मध्य प्रदेश वाटर रिस्ट्रक्चरिंग परियोजना

 मध्य प्रदेश वाटर रिस्ट्रक्चरिंग परियोजन

योजना का नाम   

  मध्य प्रदेश वाटर रिस्ट्रक्चरिंग परियोजना       

सम्बद्ध

विश्व बैंक पोषित

योजना का उद्देश्य              

राज्य के 5 नदी कछार के पूर्व निर्मित जलाशयों एवं उनके कमाण्ड क्षेत्र में स्थित तालाबों में मत्स्य पालन का विकास, मत्स्योत्पादकता में वृद्धि एवं हितग्राहियों की भागीदारी ।

योजना का स्वरूप एवं आच्छादन                  

मत्स्योद्योग विकास हेतु राज्य की पांच नदी कछार यथा- चम्बल, सिंध, बेतवा, केन, टोंस के जलाशय एवं उनके कमाण्ड क्षेत्र में स्थित तालाबों में मत्स्योद्योग विकास
1- बडे़ आकार के मत्स्य बीजों का उपयोग।
2- मत्स्य खाद्य की गुणवत्ता में सुधार
3- उपभोगकर्ताओं का आर्थिक उन्नयन।
4- मत्स्य सहकारी समितियों का सुदृढ़ीकरण करना, मत्स्याखेट के उपकरण नाव, जाल उपलब्ध कराना
5- पोस्ट हारर्वेस्टिंग सुविधाएं जैसे- लेंडिंग सेन्टर, इन्सुलेटेड बाक्स आदि की व्यवस्था करना
6- उन्नत तकनीक से मत्स्य पालन हेतु हितग्राहियों को प्रशिक्षित करना ।
7- जलाशयों में मत्स्योद्योग विकास
8- कम अवधि के मौसमी तालाबों का मत्स्य पालन उपयोग।
9- दीर्घ अवधि के मौसमी तालाबों का मत्स्य पालन उपयोग।
10- बारहमासी तालाबों का मौसमी तालाबों का मत्स्य पालन उपयोग।
11- प्रदर्शन तालाबों में उच्च तकनीकी से मत्स्य पालन कार्य।

योजना क्रियान्वयन की प्रक्रिया

चयनित जिले के नदी कछार के जलाशय एवं कमाण्ड एरिया के तालाबों में मत्स्योद्योग का विकास करना जिसके लिए मत्स्यपालन कार्य में संलग्न मत्स्य कृषक (सहकारी समिति/समुदाय/कृषक) संबंधित विकासखंड तहसील स्तर पर पदस्थ सहायक मत्स्य अधिकारी /मत्स्य निरीक्षक तथा संबंधित जिले के सहायक संचालक मत्स्योद्योग से सम्पर्क कर परियोजना का निम्नानुसार लाभ ले सकते हैं:-
1. प्रत्येक 100 हैक्टेयर जलक्षेत्र पर एक लेंडिंग सेंटर, 30-40 हैक्टेयर पर एक नाव तथा एक नाव में 40 किलो मत्स्याखेट हेतु जाल का प्रावधान
2. जलाशय के कमाण्ड क्षेत्र में, कम अवधि एवं दीर्घ अवधि के मौसमी एवं बारहमासी तालाबों में भारतीय प्रमुख सफर एवं कामनकार्प मत्स्य बीज संचयन के साथ खाद एवं पूरक आहर का उपयोग के फलस्वरूप 2250 से 2500 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर मत्स्योत्पादन संभावित।
3. प्रदर्शन तालाब अंतर्गत उच्च तकनीकी से मत्स्य पालन करना ।
4. मत्स्यबीज हैचरी एवं संवर्धन क्षेत्र का विकास तथा निर्मित अधोसंरचना का सुदृढ़ीकरण
5. अल्प एवं दीर्घ अवधि के मौसमी तालाबों से स्टेण्डर्ड मत्स्यबीज का उत्पादन
6. मत्स्यबीज की आवश्यकता की पूर्ति हेतु हैचरी का निर्माण
7. संस्था का सुदृढ़ीकरण
8. योजना अंतर्गत तकनीकी विशेषज्ञों तथा तकनीकी सहायकों का प्रावधान
9. जल एवं मिट्टी परीक्षण का प्रावधान
10. प्रशिक्षण अंतर्गत मछुआ सहकारी समिति, समुदाय को स्थानीय शहर तथा प्रदेश में प्रशिक्षण परियोजना में संलग्न मत्स्य कर्मियों को रिफ्रेशर प्रशिक्षण देश तथा विदेश में कम्प्युटर तथा साफ्टवेयर का प्रशिक्षण भी सम्मिलित है।
11. स्थानीय कार्यशाला एवं अध्ययन भ्रमण ।

हितग्राही की अर्हताएं  

परियोजना अंतर्गत जिलों के चयनित जलाशयों एवं कमाण्ड एरिया में मत्स्यपालन कार्य में संलग्न मत्स्य सहकारी समितियां/मछुआ समूह/मत्स्य कृषक जिनके पास मत्स्य पालन हेतु जलाशय/तालाब पट्टे पर आवंटित है

प्रशिक्षण अवधि   

07 से 10 दिवस

अनुदान राशि

शत प्रतिशत अनुदान पर उक्त परियोजना क्रियान्वित की जा रही है।

 अन्य जानकारी   

उक्त परियोजना वर्ष 2005 से लागू है तथा मघ्यप्रदेश के 27 जिलों (नीमच, मंदसौर, शाजापुर, राजगढ, मुरैना, शिवपुरी, श्योपुर, ग्वालियर, दतिया, गुना, विदिशा, टीकमगढ, छतरपुर,रीवा, पन्ना, दमोह, अशोकनगर, भोपाल, सीहोर, सतना, कटनी, रायसेन, सागर, देवास, धार, रतलाम, और उज्जैन) में संचालित है।

स्त्रोत: मछुआ कल्याण मत्स्य विभाग विभाग, मध्यप्रदेश