कृषि आदान सहायता हेतु राजीव गांधी किसान न्याय योजना के क्रियान्वयन के लिए दिशा-निर्देश

राजीव गांधी किसान न्याय योजना

छ.ग. राज्य में लगभग 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है | राज्य का अधिकांश क्षेत्र वर्षा आधारित होने से मौसमीय प्रतिकूलता एवं कृषि आदान लागत में वृद्धि के कारण कृषि आय में अनिश्चितता तथा ऋण ग्रस्त्तता बनी रहती है, फलस्वरूप कृषक फसल उत्पादन के लिये आवश्यक आदान जैसे उन्नत बीज, उर्वरक, कीटनाशक, यांत्रिकीकरण एवं नवीन कृषि तकनिकी में पर्याप्त निवेश नहीं कर पाते है | कृषि में पर्याप्त निवेश एवं कास्त लागत में राहत देने के लिये राज्य शासन द्वारा कृषि आदान सहायता हेतु “राजीव गांधी किसान न्याय योजना” लागु की जा रही है | योजनांतर्गत खरीफ मौसम के धान, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, तिल, अरहर, मूंग, उड़त, कुल्थी, रामतिल, कोदो, कुटकी, रागी तथा रबी में गन्ना फसल को सम्मिलित किया गया है | योजना के राजीव गाँधी किसान न्याय योजना क्रियान्वयन हेतु दिशा-निर्देश नियमानुसार है :-

योजना का उद्देश्य :-

  • फसल क्षेत्राच्छादन, उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धी |
  • फसल के कास्त लागत की प्रतिपूर्ति कर कृषको के शुद्ध आय में वृद्धी करना |
  • कृषको को कृषि में अधिक निवेश हेतु प्रोत्साहन |
  • कृषि को लाभ के व्यवसाय के रूप में पुर्नस्थापित करते हुए जी.डी.पी. में कृषि क्षेत्र की सहभागिता में वृद्धी |

योजनांतर्गत सम्मिलित फसल एवं पात्रता :-

  1. योजनांतर्गत खरीफ मौसम के धान, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, तिल, अरहर, मूंग, उड़द, कुल्थी, रामतिल, कोदो, कुटकी एवं रागी तथा रबी में गन्ना फसल को सम्मिलित किया गया है |
  2. कृषकों द्वारा पंजीकृत/वास्तविक बोए गए रकबा के आधार पर निर्धारित राशि प्रति एकड़ की दर से अनुपातिक रूप से उनके बैंक खाते में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) के माध्यम से सहायता राशि आंतरिक किया जाएगा |
  3. अनुदानग्रहित कृषक यदि गत वर्ष धन की फसल लगाया था एवं इस वर्ष धान के स्थान पर योजनांतर्गत शामिल अन्य फसल लगता है, तो उस स्थिति में कृषकों को अतिरिक्त सहायता अनुदान प्रदान किया जावेगा |
  4. कृषकों द्वारा उपरोक्त फसलों के बोए गए रकबा के आधार पर लाभ प्राप्त करने हेतु घोषणा पत्र के साथ विभागीय पोर्टल पर पंजीयन कराना अनिवार्य होगा |
  5. योजनांतर्गत निर्दिष्ट फसल लगाने वाले संस्थागत भू-स्वामी कृषक इस योजना हेतु पात्र नहीं होंगे |
  6. फसल अवशेष को जलाने वाले कृषक योजनांतर्गत संबंधित मौसम में लाभ प्राप्त करने हेतु पात्र नहीं होगें |
  7. घोषणा पात्र में गलत जानकारी देने वाले कृषकों के विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही अथवा प्रदत्त अनुदान राशि की वसूली भू-राजस्व सहिंता के प्रचलित प्रावधान अनुसार की जावेगी |
  8. आदान सहायता राशि का निर्धारण मंत्री-मंडलीय समिति द्वारा प्रतिवर्ष प्रत्येक फसल हेतु किया जावेगा |

क्रियान्वयन एजेंसी  :-

राज्य एवं जिला स्तर पर योजना का क्रियान्वयन क्रमशः संचालन कृषि एवं जिलों के उप संचालन कृषि द्वारा जिला कलेक्टर की देख-रेख में किया जायेगा |

खरीफ 2019 में योजना का क्रियान्वयन :-

योजना का आंशिक क्रियान्वयन भूतलक्षी प्रभाव से खरीफ 2019 से किया जाएगा | खरीफ 2019 में धान तथा मक्का फसल लगाने वाले कृषकों को अधिकतम राशि रु.10,000 /- प्रति एकड़ की दर से आदान सहायता राशि किस्तों में  DBT  के मधयम से भुगतान किया जाएगा |

गन्ना फसल के लिए :-

 गन्ना फसल हेतु पेराई वर्ष 2019-20 में सहकारी शक्कर कारखाना द्वारा अधिसूचित क्षेत्र में क्रय किए गए गन्ना की मात्रा के आधार पर सहायता आदान राशि दिया जाएगा |

गन्ना क्रय हेतु निर्धारित FRP राशि रु. 261.25 रु.प्रति क्विंटल तथा प्रोत्साहन एवं आदान सहायता राशि 93.75 रु.प्रति क्विंटल अर्थात् अधिकतम राशि 355 रु. प्रति क्विंटल की दर से गन्ना उत्पादन कृषकों को DBT के माध्यम से भुगतान किया जाएगा | 

खरीफ 2020 से योजना का क्रियान्वयन :-

  • योजनांतर्गत लाभ प्राप्त करने हेतु कृषकों को निर्धारित समयावधि में पंजीयन कराना अनिवार्य होगा | अपंजीकृत कृषकों को योजनांतर्गत अनुदान की पात्रता नहीं होगी |
  • खरीफ 2020 में कृषकों को 01 जून से 30 सितम्बर के मध्य योजना क्रियान्वयन हेतु विकसित नवीन पोर्टल में पंजीयन करना अनिवार्य होगा |
  • योजनांतर्गत निर्दिष्ट फसल लगाने वाले सभी श्रेणी के कृषकों को प्रपत्र -1 में जानकारी, आवश्यक अभिलेख एवं घोषणा पत्र के साथ निर्धारित समय-सीमा में पंजीयन कराना होगा | आवेदन में उल्लेखित भमि एवं फसल रकबे का कृषि/राजस्व विभाग के मैदानी अमलों से सत्यापन कराने के उपरांत सहकारी समिति में पंजीयन कराना होगा |
  • ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी एवं पटवारी द्वारा पंजीकृत रकबे का गिरदावरी कर सत्यापन किया जाएगा | पंजीकृत रकबा में विसंगति होने पर कृषक द्वारा बोए गए वास्तविक रकबा आंकलन कर आदान सहायता राशि का भुगतान किया जाएगा |
  • योजनांतर्गत पात्रता निर्धारण करते समय कृषि भूमि सिलिंग कानून के प्रावधानों का ध्यान रखा जाए |
  • हितग्राही कृषकों से आधार नंबर उनकी सहमति से प्राप्त किया जाएगा | यदि किसी कृषक के पास आधार नंबर नहीं है, तो मैदानी अमलों के द्वारा ऐसे कृषकों का आधार पंजीयन कराने की कार्यवाही करते हुए पंजीयन कराया जाएगा तथा प्राप्त आधार नंबरो की गोपनीयता सुनिश्चित की जावेगी |
  • पंजीकृत कृषक की मृत्यु हो जाने पर तहसीलदार के द्वारा परिवार के नामांकित व्यक्ति के नाम से अनुदान राशि प्रदान की जावेगी |
  • कृषकों के पंजीयन की वैधता उसी वित्तीय वर्ष हेतु होगी |
  • गन्ना फसल उत्पादन कृषकों को अधिसूचित क्षेत्र में सहकारी शक्कर कारखाना एवं विभागीय पोर्टल में प्रति वर्ष 30 सितम्बर तक पंजीयन कराना अनिवार्य होगा |

आदान सहायता राशि का भुगतान :-

  • योजनांतर्गत शामिल फसलों के लिए निर्धारित राशि प्रति एकड़ की दर से आदान सहायता राशि किश्तों में कृषकों के खाते में DBT के मधयम से भुगतान किया जावेगा |
  • अनुदानग्रहित कृषक यदि गत वर्ष धान की फसल लगाया था एवं इस वर्ष धान के स्थान पर योजनांतर्गत शामिल अन्य फसल लगाता है, तो उस स्थिती में कृषकों को प्रति एकड़ अतिरिक्त आदान सहायता प्रदान किया जावेगा | आदान सहायता राशि का निर्धरण मंत्री-मंडलीय समिति द्वारा प्रतिवर्ष किया जावेगा |

कृषकों को बैंक विवरण में त्रुटि होने पर उप संचालक कृषि द्वारा संबंधित कृषक से 15 दिवस के भीतर पुनः बैंक विवरण प्राप्त करते हुए पोर्टल में त्रुटि सुधार कर राशि अंतरण की कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी |