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यहाँ मिलते हैं अनुदानित दरों पर जमुनापारी नस्ल के बकरे, अब यहाँ पशु पालकों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा

पशु प्रजनन फार्म कुम्हेर में खोला जाएगा प्रशिक्षण केंद्र

कृषि एवं सम्बंधित क्षेत्र में पशु पालन का अत्याधिक महत्व है, ग्रामीण क्षेत्रों में यह रोजगार के साथ ही आय का भी एक अच्छा जरिया है। ऐसे में पशु पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा कई तरह की सहायता उपलब्ध कराई जाती है। इस कड़ी में राजस्थान सरकार ने इस वर्ष अपने बजट में पशु प्रजनन फार्म कुम्हेर में पशुपालक प्रशिक्षण केंद्र खोलने की घोषणा की है। जिसे जल्द पूरा करने के लिए पशु पालन विभाग ने तैयारियाँ शुरू कर दी है। 

राजस्थान पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. गजेंद्र सिंह चाहर ने बताया कि प्रशिक्षण केन्द्र शुरू होने से प्रदेश में उन्नत एवं समृद्ध पशुपालन की दिशा में बेहतर कार्य हो सकेंगे, साथ ही पशुपालन के क्षेत्र में रोजगार भी बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि राज्य में पालतू पशुओं की उच्च नस्ल संवर्धन का कार्य किया जा रहा है जिससे पशुपालकों की आय में वृद्धि के साथ रोजगार के साधन भी विकसित हो रहे है।

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केंद्र पर पशु पालकों के लिए उपलब्ध हैं सभी सुविधाएँ

यह फार्म 1959 तक भरतपुर राजपरिवार के द्वारा संचालित किया जाता था। तब यह फार्म श्रीकृष्ण गौशाला के नाम से जाता था। 1959 में यह फार्म पशुपालन विभाग के अधीन किया गया और हरियाणा नस्ल की उन्नत गौवंश के संवर्धन की योजना का आरम्भ हुआ। उसके बाद यह फार्म बकरी पालन का केंद्र बना। आज भी यह फार्म उन्नतशील पशुपालकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इस फार्म पर पशुपालकों के लिए तमाम आवश्यक सुविधाओं के साथ पशु चिकित्सा केंद्र भी है।  

पशु प्रजनन फार्म में किया जाता है जमुनापारी बकरी का अनुदान पर वितरण

भरतपुर जिला स्थित पशु प्रजनन फार्म, कुम्हेर बकरी नस्ल संवर्धन का राज्य में अग्रणी एवं एकमात्र केंद्र है। यहाँ मुख्यतया जमुनापारी नस्ल की बकरी/बकरों का उत्पादन कर पशुपालकों को बकरी नस्ल संवर्धन के लिए अनुदानित दरों पर वितरण किया जाता है। फार्म के जरिये विभाग द्वारा किये जा रहे प्रयासों से राज्य में बकरी पालन में उन्नत नस्ल सुधार के साथ स्थानीय पशुपालकों के लिए रोजगार एवं आय के साधन भी विकसित हुए है ।

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क्या है जमुनापारी नस्ल की बकरियों की विशेषता 

जमुनापारी नस्ल की बकरी मांस और दूध उत्पादन की दृष्टि से उत्तम मानी जाती है। मुख्यतया भारतीय नस्ल की इस बकरी का नाम यमुना नदी के नाम पर जमुनापारी पड़ा। शीघ्र ही वजन बढ़ाने में सक्षम इस नस्ल की बकरी पशुपालकों के लिए आय का एक मुख्य स्रोत साबित होती है। साथ ही बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ तापमान के अनुरूप जीवन क्षमता रखने वाली यह नस्ल पशुपालकों के लिए एक महत्वपूर्ण पशुधन है ।

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3 टिप्पणी

  1. हर प्रखंड में पशु प्रशिक्षण की व्यवस्था होना चाहिए जिसे की किसान अच्छी ढंग से प्रशिक्षण ले सके हर मंथ एक दिन प्रशिक्षण व्यवस्था होना चाहिए जो किसान अच्छे ढंग से पशुपालन करते हैं उस को प्रोत्साहित करना चाहिए इसे किसानों का एक लगन और रूझान होगा धन्यवाद

    • जी अभी ज़िला स्तर पर है, ज़िले में कृषि विज्ञान केंद्र पर एवं कृषि विश्वविद्यालयों पर समय समय पर प्रशिक्षण दिया जाता है। आप अपने यहाँ के कृषि कार्यालय में या कृषि विज्ञान केंद्र में सम्पर्क करें।

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