खाद की कीमतों में गिरावट
फसल उत्पादन में पोषक तत्वों का अत्यधिक महत्त्व है, सही समय पर सही मात्रा में खाद दिए जाने से फसलों का विकास अच्छे से होता है जिससे उत्पादन में भी वृद्धि होती है | देश में सभी किसान फसल उत्पादन के लिए खाद का प्रयोग करते ही है ऐसे में फसलों की लागत भी बढ़ जाती है | खाद के दामों को नियंत्रित सरकार द्वारा किया जाता है इसके लिए सरकार उर्वरक उत्पदान करने वाली कंपनियों को सब्सिडी भी देती है | जिससे सभी किसानों को कम दरों उर्वरक उपलब्ध हो सके |
मूल्य गिरावट का लाभ किसानों को दिया जा रहा है
केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री श्री डीवी सदानंद गौड़ा ने कहा है कि रसायन और उर्वरक मंत्रालय के उर्वरक विभाग ने पोषक तत्वों पर आधारित सब्सिडी (एनबीएस) योजना के तहत सभी उर्वरकों के लिए देश में उत्पादन/आयात की लागत की गहन जांच शुरू की है। श्री गौड़ा ने कहा कि विभाग द्वारा प्रभावी निगरानी प्रणाली की इस पहल के कारण उर्वरक कंपनियों ने स्वैच्छिक स्व-नियामक तंत्र को अपनाया है और इस तरह से पुनःगैसीकृत द्रवीकृत प्राकृतिक गैस (रीगैसीफाइड लिक्विफाइड नेचुरल गैस -आरएलएनजी) के अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मूल्य में गिरावट का लाभ उत्पादक कंपनियों द्वारा किसानों को दिया गया है।
अभी तक खाद के मूल्यों में दर्ज गिरावट
श्री गौड़ा ने कहा कि डीएपी की कीमत, अगस्त 2019 के 26,396 रुपये प्रति एमटी से घटकर अगस्त 2020 में 24,626 रुपये प्रति एमटी रह गयी है। इसी तरह, 18 एनपीके उर्वरक फार्मूले में से, 15 फॉर्म्युलेशन के लिए एमआरपी अगस्त 2019 की तुलना में अगस्त 2020 के दौरान कम हो गई है। अमोनियम सल्फेट की कीमत अगस्त 2019 के 13,213 रुपये प्रति एमटी से घटकर अगस्त 2020 में 13,149 रुपये प्रति एमटी हो गयी है।