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गुरूवार, अप्रैल 25, 2024
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लम्पी रोग से हुई मृत्यु पर पशुपालकों को जल्द दी जाएगी 40 हजार रुपए की आर्थिक सहायता

लम्पी रोग से हुई मृत्यु पर पशुपालकों को मुआवजा

बीते वर्ष देश के कई राज्यों में लम्पी रोग का प्रकोप देखा गया था, जिसके चलते हज़ारों गोवंशीय पशुओं की मृत्यु हो गई थी। ऐसे में पशु पालने वालों को काफी नुकसान हुआ था। ऐसे में राजस्थान सरकार ने पशुपालकों को हुए इस नुकसान की भरपाई के लिए 40,000 रुपए की सहायता राशि देने की घोषणा की थी। इस संबंध में पशुपालन विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री विकास सीताराम भाले ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत जल्द ही कार्यक्रम में पशुपालकों के खातों में आर्थिक सहायता राशि हस्तांतरित करेंगें।

पशुपालन विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री विकास सीताराम भाले ने कहा कि मुख्यमंत्री ने दुधारू गोवंशीय पशु की लम्पी रोग से हुई मृत्यु पर पशुपालक को 40 हजार रुपए की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही राज्य स्तरीय अर्थिक सहायता वितरण कार्यक्रम आयोजित कर पात्र पशुपालकों को इस योजना में लाभान्वित किया जायेगा। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत कार्यक्रम में पशुपालकों के खातों में राशि हस्तांतरित करेंगें।

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लम्पी रोग आर्थिक सहायता वितरण कार्यक्रम के लिए दिए निर्देश

प्रमुख शासन सचिव ने आज 8 मई को राजधानी स्थित पशुधन भवन में वीडियों कॉन्फ्रेंस के माध्यम से इस कार्यक्रम की तैयारियों की समीक्षा बैठक की। इस दौरान उन्होंने लम्पी रोग से मृत गौवंशीय पशुओं एवं पात्र पशुपालकों की विस्तृत जानकारी प्राप्त कर कहा कि विभाग के समस्त अधिकारी इस कार्य को मुख्य जिम्मेदारी मानते हुए प्रत्येक पात्र पशुपालक तक इसका लाभ पहुंचाना सुनिश्चित करें। उन्होंने पशुपालन विभाग के समस्त जिला अधिकारियों को ’’लम्पी रोग आर्थिक सहायता वितरण’’ कार्यक्रम को जिला स्तर पर अन्य विभागों के अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित कर पात्र पशुपालकों तक लाभ पहुंचाना सुनिश्चित करनें के निर्देश दिए हैं।  

इस दौरान उन्होंने कार्यक्रम की तैयारियों का विस्तृत जायजा लेते हुए अधिकारियों को निर्देशित किया कि कार्यक्रम में उपस्थित रहने वाले किसी भी पशुपालक को कोई परेशानी नहीं हो, इसके लिए समुचित इंतजाम सुनिश्चित किया जाये। उन्होंने कहा कि विभाग के लिए पशुपालकों का कल्याण ही सर्वोच्च प्राथमिकता है और प्रत्येंक अधिकारी कर्मचारी को इसे मद्देनज़र रखते हुए ही कार्य संपादन किया जाना चाहिए।

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