देश में मनरेगा योजना के तहत ना केवल ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराये जा रहे हैं बल्कि पशु पालकों और मुर्गी पालकों के लिए शेड निर्माण का कार्य भी किया जा रहा है। जिससे पशुपालकों और मुर्गी पालकों को आर्थिक मदद के साथ ही साथ व्यवसाय को आगे बढ़ाने में मदद मिल रही है। ऐसे ही छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले के पामगढ़ जनपद की ग्राम पंचायत मेऊ की रहने वाली श्यामबाई ने मनरेगा योजना के तहत मुर्गी पालन के लिए शेड बनाकर अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाया है।
दरअसल श्यामबाई टंडन मात्र 92 डिसमिल पुश्तैनी भूमि पर खेती करके अपना एवं अपने परिवार का जीवन यापन कर रही थी। वर्षा आधारित खेती होने से पर्याप्त मात्रा में उपज नहीं होने के कारण पारिवारिक जरुरतों को पूरा करने में बड़ी दिक्कत आती थी। गुजर-बसर के लिए समय-समय पर मजदूरी भी करनी पड़ती थी। ऐसे में श्यामबाई ने जीविकोपार्जन के लिए खेती के साथ-साथ मुर्गी पालन का कार्य शुरू किया लेकिन कच्चा घर होने के कारण मुर्गियां मर जाती थी। मुर्गियों के देखभाल में थोड़ी सी चूक होने पर उन्हें बिल्लियां खा जाती थी। जिससे उन्हें मुर्गी पालन व्यवसाय में अधिक लाभ नहीं मिल रहा था।
मनरेगा योजना के तहत मिली सहायता
मुर्गी पालन में आ रही समस्या से जूझ रहीं श्यामबाई को पता चला कि महात्मा गांधी नरेगा के माध्यम से मुर्गी पालन के लिए शेड बनाकर दिया जाता है, फिर उन्होंने ग्राम रोजगार सहायक के माध्यम से आवेदन तैयार कर ग्राम सभा में प्रस्ताव दिया। मनरेगा से 92 हजार रुपये की स्वीकृति शेड निर्माण के लिए मिली। मुर्गी पालन के लिए शेड बनने के बाद उन्हें मुर्गी पालन में आ रही दिक्कतों से छुटकारा मिला है। जिससे मुर्गी व्यवसाय से उन्हें अब हर महीने 7 से 8 हजार रुपये की आमदनी होने लगी।