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बुधवार, जून 18, 2025
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धान की सीधी बिजाई के लिए सरकार दे रही है सब्सिडी, पानी और श्रम लागत में आयेगी कमी

पारंपरिक तरीके से धान की खेती करने में पानी की खपत और श्रम की लागत दोनों ज्यादा होती है। जिसको देखते हुए सरकार द्वारा किसानों को डीएसआर विधि यानी की धान की सीधी बिजाई के लिए अनुदान दिया जा रहा है।

देश में धान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है लेकिन धान की पारंपरिक खेती में पानी की खपत ज्यादा होती है साथ ही कृषि मजदूरों की कमी के चलते किसानों को काफी समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में सरकार द्वारा किसानों को धान की सीधी बिजाई करने के लिए अनुदान दिया जा रहा है। इस कड़ी में हरियाणा सरकार किसानों को धान की डीएसआर विधि से खेती के लिए 4000 रुपए प्रति एकड़ का अनुदान दे रही है।

हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा कि धान की सीधी बिजाई (डीएसआर) करने वाले किसानों के लिए राज्य सरकार 4000 रुपए प्रति एकड़ की सब्सिडी प्रदान कर रही है, जो देश में सबसे अधिक है। हरियाणा सतत धान खेती को बढ़ावा देने में अग्रणी राज्य है। पारंपरिक रोपाई विधियों के विपरीत, जिसमें अत्याधिक पानी की आवश्यकता होती है, डीएसआर में पौधों को रोपाई करने की जरूरत नहीं होती, जिससे पानी की खपत और श्रम लागत में काफी कमी आती है।

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सरकार धान की सीधी बिजाई को दे रही है बढ़ावा

हरियाणा कृषि विभाग के सहयोग से सवाना सीड्स द्वारा जल संरक्षण आधारित खेती को बढ़ावा देने के लिए डीएसआर (धान की सीधी बिजाई) अपनाने के फायदों और चुनौतियों पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार डीएसआर को एक स्थायी विकल्प के रूप में बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है और किसानों को वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण और उन्नत बीज तकनीक तक पहुंच प्रदान करेगी।

उन्होंने कहा कि धान हरियाणा की एक प्रमुख खरीफ फसल है, किसानों को घटते जलस्तर, खरपतवार नियंत्रण और श्रम लागत जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। पारंपरिक धान खेती में प्रति किलोग्राम धान उत्पादन के लिए लगभग 3000-4000 लीटर पानी की आवश्यकता होती है, जिससे यह एक जल-गहन प्रक्रिया बन जाती है। इसे ध्यान में रखते हुए, राज्य सरकार सक्रिय रूप से डीएसआर को बढ़ावा दे रही है ताकि जल संरक्षण किया जा सके और कृषि दक्षता में सुधार हो।

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