इस साल खरीफ फसलों का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाई जा सके इसके लिए सरकार द्वारा तैयारी शुरू कर दी गई है। इस कड़ी में 8 मई के दिन केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में पूसा, नई दिल्ली में “कृषि खरीफ अभियान 2025” पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में 10 से ज्यादा राज्यों के कृषि मंत्रियों ने पूसा कैंपस पहुंचकर और अन्य कृषि मंत्रियों ने वर्चुअल माध्यम से जुड़कर अपने विचार व्यक्त किए व कृषि की उन्नति की दिशा में केंद्र के साथ मिलकर कार्य करने पर सहमति जताई।
चावल और मक्का उत्पादन में हुई वृद्धि
केंद्रीय कृषि मंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि खरीफ 2023-24 के दौरान चावल का क्षेत्रफल 40.73 मिलियन हेक्टेयर था, जो खरीफ 2024-25 में 43.42 मिलियन हेक्टेयर हो गया है। चावल का उत्पादन खरीफ 2023-24 में 113.26 मिलियन टन था, जो खरीफ 2024-25 में 120.68 मिलियन टन हो गया है। इसी तरह, खरीफ में 2023-24 के दौरान मक्का का क्षेत्रफल 8.33 मिलियन हेक्टेयर था, जो खरीफ 2024-25 में 8.44 मिलियन हेक्टेयर हो गया और मक्के का उत्पादन खरीफ 2023-24 में 22.25 मिलियन टन था, जो खरीफ 2024-25 में 24.81 मिलियन टन हो गया है।
पिछले वर्ष की तुलना में कुल खाद्यान्न क्षेत्र में 3.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसमें चावल और मक्का में प्रमुख वृद्धि देखी गयी है। समान रूप से खरीफ 2024 में कुल खाद्यान्न उत्पादन में पिछले वर्ष 2023 खरीफ उत्पादन की तुलना में 6.81 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसमें चावल, मक्का और ज्वार आदि फसलों में उच्च उत्पादन देखा गया है। कृषि मंत्री ने कहा कि विपरीत जलवायु परिस्थितियों के बावजूद हमारे खाद्यान्न का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। रबी का भी द्वितीय अनुमान बेहद आशाजनक है। आईसीएआर के हमारे वैज्ञानिकों द्वारा कई नई जलवायु अनुकूल किस्मों के विकास के कारण यह लक्ष्य अर्जित हुआ है।
किसानों के लिए पर्याप्त उन्नत बीज उपलब्ध
कृषि मंत्री ने कहा कि देश में बीज की आवश्यकता 164.254 लाख क्विंटल की है और अभी सरकार के पास पर्याप्त बीज 178.48 लाख क्विंटल उपलब्ध है। कृषि मंत्री ने कहा कि हम सभी राज्यों की मांग के अनुसार उन्नत बीज उपलब्ध करायेंगे। कृषि मंत्री ने कहा कि खुशी की बात ये है कि सीड रिपलेसमेंट की दर बढ़ रही है। पहले किसान परंपरागत बीज बोते रहते थे लेकिन 10 साल से पहले बीज बदल देना चाहिए। 10 साल हो जाने पर बीज की गुणवत्ता अच्छी नहीं रहती। बीज बदलने की प्रवृत्ति में तेजी आ रही है।
उन्होंने कहा कि गुणवत्ता वाले बीजों की उपलब्धता के लिए काम किया जा रहा है। खरीफ के मौसम में हम नई किस्मों के बीज ठीक ढंग से किसानों के पास पहुंचा पाएं, इसके लिए प्रयासरत है। व्यापक स्तर पर अच्छे बीज किसानों तक पहुंचे, इसके लिए काफी चर्चा हुई है। कृषि मंत्री ने कहा कि लैब-टू-लैंड की नीति के तहत वैज्ञानिक और किसान साथ मिलकर काम करे, इसकी बड़ी आवश्यकता है।
वैज्ञानिक देंगे किसानों को जानकारी
कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार के पास आईसीएआर, कृषि विज्ञान केंद्र, कृषि विश्वविद्यालय को मिलाकर लगभग 16 हजार वैज्ञानिक हैं, जिनके योगदान को शामिल करते हुए, किसानों तक शोध की सही जानकारी पहुंचाने के लिए एक प्रभावी व्यवस्था बनाई गई है। इस बार खरीफ की फसल के लिए, जो आमतौर पर 15 जून के बाद शुरू होती है, उसी के मद्देनजर 4-4 वैज्ञानिकों की टीम बनाई जाएगी, इनके साथ राज्यों के कृषि विभाग का अमला जुड़ेगा, केंद्र सरकार के कृषि विभाग के साथी भी जुड़ेंगे, प्रगतिशील किसान जुड़ेंगे और यह 15 दिन खरीफ फसल के उत्पादन में वृद्धि के लिए अच्छे बीज, बेहतरीन तकनीक का लाभ दिलाने के लिए संवाद होगा।
एक दिन में तीन स्थानों पर एक टीम जाएगी और किसानों से सार्थक संवाद करेगी, जिसमें अच्छे बीज के बारे में, कृषि पद्धितियों के बारे में, जलवायु अनुकूल बुआई के बारे में, उचित फसल के निर्णय के लिए विस्तार से चर्चा करके ये टीम किसानों को दिशा देने का काम करेगी। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि देश के किसानों के लिये यूरिया, डीएपी, एनपीके की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। विदेश में बढ़ रही कीमत के बावजूद सब्सिडी किसानों को मिल रही है। हमने खाद को स्टोर करना शुरू कर दिया है।