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नवम्बर माह में की जाने वाली लाभकारी खेती- बाड़ी एवं पशुपालन के लिए गतिविधियाँ

नवम्बर माह में  की जाने वाली लाभकारी खेती- बाड़ी एवं पशुपालन के लिए गतिविधियाँ

नवम्बर माह किसानों के लिए बहुत महत्व पूर्ण हैं क्योंकि यही वह समय है जब किसान रबी फसल का चुनाव कर उसे खेतों में लगाता है एवं खरीफ की कटाई कर उसे बेचना भी होता है, भारतीय परिपेक्ष में फसल उत्पादन में मौसम का अहम् योगदान हैं, मौसम का सीधा प्रभाव किसानों की जिंदगी पर पढ़ता है | फसल उत्पादन के लिए किस मौसम में किस माह क्या करें जिससे खेती-बाड़ी एवं पशुपालन में अधिक लाभ हो यह हम आज आपको बताएँगे | ठण्ड के समय खेतों में रबी फासले लहलहाती हैं परन्तु अधिक ठंडा एवं बेमोसम बारिश कई बार इस लहलहाती हुई फसलों को बर्बाद कर देती है इसलिए जरुरी है की खेती बाड़ी के सभी काम सही समय पर एवं वज्ञानिक तरीकों से करें ताकि नुकसान से बचा जा सके |

भारत में राज्यों का क्षेत्रफल अधिक होने के कारण अलग अलग भोगोलिक परिस्थितियां पाई जाती है | जिससे अलग अलग फसलों में आलग बीज एवं क्रियालाप में थोडा बहुत अंतर होता है |किसान समाधान किसानों से अनुरोध करता है की सभी किसान मिट्टी की जांच करवा लें एवं उस अनुसार अपने खेत में फसल एवं उर्वरक  का प्रयोग करें अपने जिले के कृषि विज्ञानं केंद्र जाकर कृषि वज्ञानिकों से सलाह लें ताकि आमदनी बढ़ सकें | नीचे कुछ सामान्य क्रियाकलाप हैं जो किसान भाइयों को नवम्बर माह में करना चाहिए |

गेहूँ

धान की कटाई के बाद गेहूँ के लिए खेत की तैयारी तत्काल कर लें। देख लें कि मिट्टी भुरभुरी हो जाये और ढेले न रहने पायें। गेहूँ में बोआई का सबसे अच्छा समय 30 नवम्बर तक का है। इस बीच गेहूँ की बोआई हर हालत में पूरी कर लें। प्रमाणित और शोधित बीज ही बोयें। यदि बीज शोधित न हो तो प्रति किलोग्राम बीज को 2.5 ग्राम थीरम से शोधित कर लें। खाद और बीज एक साथ डालने के लिए फर्टी-सीड ड्रिल का प्रयोग करना अच्छा होगा।

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जौ

सिंचित क्षेत्र होने की दशा में जौ की बोआई 15 नवम्बर तक और पश्चिमी उत्तर प्रदेश तथा बुन्देलखण्ड के इलाके में 15 से 30 नवम्बर के मध्य पूरी कर लें। यदि बीज प्रमाणित न हो तो बोआई से पूर्व कैप्टान या थीरम से उपचारित करें।

राई

बोआई के 15-20 दिन के बाद घने पौधों की छँटनी करके पौधों की आपसी दूरी 15 सेमी कर लें। बोआई के 5 सप्ताह के बाद पहली सिंचाई और फिर ओट आने पर प्रति हेक्टेयर 75 किग्रा नाइट्रोजन का छिड़काव करें।

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मटर

बोआर्इ के 20 दिन के निराई कर लें।बोआई के 40-45 दिन बाद पहली सिंचाई करें। फिर 6-7 दिन बाद ओट आने पर हल्की गुड़ाई भी कर दें।

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मसूर

बोआई के लिए 15 नवम्बर तक का समय अच्छा है।शेखर-2, शेखर-3, पंत मसूर-4, पंत मसूर-5 या नरेन्द्र मसूर प्रजातियाँ उपयुक्त हैं।

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शीतकालीन मक्का

सिंचार्इ की सुनिश्चित व्यवस्था होने पर रबी मक्का की बोआई माह के मध्य तक पूरी कर लें।बोआई के लगभग 25-30 दिन बाद पहली सिंचाई कर दें।पौधों के लगभग घुटने तक की ऊँचार्इ के होने या बोआर्इ के लगभग 30-35 दिन बाद प्रति हेक्टेयर 87 किग्रा यूरिया की टाप ड्रेसिंग कर दें।

सब्जियों की खेती

आलू की कुफरी बहार, कुफरी बादशाह, कुफरी अशोका, कुफरी सतलज, कुफरी आनन्द तथा लाल छिलके वाली कुफरी सिन्दूरी और कुफरी लालिमा मुख्य प्रजातियाँ हैं।आलू की बोआई यदि अक्टूबर में न हो पायी हो तो अब जल्दी पूरी कर लें।टमाटर की बसन्त/ग्रीष्म ऋतु की फसल के लिए पौधशाला में बीज की बोआई कर दें। प्याज की रबी फसल के लिए पौधशाला में बीज की बोआई करें।

फलों की खेती

आम एवं अन्य फलों के बाग में जुताई करके खरपतवार नष्ट कर दें।आम में मिलीबग कीट के नियंत्रण हेतु तने और थाले के आसपास मैलाथियान 5 प्रतिशत एवं फेनेवैलरेट 0.4 प्रतिशत घूल 250 ग्राम प्रति पेड़ के हिसाब से तने के चारों तरफ बुरकाव तथा तने के चारों ओर एल्काथीन की पट्टी लगायें। केले में पर्ण धब्बा एवं सड़न रोग के लिए 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें।

पुष्प व सगन्ध पौधे

देशी गुलाब की कलम काटकर अगले वर्ष के स्टाक हेतु क्यारियों में लगा दें।ग्लेडियोलस में स्थानीय मौसम के अनुसार सप्ताह में एक या दो बार सिंचाई करें।

पशुपालन/दुग्ध विकास

संतति को खीस (कोलेस्ट्रम) अवश्य खिलायें। दुहने से पहले थन को साफ पानी से धोयें तथा बर्तन व वातावरण भी स्वच्छ रखें।

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