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गुरूवार, जुलाई 17, 2025
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डीएपी खाद के लिए किसानों को नहीं होना पड़ेगा परेशान, सरकार ने डीएपी की पूर्ति के लिए किया यह काम

अब किसानों को डीएपी खाद की किल्लत के चलते परेशान होने की जरूरत नहीं है। सरकार डीएपी के बदले किसानों को भरपूर मात्रा में इसके विकल्प के रूप में एनपीके और एसएसपी खाद उपलब्ध करा रही है।

देश में डीएपी खाद के आयात में कमी के चलते चालू खरीफ सीजन में डीएपी की आपूर्ति प्रभावित होने का वैकल्पिक मार्ग छत्तीसगढ़ सरकार ने निकाल लिया है। जिससे राज्य के किसानों को डीएपी खाद की किल्लत के चलते परेशान होने की जरूरत नहीं है। सरकार डीएपी के बदले किसानों को भरपूर मात्रा में इसके विकल्प के रूप में एनपीके और एसएसपी खाद की उपलब्धता सोसायटियों के माध्यम सुनिश्चित कराएगी।

डीएपी की कमी को पूरा करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने एनपीके (20:20:0:13) और एनपीके (12:32:13) के वितरण लक्ष्य में 3.10 लाख मेट्रिक टन तथा एसएसपी के वितरण लक्ष्य में 1.80 लाख मेट्रिक टन की वृद्धि करने के साथ ही इसके भण्डारण एवं वितरण की भी पुख्ता व्यवस्था सुनिश्चित की है। एनपीके और एसएसपी के लक्ष्य में वृद्धि होने के कारण चालू खरीफ सीजन में विभिन्न प्रकार के रासायनिक उर्वरकों का वितरण लक्ष्य 14.62 लाख मेट्रिक टन से 17.18 लाख मेट्रिक टन हो गया है।

डीएपी की जगह की गई है वैकल्पिक उर्वरकों की व्यवस्था

राज्य के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि डीएपी खाद की कमी को लेकर किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। इसके विकल्प के रूप में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अन्य रासायनिक उर्वरक जैसे- एनपीके और एसएसपी की भरपूर व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। इंदिरा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के अधिकारियों के सुझाव के अनुरूप किसान डीएपी के बदले उक्त उर्वरकों का प्रयोग कर बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। सोसायटियों से किसानों को उनकी डिमांड के अनुसार खाद-बीज की उपलब्धता सुनिश्चित हो, इस पर कड़ी निगाह रखी जा रही है। किसानों की समस्याओं का समाधान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

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सरकार ने खाद वितरण के लक्ष्यों में किया संशोधन

छत्तीसगढ़ में चालू खरीफ सीजन के दौरान 14.62 लाख मेट्रिक टन उर्वरक वितरण का लक्ष्य कृषि विभाग द्वारा निर्धारित किया गया था। जिसमें यूरिया 7.12 लाख मेट्रिक टन, डीएपी 3.10 लाख मेट्रिक टन, एनपीके 1.80 लाख मेट्रिक टन, एमओपी 60 हजार मेट्रिक टन, एसएसपी 2 लाख मेट्रिक टन शामिल था। डीएपी की कमी को देखते हुए कृषि विभाग ने इस लक्ष्य को संशोधित किया है।

डीएपी की आपूर्ति की कमी चलते इसके लक्ष्य को 3.10 लाख मेट्रिक टन से कमकर 1.03 लाख मेट्रिक टन किया गया है, जबकि एनपीके के 1.80 लाख मेट्रिक टन के लक्ष्य को बढ़ाकर 4.90 लाख मेट्रिक टन और एसएसपी के 2 लाख मेट्रिक टन को बढ़ाकर 3.53 लाख मेट्रिक टन कर दिया गया है। यूरिया और एमओपी के पूर्व निर्धारित लक्ष्य को यथावत् रखा गया है। इस संशोधित लक्ष्य के चलते रासायनिक उर्वरकों के वितरण की मात्रा 14.62 लाख मेट्रिक टन से बढ़कर अब 17.18 लाख मेट्रिक टन हो गई है।

इस तरह करें डीएपी की जगह एसएसपी खाद का उपयोग

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि डीएपी की कमी को अन्य उर्वरकों के निर्धारित मात्रा का उपयोग कर पूरी की जा सकती है और फसल उत्पादन बेहतर किया जा सकता है। फसलों के लिए जरूरी पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश सही मात्रा में मिले तो उपज में कोई कमी नहीं आती है। डीएपी की कमी को देखते हुए किसानों को अन्य फॉस्फेट खादों के उपयोग की सलाह दी है।

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डीएपी के प्रत्येक बोरी में 23 किलोग्राम फॉस्फोरस और 9 किलोग्राम नाइट्रोजन होता है। इसके विकल्प के रूप में तीन बोरी एसएसपी और एक बोरी यूरिया का उपयोग करने से पौधों को पर्याप्त मात्रा में फॉस्फोरस, कैल्शियम, नाइट्रोजन और सल्फर मिल जाता है। एसएसपी उर्वरक पौधों की वृद्धि के साथ-साथ जड़ों के विकास में भी सहायक है, इसके उपयोग से फसल की क्वालिटी और पैदावार बढ़ाने में मदद मिलती है। डीएपी की कमी को दूर करने के लिए किसान जैव उर्वरकों का भी उपयोग कर सकते हैं।

कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार खरीफ-2025 में किसानों को विभिन्न प्रकार के रासायनिक उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 12.13 लाख मेट्रिक टन उर्वरकों का भण्डारण कराया गया है, जिसमें से 7.29 लाख मेट्रिक टन का वितरण किसानों को किया जा चुका है। राज्य में वर्तमान में सहकारी और निजी क्षेत्र में 4.84 लाख मेट्रिक टन खाद वितरण हेतु उपलब्ध है।

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