बाजरा उन्नत एवं विकसित क़िस्में
देश में बाजरा की खेती विपरीत परिस्थितियों एवं सीमित वर्षा वाले क्षेत्रों में कम लागत के साथ की जा सकती है। बाजरा सूखा सहनशील एवं कम अवधि की फसल है जो लगभग सभी प्रकार की भूमियों में उपजाई जा सकती है। राजस्थान में बाजरा की खेती प्रमुखता से की जाती है। स्थानीय बाजरे की तुलना में संकर एवं संकुल किस्मों की पैदावार काफी अधिक है। जहां वर्षा कमी हो वहाँ भी संकर या संकुल बाजरा असिंचित फसल के रूप में बोया जा सकता है। राजस्थान में किसान इस वर्ष बाजरे की यह क़िस्में लगाकर अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।
बाजरा की उन्नत क़िस्में एवं उनकी विशेषताएँ
एम.पी.एम.एच.-17
बाजरे की यह किस्म 80 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। बाजरे की यह किस्म जोगिया रोगरोधी है। किसान इसकी बुआई 4 किलो प्रति हेक्टेयर की बीज दर से कर सकते हैं, जिसमें क़तारों एवं पौधे की बीच की दूरी 40-45 सेमी X 10-15 सेमी उपयुक्त है। इस किस्म की बुआई के समय 65 किलो डीएपी 40 किलो यूरिया के साथ (जोधपुर व जयपुर खंड के लिए) वहीं 75 किलो यूरिया (भरतपुर व गंगानगर खंड के लिए ) प्रति हेक्टेयर उपयुक्त है। किसान इसके अलावा यदि डीएपी उपलब्ध ना हो तो 200 किलो एसएसपी के साथ 65 किलो यूरिया का छिड़काव प्रति हेक्टेयर (जोधपुर व जयपुर खंड के लिए) वहीं 100 किलो यूरिया का छिड़काव (भरतपुर व गंगानगर खंड के लिए ) के लिए करना चाहिए। बाजरा की इस किस्म से 26 से 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से उपज प्राप्त की जा सकती है।
एच.एच.बी. 67-2
बाजरे की यह किस्म 62-65 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। बाजरे की यह किस्म अगेती एवं पिछेती बुआई के लिए उपयुक्त है। किसान इसकी बुआई 4 किलो प्रति हेक्टेयर की बीज दर से कर सकते हैं, जिसमें क़तारों एवं पौधे की बीच की दूरी 40-45 सेमी X 10-15 सेमी उपयुक्त है। इस किस्म की बुआई के समय 65 किलो डीएपी 40 किलो यूरिया के साथ (जोधपुर व जयपुर खंड के लिए) वहीं 75 किलो यूरिया (भरतपुर व गंगानगर खंड के लिए ) प्रति हेक्टेयर उपयुक्त है। किसान इसके अलावा यदि डीएपी उपलब्ध ना हो तो 200 किलो एसएसपी के साथ 65 किलो यूरिया का छिड़काव प्रति हेक्टेयर (जोधपुर व जयपुर खंड के लिए) वहीं 100 किलो यूरिया का छिड़काव (भरतपुर व गंगानगर खंड के लिए ) के लिए कर सकते हैं। बाजरा की इस किस्म से 22 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से उपज प्राप्त की जा सकती है।
आर.एच.बी. 177
बाजरे की यह किस्म 70-74 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। बाजरे की यह किस्म जोगिया रोग रोधी एवं सूखा सहनशील है। किसान इसकी बुआई 4 किलो प्रति हेक्टेयर की बीज दर से कर सकते हैं, जिसमें क़तारों एवं पौधे की बीच की दूरी 40-45 सेमी X 10-15 सेमी उपयुक्त है। इस किस्म की बुआई के समय 65 किलो डीएपी 40 किलो यूरिया के साथ (जोधपुर व जयपुर खंड के लिए) वहीं 75 किलो यूरिया (भरतपुर व गंगानगर खंड के लिए ) प्रति हेक्टेयर उपयुक्त है। किसान इसके अलावा यदि डीएपी उपलब्ध ना हो तो 200 किलों एसएसपी के साथ 65 किलों यूरिया का छिड़काव प्रति हेक्टेयर (जोधपुर व जयपुर खंड के लिए) वहीं 100 किलो यूरिया का छिड़काव (भरतपुर व गंगानगर खंड के लिए) के लिए कर सकते हैं। बाजरा की इस किस्म से 42 से 43 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से उपज प्राप्त की जा सकती है।
यह किस्म सबसे अधिक प्रचलित किस्म एच.एच.बी. 67 विकसित से 16 प्रतिशत तक अधिक पैदावार देती है। इस किस्म का सिट्टा बालों युक्त, बेलनाकार दानों से कसा हुआ, दाना हल्का भूरा गोलाकार होता है। सूखा प्रतिरोधक क्षमता वाली या देश के अत्यंत शुष्क जलवायु वाले क्षेत्रों के लिए अत्यधिक उपयोगी है।
एच.एच.बी. 299
बाजरे की यह किस्म 80-81 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। बाजरे की यह किस्म प्रमुख बीमारियों व कीटों के लिए प्रतिरोधी है। किसान इसकी बुआई 4 किलो प्रति हेक्टेयर की बीज दर से कर सकते हैं, जिसमें क़तारों एवं पौधे की बीच की दूरी 40-45 सेमी X 10-15 सेमी उपयुक्त है। इस किस्म की बुआई के समय 65 किलो डीएपी 40 किलो यूरिया के साथ (जोधपुर व जयपुर खंड के लिए) वहीं 75 किलो यूरिया (भरतपुर व गंगानगर खंड के लिए ) प्रति हेक्टेयर उपयुक्त है। किसान इसके अलावा यदि डीएपी उपलब्ध ना हो तो 200 किलो एसएसपी के साथ 65 किलो यूरिया का छिड़काव प्रति हेक्टेयर (जोधपुर व जयपुर खंड के लिए) वहीं 100 किलो यूरिया का छिड़काव (भरतपुर व गंगानगर खंड के लिए ) के लिए करना चाहिए। बाजरा की इस किस्म से 30 से 32 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से उपज प्राप्त की जा सकती है।
आर.एच.बी.234
बाजरे की यह किस्म 80-81 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। बाजरे की यह किस्म हरित बाली रोग एवं ब्लास्ट रोग प्रतिरोधी है। किसान इसकी बुआई 4 किलो प्रति हेक्टेयर की बीज दर से कर सकते हैं, जिसमें क़तारों एवं पौधे की बीच की दूरी 40-45 सेमी X 10-15 सेमी उपयुक्त है। इस किस्म की बुआई के समय 65 किलो डीएपी 40 किलो यूरिया के साथ (जोधपुर व जयपुर खंड के लिए) वहीं 75 किलो यूरिया (भरतपुर व गंगानगर खंड के लिए ) प्रति हेक्टेयर उपयुक्त है। किसान इसके अलावा यदि डीएपी उपलब्ध ना हो तो 200 किलो एसएसपी के साथ 65 किलों यूरिया का छिड़काव प्रति हेक्टेयर (जोधपुर व जयपुर खंड के लिए) वहीं 100 किलो यूरिया का छिड़काव (भरतपुर व गंगानगर खंड के लिए ) के लिए करना चाहिए। बाजरा की इस किस्म से 30 से 31 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से उपज प्राप्त की जा सकती है।
आर.एच.बी.223
बाजरे की यह किस्म 70-71 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। बाजरे की यह किस्म जोगिया रोग रोधी एवं सूखा सहनशील है। किसान इसकी बुआई 4 किलो प्रति हेक्टेयर की बीज दर से कर सकते हैं, जिसमें क़तारों एवं पौधे की बीच की दूरी 40-45 सेमी X 10-15 सेमी उपयुक्त है। इस किस्म की बुआई के समय 65 किलो डीएपी 40 किलो यूरिया के साथ (जोधपुर व जयपुर खंड के लिए) वहीं 75 किलो यूरिया (भरतपुर व गंगानगर खंड के लिए ) प्रति हेक्टेयर उपयुक्त है। किसान इसके अलावा यदि डीएपी उपलब्ध ना हो तो 200 किलो एसएसपी के साथ 65 किलो यूरिया का छिड़काव प्रति हेक्टेयर (जोधपुर व जयपुर खंड के लिए) वहीं 100 किलो यूरिया का छिड़काव (भरतपुर व गंगानगर खंड के लिए) के लिए कर सकते हैं। बाजरा की इस किस्म से 28 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से उपज प्राप्त की जा सकती है।