ग्रामीण तालाबों में मत्स्य आहार प्रबंधन योजना

ग्रामीण तालाबों में मत्स्य आहार प्रबंधन योजना

 

योजना का नाम        

ग्रामीण तालाबों में मत्स्य आहार प्रबंधन योजना

सम्बद्ध                      

राज्य योजना

योजना का उद्देश्य                

ग्रामीण तालाबो की मत्स्य उत्पादकता वृद्धि हेतु फारमुलेटेड फ्लोटिंग या नान फ्लोटिंग फीड (परिपूरक मत्स्य आहार) के उपयोग एवं महत्व से अवगत कराये जाने के उददेश्य से योजना प्रस्तावित है |

योजना का स्वरूप एवं आच्छादन       

प्रदेश के समस्त जिलों में क्रियाविन्त हैं।

हितग्राही की अर्हताएं         

निम्नानुसार अर्हाताऐं प्राप्त हितग्राही योजना के तहत सम्मलित होगे,

  1. एकल हितग्राही,समूह में प्राप्त ग्रामीण तालाब के हितग्राही,जाति एवं प्राथमिकता बंधन नहीं,
  2. ग्रामीण तालाब की पात्रता

2.1     पानी की उपलब्घता के आधार पर ग्रामीण तालाबों की पात्रता समस्त बारहमासी ग्रामीण तालाब,समस्त लांग सीजनल ग्रामीण तालाब, जिसमें माह-अप्रैल के पश्चात तक अनिर्वायता पानी रहता हो |

2.2     स्वामित्व के आधार पर ग्रामीण तालाबों की पात्रता
  1. ग्राम पंचायत स्वामित्व के समस्त ग्रामीण तालाब,
    2. मत्स्य कृषक विकास अभिकरण योजना के तहत निर्मित तालाब,
    3. मीनाक्षी योजना के तहत मत्स्य पालन हेतु निर्मित तालाब,
    4. अन्य विभागीय योजना के तहत निर्मित तालाब, जिसमें मत्स्योधोग  विभाग की योजनाओं एवं मार्गदर्शन के तहत मत्स्य पालन कार्य किया जा रहा हो,
    5. निजी क्षेत्र के तालाब, जिसमें मत्स्योधोग विभाग की योजनाओं एवं मार्गदर्शन के तहत मत्स्य पालन कार्य किया जा रहा हो,
    6. समस्त सिंचार्इ जलाशय एवं शार्ट सीजनल ग्रामीण तालाब जिनमें माह अप्रैल के पूर्व पानी सूख जाता है, इस योजना में सम्मिलित  नहीं होगें,
  2. जलक्षेत्र के आधार पर ग्रामीण तालाबों की पात्रता
3.1. बारहमासी ग्रामीण तालाब

न्यूनतम 0.2 हे. जलक्षेत्र के छोटे ग्रामीण तालाब योजना में सम्मिलित नहीं होगें,
अधिकतम 10.00 हे. जलक्षेत्र से बडे़ ग्रामीण तालाब योजना में सम्मिलित नहीं होग,
बारहमासी तालाबों को चयन में प्राथमिकता दी जावें,

3.2  लांग सीजनल ग्रामीण तालाब

न्यूनतम 0.4 हे0 जलक्षेत्र के छोटे ग्रामीण तालाब योजना में सम्मिलित   नहीं होगें |
अधिकतम 5.0 हे0 जलक्षेत्र से बडे ग्रामीण तालाब योजना में सम्मिलित  नहीं होगें।

प्रशिक्षण अवधि  

1-  चयनित हितग्राही को एक दिवसीय प्रथम प्रशिक्षण मत्स्य आहार उपयोग प्रारम्भ करने के पूर्व दिया जावेगा, जिसमें मत्स्य आहार के उपयोग के बारे में जानकारी दी जायेगी।

2-  द्वितीय प्रशिक्षण (Pre harvest training) मत्स्य आहार उपयोग के दौरान दी जावेगी, जिसमें कार्बनिक, अकार्बनिक खाद के उपयोग के साथ-साथ मत्स्य आहार के उपयोग से मछली की बढ़वार आदि के बारे में सं‍बधित मतस्य कृषक के साथ अन्य मत्स्य कृषकों केा भी प्रशिक्षण दिया जावेगा।

3-  तृतीय प्रशिक्षण, (Post harvest training) आसपास के मत्स्य कृषकों के समक्ष जाल चलाकर मछली की बढ़वार आदि के बारे में प्रशिक्षण दिया जावेगा।

4-  विकास खण्ड स्तर पर पदस्थ विभागीय अधिकारी का दायित्व होगा कि वह मत्स्य आहार के उपयोग के संबंध मे आवश्यक तकनीकी मार्गदर्शन देवे तथा मत्स्य आहार का उपयोग सुनिश्चित करावे,

5-  मत्स्य आहार की गतिविधि प्रारंभ होने पर संबंधित विकास खण्ड मे पदस्थ विभागीय अधिकारी समय-समय पर हितग्राही को तकनीकी मार्गदर्शन उपलब्घ करायेगे,

 

अनुदान राशि

”मत्स्य आहार” के रूप में प्रदाय की जाती हैं जिसमे –
1-योजना इकार्इ लागत का 90 प्रतिशत अर्थात रू. 45,000-प्रति हे. की दर से हितग्राहियों को वित्तीय सहायता ,अनुदान केवल एक बार देय।
2-योजना इकार्इ लागत का 10 प्रतिशत ,अर्थात रू. 5,000प्रति हे0 की दर से हतग्राहियों द्वारा वहन किया जावेगा। कुल रू. 50,000-का मत्स्य आहार जिला कार्यालय एमी.एग्रो से देय होगा।

अन्य जानकारी

हितग्राही को यह भी सहमति पत्र देना अनिवार्य होगा, कि वह चयनित होने पर हितग्राही अपने हिस्से की 10 प्रतिशत राशि का बैंक ड्राफ्ट जमा करेगा। विभागीय जिला अधिकारी चयनित हितग्राही को यह भी निर्देशित करेगें कि हितग्राही द्वारा देय 10 प्रतिशत की राशि का बैंक ड्राफ्ट जो एम.पी.एग्रो में देय होगा शीघ्र प्रस्तुत करेगें।

स्त्रोत: मछुआ कल्याण मत्स्य विभाग विभाग, मध्यप्रदेश