आंधी-बारिश या ओलावृष्टि से फसल नुकसान हुआ है तो यहाँ कॉल करें

फसल क्षति सुचना हेतु यहाँ कॉल करें

पिछले कुछ दिनों से देश के अलग–अलग हिस्सों में कई स्थानों पर असमय आंधी-बारिश एवं ओलावृष्टि के चलते किसानों की रबी फसलों को काफी नुकसान हुआ है | मौसम विभाग के अनुसार अभी बारिश एवं ओलावृष्टि का सिलसिला 22 एवं 23 मार्च तक जारी रहेगा | किसानों को हो रहे इस नुकसान की भरपाई सरकार द्वारा की जाएगी परन्तु इसके लिए किसानों को फसलों को हुए नुकसान का सर्वे करवाना आवश्यक है | अतः जिन किसानों की फसलों को क्षति होती है वह इसकी सुचना देकर अपने खेतों का सर्वे जल्द करवाएं |

जिन किसानों ने अपनी फसलों का बीमा करवाया है वह किसान जिस भी कम्पनी ने बीमा किया है उस कंपनी के टोल फ्री नंबर पर कॉल करके सुचना दे सकते हैं | मध्यप्रदेश में आंधी-बारिश एवं ओलावृष्टि हुई फसल नुकसानी की सर्वे किया जा रहा है | किसानों की फसल नुकसानी का आकलन किया जा रहा है तथा मुआवजे की राशि भी इसी आधार पर तय की जाएगी | खराब मौसम के चलते राज्य में रबी फसल की सरकारी खरीदी को रोक दिया गया है |

पंचायत में चस्पा हो रिपोर्ट

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि सर्वे की रिपोर्ट पंचायत कार्यलय में चस्पा की जाए, जिससे सर्वे में प्राप्त फसलों की क्षति की जानकारी संबंधित किसान को भी प्राप्त हो सकें। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि किसानों को नियमानुसार फसल बीमा योजना का लाभ भी दिलवाने का कार्य किया जायेगा |

फसल नुकसानी की सुचना यहाँ दें

मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री श्री पटेल ने बताया कि बारिश एवं ओला प्रभावित क्षेत्रों में सर्वे का काम प्रारम्भ कर दिया गया है | उन्होंने किसानों से अपील की कि यदि उनकी फसल खराब हुई है और सर्वे अभी प्रारम्भ नहीं हुआ है, तो स्थानीय कृषि, राजस्व विभाग के अधिकारीयों, तहसीलदार, एडीएम एवं जन – प्रतिनिधियों को खराब हुई फसलों की तत्काल सुचना दें | सरकार ने किसानों की सुविधा के लिए कमल सुविधा केंद्र 0755–2558823 जारी किया है | किसान इस नंबर पर भी कॉल करके फसल क्षति की सुचना दे सकते हैं |

हाल ही में हुई बारिश के चलते किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा हैं, कहीं-कहीं तो फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है, ऐसी स्थिति में किसानों को फसल बीमा राशि लेने के लिए सम्बंधित कंपनियों को 72 घंटे के अन्दर ही दावे की सूचना देनी होगी | किसान फसल नुकसानी की सुचना निम्न प्रकार से से सकते हैं |

  1. किसान सीधे बीमा कंपनी, संबंधित बैंक, स्थानीय कृषि विभाग, सरकारी / जिला पदाधिकारी अथवा नि:शुल्क दूरभाष संख्या वाले फोन के अनुसार बीमाकृत किसान द्वारा किसी को भी तत्काल रूप से सूचित किया जाए (72 घंटो के भीतर) |
  2. दी गई सूचना में सर्वेक्षणवार बीमाकृत फसल और प्रभावित रकबा का विवरण अवश्य होना चाहिए |
  3. किसान / बैंक द्वारा अगले 72 घंटों के भीतर प्रीमियम भुगतान सत्यापन की विवरण की जाए |
  4. इसके अतरिक्त किसान भाई फसल बीमा एंड्राइड ऐप से भी फसल क्षति की सुचना दे सकते हैं |

जन हानि, पशु हानि पर प्रावधान के अनुसार दिया जायेगा मुआवजा

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि फसलों की हानि के साथ ही जनहानि और पशु हानि के प्रकरणों में भी सहायता दी जाएगी । जहाँ जन हानि हुई है, प्रावधान अनुसार चार-चार लाख की राशि प्रभावित परिवारों को दी जाए। कृषि विभाग और राजस्व विभाग संयुक्त निरीक्षण करें। राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 के प्रावधान के अनुसार पात्र प्रभावितों की पूरी मदद की जाएगी।

प्रदेश में करीब 15 से 20 जिलों में असमय वर्षा हुई है। कहीं-कहीं ओलावृष्टि भी हुई है। अभी क्षति का आकलन किया जा रहा है। शीघ्र ही जिलों से प्रतिवेदन प्राप्त होगा। पश्चिम मध्यप्रदेश के दो-तीन जिलों में और चंबल क्षेत्र में भी वर्षा हुई है। फसलों की क्षति अधिक नहीं हुई है। यहाँ आंशिक प्रभाव है, उसका आकलन किया जा रहा है। सात लोगों की आकाशीय बिजली गिरने से मृत्यु की सूचनाएँ मिली हैं। कहीं-कहीं पशु हानि भी रिकार्ड की गई है।

गेहूं, चना, मसूर एवं सरसों की समर्थन मूल्य पर खरीद आगामी आदेश तक स्थगित

रबी फसल खरीद स्थगित

वर्ष-2021 रबी फसल की न्यूनतम समर्थन मूल्य की सरकारी खरीदी अभी स्थगित कर दी गई है | मध्य प्रदेश में गेहूं, चना मसूर एवं सरसों की खरीदी 22 मार्च से शुरू होने वाली थी जिसे  तत्काल रोक दिया गया है | यह रोक प्रदेश में हो रही आंधी-बारिश एवं ओलावृष्टि की स्थिति को देख कर लगाई गई है | सरकार ने अभी इसको लेकर कोई नई तिथि जारी नहीं की है | 22 मार्च से गेहूं के अलावा दलहनी और तिलहनी फसलों को बेचने के लिए किसानों को एस.एम.एस भेज दिए गए थे, लेकिन उन किसानों को अभी और इन्तजार करना होगा |

पहले क्या थी समर्थन मूल्य पर खरीदी की तिथि

मध्य प्रदेश में गेहूं तथा रबी अन्य फसलों की खरीदी 15 मार्च किया जाना था, लेकिन इसे बढ़ाकर 22 मार्च किया गया था | एक बार फिर राज्य में रबी फसल की खरीदी को आगे बढ़ा दिया गया है | सरकार के तरफ से अभी कोई सुचना नहीं दी गई है कि रबी फसल उपज की खरीदी कब शुरू की जाएगी | जिन किसानों को उपज बेचने के लिए मेसेज भेजे गए हैं उन्हें अभी अपनी उपज बेचने के लिए इन्तजार करना होगा | फसलों की खरीद शुरू होने पर उन्हें दोबारा से मेसेज भेजे जाएंगे |

इस कारण से की गई फसल खरीद स्थगित

किसान –कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल ने रविवार को फेसबुक पर किसानों से संवाद करते हुए कहा कि मौसम की स्थिति को देखते हुए चना, मसूर एवं सरसों की खरीदी की तिथि 22 मार्च से आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया था जिसे अभी आगे बढ़ा दिया गया है | सरकार ने ऐसे संकेत दिए हैं की मौसम की स्थिति में सुधार होते ही खरीद प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी |

मध्यप्रदेश गेहूँ खरीदी में बना नम्बर 1 राज्य

मंत्री श्री पटेल ने प्रदेश के किसान भाइयों को बधाई देते हुए कहा कि कोरोना काल में हमारे अन्नदाताओं ने बंपर पैदावार की, जिससे विगत वर्ष मध्यप्रदेश गेहूँ खरीदी में पंजाब को पीछे छोड़ते हुए नंबर-1 राज्य बना। कोरोना काल के बावजूद मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के किसानों से 1 करोड़ 29 लाख 28 हजार 379 मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी की थी | यह खरीदी राज्य के 4 हजार 527 खरीदी केन्द्रों पर 15 लाख 55 हजार 453 किसानों से की गई थी |

पिछले वर्ष 19 लाख 46 हजार किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर विक्रय के लिए पंजीयन कराया था | इसमें से 15 लाख 55 हजार 453 किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए क्रय केंद्र पहुंचे थे | इस वर्ष गेहूं खरीदी के लिए 24 लाख 58 हजार किसानों ने पंजीयन कराया है | इन किसानों से 4763 खरीदी केन्द्रों से 1 करोड़ 35 लाख मीट्रिक टन खरीदी का लक्ष्य रखा है |

किसान न्याय योजना के तहत 18 लाख से अधिक किसानों को दिए जाएंगे 1104 करोड़ रुपये

किसान न्याय योजना के तहत किसानों को चौथी किश्त

पीएम-किसान सामान निधि योजना की तर्ज पर कई राज्यों में भी किसान फसल उत्पादन के लिये आवश्यक आदान जैसे उन्नत बीज, उर्वरक, कीटनाशक, यांत्रिकीकरण एवं नवीन कृषि तकनिकी जैसी चीजों में निवेश कर सके इसके लिए सीधे सहायता राशि उपलब्ध करवाने के लिए योजनाओं की शुरुआत की गई है | इसमें छतीसगढ़ राज्य सरकार भी शामिल है | छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने फसल उत्पदान में लगने वाली लागत में किसानों को राहत देने के लिये राज्य शासन द्वारा कृषि आदान सहायता हेतु “राजीव गांधी किसान न्याय योजना” की चलाई जा रही है |

राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत किसानों के बैंक खातों में राशि देने का सिलसिला लगातार जारी है | योजना के तहत छत्तीसगढ़ के किसानों को 21 मार्च 2021 को राज्य के मुख्यमंत्री के द्वारा चौथी किश्त दी जाएगी | जिसका लाभ 14 फसल उत्पादक किसान के साथ–साथ बीज उत्पादक किसानों को भी होगा | चौथे किश्त के रूप में 18 लाख 43 हजार किसानों को 1 हजार 104 करोड़ 27 लाख रूपये का भुगतान किया जाएगा |

18 लाख 38 हजार किसानों को मिलता है योजना का लाभ

राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत अभी तक राज्य 18 लाख 38 हजार किसानों को 4523.62 करोड़ का भुगतान किया जा चूका है | योजना के तहत लघु, सीमांत तथा दीर्घ सभी तरह के किसानों को लाभ दिया रहा है | लाभ प्राप्त करने वाले किसानों की भूमि के आधार पर वर्गीकरण इस प्रकार है |

  1. सीमांत किसान – 9 लाख 50 हजार
  2. लघु सीमांत किसान – 5 लाख 60 हजार
  3. दीर्घ कृषक– 3 लाख 21 हजार

चौथी किश्त के रूप में 5 हजार 627 करोड़ रूपये दिये जायेंगे |

राजीव गाँधी किसान न्याय योजना के तहत फसल उत्पादक किसानों और प्रमाणित बीज उत्पादक किसानों को चार किसानों को कुल 5 हजार 627 करोड़ 89 लाख रूपये का भुगतान किया जाना है | इसमें से चतुर्थ किश्त के रूप में फसल उत्पादक किसानों को 1104.27 करोड़ रूपये का भुगतान किया जा चूका है | अभी तक किसानों को तीन किश्तों में 4,597 करोड़ 86 लाख रूपये का भुगतान किया जा चूका है | शेष राशि चतुर्थ किश्त के रूप में 1 हजार 104 करोड़ 27 लाख का भुगतान 21 मार्च 2021 को दी जाएगी |

योजना के तहत किसानों को अभी तक दी गई कुल राशि

राजीव गाँधी किसान न्याय योजना के तहत छत्तीसगढ़ के 18 लाख 43 हजार कृषकों को तीन किश्तों में 4523.62 करोड़ का भुगतान किया जा चूका है | यह सभी पैसा धान की फसल और 13 अन्य फसलें लगाने वाले कृषकों को दिया गया है | इसके साथ ही राज्य के 4,777 बीज उत्पादक किसानों को तीन किश्तों में 23 करोड़ 62 लाख रूपये का भुगतान किया जा चूका है |

तीनों किश्त किसानों को वर्ष 2020 से 21 के बीच दिया गया है जो इस प्रकार है :-
  1. प्रथम किश्त में राज्य के किसानों को 21 मई 2020 को 15,00 करोड़ की राशि भुगतान किया गया था |
  2. दिव्तीय किश्त में राज्य के किसानों को 20 अगस्त 2020 को 15,00 करोड़ की राशि भुगतान किया गया |
  3. तृतीय किश्त में राज्य के किसानों को 1 नवम्बर 2021 को 15,00 करोड़ की राशि भुगतान किया गया तथा बीज उत्पादक कृषकों को 23.62 करोड़ रूपये की राशि का भुगतान किया गया था |

इन फसलों की खेती करने पर दिया जाता है अनुदान

राजीव गांधी किसान न्याय योजना 21 मई 2020 से शुरू की है | योजना का आंशिक क्रियान्वयन खरीफ वर्ष 2019 से किया गया है योजना के तहत किसानों की आय में वृद्धि करने के उद्देश्य से धान के अलवा 13 अन्य फसलों के लिए चलाया जा रहा है | इसके अंतर्गत धान, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, टिल, अरहर, मूंग, उड़द, कुल्थी, रामतिल, कोदो, कुटकी, रागी तथा रबी गन्ना फसल को शामिल किया गया है |

गन्ना किसानों को भी दिया जा रहा है योजना का लाभ

राजीव गाँधी न्याय योजना के तहत राज्य के गन्ना किसानों को भी लाभ दिया जा रहा है | वर्ष 2019–20 में सहकारी कारखाना द्वारा क्रय गन्ना की मात्रा के आधार पर एफआरपी राशि 261 प्रति क्विंटल के अतिरिक्त प्रोत्साहन एवं आदान सहायता राशि कुल 93.75 रूपये प्रति क्विंटल कुल 355 रूपये प्रति किवंटल की दर से 34,292 कृषकों को 74 करोड़ 24 लाख रूपये की राशि भुगतान किया जा चूका है |

यह राशि अलग–अलग शक्कर कारखानों के माध्यम से दी जा चुकी है, जो इस प्रकार है :-
  1. भोरदमदेव शक्कर कारखाना कवर्धा-इस कारखाने के 12,077 किसानों को 23 करोड़ 53 लाख रूपये का भुगतान किया गया है |
  2. माँ महामाया शक्कर कारखाना अंबिकापुर-इस कारखाने के 13,441 किसानों को 5 करोड़ 38 लाख रूपये का भुगतान किया गया है |
  3. लौह पुरुष वल्लभ भाई पटेल शक्कर कारखाना पंडिरिया-इस कारखाने के 7,460 किसानों को 19 करोड़ 33 अलख रूपये का भुगतान किया गया है |

21 मार्च को किसानों को किया जाएगा गोबर खरीदी का 7.55 करोड़ रुपये का भुगतान

गोबर खरीदी का भुगतान

देश-भर में किसानों से गाय एवं भैंस का दूध ख़रीदा जाता है परन्तु पशुपालकों को उससे भी अधिक लाभ नहीं होता है | ऐसे में पशुपालन को लाभ का धंधा बनाने के लिए छतीसगढ़ राज्य सरकार ने नई योजना “गोधन न्याय योजना” की शुरुआत की है, जिसके तहत किसानों एवं पशुपालकों से गोबर की खरीदी की जाती है एवं इस गोबर से जैविक खाद बनाकर किसानों को कम दामों पर बेचीं जाती है | योजना के तहत राज्य के पशुपालकों से 2 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से गोबर की खरीदी की जाती है | इस योजना के तहत सीधे तौर पर 1 लाख 62 हजार 497 पशुपालक जुड़े हुए हैं |

प्रत्येक 15 दिन में हितग्राही के खातों में गोबर खरीदी की राशि का भुगतान सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में भेजा जाता है | इस क्रम में 15 वीं और 16 वीं किश्त के रूप में हितग्राही के बैंक खातों में 21 मार्च को पैसा भेजा जायेगा | यह राशि कुल 7 करोड़ 55 लाख रुपये है |

अभी तक किया गया गोबर खरीदी का भुगतान

15 वीं तथा 16 वीं किश्त के रूप में हितग्राही के बैंक खातों में 7 करोड़ 55 लाख रूपये 21 मार्च को भेजा जायेगा | जिसमें से 15 वीं किश्त के रूप में 3 करोड़ 75 लाख रूपये तथा 16 वीं किश्त के रूप में 3 करोड़ 80 लाख रुपये शामिल है | किसानों को अब तक लगभग 81 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चूका है |

अभी तक कितना सरकार द्वारा ख़रीदा गया कुल गोबर

पशुपालक किसानों के लिए अतरिक्त आय के रूप में 20 जुलाई 2020 को शुरू की गई योजना के तहत अभी तक कुल 44 लाख क्विंटल गोबर की खरीदी की गई है | जबकि 15 वीं तथा 16 वीं किश्त में 15 मार्च तक 1 लाख 18 हजार 611 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन किया गया है | इस योजना के तहत सरकार का दावा है कि 1 लाख 62 हजार 497 पशुपालक लाभान्वित हो रहे हैं तो दूसरी तरफ 70 हजार 299 भूमिहीन ग्रामीण लाभान्वित हो रहे हैं | सबसे बड़ी बात यह है की इस योजना से 44.55 प्रतिशत महिलाएं को प्रत्यक्ष रूप से लाभ मिल रहा है |

सरकार के द्वारा 2 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीदे जा रहे गोबर से गठानों में वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाई जा रही है | यह काम स्व-सहायता समूह की महिलाओं के द्वारा किया जा रहा है | गोठानों से तैयार वर्मी कम्पोस्ट को किसानों को बेचा जा रहा है, जिससे जैविक खेती को बढ़ावा मिल रहा है | अभी तक 83 हजार 900 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट का विक्रय किया जा चूका है |

राज्य में कुल गोठानों की संख्या

सुराजी गांव योजना के तहत अब तक 44 लाख क्विंटल गोबर खरीदा गया है | सुराजी गाँव योजना के अंतर्गत प्रदेश में कुल 9 हजार 487 गौठान स्वीकृत किये गये हैं, जिनमे से 5 हजार 586 गौठान निर्मित किए जा चुके हैं तथा 2 हजार 772 गौठान निर्माणाधीन है | पिछले माह 324 गौठान निर्मित किए गये हैं | इसी तरह गौठानों में 85 हजार 503 वर्मी टांका स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 15 मार्च तक 69 हजार 972 वर्मी टांकों का निर्माण पूर्ण किया जा चूका है | राज्य में स्वालम्बी गौठानों की संख्या बढ़कर 387 हो गई है |

राज्य में कुसुम योजना के तहत अभी तक 6496 किसानों को दिए गए सब्सिडी पर सोलर पम्प

कुसुम योजना के तहत अनुदान पर सोलर पम्प

किसानों को उर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए तथा खेती की लागत कम करने के लिए साथ ही सुदूर क्षेत्रों में सिंचाई के संसाधन उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से नवीन एवं नवीनकरणीय मंत्रालय के द्वारा कुसुम योजना चलाई जा रही है | इस योजना के तहत देश के किसानों को सब्सिडी पर सोलर पम्प उपलब्ध करवाए जाते हैं | इस योजना की शुरुआत वर्ष 2018–19 के केंद्रीय बजट से शुरू की गई है |  सभी राज्य सरकारों के द्वारा राज्य के लिए कुसुम योजना के तहत अलग-अलग लक्ष्य निर्धारित किये गए हैं, लक्ष्य के अनुसार इच्छुक किसानों से आवेदन आमंत्रित कर उन्हें अनुदान पर सोलर पम्प दिए जाते हैं | राजस्थान विधानसभा में उर्जा मंत्री के द्वारा कुसुम योजना के कार्य प्रगति की जानकारी दी गई है जिसके अनुसार अभी तक 6 हजार से अधिक किसानों को सब्सिडी पर सोलर पम्प दिए गए हैं | जिसकी जानकारी किसान समाधान आपके लिए लेकर आया है |

राज्य में कुसुम योजना के तहत किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी

राजस्थान में कुसुम योजना के तहत स्टेण्ड अलोन सौर कृषि पम्प की लागत की बेंच मार्क लागत या निविदा लागत इनमें से जो भी कम हो, के लिये 30 प्रतिशत केन्द्रीय सरकार की तरफ से सहायता, 30 प्रतिशत राज्य सरकार की और से सहायता दी जाती है अर्थात किसानों को कुल 60 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाती है | शेष 40 प्रतिशत अंशदान का भुगतान किसान को करना होता है | जिसमें भी केवल 10 प्रतिशत का भुगतान किसान दे सकते हैं और शेष 30 प्रतिशत ऋण के रूप में बैंक से वित्तिय सहायता ले सकते हैं | अर्थात सौर ऊर्जा पम्प सयंत्रों पर किसानों को 60 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है | किसान के हिस्से से लगने वाली 40 प्रतिशत राशि में से 30 प्रतिशत राशि तक का लोन किसान बैंक से ले सकते हैं जिससे उन्हें मात्र 10 प्रतिशत राशि ही देनी होती है |

राजस्थान में कुसुम योजना के तहत 25,000 सौर उर्जा पम्प सयंत्र स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है | जिसके लिए केंद्र सरकार ने प्रथम किश्त के रूप में 68.97 करोड़ रूपये तथा राज्य सरकार राज्यांश अनुदान हेतु 267 करोड़ उपलब्ध करवा दिए गए हैं |

योजना के तहत 6496 किसानों को दिए गए सोलर पम्प

नवीन तथा नवीनीकरण उर्जा मंत्रालय के द्वारा 60 प्रतिशत के अनुदान पर चलाई जा रही कुसुम योजना से अभी तक 6,496 किसानों को लाभ प्राप्त हुआ है | यह सभी किसान अपने खेतों में सोलर पम्प लगवा चुके हैं | जयपुर जिले में 1,331 किसानों को सबसे ज्यादा लाभ मिला है तो दुसरे और तीसरे नंबर पर चुरू (901), टोंक (722) जिले शामिल है | जबकि दूसरी तरफ धौलपुर तथा हनुमानगढ़ जिले में किसी किसानों को लाभ प्राप्त नहीं हुए हैं |

जिलेवार किसानों को दिए गए सोलर पम्प

योजना के तहत अभी तक अजमेर जिले के 366 किसानों को, अलवर जिले में 199, बाँसवाड़ा जिले में 5, बारन जिले में 36, बाड़मेर में 86, भरतपुर में 81, भीलवाडा में 162,  , बीकानेर में 262, बूंदी में 128, चितौडगढ़ में 113, चुरू में 901, दौसा में 85, धौलपुर में 0 ,डूंगरपुर में 0, हनुमानगढ़ में 206, जयपुर में 1331, जैसलमेर में 155, जालौर में 101, झालावाडा में 10, झुंझुनू में 156, जोधपुर में 72, करौली में 32, कोटा में 31, नागौर में 70 , पाली में 76, प्रतापगढ़ में 51, राजसमंद में 114, सवाई-माधोपुर में 114, सीकर में 318, सिरोही में 169, श्रीगंगानगर में 271. टोंक में 722 उदयपुर में 73 किसानों को अनुदान पर सोलर पम्प दिए गए हैं |

7.5 हार्स पॉवर तक के सोलर पम्प पर दिया जाता है अनुदान

नवीन एवं नवीकरणीय उर्जा मंत्रालय के द्वारा चलाई जा रही योजना के तहत किसानों को 2 हार्स पावर से लेकर 7.5 हार्स पवार तक के लिए सब्सिडी उपलब्ध करवाई जा रही है | राजस्थान में किसान योजना के तहत 3 हार्स पॉवर से 7.5 hp तक के सोलर पम्प अनुदान पर ले सकते हैं इसके अलावा किसानों के द्वारा 10 हार्सपावर की मोटर उपयोग करने के बाबजूद भी सब्सिडी दी जाएगी परन्तु सब्सिडी 7.5 हार्सपावर के अनुसार ही दी जाती है |

4.50 लाख से 34 लाख रुपये तक की सब्सिडी पर लेयर मुर्गी पोल्ट्री फार्म खोलने के लिए आवेदन करें

ब्रायलर पोल्ट्री फर्म अनुदान हेतु आवेदन

कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन करने के उद्देश्य से सरकार के द्वारा पशुपालन, मत्स्य पालन एवं लेयर मुर्गी फार्म जैसे व्ययसाय बढ़ाने के लिए कई योजनायें चलाई जा रही हैं | राज्यों को अंडा एवं मांस उत्पदान में आत्मनिर्भर बनाने के लिए मुर्गी पालन के लिए लेयर फार्मिंग शुरू करने पर सब्सिडी दी जाती है | इसके तहत बिहार राज्य सरकार के द्वारा राज्य में मांस एवं अंडा उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए समेकित मुर्गी विकास योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है | योजना के तहत 3,000 से लेकर 10,000 की लेयर फार्मिंग शुरू करने के लिए इच्छुक व्यक्तियों के लिए आवेदन मांगे गए हैं | योजना के तहत लाभार्थियों को अलग-अलग लेयर फार्मिंग पर 4.50 लाख से लेकर 34 लाख रुपये तक के अनुदान का प्रावधान है |

बिहार राज्य में अंडा एवं मांस उत्पादन में वृद्धि हेतु लेयर मुर्गी पालन को बढ़ावा देने हेतु अनुदान की योजना के अंतर्गत लेयर मुर्गी फार्म (3,000, 5,000 एवं 10,000 लेयर मुर्गी की क्षमता वाले फीड मिल सहित) की स्थापना लागत पर अनुदान (सामान्य जाति के लाभुकों हेतु 30 प्रतिशत एवं अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के लाभुकों हेतु 40 प्रतिशत) तथा चार वर्षों तक बैंक ऋण के ब्याज पर 50 प्रतिशत राशि अनुदान के रूप में दिया जायेगा | इसके अलवा 3,000 की ब्रायलर पोल्ट्री फार्म के लिए सामान्य जाती के आवेदक के लिए 30 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के किसानों को 50 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जा रहा है |

इन 3 तरह के लेयर मुर्गी फार्म पर सब्सिडी हेतु कर सकते हैं आवेदन

मांस तथा अंडा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राज्य में समेकित मुर्गी विकास योजना के तहत इच्छुक व्यक्तियों आवेदन मांगे गये हैं | इच्छुक व्यक्ति इन 3 तरह के लेयर फार्म शुरू करने के लिए 20 मार्च 2021 तक आवेदन कर सकते हैं |

लेयर मुर्गी फार्म के लिए 3  योजनाएं इस प्रकार है :-

  1. ब्रायलर पोल्ट्री फार्म के (3000 क्षमता)
  2. लेयर मुर्गी फार्म (5,000 क्षमता फीड मिल सहित)
  3. लेयर मुर्गी फार्म (10,000 क्षमता फीड मिल सहित)

3,000 क्षमता वाले ब्रायलर पोल्ट्री फार्म हेतु योजना

किसानों के लिए 3,000 क्षमता वाले ब्रायलर मुर्गी फार्म पर राज्य सरकार सब्सिडी उपलब्ध करवा रही हैं | इसके तहत सामान्य वर्ग के किसानों के लिए 30 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसानों के लिए 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी उपलब्ध करवाई जा रही है | योजना के लिए अधिकतम लागत 9 लाख रुपये निर्धारित की गई है | जिस पर सामान्य वर्ग के आवेदकों को अधिकतम 2 लाख 70 हजार रूपये की सब्सिडी तथा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आवेदकों को अधिकतम 4 लाख 50 हजार रूपये की सब्सिडी दी जाएगी |

लाभार्थी को दो किश्तों में मिलेगी सब्सिडी

3,000 के ब्रायलर मुर्गी फार्म के लिए सामान्य वर्ग के लाभूकों को अधिकतम 2 लाख 70 हजार रूपये तक की सब्सिडी दी जाएगी | इसमें से प्रथम किश्त के रूप में 60 प्रतिशत यानि 1 लाख 62 हजार रूपये तथा शेष 40 प्रतिशत यानि 1 लाख 8 हजार रूपये दुसरे किश्त में दी जाएगी |

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लाभूकों को अधिकतम 4 लाख 50 हजार रूपये कि सब्सिडी दी जा रही है | इसमें से प्रथम किश्त के रूप में 60 प्रतिशत यानि 2 लाख 70 हजार रूपये तथा शेष 40 प्रतिशत यानि 1 लाख 80 हजार रूपये दुसरे किश्त में दिया जायेगा |

इस योजना के तहत कितने किसान आवेदन कर सकते हैं ?

योजना के तहत कुल 312 इकाई के लिए आवेदन किये जा सकते हैं | इसके तहत राज्य के किसी भी जिले से किसान आवेदन कर सकते हैं | सामान्य वर्ग, अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के लिए लक्ष्य अलग–अलग है |

  • इसमें से सामान्य वर्ग के लाभूकों के लिए 168 इकाई
  • अनुसूचित जाति के लाभूकों के लिए 124 इकाई
  • अनुसूचित जनजाति के लाभूकों के लिए 20 इकाई

3000 क्षमता ब्रायलर पोल्ट्री फार्म योजना pdf की पूरी जानकरी के लिए क्लिक करें

5,000 क्षमता वाले ब्रायलर पोल्ट्री फार्म हेतु योजना

प्रदेश के सामान्य जाति वर्ग के आवेदक के लिए 62 रिक्त इकाई हैं | एक इकाई पर 48.50 लाख रूपये का अधिकतम खर्च रखा गया है | इस अधिकतम खर्च पर राज्य सरकार 30 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाएगी जो अधिकतम 14 लाख 55 हजार रुपये है | इस योजना के अनुसार आवेदक को कम से कम 22 लाख 90 हजार रूपये खुद से लगाने होंगे तथा 4.95 लाख रूपये तक का बैंक में होना अनिवार्य है | बैंक ऋण पर लगने वाले ब्याज पर भी 50 प्रतिशत तक सबसिडी दी जाएगी |

राज्य के अनुसूचित जाति वर्ग के आवेदक के लिए 26 रिक्त इकाई हैं | एक इकाई पर 48.50 लाख रूपये का अधिकतम खर्च रखा गया है | इस अधिकतम खर्च पर राज्य सरकार 40 प्रतिशत की सब्सिडी देगी जो अधिकतम 19 लाख 40 हजार रूपये है | योजना के अनुसार आवेदक को कम से कम 22 लाख 90 हजार रूपये खुद से लगाने पड़ेगा तथा 4 लाख 85 हजार रूपये तक का बैंक में होना अनिवार्य है | बैंक ऋण पर लगने वाले ब्याज पर भी 50 प्रतिशत तक सबसिडी दी जाएगी |

प्रदेश के अनुसूचित जनजाति के आवेदक के लिए 3 रिक्त इकाई हैं | एक इकाई पर 48.50 लाख रूपये का अधिकतम खर्च रखा गया है | इस अधिकतम खर्च पर राज्य सरकार 40 प्रतिशत की सब्सिडी देगी जो अधिकतम 19 लाख 40 हजार रुपया है | इस योजना के अनुसार आवेदक को कम से कम 22 लाख 90 हजार रूपये खुद से लगाने पड़ेगा तथा 4 लाख 85 हजार रूपये तक का बैंक में होना अनिवार्य है | बैंक ऋण पर लगने वाले ब्याज पर भी 50 प्रतिशत तक सबसिडी दी जाएगी |

बैंक लोन के ब्याज पर दी जाएगी 50 प्रतिशत सब्सिडी

इसके अतरिक्त कुल चार वर्षों तक बैंक ऋण के ब्याज पर 50 प्रतिशत अनुदान की अधिकतम राशि निम्नांकित विवरणी के अनुरूप दी जायेगी | स्वलागत से लेयर फार्म स्थापित करने पर बैंक ऋण के ब्याज पर अनुदान देय नहीं होगा |

लाभुकों को दो किश्तों में दी जाएगी सब्सिडी की राशि

सामान्य वर्ग के लाभुकों को 5,000 लेयर मुर्गी फार्म के लिए कुल 14 लाख 55 हजार रूपये तक कि सब्सिडी दी जाएगी | इसमें से पहली किश्त के रूप में सब्सिडी का 60 प्रतिशत यानि 8 लाख 73 हजार रूपये तथा दूसरी किश्त के रूप में शेष 40 प्रतिशत यानि 5 लाख 82 हजार रूपये दिये जायेंगे |

अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के लाभुकों को 5,000 लेयर मुर्गी फार्म के लिए सब्सिडी के रूप में 19 लाख 40 हजार रूपये दिये जायेंगे | यह राशि दो किश्तों में दी जाएगी | पहली किश्त के रूप में सब्सिडी का 60 प्रतिशत यानि 11 लाख 64 हजार तथा दूसरी किश्त के रूप में शेष 40 प्रतिशत यानि 7 लाख 76 हजार रूपये दिये जायेंगे |

5,000 क्षमता वाले ब्रायलर पोल्ट्री फार्म योजना pdf सम्पूर्ण जानकारी के लिए क्लिक करें

10,000 क्षमता वाले ब्रायलर पोल्ट्री फार्म हेतु योजना

राज्य के सामान्य जाति के आवेदक के लिए 90 रिक्त इकाई हैं | एक इकाई पर 85 लाख रूपये का अधिकतम खर्च रखा गया है | इस अधिकतम खर्च पर राज्य सरकार 30 प्रतिशत की सब्सिडी देगी जो अधिकतम 25 लाख 50 हजार रुपये है | इस योजना के अनुसार आवेदक को कम से कम 45.80 लाख रूपये खुद से लगाने पड़ेगा तथा 10 लाख रूपये रूपये तक का बैंक में होना अनिवार्य है | बैंक ऋण पर लगने वाले ब्याज पर भी 50 प्रतिशत तक सबसिडी दी जाएगी |

राज्य के अनुसूचित जाति के आवेदक के लिए 14 रिक्त इकाई हैं | एक इकाई पर 85 लाख रूपये का अधिकतम खर्च रखा गया है | इस अधिकतम खर्च पर राज्य सरकार 40 प्रतिशत की सब्सिडी देगी जो अधिकतम 40 लाख रुपया है | इस योजना के अनुसार आवेदक को कम से कम 45.80 लाख रूपये खुद से लगाने पड़ेगा तथा 8 लाख 50 हजार रूपये तक का बैंक में होना अनिवार्य है | बैंक ऋण पर लगने वाले ब्याज पर भी 50 प्रतिशत तक सबसिडी दी जाएगी |

राज्य के सामान्य जाती के आवेदक के लिए 1 रिक्त इकाई हैं | एक इकाई पर 85 लाख रूपये का अधिकतम खर्च रखा गया है | इस अधिकतम खर्च पर राज्य सरकार 40 प्रतिशत की सब्सिडी देगी जो अधिकतम 34 लाख रुपया है | इस योजना के अनुसार आवेदक को कम से कम 45.80 लाख रूपये खुद से लगाने पड़ेगा तथा 8 लाख 50 हजार रूपये तक का बैंक में होना अनिवार्य है | बैंक ऋण पर लगने वाले ब्याज पर भी 50 प्रतिशत तक सबसिडी दी जाएगी |

दी किश्तों में दी जाएगी सब्सिडी की राशि

सामान्य वर्ग के लाभुकों को 10,000 लेयर मुर्गी फार्म के लिए कुल 25 लाख 50 हजार रूपये तक कि सब्सिडी दिया जाता है | इसमें से पहली किश्त के रूप में सब्सिडी का 60 प्रतिशत यानि 15 लाख 30 हजार रूपये तथा दूसरी किश्त के रूप में शेष 40 प्रतिशत यानि 10 लाख 20 हजार रूपये दिये जायेंगे |

अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के लाभुकों को 10,000 लेयर मुर्गी फार्म के लिए सब्सिडी के रूप में 34 लाख रूपये दिये जायेंगे | यह राशि दो किश्तों में दिया जायेगा | पहली किश्त के रूप में सब्सिडी का 60 प्रतिशत यानि 20 लाख 40 हजार तथा दूसरी किश्त के रूप में 13 लाख 60 हजार रूपये दिये जायेंगे |

योजना के लिए आवश्यक भूमि

लेयर मुर्गी फार्मिंग के लिए 3 प्रकार का योजना है | आवेदक 3,000, 5,000 तथा 10,000 मुर्गी के लिए आवेदन कर सकते हैं | इसके लिए आवेक के पास पहले से कम से कम इतनी भूमि होना आनिवार्य है |

  • 3,000 के लेयर मुर्गी फार्मिंग के लिए आवेदक के पास कम से कम 7,000 वर्ग फीट की आवश्यकता होती है |
  • 5,000 के लेयर मुर्गी फार्मिंग के लिए आवेदक के पास कम से कम 50 डिसमिल भूमि होना अनिवार्य है |
  • 10,000 के लेयर मुर्गी फार्मिंग के लिए आवेदक के पास कम से कम 100 डिसमिल भूमि होना अनिवार्य है |

योजना हेतु आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेज

  • आवेदक का फोटोग्राफ
  • आधार कार्ड की छाया प्रति
  • जाती प्रमाण पत्र (केवल SC/ST के लिए अनिवार्य हैं)
  • पैन कार्ड की छाया प्रति
  • आवेदन के समय आवेदक के पास वांछित राशि की छाया प्रति
  • लीज / निजी / पैत्रिक भूमि का ब्यौरा की छाया प्रति
  • प्रशिक्षण संबंधी साक्ष्य

आवेदनकर्ता के पास एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट होना जरुरी है जिसमें मुर्गी पालन पर व्यय के अलावा वर्ष भर आने वाले खर्च को दिखाना होगा साथ ही वर्ष में मुर्गी पालन से लाभ भी दिखाना होगा | प्रोजेक्ट रिपोर्ट इस तरह होना चाहिए | प्रस्तावित प्रोजेक्ट रिपोर्ट की राशि,अनुदान की राशि अनुदान के अतिरिक्त राशि की व्यवस्था (स्वलागत अथवा बैंक ऋण से) यदि स्वलागत से हो तो राशि की उपलब्धता संबंधी साक्ष्य यदि बैंक से ऋण प्राप्त करना चाहते हैं तो लाभुक के स्तर से व्यय की जाने वाली राशि (मार्जिन मनी) की उपलब्धता संबंधी साक्ष्य [राशि की उपलब्धता संबंधित साक्ष्य के रूप में अघतन बैंक पास बुक / बनेक के शाखा प्रबंधक के द्वारा सत्यापित खाता विवरणी (account statement) / बैंक सावधि जमा अथवा बीमा का प्रत्यार्पण मूल्य (surrender value) इत्यादी जमा किया जा सकता है ] विशेष यदि कोई हो (निबंधन संख्या इत्यादि)

अनुदान हेतु इच्छुक लाभार्थी यहाँ आवेदन करें

3,000, 5,000 तथा 10,000 के लेयर मुर्गी फार्मिंग के लिए किसान 20 मार्च तक आवेदन कर सकते हैं | किसान भाई योजना से सम्बंधित अधिक जानकारी के बिहार राज्य के पशुपालन विभाग की वेबसाइट https://state.bihar.gov.in/ahd/CitizenHome.html पर भी देख सकते हैं | योजना हेतु आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन है आप बिहार पशुपालन विभाग पर जाकर ऑनलाइन आवेदन एवं योजना से जुडी जानकारी देख सकते हैं | इच्छुक व्यक्ति आवेदन अपने नजदीक के किसी भी वसुधा केंद्र तथा किसी भी तरह के कम्पयूटर सेंटर से आवेदन कर सकते हैं या फिर आप इस लिंक से आवेदन कर सकते हैं यह लिंक इस प्रकार है-

5000 एवं 10,000 लेयर फार्म हेतु आवेदन करने के लिए क्लिक करें

3,000 लेयर फार्म हेतु आवेदन करने के लिए क्लिक करें

मौसम चेतावनी: 16 से 20 मार्च के दौरान इन जिलों में हो सकती है बारिश

16 से 20 मार्च के लिए बारिश पूर्वानुमान

उत्तर भारतीय राज्यों के बीच जहाँ गर्मी तेवर दिखा रही है वहीँ लगातार आ रहे पश्चिमी विक्षोभ के चलते पिछले कुछ दिनों में कई स्थानों पर बारिश एवं ओलावृष्टि देखने को मिली है | ऐसे में बारिश एवं ओलावृष्टि की खबर किसानों के लिए परेशान करने वाली है | इस बीच भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने एक और नया पश्चिमी विक्षोभ के सक्रीय होने की जानकारी दी है | जिसके चलते आने वाले दिनों में उत्तर भारतीय राज्यों में अधिकांश स्थानों पर 18 से 20 मार्च के दौरान गरज-चमक के साथ आंधी एवं बारिश होने की संभवना है |

मध्यप्रदेश के इन जिलों में हो सकती है बारिश

भारतीय मौसम विभाग के भोपाल केंद्र की चेतावनी के अनुसार 16 से 20 मार्च के दौरान भोपाल, रायसेन, राजगढ़, विदिशा, सीहोर, धार, इंदौर, अलीराजपुर, बडवानी, बुरहानपुर, खंडवा,खरगोन, झाबुआ, देवास, आगर-मालवा, मंदसौर, नीमच, रतलाम, शाजापुर, उज्जैन, अशोक नगर, गुना, ग्वालियर, शिवपुरी, दतिया, भिंड, मुरैना, श्योपुर कलां, उमरिया, अनूपपुर, शाडोल, डिंडोरी, कटनी, छिंदवाडा, जबलपुर, बालाघाट, नरसिंगपुर, सिवनी, मंडला, रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली, छतरपुर, सागर, टीकमगढ़, पन्ना, दमोह, बैतूल हरदा एवं होशंगाबाद जिलों में कही-कहीं कुछ स्थानों पर गरज चमक के साथ हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है | राज्य में वर्षा का व्यापक असर 18 एवं 19 मार्च के दौरान देखने को मिलेगा |

छत्तीसगढ़ के इन जिलों में हो सकती है बारिश

भारतीय मौसम विभाग के रायपुर केंद्र की चेतावनी के अनुसार 19 एवं 20 मार्च के दौरान सरगुजा, जशपुर, कोरिया, सूरजपुर, बलरामपुर, बिलासपुर, रायगढ़, मुंगेली, कोरबा, जांजगीर, रायपुर, बलोदाबाजार, गरियाबंद,धमतरी, महासमुंद, दुर्ग, बालोद, बेमतारा, कबीरधाम, राजनंदगांव, कोंडागांव,नारायणपुर एवं कांकेर जिलों में कहीं-कहीं कुछ स्थानों पर तेज हवा एवं गरज-चमक के साथ हल्की से मध्यम बारिश होने की सम्भावना है |

पंजाब एवं हरियाणा राज्य के इन जिलों में हो सकती है बारिश

भारतीय मौसम विभाग चंडीगढ़ के द्वारा जारी चेतवानी के अनुसार 17 एवं 18 मार्च के दौरान पंजाब राज्य के पठानकोट, फाजिल्का, फरीदकोट, मुक्तसर, बरनाला, मनसा एवं संगरूर जिलों में गरज चमक के साथ कहीं- कहीं कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश होने की सम्भावना है | हरियाणा राज्य के लिए जारी की गई चेतावनी के अनुसार 18 मार्च को महेंद्रगढ़, रेवारी, झज्जर, गुरुग्राम, मेवात, पलवल, फरीदाबाद, सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, भिवानी, चरखी दादरी जिलों में गरज चमक के साथ कहीं- कहीं कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश होने की सम्भावना है |

राजस्थान के इन जिलों में हो सकती है बारिश

भारतीय मौसम विभाग जयपुर के द्वारा जारी चेतवानी के अनुसार 18 एवं 19 मार्च के दौरान अलवर, बरन, भरतपुर, भीलवाडा, बूंदी, चित्तोडगढ, धोलपुर, डूंगरपुर, झालवार, झुंझुनू, करौली, कोटा, राजसमन्द, सीकर, टोंक, उदयपुर, चुरू, हनुमानगढ़ एवं नागौर जिलों में कहीं-कहीं कुछ स्थानों पर तेज हवा एवं गरज-चमक के साथ हल्की से मध्यम बारिश होने की सम्भावना है |

उत्तरप्रदेश में 18 एवं 19 मार्च के दौरान पश्चिमी उत्तरप्रदेश के जिलों में कहीं-कहीं कही कुछ स्थानों पर गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ने की सम्भावना है | वहीँ पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों में 19 मार्च को कुछ सथानों पर कहीं गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ने की सम्भावना है | इस दौरान बिहार एवं झारखण्ड राज्य में मौसम शुष्क रहने का अनुमान है |

किसानों के लिए कृषि सलाह

आगामी दिनों में हलकी वर्षा एवं ओलावृष्टि की सम्भावना को देखते हुए किसान अपनी फसलों को सुरक्षित स्थानों पर रखें | ग्रीष्मकालीन फलों एवं सब्जी की फसलों की बोआई के लिए उपयुक्त समय हैं। अतः किसान भाइयों को सलाह है कि कद्दूवर्गीय सब्जियों जैसे लौकी, करेला, तरबूज, खरबूज आदि की बैग में नर्सरी तैयार करें। पत्तेदार सब्जियों की बोआई करें तथा ग्रीष्मकालीन सब्जियों के लिए खेतों की तैयारी करें। किसान भाई जिनके पास आने वाले दिनों में पर्याप्त सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है खेत खली होने पर ग्रीष्मकालीन मक्का (हरे भुट्टे के लिए बेबी कॉर्न, स्वीट कॉर्न), मूंग, उड़द, मूंगफली (कच्ची फल्ली) की अति शीघ्र बुआई करें |

किसानों को 31 मार्च तक कर दिया जाएगा फसल बीमा राशि का लम्बित भुगतान

फसल बीमा राशि का भुगतान

प्राकृतिक आपदा के कारण फसलों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए वर्ष 2016 से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई जा रही है | योजना के तहत किसानों को फसल क्षति होने पर उसका आकलन कर उसकी भरपाई की जाती है | इसके लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकार तथा किसानों के द्वारा प्रीमियम राशि दी जाती है परन्तु राज्य सरकार अथवा केंद्र सरकार के द्वारा बीमा कंपनियों को समय पर उनके हिस्से का भुगतान न करने और कंपनियों और राज्य सरकारों के बीच विवाद के कारण किसानों को समय पर फसल बीमा का क्लेम नहीं मिल पाता है | अभी भी कई किसानों को पिछले वर्षों में हुई फसल क्षति का बीमा क्लेम नहीं मिला है | ऐसे में राजस्थान सरकार ने वर्ष 2019-20 में जिन बीमित किसानों की फसलों को नुकसान हुआ था उसका क्लेम 31 मार्च तक करने का फैसला लिया है |

राजस्थान में यूनियन बैंक के द्वारा किसानों का प्रीमियम निर्धारित सयम सीमा पर नहीं भरने के कारण किसानों को फसल नुकसानी का पैसा अभी तक नहीं मिल पाया है | राजस्थान विधान सभा में कृषि मंत्री ने एक सवाल के जवाब दे रहें थे जिसमें यह बताया की समय पर यूनियन बैंक के द्वारा नहीं भरने के कारण किसानों को फसल बीमा राशि रोक दी गई थी, जिसे राज्य सरकार ने किसानों के हित में निरस्त पालिसी को फिर से बहाल कर दिया है |

वर्ष 2019-20 फसल बीमा राशि का भुगतान

वर्ष 2019 के खरीफ मौसम में कोटा, अजमेर व सवाई माधोपुर के 1 हजार 153 कृषकों के 1 करोड़ 50 लाख रूपये के बीमा क्लेम की राशि 8 मार्च 2021 को किसानों के बैंक खातों में प्रेषित कर दी गई है | वहीं वर्ष रबी 2019–20 में चुरू व भीलवाडा जिले के 37 हजार 348 कृषकों के 433 करोड़ 40 लाख रूपये के बीमा क्लेम की राशि 5 मार्च 2021 को कृषकों के बैंक खातों में हस्तांतरित कर दी गई है | कृषि मंत्री के अनुसार भीलवाडा तथा चुरू जिले के 1 लाख 60 हजार कृषकों के 692 करोड़ 16 लाख के बीमा क्लेम अभी भी बचे हुयें हैं, लेकिन कम्पनी और राज्य सरकार के बीच क्लेम की गणना में उत्पन्न हुए बिवाद के कारण बीमा राशि अभी रुकी हुई है | इस बीमा राशि का 180 करोड़ रूपये का प्रीमियम राशि राज्य सरकार के द्वारा तथा केंद्र सरकार के द्वारा भी प्रीमियम राशि का भुगतान कर दिया गया है | अब जल्द ही भीलवाडा तथा चुरू जिले के किसानों को राज्य सरकार द्वारा मूल्यांकित क्षति के आधार पर बीमा राशि किसानों को दे दी जाएगी |

वर्ष 2018–19 फसल बीमा राशि का भुगतान

चुरू जिले के वर्ष 2018–19 के 746 कृषकों के बीमा क्लेम राशि 6 करोड़ 94 लाख रूपये की थी | इस जिले में जिला सांख्यिकी विभाग के द्वारा जिले में उपज को शून्य दिखाया गया था | इस विसंगतियों को 8 मार्च 2021 को संशोधित कर लिया गया है | अब किसानों को 10 दिन में बीमा क्लेम राशि का भुगतान कर दिया जायेगा |

इसके साथ ही कृषि मंत्री ने यह भी बताया की वर्ष 2020 तक के क्लेम किये गये बीमा राशि का भुगतान कम्पनी के द्वारा 31 मार्च तक कर दिया जायेगा | राज्य सरकार के तरफ से प्रीमियम के रूप में 900 करोड़ रूपये की राशि का भुगतान फसल बीमा कम्पनी को कर दिया गया है | समय पर औसतन उपज नहीं दर्शाने के कारण किसानों को भुगतान में देरी हो रही है |

रबी 2017-18 व खरीफ 2018 में कोई भुगतान लंबित नहीं

इससे पहले विधायक दिव्या मदेरणा के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में श्री कटारिया ने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनान्तर्गत किसानों का रबी 2017–18 व खरीफ 2018 के कोई बीमा क्लेम बीमा कम्पनियों के पास लम्बित नहीं है। इन वर्षों में सभी बीमा क्लैमों का भुगतान किसानों को किया जा चूका है |

15 मार्च से नहीं बल्कि अब इस दिन से प्रारंभ होगी समर्थन मूल्य पर चना, मसूर तथा सरसों की खरीदी

समर्थन मूल्य पर चना, मसूर तथा सरसों की खरीदी

केंद्र सरकार द्वारा फसलों पर घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य को केन्द्रीय एजेंसियों के द्वारा किसानों से पंजीकरण करवाकर ख़रीदा जाता है | इसके लिए अलग-अलग राज्य सरकारों के द्वारा अलग-अलग समय पर किसानों से पंजीकरण करवाए जाते हैं | जहाँ अभी मध्यप्रदेश में किसानों के पंजीकरण हो चुके हैं वहीँ अन्य राज्यों में अभी चल रहे हैं | राज्य सरकारों ने किसानों से उपज को खरीदने के लिए तैयारी शुरू कर दी है और किसानों से उपज खरीदने के लिए तिथियाँ भी निर्धारित की जा चुकी है |

जानिए किस राज्य में कब से शुरू होगी समर्थन मूल्य पर खरीदी

हरियाणा सरकार इस वर्ष गेहूं व सरसों की सरकारी खरीद 1 अप्रैल से एवं जौ, चना और दालों की एमएसपी पर खरीद 10 अप्रैल से शुरू करने जा रही है वही उत्तरप्रदेश सरकार किसानों से 1 अप्रैल से गेहूं की खरीदी शुरू करेगी | वहीँ मध्यप्रदेश एवं राजस्थान के कोटा संभाग में गेहूं की खरीदी 15 मार्च से शुरू की जानी है परन्तु मध्यप्रदेश सरकार ने रबी की अन्य फसलों चना, मसूर एवं सरसों की खरीदी की तिथि को 15 मार्च से आगे बढ़ा दिया है |

अब 22 मार्च से होगी मध्यप्रदेश में चना, मसूर एवं सरसों की खरीद

मध्य प्रदेश के किसानों के लिए 15 मार्च से गेहूं के साथ सरसों, चना तथा मसूर की खरीदी किया जाना था लेकिन आंधी-बारिश एवं ओलावृष्टि के चलते चना, मसूर तथा सरसों की खरीदी अब 15 मार्च से नहीं बल्कि 22 मार्च से की जाएगी | किसान–कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल ने कहा है कि समर्थन मूल्य पर चना, मसूर और सरसों की फसलों का उपार्जन अब 22 मार्च से होगा | पहले इसका उपार्जन 15 मार्च से गेहूं के साथ करने का निर्णय लिया गया था जिसे वर्तमान मौसम की स्थिति को देखते हुए 15 मार्च के स्थान पर 22 मार्च से खरीदी का निर्णय लिया गया है। मंत्री श्री पटेल ने बताया कि हाल ही में हुई बे-मौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण सभी जिला अधिकारियों को फसलों के नुकसान का आंकलन करने व राहत का मसौदा तैयार करने के भी निर्देश दिए हैं |

वर्ष 2020–21 हेतु चना,मसूर एवं सरसों का समर्थन मूल्य

प्रत्येक वर्ष केंद्र सरकार के द्वारा 23 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया जाता है | इसमें खरीफ, रबी तथा जायद फसलें शामिल रहती हैं | इस वर्ष रबी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल इस प्रकार है :-

  • गेहूं – 1975 रूपये प्रति क्विंटल
  • चना – 5100 रूपये प्रति क्विंटल
  • मसूर – 5100 रूपये प्रति क्विंटल
  • सरसों – 4675 रूपये प्रति क्विंटल

आंधी-बारिश एवं ओलावृष्टि से हुए फसल नुकसान का आकलन कर किसानों को जल्द दिया जायेगा मुआवजा

बेमौसम आंधी-बारिश एवं ओलावृष्टि से फसल क्षति का मुआवजा

उत्तर भारतीय राज्यों में 11 मार्च से 13 मार्च के दौरान हुई आंधी-बारिश एवं ओलावृष्टि के चलते किसानों की खेत में खड़ी फसल को काफी नुकसान पहुंचा है | वही कई किसानों की फसलें कटने के बाद खेत में ही रखी थी जो अचानक आई बारिश से ख़राब हो गई है, इससे किसानों को काफी आर्थिक नुकसान हुआ है | किसानों की फसलों को हो रहे इस नुकसान का आकलन कर राहत देने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने कृषि विभाग को निर्देश जारी कर दिए हैं |

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में कुछ स्थानों पर हुई बेमौसम बारिश को देखते हुए राज्य सरकार ने अधिकारियों को क्षति के आकलन के निर्देश दिए हैं। किसानों को आवश्यकतानुसार फसलों की क्षति के आधार पर जरूरी राहत प्रदान की जाएगी।

आरबीसी 6(4) के तहत किसानों को दिया जायेगा मुआवजा

मध्यप्रदेश के अलग-अलग जिलों में हो रही आंधी-बारिश एवं ओलावृष्टि से किसानों की  फसलों को जो नुकसान हो रहा है उसकी भरपाई राज्य सरकार के द्वारा आरबीसी 6(4) के तहत की जाएगी | राज्य के सीहोर, हरदा और देवास एवं अन्य जिलों में तेज बारिश के साथ ओला गिरने की सुचना मिली है इसको लेकर किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल ने इन जिलों के कलेक्टरों और उपसंचालक कृषि को तत्काल आंधी–तूफान से क्षतिग्रस्त फसलों की वीडियोग्राफी और सर्वे कार्य शुरू करने के निर्देश दिये हैं | कृषि मंत्री ने कहा है कि राज्य के किसानों को फसल क्षतिपूर्ति की भरपाई के लिए आरबीसी 6(4) के तहत राशि प्रदान की जाएगी |

जिन किसानों की फसलों का बीमा है वहां यहाँ सूचना दे

मध्यप्रदेश में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का क्रियान्वयन भी किया जा रहा है | ऐसे में जिन किसानों की फसलों का बीमा है वह किसान फसल बीमा कम्पनी के टोल फ्री नम्बर पर कॉल करके सूचित कर सकते हैं |  मध्यप्रदेश के लिए एग्रीकल्चर इन्सुरेंस कंपनी के टोल फ्री नम्बर 1800-233-7115/1800116515 पर कॉल कर सूचित कर फसलों का सर्वे करवा सकते हैं | किसान इसके अलावा फसल बीमा जिस बैंक से किया गया है उस बैंक में जाकर फसल बीमा के क्षतिपूर्ति का फार्म भरें या अपने यहाँ के स्थानीय कृषि अधिकारीयों को सूचित करें | परन्तु जिस किसान ने प्रधानमंत्री फसल बीमा नहीं करायें हैं उन किसानों को राज्य सरकार आरबीसी 6(4) के तहत मुवाब्जा दिया जायेगा |

क्या है ? आरबीसी 6(4) जिसके तहत दिया जायेगा किसानों को मुआवजा

अबीमित किसानों कि संख्या बहुत ही ज्यादा है | इस तरह के किसानों के लिए भी सरकार फसल नुकसानी होने पर सहायता राशि देती है | राज्य सरकार के राजस्व विभाग के RBC 6(4) के अनुसार सभी फसल के साथ – साथ पशु, मुर्गी, सूअर तथा घर का मुवाब्जा तय किया है  इसमें किसानों को सिंचित फसल का होने पर 30,000 रुपये प्रति हेक्टेयर, सब्जी तथा मसाला फसलों का नुकसान होने पर 30 हजार रुपया प्रति हेक्टेयर, संतरा तथा अमरुद की नुकसानी पर 500 रुपये प्रति पेड़ एवं नींबू, पपीता, केला फसल की नुकसानी होने पर 13,500 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से किसानों को मुआवजा दिया जाता है |