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किसानों को अब आसानी से मिलेगा बाजरा की इस उन्नत किस्म का बीज, कृषि विश्वविद्यालय ने कंपनी से किया समझौता

देश के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा अलग-अलग फसलों की कई नई उन्नत किस्में विकसित की जा रहीं हैं, लेकिन इन किस्मों की मांग अधिक होने के चलते यह किस्में सभी किसानों को नहीं मिल पाती है। इस कड़ी में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित बाजरे की उन्नत किस्मों की मांग लगातार बड़ती जा रही है। जिसको देखते हुए विश्वविद्यालय ने तकनीकी व्यवसायीकरण को बढ़ावा देते हुए आंध्र प्रदेश की संपूर्णा सीड्स कंपनी के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर काम्बोज ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित उन्नत किस्में ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुँचे इसके लिए विभिन्न राज्यों की कंपनियों के साथ समझौता किया जा रहा है। उपरोक्त समझौते के तहत विश्वविद्यालय द्वारा विकसित बाजरे की एचएचबी 67 संशोधित-2 का बीज तैयार कर कंपनी किसानों तक पहुँचायेगी ताकि उन्हें इस किस्म का विश्वसनीय बीज मिल सकें और उनकी पैदावार बढ़ सके।

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बाजरे की HHB-67 संशोधित 2 किस्म की विशेषताएँ

बाजरा अनुभाग के अध्यक्ष डॉ.अनिल यादव ने बताया कि HHB-67 संशोधित 2 बाजरा की सुप्रसिद्ध संकर किस्म HHB 67 संशोधित का जोगिया रोग प्रतिरोधी उन्नत रूपांतरण है। यह संकर किस्म हरियाणा, राजस्थान और गुजरात के बारानी क्षेत्रों में खेती के लिए वर्ष 2021 में अनुमोदित की गई है। HHB-67 संशोधित के नर जनक H 77/833-2-202 को चिन्हित सहायक चयन द्वारा जोगिया रोग प्रतिरोधी बनाया गया है।

इस नई विकसित संकर किस्म HHB-67 संशोधित 2 में HHB संशोधित के सभी गुण जैसे की अतिशीघ्र पकना, शुष्क रोधिता, अगेती मध्यम व पछेती बुआई, दाने व चारे की अच्छी गुणवत्ता विद्यमान है। इसके दाने व सूखे चारे की औसत उपज क्रमशः 8 क्विंटल तथा 20.9 क्विंटल प्रति एकड़ है। यह नई संशोधित संकर किस्म बेहतर प्रबंधन से और भी अच्छे परिणाम देती है व बाजरा की अन्य बीमारियों के लिए रोग-रोधी है।

विश्वविद्यालय की ओर से समझौता ज्ञापन पर अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने तथा आंध्र प्रदेश की सम्पूर्णा सीड्स कंपनी की तरफ से वाई रमेश ने हस्ताक्षर किए हैं। मानव संसाधन प्रबंधन निदेशक डॉ. राजेश यादव ने बताया कि समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होने के बाद अब कंपनी विश्वविद्यालय को लाइसेंस फीस अदा करेगी। जिसके तहत उसे बीज उत्पादन व विपणन का अधिकार प्राप्त होगा। इसके बाद किसानों को भी इस उन्नत किस्म का बीज मिलेगा।

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