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किसानों को ड्रोन से कीटनाशक दवाओं और उर्वरक के छिड़काव के लिए मिलेगा अनुदान

कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बताया कि सरकार ने वर्ष 2025-26 के लिए कृषि ड्रोन से फसलों पर कीटनाशी एवं तरल उर्वरक का छिड़काव की योजना को स्वीकृति दे दी है। योजना के तहत ड्रोन की मदद से खाद-उर्वरक और कीटनाशी दवाओं के छिड़काव पर किसानों को 50 प्रतिशत का अनुदान दिया जाएगा।

खेती की लागत कम करने और फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस कड़ी में बिहार के उपमुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि राज्य सरकार कृषि क्षेत्र में आधुनिक तकनीकों को अपनाकर किसानों की आय बढ़ाने एवं खेती को लाभकारी बनाने के लिए काम कर रही है। इसके लिए वित्तीय वर्ष 2025-26 में कृषि ड्रोन से फसलों पर कीटनाशी एवं तरल उर्वरक का छिड़काव की योजना को स्वीकृति दी गई है। इस योजना के तहत सभी 38 जिलों में ड्रोन तकनीक का उपयोग कर कम समय में अधिक क्षेत्रफल में प्रभावी कीटनाशक एवं खाद-उर्वरक का छिड़काव सुनिश्चित किया जाएगा।

कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि कार्यों में ड्रोन के उपयोग से खेती के परंपरागत तरीकों में क्रांतिकारी बदलाव आ रहा है। ड्रोन तकनीक की सहायता से ना केवल समय की बचत होती है, बल्कि लागत में भी उल्लेखनीय कमी आती है। एक ड्रोन मात्र 10 से 12 मिनट में 1 एकड़ भूमि पर छिड़काव कर सकता है। एक उड़ान में ड्रोन 10 लीटर कीटनाशी, फफूँदनाशी अथवा तरल उर्वरक लेकर उड़ान भर सकता है, जिससे छिड़काव की प्रक्रिया और अधिक प्रभावी होती है।

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ड्रोन से दवाओं और उर्वरक के छिड़काव के लिए दिया जाएगा अनुदान

कृषि मंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2024-25 में राज्य के 27,666 एकड़ फसल क्षेत्र पर ड्रोन के माध्यम से छिड़काव किया गया था। आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 में 56,050 एकड़ में ड्रोन से छिड़काव किया जाएगा। योजना के अंतर्गत किसानों को प्रति एकड़ अधिकतम 240 रुपए या छिड़काव शुल्क का 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। एक किसान अधिकतम 15 एकड़ क्षेत्र के लिए दो बार ड्रोन छिड़काव हेतु अनुदान प्राप्त कर सकता है।

ड्रोन से छिड़काव के माध्यम से एनपीके कंसोर्टिया, नैनो यूरिया, नैनो डीएपी, सूक्ष्म पोषक तत्व सहित अन्य तरल उर्वरकों का प्रयोग कर फसलों की गुणवत्ता एवं उत्पादकता में वृद्धि की जा सकती है। ड्रोन के उपयोग से समय, श्रम, कीटनाशी और पानी की बचत होती है, जिससे पर्यावरणीय प्रभाव को भी कम किया जा सकता है। कृषि मंत्री के मुताबिक यह योजना किसानों को आत्मनिर्भर बनाएगी एवं उन्हें तकनीकी रूप से सक्षम भी बनाएगी। राज्य सरकार का यह प्रयास टिकाऊ कृषि, पर्यावरणीय संतुलन एवं स्मार्ट खेती को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे जहाँ एक ओर कृषि लागत में कमी आएगी, वहीं दूसरी और उत्पादन एवं किसानों की आमदनी में वृद्धि होगी।

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