3 वर्ष तक किसी भी सरकारी योजना का लाभ

पराली जलाने पर किसानों को किया गया योजनओं से वंचित

लगता है कि सरकार ने प्रदूषण को रोकने के लिए सख्त रवैया अख्तियार कर लिया है | इसके लिए किसानों के विरुद्ध कड़े कदम उठाना शुरू भी कर दिया है | वहीं दूसरी तरफ पराली किसानों के लिए एक मुसीबत बनती जा रही है | पराली जलाना किसानों के लिए एक उपाय के साथ जुर्म के रूप में सामने आ रहा है | उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ राज्य किसानों के ऊपर सीधे FIR दर्ज कर रही है तो बिहार जैसे राज्य प्रदेश के किसानों को कृषि विभाग की सभी योजनाओं से तीन वर्ष के लिए वंचित कर रही है |

राज्य सरकार के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार कृषि विभाग द्वारा पटना प्रमंडल से प्राप्त प्रतिवेदन के आधार पर चिन्हित 59 किसानों को फसल अवशेष जलाने के कारण उन्हें दंडित करने का निर्णय लिया गया है | कृषि विभाग के पोर्टल पर पंजीकृत इन सभी किसानों को तीन सालों के लिए विभागीय योजनाओं के सभी प्रकार के अनुदान के लाभ से वंचित कर दिया गया है | फसल अवशेष न जलाने हेतु सरकार द्वारा व्यापक पैमाने पर प्रचार–प्रसार किया जा रहा है | बाबजूद इसके इन किसानों द्वारा फसल अवशेष पुआल जलाने की घटना की सुचना प्राप्त हुई थी |

पराली जलाने को रोकने के लिए प्रचार-प्रसार अभियान जारी

29 नवम्बर को कृषि विभाग के सहयोग से राज्य के 62,432 राजकीय विद्यालयों में पढने वाले 92,75,132 छात्र / छात्राओं द्वारा आयोजित सुबह की प्राथना सभा में फसल अवशेष प्रबंधन के लिए शपथ दिलाई गई है | फसल प्रबंधन हेतु इन सभी विद्यालयों में 53,343 विशेष स्तर अभियान भी चलाया गया | इस शपथ कार्यक्रम में कृषि विभाग के राज्य के प्रमंडल स्तर से लेकर पंचायत स्तर तक के पदाधिकारीयों एवं कर्मचारियों द्वारा अपने कार्य क्षेत्र में अवस्थित विधायलों में शपथ ली गई है | इन कार्यक्रमों से समाज के लोगों को फसल अवशेष प्रबंधन हेतु जागरूक करने में मदद मिलेगी |

फसल अवशेष प्रबन्धन हेतु कृषि यंत्रों पर 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी

कृषि विभाग द्वारा फसल अवशेष पुआल जलाने से रोकने के कार्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है | कृषि विभाग द्वारा इसके लिए व्यापक पैमाने पर विभिन्न माध्यमों से प्रचार–प्रसार कर लोगों को जागरूकत किया जा रहा है | साथ ही फसल अवशेष प्रबंधन से संबंधित कृषि यंत्रीकरण मेला में प्राथमिकता के आधार पर फसल अवशेष प्रबंधन से संबंधित कृषि यंत्रों हैप्पी सीडर, स्ट्रा बेलर विदाउट रेक, स्ट्रा रीपर / स्ट्रा कम्बाईन रोटरी म्ल्च्र, रीपर–कम–बाईडर आदि यंत्रों का अधिक से अधिक संख्या में इच्छुक किसानों के बीच वितरण करना सुनिश्चित किया जा रहा है |

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किसान अब 7050 रुपये के भाव पर बेच सकेंगे 10 फीसदी अधिक मूंग, अभी पंजीयन करें

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समर्थन मूल्य पर मूंग की सरकारी खरीद

इस वर्ष खरीफ फसल में मौसम का साथ नहीं देने के कारण दलहन की उत्पादन कम हुआ है | जिसके कारण बाजार में दलहन की मांग लगातार बढ़ रही है | इसी को ध्यान में रखते हुये राज्य सरकार किसानों से दलहन खरीदी के लिए पंजीयन की आखरी डेट तथा खरीदी क्षमता को बढ़ा रही है | राजस्थान में पहले भी दलहन के लिए 10 प्रतिशत अधिक खरीदी क्षमता बढ़ाने के लिए पंजीयन की डेट को बढाई गई थी | राजस्थान में अभी किसानों से मूंग उड़द एवं मूंगफली समर्थन मूल्य पर खरीदी जा रही है |

मूंग बेचने के लिए किन जिलों के किसान पंजीयन करें ?

राजस्थान के प्रमुख शासन सचिव , सहकारिता श्री नरेश पाल गंगवार ने बताया कि बीकानेर, चुरू, श्रीगंगानगर, नागौर, सीकर, झुंझुनू एवं जैसलमेर जिलों मकरी केंद्र क्षमता के अनुसार कुछ केन्द्रों पर पंजीयन पूरा हो चूका है | उक्त जिलों में अधिक मुंग उत्पादन की स्थिति में 63 केन्द्रों पर पंजीयन की सीमा को 10 प्रतिशत और बढ़ा दी गई है | उन्होंने बताया कि बुधवार 4 दिसम्बर से इन जिलों में पंजीयन फिर से प्रारम्भ हो जाएंगे |  इस वर्ष मूंग का समर्थन मूल्य 7050 रुपये है |

अभी तक मूंग बेचने के लिए कुल पंजीकृत किसान ?

श्री गंगवार ने बताया कि 2 लाख 44 हजार किसानों ने समर्थन मूल्य पर मुंग, उड़द, सोयाबीन एवं मूंगफली के लिए पंजीयन करा लिया है | उन्होंने बताया कि 327 खरीदी केंद्र स्थापित किये गए हैं | मुंग के लिए 1 लाख 25 हजार 671 किसनों ने पंजीयन कराया है | उन्होंने बताया कि इस निर्णय से मुंग के 63 केन्द्रों पर 6 हजार 732 किसानों को फायदा मिलेगा |

अभी तक सरकारी खरीद ?

राज्य में मूंग एवं मूंगफली की 227 केन्द्रों पर 2 दिसम्बर तक 43 हजार 269 किसानों से 81 हजार मीट्रिक टन की मुंग एवं मूंगफली की खरीदी हो चुकी है | जिसकी राशि 522.30 करोड़ रूपये है | 28 हजार 546 को 341.10 करोड़ रूपये का भुगतान किया जा चूका है |

सरकार ने किसानों की सहायता के लिए टोल फ्री नंबर किया जारी

किसानों की समस्या के समाधान हेतु राजफेड स्तर पर टोल फ्री हेल्पलाईन नंबर 1800-180-6001 पर प्रात: सुबह 9 से शाम 7 बजे तक किसान अपनी समस्याओं को हेल्पलाईन नंबर दर्ज करा सकते हैं अथवा अपनी शिकायत/ समस्या को लिखित में राजफैड मुख्यालय में स्थापित काल सेंटर पर [email protected] पर मेल भेज सकते हैं |

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13,500 रुपये तक की सब्सिडी लेने के लिए कृषि इनपुट अनुदान योजना के तहत किसान आवेदन करें

कृषि इनपुट सब्सिडी योजना

वर्ष 2019–20 के खरीफ मौसम के खड़ी फसलों में बाढ़ / अतिवृष्टि के कारण प्रभावित फसलों एवं अल्पवृष्टि के कारण कृषि योग्य प्रति भूमि रहने से किसानों को काफी क्षति हुई है | इस स्थिति को देखते हुये राज्य सरकार द्वारा किसानों को कृषि इनपुट अनुदान देने का निर्णय लिया गया था | यह अनुदान भारत सरकार द्वारा अधिसूचित प्राकृतिक आपदाओं एवं राज्य सरकार द्वारा स्थानीय आपदाओं के अधीन निर्धारित सहायता मापदन्डों के अनुरूप दिया जायेगा | बिहार राज्य सरकार ने कृषि इनपुट अनुदान योजना के आवेदन की डेट को बढ़ा दिया गया है | इसकी पूरी जानकारी किसान समाधान लेकर आया है

किसान आवेदन कब तक कर सकेंगे ?

योजना का लाभ लेने हेतु पहले आवेदन की तारीख 20 नवम्बर तक थी लेकिन इसे बढ़ाकर 30 नवम्बर तक क्र दी गई थी  लेकिन इस डेट को भी बढ़ाकर 10 दिसम्बर तक कर दिया गया है | जो किसान अभी तक इनपुट योजना का लिए आवेदन नहीं किया है वे अब 10 दिसम्बर तक आवेदन कर सकते हैं |अभी तक बिहार राज्य के 21,49,698 किसान भाईयों एवं बहनों द्वारा इस योजना के अंतर्गत लाभ के लिए आवेदन किया गया है |

कृषि इनपुट सब्सिडी योजना के तहत सब्सिडी ?

बाढ़ / अतिवृष्टि से प्रभावित फसलों एवं अल्पवृष्टि के कारण खरीफ 2019 मौसम में पड़ती भूमि वाले किसनों को यह अनुदान 6,800 रूपये प्रति हेक्टेयर की दर से दिया जायेगा | यह अनुदान इस पुरे खरीफ मौसम में अल्पवृष्टि के कारण अपने खेत में किसी तरह की फसल नहीं लगा पाये हो एवं खेत प्रति रहा हो, ऐसे  किसानों को देय है |

इसके अतरिक्त जिन किसनों को बाढ़ / अतिवृष्टि से हुई फसल क्षति के लिए वर्षाश्रित (असिंचित) फसल क्षेत्र के लिए 6,800 रूपये प्रति हेक्टेयर , सिंचित क्षेत्र के लिए 13,500 रूपये प्रति हेक्टेयर तथा कृषि योग्य भूमि जहाँ बालू / सिल्ट का जमाव 3 इंच से अधिक हो, के लिए 12,200 रु. प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान दिया जायेगा | यह अनुदान प्रति किसान अधिकतम 2 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए देय होगा | किसानों को इस योजना के अंतर्गत फसल क्षेत्र के लिए न्यूनतम 1,000 रूपये अनुदान दिया जायेगा |

कृषि इनपुट सब्सिडी हेतु आवेदन कैसे करें ?

इस योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन पंजीकृत किसानों को ही दिया जायेगा | जो किसान पूर्व से पंजीकृत नहीं है, एसे किसान कृषि विभाग सरकार के डी.बी.टी. पोर्टल पर अपना पंजीकरण अवश्य करा लें अथवा किसान, अपना पंजीकरण अपने नजदीकी कामन सर्विस केंद्र / वसुधा केंद्र / ई – किसान भवन में नि:शुल्क करा सकते हैं | अनुदान की राशि किसानों को उनके आधार से जुड़े बैंक खाते में ही अन्तरित की जायेगी | किसान समाधन बिहार के किसानों से अपील करता है कि अधिक से अधिक संख्या में ऑनलाइन आवेदन कर इस योजना के अंतर्गत मिलने वाले लाभ लें |

कृषि इनपुट सब्सिडी योजना के तहत आवेदन करने के लिए क्लिक करें 

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