पशुपालकों के लिए देवनारायण आवासीय योजना
अभी तक आपने सरकार द्वारा किसानों एवं पशुपालकों के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में सुना होगा जिसमें किसानों और पशुपालकों को विभिन्न सामग्रियों की खरीद पर सब्सिडी दी जाती है। परंतु राजस्थान सरकार ने राज्य के पशु पालकों के लिए एक अनूठी योजना शुरू की थी जिसके तहत पशुपालकों के लिए एक अलग से कस्बा बनाया गया है। इस क़स्बे में पशुपालकों को घर वितरित किए जाने का काम शुरू भी किया जा चुका है।
देशभर में अनूठी एवं आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित पशुपालकों के लिए पहली बार तैयार की गई देवनारायण एकीकृत आवासीय योजना में रविवार को स्वायत्त शासन मंत्री श्री शांति धारीवाल ने कब्जा सौंपकर लाभार्थियों को गृह प्रवेश कराया।
पशुपालकों के लिए दुनिया में पहली हाईटेक आवासीय योजना
राजस्थान के स्वायत्त शासन मंत्री ने कहा कि देश ही नहीं विदेशों में भी पशुपालकों के लिए सभी सुविधाओं से सुसज्जित ऐसी कोई योजना देखने को नहीं मिलेगी, जहां एक साथ पशुपालकों को बसा कर उनका शैक्षणिक, आर्थिक और सामाजिक विकास हो सके। उन्होंने कहा कि विभिन्न समस्याओं का सामना करते हुए जिस तरह से पशुपालक अपनी जिंदगी गुजार रहे थे अब उनकी जिंदगी में बड़ा बदलाव आयेगा। उन्होंने कहा कि इस योजना में जिस प्रकार आधुनिक सुविधाओं का समावेश किया गया है उसको देखने देश-दुनिया के शिल्पकार आयेंगे। इसमें पशुपालकों के जीवन स्तर में सुधार के साथ कोटा शहर को पशु दुर्घटना से मुक्त होने में मदद मिलेगी।
स्वायत्त शासन मंत्री ने कहा कि भगवान देवनारायण के नाम पर पहली योजना है जो सरकार द्वारा आधुनिक सुविधाओं के साथ विकसित की गई है। इसमें वर्तमान पीढ़ी के विकास के साथ पशुपालकों के बच्चों के भविष्य के लिए भी प्रावधान किये गये हैं। पशु पालकों के लिए बनाई गई इस परियोजना में अंग्रेजी माध्यम स्कूल, चिकित्सालय, दुग्ध मंडी, हाट बाजार, मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट, बायोगैस प्लांट, आवागमन के लिए बसों का संचालन जैसी सुविधाओं से पशुपालकों के जीवन में सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक विकास को पूरा किया जा सकेगा।
क्या है देवनारायण आवासीय योजना की विशेषताएं
योजना में पशुपालकों के लिए 1227 बड़े आवासीय भूखंडों का प्रावधान किया गया है। इनमें से 738 आवासों का निर्माण पूर्णकर 501 पशुपालकों को आवंटन कर दिया गया है। इन भूखंडों के पिछले भाग में लगभग 40 वर्ग मीटर क्षेत्र में दो कमरे, रसोईघर, शौचालय, स्नानघर, बरामदा, चारा भण्डारण की सुविधा है। भूखंड के अग्रभाग में पशुओं के लिए शेड का निर्माण किया गया है। जिसमें भूखंड के क्षेत्रफल के अनुसार 18 से 28 पशुओं के पालने की क्षमता होगी। इस योजना में आवासीय भूखंडों के अतिरिक्त डेयरी उद्योग के लिए 50, भूसे गोदाम के 14, खलचुरी व सामान्य व्यवसाय के लिए 112 भूखण्डों का आवंटन किया गया है।
पशुपालकों की सुविधा के लिए योजना में विद्यालय भवन, पशु चिकित्सालय, सोसाइटी कार्यालय, पुलिस चौकी विद्युत सब स्टेशन, पेयजल के लिए उच्च जलाशय, सीवर लाइन, पार्क, नाली, सड़कें, एसटीपी, पशुमेला मैदान एवं दुग्ध मण्डी का भी निर्माण किया गया है। इसके अतिरिक्त भविष्य की आवश्यकता के अनुसार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक भवन, रंगमंच का निर्माण किया गया है।
पशुपालकों से ख़रीदा जाएगा गोबर
योजना में लगभग 15 हजार पशुओं से प्राप्त गोबर के निस्तारण के लिए नगर विकास न्यास द्वारा बायोगैस संयंत्र की स्थापना की जा रही है। बायोगैस संयंत्र की स्थापना से इस योजना को गोबर की दुर्गंध से मुक्ति मिलेगी तथा पशुपालकों से 1 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बायोगैस संयंत्र के लिए गोबर खरीदा जाएगा। बायोगैस से उत्पन्न गैस को पाइप लाइन के माध्यम से घरों में सप्लाई किया जायेगा। बायोगैस संयंत्र से गोबर के निस्तारण के साथ-साथ जैविक खाद का भी उत्पादन होगा।
2020 में की गई थी योजना की घोषणा
राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत द्वारा बजट में 300 करोड़ रुपये की लागत से कोटा शहर के पशुपालकों को सुव्यवस्थित रुप से बसाने के लिए देवनारायण एकीकृत आवास योजना विकसित करने की घोषणा की गई थी। परियोजना की आधारशिला मुख्यमंत्री द्वारा 17 अगस्त, 2020 को रखी गई। जिसमें नगर विकास न्यास कोटा द्वारा प्रथम चरण में 738 आवासों का निर्माण पूर्ण किया जाकर 501 आवासों का आवंटन किया गया है।