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शुक्रवार, मार्च 29, 2024
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देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार देती है इतना अनुदान

जैविक खेती के लिए अनुदान

देश में कृषि में लागत को कम करने एवं किसानों की आय बढ़ाने के साथ ही जहर मुक्त खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा कई योजनाएँ चलाई जा रहीं हैं, जिसके तहत किसानों को अनुदान दिया जाता है। लोकसभा में श्री एन.के प्रेमचंद्रन ने देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों एवं जैविक खाद आपूर्ति, जैविक कृषि उत्पादों के प्रमाणीकरण को लेकर सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी माँगी। जिसके जबाब में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने देश में जैविक खेती को लेकर सरकार द्वारा किए जा रहे कामों के बारे में जानकारी दी।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने बताया की सरकार परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) और पूर्वोत्तर क्षेत्र जैविक मूल्य शृंखला विकास मिशन जैसी समर्पित योजना (एमओवीसीडीएनईआर) के माध्यम से जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है। साथ ही सरकार जैविक प्रमाणीकरण, विपणन, व्यापार एवं ब्रांडिंग में सहायता देती है।

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सरकार इन योजनाओं के तहत जैविक खेती पर देती है अनुदान

कृषि मंत्री ने बताया कि किसानों को परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत 31,000 रुपए प्रति हेक्टेयर 3 वर्ष में और एमओवीसीडीएनईआर के तहत 32,500 रुपए प्रति हेक्टेयर 3 वर्ष में की वित्तीय सहायता जैसे कि बीज, जैव-उर्वरक, जैव-कीटनाशक, जैविक खाद, खाद/वर्मी कम्पोस्ट खाद के लिए प्रदान की जाती है। इसके अलावा, समूह/किसान उत्पादक संगठन (FPO) के गठन, प्रशिक्षण, प्रमाणीकरण, मूल्यवर्धन और जैविक उत्पादों के विपणन के लिए भी सहायता प्रदान की जाती है।

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तहत गंगा नदी के दोनों ओर जैविक खेती, प्राकृतिक खेती, वृहद् क्षेत्र प्रमाणीकरण और जैविक खेती के तहत क्षेत्र बढ़ाने के लिए पीकेवीवाई के तहत किसानों के लिए समर्थन को प्रस्तावित किया गया है।

पारम्परिक स्वदेशी प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए परम्परागत कृषि विकास योजना पीकेवीवाई की उप योजना भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति को वर्ष 2020-21 से लागू किया जा रहा है। यह योजना बायोमास मल्चिंग, गोबर-मूत्र नियमन के उपयोग और पौधे आधारित तैयारियों पर बड़े ज़ोर के साथ ऑन-फार्म बायोमास पुनचक्रण को बढ़ावा देती है। बीपीकेपी के तहत क्लस्टर निर्माण, क्षमता निर्माण और प्रशिक्षित कर्मियों द्वारा निरंतर, हैंडहोल्डिंग, प्रमाणन और अवशेष विश्लेषण के लिए 3 वर्ष के लिए 12,200 रुपए प्रति हेक्टेयर की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

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विपणन, ब्रांडिंग और व्यापार के लिए दिया जाने वाला अनुदान

सरकार परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत विपणन, ब्रांडिंग, व्यापार आदि की सुविधा के लिए 3 वर्ष में 8,800 रुपए प्रति हेक्टेयर की सहायता प्रदान की जाती है। उत्तराखंड, झारखंड आदि राज्य ने भी जैविक उत्पादों की बिक्री के लिए जैविक आउट्लेट खोले हैं, जबकि झारखंड, महाराष्ट्र आदि राज्य जैविक उत्पादों की बिक्री के लिए साप्ताहिक जैविक बाज़ार चला रहे हैं। वहीं पूर्वोत्तर क्षेत्र जैविक मूल्य शृंखला विकास मिशन के तहत जैविक उत्पादों के विपणन, ब्रांडिंग, व्यापार आदि के लिए 5,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की सहायता प्रदान की जाती है। 

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