देश में अभी तक गेहूं खरीदी के 49,965 करोड़ रुपये किसानों के खाते में सीधे दिए गए

गेहूं खरीदी का भुगतान

कोरोना काल में देश के अलग–अलग राज्यों में जनता कर्फ्यू लगाया गया है, जिसके कारण काम काज बंद हो गया है | इसको देखते हुए केंद्र सरकार ने गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत देश के सभी राज्यों तथा केन्द्रशासित प्रदेशों में 5 किलोग्राम प्रति व्यक्ति चावल या गेहूं दिया जा रहा है | यह योजना 2 माह (मई-जून) के लिए लागू की गई है | इस योजना के तहत देश के 80 करोड़ नागरिकों के 5 किलोग्राम चावल या गेहूं दिया जायेगा | योजना के तहत खाद्य सब्सिडी और राज्यों के भीतर परिवहन से जुड़े खर्चों के लिए केंद्रीय सहायता के तौर पर 26,000 करोड़ रूपये से अधिक का खर्च वहन किया जायेगा | योजना के तहत खाद्यान्न्न वितरण के लिए देश भर में रबी सीजन का गेहूं खरीदी की जा रही है जो अभी जारी है | 10 मई तक किसानों को गेहूं खरीदी का पेमेंट कर दिया गया है | किसान समाधान योजना तथा गेहूं खरीदी की जानकारी लेकर आया है |

अभी तक अनाज का कुल वितरण

खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव श्री पाण्डेय ने मिडिया को जानकारी देते हुए बताया कि मई, 2021 महीने के लिए खाद्यान्न वितरण तय कार्यक्रम के अनुसार हो रहा है | 10 मई, 2021 तक 34 राज्यों / केन्द्रशासित क्षेत्रों ने मई 2021 के लिए एफसीआई डिपो से 15.55 लाख मीट्रिक टन से अधिक खाद्यान्न उठाया है और 12 राज्यों / केन्द्रशासित क्षेत्रों के दो करोड़ से अधिक लाभार्थियों को एक लाख मीट्रिक टन से अधिक खाद्यान्न वितरित किया गया है | उन्होंने कहा कि लगभग सभी राज्यों / केन्द्रशासित क्षेत्रों ने जून 2021 के अंत तक मई और जून 2021 के महीनों के लिए पीएमजीकेएवाई – 3 के तहत खाद्यान्नों के वितरण को पूरा करने से जुडी कार्य योजना का संकेत दिया है |

पिछले वर्ष कितना अनाज बांटा गया

कोविड–19 महामारी के दौरान, एक अप्रैल, 2020 से 31 मार्च 2021 की अवधि में वितरण के लिए लगभग 928.77 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) खाद्यान्न  दिया गया था | इसमें 363.89 एलएमटी गेहूं और 564.88 एलएमटी चावल केंद्रीय पूल से दिए गए |

अभी तक कितना गेहूं खरीदा गया है ?

रबी विपन्न सीजन 2021–22 में खरीद सुचारू से चलने के साथ 9 मई को 2021 कुल 337.95 एलएमटी गेहूं की खरीद की गई है, जबकि पिछले वर्ष 248.021 एलएमटी गेहूं की खरीदी की गई थी | यह खरीदी देश में बनाये गये 19,030 केन्द्रों से की गई है जो अभी भी जारी है |

किसानों को कितना भुगतान किया गया है ?

खाद्य एवं वितरण विभाग के सचिव सुधांशु पाण्डेय ने बताया कि कुल डीबीटी भुगतान में से अब तक 49,965 करोड़ रूपये किसानों के खाते में सीधे हस्तांतरित किए गए है और ये गेहूं की खरीदी के लिए ही किए गए है | उन्होंने आगे बताया कि पंजाब में 21,588 करोड़ रूपये और हरियाणा में लगभग 11,784 करोड़ रूपये सीधे किसानों के खाते में स्थानांतरित किए गए है |

अभी के मौसम में इन सब्जियों में लग रहा है गमी स्टेम ब्लाइट रोग, किसान इस तरह करें उपचार

कद्दुवर्गीय सब्जियों में गमी स्टेम ब्लाइट रोग

अभी गर्मी के मौसम में अधिकांश किसान कद्दुवर्गीय सब्जियां जैसे लौकी, खीरा, खरबूजा, तरबूज आदि फसलों की खेती कर रहे हैं | गर्मी के मौसम में इन सब्जी फसलों में कई जगहों पर गमी स्टेम ब्लाइट नामक रोग (गोंदिया तना झुलसा) का प्रकोप देखा जा रहा है | इस रोग के चलते फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है | किसान समाधान आपके लिए इस रोग की पहचान एवं उसके उपचार की जानकारी लेकर आया है |

गमी स्टेम ब्लाइट रोग

यह बिमारी संदूषित बीजों के कारण से होता है | कद्दूवर्गीय सब्जी फसलों में गमी स्टेम ब्लाइट रोग (गोंदिया तना झुलसा) अवस्था संक्रमित तनों पर विकसित होती है, जो अक्सर पौधे के शीर्ष के निकट होता है। संक्रमण के ये घाव आमतौर पर खुले होते हैं और इनसे चिपचिपे, तृणमणि (अम्बर) रंग के द्रव का स्रावण होता है। तनों पर होने वाले संक्रमणों में मुहांसों की भाँति उठी हुई रचनाएँ दिखाई देती हैं जिनके भीतर रोगकारक कवक के बीजाणुओं का उत्पादन होता है। इन बीजाणुधानियों से चिपचिपे निःस्राव निकलते हैं।gummy stem blight/gondiya tana jhulsa

रोग की रोकथाम

इस रोग के उपचार के लिए थियोफानेट मिथाईल 70 प्रतिशत डब्ल्यूपी  1 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोलकर छिड़काव करना चाहिये तथा साथ ही तने के जिस भाग में क्रेकिंग हो गया है। वहां पर कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 4 ग्राम, 10 ग्राम चूना प्रति लीटर पानी में घोलकर उसका लेप लगाना चाहिये, इससे खड़ी फसल में रोग की रोकथाम की जा सकती है।

गमी स्टेम ब्लाइट रोग से कैसे बचे ?

यह बिमारी संदूषित बीजों के कारण से होती है, अतः किसान भाई बुआई से पूर्व बीजों का उपचार कर फसल को रोग से बचाया जा सकता है | बुआई से पहले बीजों को कार्बेन्डाजिम या कैप्टन दवा की 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचार करके बुवाई करना चाहिए तथा बुआई से पहले मिट्टी तैयार करते समय आखरी जुताई से पहले मिट्टी में गोबर 100 किलोग्राम ट्राईकोडर्मा (एक से डेढ़ किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से) का छिडकाव करना चाहिए | इस रोग के रोगकारक मिट्टी में 2–4 साल तक जीवित रहते हैं | उचित फसल चक्र (नाँन कुकूबिटेसी फसल लगाना) अपनाकर इस रोग को कम किया जा सकता है |

DAP एवं अन्य रासायनिक खादों के दामों में हुई वृद्धि को लेकर छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री ने कही यह बात

DAP एवं अन्य रासायनिक खादों के दामों में वृद्धि

केंद्र सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी IFFCO के रासायनिक खाद (उर्वरक) के मूल्य में वृद्धि की खबरें पिछले माह मीडिया में आई थी, जिसे लेकर देश भर में भारी विवाद हुआ था | जिस पर iffco तथा केंद्र सरकार की तरफ से बयान जारी करके बताया गया था की खाद के पैकेट पर लिखा मूल्य किसानों के लिए नहीं है तथा किसानों को पुरानी दरों पर ही रासायनिक उर्वरक दिया जायेगा | दूसरी तरफ देश भर में निजी कंपनियों के द्वारा पहले ही रासायनिक उर्वरकों के मूल्य में वृद्धि कर दी गई थी |

जब इफ्को iffco के प्रबंध निदेशक डॉ. यू. एस. अवस्थी ने यह बताया था की उसके पास पर्याप्त स्टाक पहले से ही मौजूद है, जिससे मूल्य वृद्धि करने की जरुरत नहीं है | लेकिन Iffco ने बात साफ नहीं की थी की जब रासायनिक खादों का नया स्टॉक आएगा उसमें मूल्य वृद्धि की जाएगी या नहीं इस बात पर असमंजस बना हुआ था |

छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री ने DAP खाद के बढ़ते दामों को लेकर जताई चिंता

छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री श्री रविंद्र चौबे ने रासायनिक उर्वरकों में, विशेषकर डीएपी के दाम में प्रति बोरी लगभग 700 रुपये की वृद्धि किए जाने पर चिंता जताई है । उन्होंने भारत सरकार के केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री से किसानों के हितों की रक्षा के लिए रासायनिक उर्वरक कंपनियों की इस मनमानी और बेतहाशा मूल्य वृद्धि पर रोक लगाए जाने का आग्रह किया है । कृषि मंत्री ने कहा कि बीते एक साल से कोरोना महामारी के चलते आम लोगों के साथ–साथ किसान परेशान हैं | ऐसी स्थिति में डीएपी सहित अन्य रासायनिक उर्वरकों के दामों में वृद्धि के चलते किसानों पर दोहरी मार पड़ेगी और खरीफ सीजन के लिए खाद खरीदने में असहाय हो जायेंगे | उन्होंने कहा कि इससे खेती की लागत बढ़ जाएगी इसलिए केंद्र सरकार से कोरोना संकटकाल में किसानों को राहत देने के लिए रासायनिक उर्वरकों के दामों में हुई वृद्धि को वापस लिए जाने का आग्रह किया है।

कृषि मंत्री के अनुसार DAP एवं अन्य रासायनिक खादों के कीमत में की गई इतनी वृद्धि

मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने कहा की रासायनिक खाद डीएपी के मूल्य में लगभग 58% की एकाएक वृद्धि से किसान हैरान है । अब यह खाद किसानों को 1900 रुपए प्रति बोरी में क्रय करनी होगी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 खरीफ सीजन में डीएपी खाद किसानों को 1150 रुपए प्रति बोरी की दर से तथा रबी सीजन 2020 – 21 में 1200 रुपये प्रति बोरी की दर से प्रदाय की गई थी । इसी तरह रासायनिक खाद एनपीके के दाम में भी प्रति बोरी 565 रूपए की वृद्धि की गई है । अब यह खाद किसानों को 1185 रुपए प्रति बोरी के स्थान पर 1747 रुपये प्रति बोरी देकर खरीदना होगा।

सिंगल सुपर फास्फेट के सभी प्रकार के खादों के दाम में प्रति बोरी लगभग 36 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। रासायनिक खाद एमओपी के दाम में भी प्रति बोरी 150 रुपए की वृद्धि की गई है। इसका दाम 850 रुपये प्रति बोरी से बढ़ाकर 1000 रुपये प्रति बोरी कर दिया गया है।

अब किसान 31 मई तक जमा कर सकेगें शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण

शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण जमा करने की लास्ट डेट

कोविड-19 महामारी के चलते इस वर्ष भी देश के कई राज्यों में लॉक डाउन की स्थिति बनी हुई है | इस परिस्थिति को देखते हुए मध्यप्रदेश राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है | सरकार ने किसानों के द्वारा सहकारी बैंक से लिया गया फसली ऋण चुकाने की अंतिम तिथि को एक बार फिर बढ़ा है | जिससे किसानों को एक माह के लिए राहत मिली है किसान अब फसली ऋण का भुगतान 31 मई तक बिना किसी ब्याज के कर सकेगें |

रबी फसल की देर से खरीदी शुरू होने के करण सभी किसान अपनी रबी फसल को अभी तक बेच नहीं पाए हैं जिसके कारण किसानों के खातों में पैसा नहीं अभी पहुंचा नहीं है जिसके बाद सरकार ने फसल ऋण आदायगी की अंतिम तिथि को आगे बढाने का फैसला किया है |

सरकार पर आएगा 31 करोड़ रुपये का भार

मध्य प्रदेश राज्य सरकार के द्वारा किसानों को फसली ऋण चुकाने के डेट में 1 माह के वृद्धि करने से राज्य सरकार पर 31 करोड़ रूपये का भार आ रहा है | प्रदेश के किसानों के द्वारा फसली ऋण लेने के कारण 28 मार्च तक ऋण नहीं चुकाने से ब्याज लगना शुरू हो जाता है | कविड काल में 1 माह के ऋण अदायगी में छुट देने के कारण उस माह का ब्याज सरकार वहन कर रही है , जो 31 करोड़ रूपये हैं |

पहले भी ऋण अदायगी का डेट 1 माह के लिए बढ़ाया गया है ?

फसली ऋण की अदायगी प्रत्येक वर्ष के 28 मार्च को किया जाता है | लेकिन कोविड–19 के कारण रबी फसल की खरीदी देर से शुरू होने के कारण ऋण आदायगी का डेट बढा दिया गया था | 28 मार्च से बढ़कर ऋण अदायगी का डेट 30 अप्रैल कर दिया गया था जिसे अब आगे बढाकर 31 मई कर दिया गया है |

सहकारी बैंकों से किसानों को दिया जाता है शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण

किसान क्रेडिट कार्ड के द्वारा राष्ट्रीय या निजी बैंकों से लिए गये ऋण पर 7 प्रतिशत के ब्याज दर पर ऋण दिया जाता है | किसान एक वर्ष के अंदर ऋण की अदायगी पर ब्याज पर 3 प्रतिशत का ब्याज में छुट दी जाती है जिससे किसानों को सिर्फ 4 प्रतिशत ब्याज दर पर ही ऋण का भुगतान करना होता है है वहीँ मध्य प्रदेश सरकार राज्य के किसानों को सहकारी बैंक से शून्य प्रतिशत ब्याज पर खरीफ तथा रबी फसल के लिए ऋण देती है | यह ऋण समय पर अदायगी कर देने पर किसानों से किसी भी प्रकार का ब्याज नहीं लिया जाता है |

समय पर ऋण नहीं चुकाने पर लगता है 13 का ब्याज

किसानों के द्वारा सहकारी बैंक से ऋण प्राप्त करने पर समय नहीं चुकाने पर किसानों को भारी ब्याज लिया जाता है | समय पर किसानों के द्वारा ऋण नहीं देने पर वितरण से अंतिम तिथि के बाद 13 प्रतिशत की ब्याज दर पर भुगतान करना होता है | जिन किसानों ने अभी तक ऋण जमा नहीं किया है वह 31 मई से पहले जमा का शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण योजना का लाभ ले सकते हैं |

दालों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए किसानों को मुफ्त दिए जाएंगे उच्च उपज वाली किस्मों के बीज

दालों के उच्च उपज की किस्म वाले बीज

वैसे तो भारत विश्व में दलहन उत्पादन में पहला स्थान रखता है परन्तु यहाँ उपभोगता अधिक होने के कारण दलहन का आयात भी करना पड़ता है | इसको लेकर कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने देश में दालों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के उद्देश्य से, खरीफ 2021 सत्र में कार्यान्वयन के लिए एक विशेष खरीफ रणनीति तैयार की है। राज्य सरकारों के साथ परामर्श के माध्यम से, अरहर, मूंग और उड़द की बुआई के लिए रकबा बढ़ाने और उत्पादकता बढ़ाने दोनों के लिए एक विस्तृत योजना तैयार की गई है। जिसके तहत किसानों को दलहन फसलों के प्रमाणित बीज निःशुल्क उपलब्ध करवाए जाएंगे |

मुफ्त दिए जाएंगे उच्च उपज वाले बीज

रणनीति के तहत, सभी उच्च उपज वाली किस्मों (एचवाईवीएस) के बीजों का उपयोग करना शामिल है। केंद्रीय बीज एजेंसियों या राज्यों में उपलब्ध यह उच्च उपज की किस्म वाले बीज, एक से अधिक फसल और एकल फसल के माध्यम से बुआई का रकबा बढ़ाने वाले क्षेत्र में नि:शुल्क वितरित किए जाएंगे।

किसानों को कितना बीज दिया जायेगा ?

सरकार आने वाले खरीफ सत्र 2021 के लिए 20,27,318 (वर्ष 2020–21 की तुलना में लगभग 10 गुना अधिक मिनी बीज किट) वितरित करने का प्रस्ताव रखा है | सरकार के द्वारा दिया जा रहा बीज का मूल्य 82.01 करोड़ रूपये है | अरहर, मूंग और उड़द के उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए इन मिनी किट्स की कुल लागत केंद्र सरकार द्वारा वहन की जाएगी |

पिछले 15 वर्षों में सरकार द्वारा दालों के मिनी किट्स

अरहर :- अरहर के एचवाईवीएस बीज की 13,51,710 मिनी किट्स पिछले दस वर्षों के दौरान वितरित की गई, जिनकी एक से अधिक के लिए उत्पादकता 15 क्विंटल प्रति हैक्टेयर से कम नहीं है |

मूंग :- मूंग की 4,73,295 मिनी किट्स, पिछले दस वर्षों के दौरान मूंग के एचवाईवीएस प्रमाणित बीजों की मात्रा जारी की गई है, लेकिन एक से अधिक फसल के लिए उनकी उत्पादकता 10 क्विंटल प्रति हैक्टेयर से कम नहीं है |

उड़द :- उड़द के प्रमाणित बीजों वाले उड़द के 1,08,508 मिनी किट्स पिछले 15 वर्षों के दौरान जारी की गई है और केवल एक फसल के लिए उनकी उत्पादकता 10 क्विंटल प्रति हैक्टेयर से कम नहीं है |

किस राज्य में कौन सी फसल को बोया जाएगा ?

  • खरीफ सत्र 2021 में केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित एक से अधिक फसल के लिए और उड़द की एक मात्र फसल के लिए उपयोग की जाने वाली उपरोक्त मिनी किट्स 4.05 लाख हैक्टेयर क्षेत्र को कवर करेगी | इसके अतिरिक्त, राज्यों द्वारा एक से अधिक फसल और बुआई का रकबा बढ़ाने का सामान्य कार्यक्रम केंद्र और राज्य के बीच साझेदारी के आधार पर जारी रहेगा |
  • अरहर को एक से अधिक फसल के लिए 11 राज्यों और 187 जिलों में कवर किया जाएगा | ये राज्य हैं, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश |
  • मूंग इंटरक्रापिंग को 9 राज्यों और 85 जिलों में शामिल किया जाएगा | ये राज्य हैं, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडू और उत्तर प्रदेश हैं |
  • 6 राज्यों और 60 जिलों में उड़द इंटरक्रापिंग को कवर किया जाएगा | ये राज्य हैं, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडू और उत्तर प्रदेश हैं | उड़द को एकमात्र फसल के रूप में 6 राज्यों में शामिल किया जाएगा |

बीज के किट्स कब से मिलेगी ?

इस योजना के अंतर्गत, केन्द्रीय एजेंसियां / राज्य एजेंसियां द्वारा आपूर्ति की गई मिनी किट 15 जून 2021 तक जिला स्तर पर अनुमोदित केंद्र तक पहुंचाई जाएंगी, जिसकी कुल लागत 82.01 करोड़ रूपये केंद्र सरकार द्वारा वहन की जाएगी, जिससे किसानों को यह किट्स निःशुल्क मिल सके | देश में दालों की मांग को पूरा करने के लिए भारत अब भी 4 लाख टन अरहर, 0.6 लाख टन मूंग और लगभग 3 लाख टन उड़द का आयात कर रहा है | विशेष कार्यक्रम तीन दालों, अरहर, मूंग और उड़द का उत्पादन और उत्पादकता को काफी हद तक बढ़ा देगा और आयात के बोझ को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और भारत को दालों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने में मदद करेगा |

आज 75 लाख किसानों के बैंक खातों में दी जाएगी 2 हजार रुपये की किश्त

किसान कल्याण योजना के तहत 2000 रुपये की किश्त

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना से किसानों के बैंक खातों में सीधे सहायता राशि देने की शुरुआत की गई थी | इस योजना के तहत देशभर के किसान परिवारों को 6 हजार रुपये तीन किश्तों में दिए जाते हैं | इसी योजना की तर्ज पर कई राज्य सरकारों ने भी किसानों को सीधे आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से कई योजनाओं की शुरुआत की है | मध्यप्रदेश राज्य सरकार द्वारा किसानों को आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाने हेतु “मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना” चलाई जा रही है | योजना के तहत पीएम किसान योजना के लाभार्थी किसान परिवारों को 4,000 रुपये 2 किस्तों में दिए जाएगें जिससे राज्य के किसानों को सालाना 10,000 रुपये मिलेंगे |

75 लाख किसानों को दिये जाएंगे 1500 करोड़ रुपये

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान शुक्रवार 7 मई को ‘मुख्यमंत्री किसान-कल्याण योजना’ अंतर्गत प्रदेश के 75 लाख किसानों के खाते में 1500 करोड़ रूपये अंतरित करेंगे। यह राशि किसानों के बैंक खातों में दोपहर 3 बजे आयोजित होने वाले इस वर्चुअल कार्यक्रम के द्वारा दी जाएगी | कार्यक्रम का प्रसारण सीधे संचार के विभिन्न माध्यमों से होगा। कार्यक्रम में मंत्रि-परिषद के सदस्य, जन-प्रतिनिधि, कलेक्टर्स, कमिश्नर्स और ‘मुख्यमंत्री किसान-कल्याण योजना’ के किसान हितग्राही शामिल होंगे।

क्या है किसान कल्याण योजना

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के साथ-साथ किसान कल्याण योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना के अन्तर्गत पीएम किसान सम्मान निधि योजना के लाभार्थी किसान परिवारों को दो किस्तों में 4,000 रुपये की राशि प्रतिवर्ष बैंक खातों में दी जाएगी | इस प्रकार प्रति वर्ष किसान के खाते में कुल 10 हजार रूपये की राशि प्राप्त होगी। मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के तहत प्रथम किस्त का भुगतान 1 सितम्बर से 31 मार्च के बीच एवं दूसरी किस्त का भुगतान 1 अप्रैल से 31 अगस्त के बीच किसानों के बैंक खातों में सीधे दिए जाएंगे |

वर्ष 2020-21 के लिए गन्ने की सबसे अच्छी किस्में यह हैं

गन्ने की सबसे अच्छी किस्में 2020-21

देश में नगदी फसलों में कपास के बाद गन्ने की खेती प्रमुखता से की जाती है | इसकी खेती उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत के राज्यों में होती है | भारत में गन्ने का औसतन उत्पादन 64.5 टन प्रति हैक्टेयर है, जो दुसरे देशों से काफी कम है | हवाई नामक देश में गन्ने का औसत उत्पादन 121 टन प्रति हैक्टेयर है जो भारत की तुलना में बहुत अधिक है | इसका प्रमुख कारण गन्ने की प्रजातियों का उत्पादन क्षमता कम होना है | गन्ने की प्रजातियाँ गन्ने की धुरी होता है, इस पर ही गन्ने के उत्पादन के साथ–साथ चीनी तथा शर्करा उताप्दन निर्भर करती है | किसान समाधान वर्ष 2020-21 के के लिए गन्ने की श्रेष्ठ किस्मों की जानकारी लेकर आया है |

वर्ष 2020-21 में गन्ने की सबसे अच्छी किस्में एवं उनकी विशेषताएं

को. – 86032 (नैना)

गन्ने की यह किस्म उष्ण कटिबंधीय भारत के प्रायदिव्पीय क्षेत्र के लिए विकसित की गई है | इसकी खेती उष्ण कटिबंधीय भारत में लगभग 10 लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है | यह क्षेत्र की चीनी परता बढ़ाने में मुख्य भूमिका अदा करती है | गन्ने की यह किस्म रोग प्रतिरोधक के साथ–साथ किसी भी मृदा में अच्छी उपज देती है | यह किस्म लाल सडन रोग के प्रति सहनशील तथा कंडवा रोग प्रतिरोधक है |

इसकी खेती किन राज्यों में की जा सकती है ?

को. – 86032 को उष्णकटिबंधीय भारत के सभी राज्यों जैसे तमिलनाडू, कर्नाटक, महाराष्ट्रा, गुजरात, आंध्र प्रदेश एवं ओड़िसा आदि राज्यों में की जा सकती है |

गन्ने तथा चीनी का उत्पादन कितना है ?

को. – 86032 किस्म के गन्ना की औसत उपज 120 टन प्रति हैक्टेयर है | इस किस्म के गन्ने से 15.09 टन चीनी प्रति हैक्टेयर प्राप्त होता है | शर्करा का उत्पादन और किस्म के गन्ने से काफी ज्यादा है | इस किस्म के गन्ने के शर्करा उत्पादन 19.19 प्रतिशत दर्ज की गई है |

को. – 0238 (करण-4)

गन्ने की यह किस्म गन्ना उत्पादन तथा चीनी उत्पादन में अव्वल है | इस किस्म का विकास भारतीय कृषि अनुसंधान परियोजना–गन्ना प्रजनन संस्थान, क्षेत्रीय केंद्र, करनाल से किया गया है | इस किस्म को अगेती गन्ना उत्पादन के लिए जाना जाता है |

यह किस्म किन राज्यों के लिए है ?

गन्ने की यह किस्म भारत के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र के लिए विकसित की गई है | भारत उत्तर–पश्चिम के राज्य हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी व केन्द्रीय उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड तथा राजस्थान में उसकी खेती की जा सकती है | गन्ने की यह किस्म कई प्रकार की जलवायु में सहनशील है | यह किस्म सूखे, जलभराव एवं लवणीय भूमि में भी बेहतर प्रदर्शन करती है |

इस किस्म का उत्पादन कितना है ?

गन्ने की यह किस्म उत्तर–पश्चिम क्षेत्र में बेहतर उत्पादन देती है | अखिल भारतीय समन्वय अनुसंधान परियोजना (गन्ना) के अंतर्गत इस किस्म की गन्ना की उपज 81 टन प्रति हैक्टेयर है | चीनी उत्पादन में और किस्मों से कम है | इस किस्म की गन्ने से चीनी उत्पादन 9.95 टन प्रति हैक्टेयर है, जबकि शर्करा में 17.99 प्रतिशत है |

को. – 0118 (करण-2)

गन्ने की यह किस्म ज्यादा पैदावार एवं ज्यादा चीनी उत्पादन वाली अगेती किस्म है | इसके गन्ने हरे बैंगनी रंग के मोती प्रतिशंकुकार पेरियों वाले होते हैं | इसकी आँखें अंडाकार मध्यम अकार की होती है जो वृद्धि छल्ले को छुए हुए होते हैं | इसकी आँखे खांचा कम गहरा होता है व पत्राच्छाद पर कांटे होते हैं तथा क्लिक व पत्ती आधार के मध्य फासला नहीं पाया जाता है |

यह किस्म किन राज्यों के लिए है ?

गन्ने की यह किस्म भारत के उत्तर–पश्चिम राज्यों के लिए विकसित की गई है | देश के हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड राज्यों में इसकी खेती की जा सकती है |

इस किस्म की उत्पादन कितना है ?

इस किस्म की गन्ने की उपज तथा चीनी उत्पादन अधिक है | भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के परीक्षणों में को. – 0118 किस्म ने 78.2 टन प्रति हैक्टेयर गन्ना उपज दी है | चीनी के उत्पादन में यह किस्म 9.88 टन प्रति हैक्टेयर दर्ज करा चुका है, जबकि शर्करा उत्पादन में 18.45 प्रतिशत की मात्रा रखता है |

सीओएम – 0265

गन्ने की यह किस्म मध्यम देरी से पकने वाली श्रेणी में जाना जाता है | यह किस्म गन्ना तथा चीनी उत्पादन में अव्वल है तथा शर्करा की मात्रा में मध्यम दर्ज करा चुकी है | गन्ने की यह किस्म विभिन्न गुणों से भरपूर हैं | यह किस्म क्षारीय / लवणीय मिटटी में भी आसानी से उत्पादन किया जा सकता है |

इस किस्म किन राज्यों के लिए है ?

गन्ने की यह किस्म भारत के मध्य क्षेत्र में की जाती है | इसकी खेती महाराष्ट्र तथा कर्नाटक के लिए उपयुक्त है |

कोलख – 94184

गन्ने की यह किस्म अगेती उत्पादन के साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जानी जाती है | इस किस्म के गन्ने की उत्पादन तथा चीनी का उत्पादन और किस्मों से ज्यादा है |

यह किस्म किन राज्यों के लिए उपयुक्त है ?

गन्ने की यह किस्म देश के उत्तर मध्य क्षेत्र के लिए विकसित की गई है | इस किस्म की खेती भारत के दो राज्य महाराष्ट्र तथा कर्नाटक में की जाती है | गन्ने की यह किस्म रोग प्रतिरोधक है | गन्ने में लगने वाली प्रमुख रोग लाल सडन रोग के प्रति सहनशील है |

इस किस्म की उत्पादन कितना है ?

इस किस्म के गन्ने का उत्पादन 76.0 टन प्रति हैक्टेयर है, जो इस क्षेत्र के लिए अच्छा उत्पादन माना जाता है | जबकि गन्ने से चीनी का उत्पादन 18 टन प्रति हैक्टेयर है |

खाद्य उत्पादों के लिए PLI स्कीम के लिए जारी हुई गाइडलाइन, विदेशों में ब्रांडिंग के साथ दिया जायेगा 50 प्रतिशत अनुदान

फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के लिए PLI स्कीम दिशा-निर्देश

खाद्ध्य प्रसंस्करण उद्योगों (Food Processing Industries) के लिए उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन योजना की गाइडलाइन जारी कर दी गई है | योजना के तहत आवेदन की प्रक्रिया पहले से ही शुरू है तथा आवेदन के लिए आवेदक ऑनलाइन आवेदन कर रहे हैं | योजना के तहत आवेदक को अनुदान के साथ–साथ देश–विदेश में ब्रांडिंग करने पर अनुदान उपलब्ध कराया जा रहा है | केन्द्रीय मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया की प्रधानमन्त्री के आत्मनिर्भर भारत के तहत इस योजना को चलाया जा रहा है | किसान समाधान इस योजना से जुड़े सभी प्रकार की जानकारी लेकर आया है |

योजना के तहत 6 वर्षों के लिए 10,900 करोड़ दिए जाएंगे

केन्द्रीय खाद्ध्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर के अनुसार, आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के एक हिस्से के रूप में, भारत सरकार ने 10,900 करोड़ रूपये के परिव्यय के साथ वर्ष 2021–22 से वर्ष 2026–27 के दौरान कार्यान्वयन के लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों हेतु उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन योजना नाम से एक नई केंद्रीय क्षेत्र योजना के अनुमोदन के परिणामस्वरूप, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने विस्तृत परिचालन योजना दिशा–निर्देश जारी किए हैं |                                           

6 वर्षों में किया जायेगा प्रोत्साहन का भुगतान

इस योजना के अंतर्गत बिक्री आधारित प्रोत्साहन का भुगतान आधार वर्ष से अधिक वृद्धिशील बिक्री पर 2021–22 से 2026–27 तक छह वर्षों के लिए किया जायेगा | वृद्धिशील बिक्री की गणना के लिए आधार वर्ष 4 वर्षों के लिए 2019–20 होगा | 5वें व छठे वर्ष के लिए, आधार वर्ष क्रमश: 2021–22 और 2022–23 होगा | बिक्री के आवेदकों द्वारा निर्मित पात्र खाद्य उत्पादों की बिक्री के साथ–साथ इसकी सहायक कंपनियां व अनुबंध विनिर्माण शामिल होंगे |

विदेश में ब्रांडिंग करने पर दिया जायेगा 50 प्रतिशत की अनुदान

इस योजना के तहत आवेदक अपनी प्रोडक्ट का विदेशों में ब्रांडिंग कर सकते हैं | आवेदकों को विदेशों में ब्रांडिंग एवं विपणन पर खर्च के 50% की दर से अनुदान दिया जाएगा, बतौर अधिकतम खाद्य उत्पादों की बिक्री का 3% या 50 करोड़ रुपये प्रति वर्ष, जो भी कम हो दिया जायेगा | विदेशों में ब्रांडिंग के लिए न्यूनतम खर्च 5 साल की अवधि में 5 करोड़ रु. होगा |

आवेदन के लिए यह नियम और शर्ते लागू है ?

योजना के का लाभ प्राप्त करने के लिए निम्नलिखत में से किसी एक के शर्तों को पूरा करना चाहिए |

  1. मालिकाना फर्म या पार्टनरशिप फर्म या सिमित दायित्व भागीदारी (एलएलपी) या भारत में पंजीकृत कम्पनी
  2. सहकारी समितियां
  3. एसएमई व योजना के तहत कवरेज के लिए अनुमोदन प्राप्त करने के लिए आवेदन करना |

आवेदक अपनी ओर से आवेदन करने वाली कम्पनी अपनी शेतक कम्पनी/कम्पनियों के स्टाक का 50% से अधिक रखती हों और ऐसी किसी भी सहायक कम्पनी / कम्पनियों को इस योजना के तहत किसी अन्य आवेदक कम्पनी में शामिल नहीं किया जाएगा, सहकारी समितियों के मामले में सदस्य संघों या सदस्य सहकारी समितियों की ओर से आवेदन करने वाले विपणन महासंघ या शीर्ष स्तर की सहकारी समितियां |

इन 3 मापदंडों को करना होगा पूरा

केंद्र सरकार ने योजना के तहत लाभार्थियों के लिए कुछ मापदंड तय किये हैं | जो देश के सभी राज्यों के आवेदकों पर लागू होंगे:-

श्रेणी -1

आवेदक का चयन उसके विक्री, निर्यात, प्रतिबद्ध निवेश के आधार पर किया जाएगा | इस योजना के अंतर्गत 4 उत्पाद खंड को प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव है |

  • बाजार आधारित खाद्ध्य पदार्थों
  • प्रसंस्कृत फलों व सब्जियों
  • समुद्री उत्पादों
  • मोत्जारेला पनीर सहित रेडी टू कुक/रेडी टू इट (आरटीसी /आरटीई)

कवरेज के लिए शामिल खाद्य उत्पादों और विभिन्न खंडों के तहत अपवर्जित किए गए को दिशा–निर्देशों में सूचीबद्ध किया गया है | चयनित आवेदक को प्रोत्साहन के लिए पात्र बनने के लिए न्यूनतम आवश्यक बिक्री वृद्धि दर मानदंड को पूरा करना होगा |

श्रेणी – 2

इसके अंतर्गत और अभिनव / जैविक उत्पादों के लिए एसएमई आवेदकों का चयन उनके प्रस्ताव, उत्पाद की विशिष्टता व उत्पाद विकास के स्तर आदि के आधार पर किया जाएगा |

श्रेणी – 3

इस श्रेणी में विदेशों में ब्रांडिंग और विपन्न के लिए आवेदक का चयन घरेलू व निर्यात बाजारों में उत्पादों के उत्पादन, बिक्री, निर्यात एवं ब्रांडिंग के लिए उनके ब्रांड, रणनीति तथा योजना की मान्यता के स्तर पर आधारित होगा |

योजना की अधिक जानकारी एवं आवेदन यहाँ से करें

कृषि कल्याण तथा केन्द्रीय खाध्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने योजना के स्कीम के लिए आँनलाइन पोर्टल भी शुरू किया है | योजना के विस्तृत दिशा–निर्देश मंत्रालय की वेबसाइट www.mofpi.nic.in पर हैं | ऑनलाइन पोर्टल https://plimofpi.ifciltd.com पर उपलब्ध है | इच्छुक व्यक्ति इन पोर्टल पर जाकर योजना की पूरी जानकरी देख सकते हैं इसके अलावा योजना हेतु आवेदन कर सकते हैं | प्रस्ताव/ईओएल, ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से ही प्राप्त किए जाएंगे | आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 17 जून 2021, शाम 5 बजे है।

कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए तैयार किये 42 उन्नत किस्मों के 21 हजार क्विंटल प्रजनक बीज

42 उन्नत किस्मों के बीज का उत्पादन

कम लागत में अधिक उत्पादन हेतु एवं किसानों की आय में वृद्धि के लिए लिए कृषि विश्वालयों एवं वैज्ञानिकों के द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे हैं | पिछले एक वर्ष से देश कविड–19 से देश जूझ रहा है | इस स्थिति में देश में जहाँ सभी कार्य बंद है वहीं कृषि के क्षेत्र को इन पाबंदियों से दूर रखा गया है | ताजा उदहारण जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविध्यालय का है | देश में बीज उत्पादन में अहम योगदान देने वाली संस्था ने देश के लिए कई बीजों का उत्पादन किया है | यह सभी बीज रबी फसल के हैं एवं खरीफ फसलों के बीजों का उत्पादन भी किया जा रहा है | विश्वविध्यालय के द्वारा विकसित सभी किस्में नई प्रजाति के है, जो आने वाले दिनों में किसानों को उपलब्ध करवाए जाएंगे |

कुलपति डॉ. प्रदीप कुमार बिसेन के निर्देशन और मार्गदर्शन में विश्वविध्यालय के 28 अनुसंधान केन्द्रों और प्रक्षेत्रों पर लगभग 666 हेक्टेयर क्षेत्र में उत्पादन किया है | उत्पादित किये गये बीज रबी सीजन की अलग-अलग फसलों के लिए है | किसान समाधान कृषि विश्वविध्यालय के द्वारा विकसित किये गये बीजों की जानकारी लेकर आया है |

किस फसल के कितने नई प्रजातियां विकसित किया गया है ?

जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविध्यालय (जबलपुर) ने रबी 2020–21 सीजन में प्रजनक बीज उत्पादन कार्यक्रम विवि के 28 प्रक्षेत्रों पर लगभग 666 हेक्टेयर क्षेत्र में लिया था | इसके अंतर्गत विभिन्न फसलों की कई किस्में विकसित की गई हैं | यह सभी नई फसलें इस प्रकार है :-

किसान कब ले सकेंगे उन्नत किस्मों के बीज

जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविध्यालय के द्वारा अलग-अलग फसलों की 42 नई प्रजातियां विकसित बीजों का उत्पादन किया है | इन सभी प्रजातियों की कटाई हो चुकी है, जिसका उत्पादन कुल 21 हजार क्विंटल है | उत्पादित प्रजनक बीजों की उन्नतशील प्रजातियों को रबी 2020–21 में भारत सरकार, मध्यप्रदेश शासन के विभिन्न शासकीय संस्थानों, एन.जी.ओ. बीज उत्पादन सहकारी समितियों, प्रगतिशील किसानों एवं अन्य को उपलब्ध करवाए जाएंगे |

जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविध्यालय 15% बीज का उत्पादन करता है ?

जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविध्यालय विगत डेढ़ दशकों से प्रजनक बीज उत्पादन के क्षेत्र में प्रथम स्थान पर है | देश में कुल बीज उत्पादन का 15% बीज इस विश्वविध्यालय के द्वारा किया जा रहा है | अभी विश्वविध्यालय में कुलपति डॉ.प्रदीप कुमार बिसेन के नेतृत्व में प्रजनक, बीज उत्पादन, वितरण तथा कृषि से जुड़े अन्य सभी कार्य चल रहा है |

राज्य सरकार ने MSP पर गेहूं खरीदी का लक्ष्य 1 लाख टन से बढ़ाकर किया 7 लाख टन

MSP पर गेहूं खरीदी का लक्ष्य बढाकर किया गया 7 लाख टन

बिहार में चल रही गेहूं की सरकारी खरीदी को लेकर मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक हुई | इस बैठक में वर्ष 2020–21 के रबी सीजन में किये जा रहे गेहूं खरीद को लेकर कई बड़े निर्देश दिये हैं | मुख्यमंत्री ने कहा की प्रदेश में गेहूं का उत्पादन इस वर्ष अच्छा हुआ है, इसलिए गेहूं की ज्यादा से ज्यादा सरकारी खरीदी की जाए | पैक्स के माध्यम से किये जा रहे गेहूं की खरीदी की डेट बढ़ाने तथा गेहूं खरीदी का लक्ष्य बढ़ाने का भी निर्देश दिये हैं |

31 मई तक की जाएगी गेहूं की सरकारी खरीद

बिहार के मुख्यमंत्री ने समीक्षा बैठक के बाद निर्देश दिये हैं कि गेहूं की खरीदी 31 मई तक की जाये | जिससे राज्य के ज्यादा से ज्यादा किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ प्राप्त कर सके |

राज्य में गेहूं खरीदी का लक्ष्य क्या है ?

गेहूं की सरकारी खरीदी के लिए पहले 1 लाख टन का लक्ष्य रखा गया था जिसे मुख्यमंत्री ने समीक्षा बैठ के बाद लक्ष्य को बढ़ा दिया है | उन्होंने राज्य में गेहूं की सरकारी खरीदी 1 लाख टन से बढ़कर 7 लाख टन कर दी है  | इस बढे हुए लक्ष्य से राज्य के किसानों को ज्यादा से जायदा लाभ मिलेगा |

एक किसान अधिकतम कितना गेहूं बेच सकता है ?

बिहार में गेहूं बेचने के लिए प्रति किसान सीमा तय की गई है | इस तय सीमा के अंतर्गत ही किसान गेहूं को पैक्स में बेच सकते हैं | जिस किसान के पास खुद की भूमि है और वह अपनी भूमि पर गेहूं की खेती कर रहे हैं तो वैसे किसान पैक्स के माध्यम से 150 क्विंटल गेहूं न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेच सकते हैं | जबकि लीज या बटाई पर खेती करने वाले किसान पैक्स के माध्यम से 50 क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेच सकते हैं |

कितने केन्द्रों पर गेहूं की खरीदी किया जा रहा है ?

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी राज्य के सभी जिलों में सरकारी एजेंसियों के द्वारा की जा रही है | पैक्स ने इस वर्ष गेहूं खरीदी के लिए 6400 खरीदी केंद्र बनाएं हैं | इन सभी खरीदी केन्द्रों पर 20 अप्रैल से गेहूं की खरीदी का कार्य किया जा रहा है |

किसान अपने साथ यह कागज लेकर जाएं

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर पैक्स के माध्यम से गेहूं बेचने के लिए राज्य सरकार ने किसानों के लिए कुछ दस्तावेज मांगे हैं | किसान को गेहूं बेचने के लिए यह सभी दस्तावेज साथ लेकर जाना होगा |

  • फोटो पहचान पत्र (आधार कार्ड / वोटर पहचान पत्र)
  • बैंक पास बुक की छाया प्रति
  • भूमि संबंधित दस्तावेज

किसी भी समस्या के लिए इस नंबर पर फोन करें

बिहार सरकार ने राज्य के किसानों के लिए दो हेल्पलाईन नंबर जारी किये है | किसान गेहूं की सरकारी खरीद की जानकारी एवं समस्या के समाधान के लिए इन नम्बर पर कॉल कर सकते हैं |

  • 0612-2200693
  • 1800-345-6290