खेती में किसान अधिक से अधिक पूंजी का निवेश कर उत्पादन बढ़ाकर अपनी आमदनी बढ़ा सकें इसके लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें किसानों को कम ब्याज दरों पर ऋण उपलब्ध कराना भी शामिल है। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के लघु एवं सीमांत किसानों की आय में वृद्धि और आर्थिक सशक्तिकरण के उद्देश्य से “मुख्यमंत्री कृषक समृद्धि योजना” प्रारंभ करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार किसानों को कर्ज के बोझ से मुक्ति दिलाने, उनकी कृषि उत्पादकता बढ़ाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए सतत प्रयासरत है। ऐसे में किसानों को सस्ती दर पर सरलता से ऋण उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाना चाहिए। यह योजना इसी दिशा में एक प्रभावी कदम सिद्ध होगी। 19 मई को सहकारिता विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने प्रस्तावित मुख्यमंत्री कृषक समृद्धि योजना में नाबार्ड के साथ-साथ सहकारी बैंकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
जल्द तैयार किया जाए योजना का प्रस्ताव
बैठक में मुख्यमंत्री ने योजना का क्रियान्वयन समय से और प्रभावी ढंग से करने के निर्देश दिए। इसके लिए सहकारी बैंकों की ऋण वितरण क्षमता को बढ़ाने, शाखाओं के आधुनिकीकरण हेतु वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने और किसानों तक ऋण की सुगमता सुनिश्चित करने के लिए कहा। उन्होंने योजना का विस्तृत प्रस्ताव शीघ्र तैयार करने के निर्देश दिए। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने सहकारिता क्षेत्र की समग्र समीक्षा करते हुए सहकारी संस्थाओं की भूमिका को और अधिक प्रभावी बनाने पर बल दिया। उन्होंने विशेष रूप से लघु और सीमांत किसानों की आय में वृद्धि, पारदर्शिता और दक्षता को सहकारिता क्षेत्र की प्राथमिकताओं में शामिल करने के निर्देश दिए।
किसानों को दिया गया 11,516 करोड़ रुपए का फसली ऋण
समीक्षा बैठक में अधिकारियों द्वारा मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया की उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड का ऋण वितरण वर्ष 2017 में 9,190 करोड़ रुपए से बढ़कर वर्ष 2025 में 23,061 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है, वहीं शुद्ध लाभ 100.24 करोड़ रुपए हो गया है। इसी अवधि में जिला सहकारी बैंक का कुल व्यवसाय 28,349 करोड़ रुपए से बढ़कर 41,234 करोड़ रुपए तक पहुँच गया और शुद्ध लाभ 162 करोड़ रुपए दर्ज किया गया। पिछले आठ वर्षों में प्रदेश में फसली ऋण 11,516 करोड़ रुपए एवं दीर्घकालिक ऋण 393 करोड़ रुपए वितरित किया गया। उर्वरक वितरण 34.45 लाख मीट्रिक टन, धान खरीद 25.53 लाख मीट्रिक टन और दलहन-तिलहन खरीद 1.94 लाख मीट्रिक टन रहा।
2025-26 में बनाये जाएँगे 100 गोदाम
बैठक में बताया गया कि भंडारण क्षमता में वृद्धि के लिए एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फण्ड (AIF) के तहत 375 गोदामों का निर्माण कर 37500 मीट्रिक टन की क्षमता विकसित की गई है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत वर्ष 2017 से अब तक 1060 गोदामों के माध्यम से 1,17,350 मीट्रिक टन क्षमता सृजित की गई है। वर्ष 2025-26 में 100 नए गोदामों का निर्माण प्रस्तावित है। इसके अतिरिक्त देश की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना के अंतर्गत 16 जनपदों में 24 बी-पैक्स केंद्रों पर 500 से 100 मीट्रिक टन के गोदामों का प्रस्ताव है।
सहकारी क्षेत्र में जल्द की जाये भर्ती
मुख्यमंत्री ने बैठक में भंडारण क्षमता और बढ़ाए जाने की आवश्यकता जताते हुए निर्देश दिए कि निजी क्षेत्र की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए के उपयुक्त नीति तैयार की जाए। उन्होंने पीसीएफ की कार्यप्रणाली में व्यापक सुधार लाने और राइस मिलर्स के भुगतान तत्काल सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सहकारी क्षेत्र में रिक्त बैंकिंग एवं नॉन बैंकिंग पदों की शीघ्र भर्ती के लिए आईबीपीएस के माध्यम से चयन प्रक्रिया तेज की जाए। इससे सहकारी संस्थाओं की कार्यक्षमता और सेवा की गुणवत्ता में सुधार होगा।
इसके अलावा बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि सहकारी संस्था को आत्मनिर्भर बनाते हुए तकनीक, ऋण और विपणन तक किसानों की पहुँच सुनिश्चित की जाए। सहकारिता के माध्यम से प्रदेश के किसानों को समृद्ध और सशक्त बनाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है, जिसके लिए नीतिगत सुधारों के क्रम सतत जारी रखें जाएं।