मूंगफली की नई विकसित किस्में
भाकृअनुप-मूँगफली अनुसंधान निदेशालय, जूनागढ़ ने अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय अंतरराष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (ICRISAT) के सहयोग से भारत में पहली बार “गिरनार 4” और “गिरनार 5” के लिए दो उच्च ओलेइक मूँगफली किस्मों को विकसित किया है। सामान्य मूँगफली में ओलेइक अम्ल की मात्रा 40-50% तक होती है, जबकि इन नई किस्मों में लगभग 80% तक ओलेइक अम्ल होता है।
- गिरनार 4
- गिरनार 5
मूंगफली की नई विकसित किस्मों की खासियत
उन्नत अचल जीवन और उपभोक्ता स्वास्थ्य लाभ के लिए उच्च ओलेइक मूँगफली की घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में जबरदस्त माँग है। सामान्य मूँगफली की तुलना में उच्च ओलेइक मूँगफली आधारित खाद्य-पदार्थों और इसके तेल का उपयोग कन्फेक्शनरी (मिष्ठान-भंडार) में आटा, केक और मक्खन बनाने के लिए किया जा सकता है। इसे स्वास्थ्यवर्द्धक तेल माना जाता है क्योंकि यह हृदय तथा रक्तवाहिकाओं संबंधी रोगों के जोखिम को कम कर सकता है,
उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन से निम्न घनत्व वाले लिपोप्रोटीन के अनुपात को बढ़ावा देता है और ट्राईसाइग्लिसिरॉल (निष्प्रभावी वसा) एवं रक्त शर्करा के स्तर को कम करता है। वर्तमान में उच्च ओलेइक मूँगफली का स्त्रोत भारत से बाहर होने की वजह से कच्चे माल की लागत में वृद्धि होती है और भारत के खाद्य उद्योगों को लाभ कम होता है। साथ ही, उपभोक्ताओं के लिए उत्पाद की लागत बढ़ जाती है।
अन्तराष्ट्रीय बाजार में मांग
भारत में “गिरनार 4” और “गिरनार 5” मूँगफली किस्मों का विकास न केवल भारत को दुनिया के कुलीन उच्च ओलेइक मूँगफली संघ में डाल देगा, बल्कि भारत में मूँगफली के हितधारकों के लिए एक नए युग को प्रशस्त करेगा। उच्च ओलेइक युक्त मूँगफली निश्चित रूप से भारतीय मूँगफली निर्यात परिदृश्य को बढ़ावा देगा और खाद्य उद्योगों की बढ़ती माँग को पूरा करेगा। इसके अलावा पारंपरिक उपभोक्ताओं के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले स्वास्थ्यवर्द्धक मूँगफली तेल के रूप में भी उपलब्ध हो जाएगा।