इस बार कई किसानों ने गेहूं की उन्नत किस्में लगाई है, ऐसे में किसानों के द्वारा लगाई गई इन किस्मों का परिणाम कैसा रहा इसकी जानकारी लेने के लिए कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा खेतों का निरीक्षण किया जा रहा है। इस कड़ी में जबलपुर के कृषि अधिकारियों ने 21 मार्च, शुक्रवार के दिन विकासखंड सिहोरा के अंतर्गत ग्राम गांधीग्राम के किसान शिवबालक पटेल द्वारा की जा रही DBW-303 किस्म की गेहूं की फसल का अवलोकन किया। इस दौरान सहायक संचालक रवि आम्रवंशी, कीर्ति वर्मा एवं कृषि विस्तार अधिकारी सहित बड़ी संख्या में किसान उपस्थित रहे।
किसानों ने तैयार किया मोटी बालियों का बीज
किसान शिवबालक पटेल ने बताया कि उन्होंने और किसान लकी पटेल ने वर्ष 2021 में डीबीडबल्यू-303 किस्म की गेहूं की फसल लगाई थी। इस दौरान उन्होंने पाया कि DBW-303 किस्म के गेहूं की कुछ बालिया बड़ी और मोटी होती हैं। किसानों द्वारा 15 से 20 बड़ी और मोटी इन बालियों को अलग निकालकर लगभग 500 ग्राम बीज तैयार किया, जिसे उन्होंने पुनः वर्ष 2022 में अपने खेत में अलग बोया और उससे पुनः 30 किलो बीज तैयार किया।
इसी प्रकार किसान पटेल द्वारा वर्ष 2023 में पुनः आधा एकड़ क्षेत्र से 11 क्विंटल गेहूं बीज तैयार किया गया। जिसमें से उन्होंने 1 क्विंटल गेहूं ग्राम पथरई के किसान लकी पटेल और 1 क्विंटल गेहूं ग्राम गांधीग्राम के किसान मोहित पटेल को दिया। यह बीज दोनों किसानों द्वारा वर्ष 2024-25 में अपने-अपने खेत में लगाया गया है।
प्रति एकड़ मिलती है 25 क्विंटल प्रति एकड़ की उपज
किसान शिवबालक पटेल ने बताया कि उन्होंने स्वयं के 4 एकड़ खेत में इस बीज को बोया है। इस प्रकार अन्य किसानों को दिए गए बीज को भी 5 एकड़ क्षेत्र में लगाया गया है जिससे क्षेत्र में कुल 9 एकड़ में इस किस्म के मोटे दानों को बोया गया है। जिसकी उपज 22 से 25 क्विंटल प्रति एकड़ प्राप्त होती है। अवलोकन के दौरान कृषि अधिकारियों द्वारा गेहूं की बालियों का अवलोकन किया गया है। इन बालियों की लम्बाई लगभग 8 इंच पाई गई एवं मोटाई भी बाकी गेहूं की अन्य किस्मों से ज्यादा पाई गई है। गेहूं फसल को आज क्षेत्र के किसानों ने देख कर अपने खेत में बोने के लिए इस बीज की मांग की है।
किसान ने हैप्पी सीडर से लगाई गेहूं की DBW-187 किस्म
इसके साथ ही किसान पटेल ने अपने खेत के दूसरे हिस्से में हैप्पी सीडर द्वारा धान की पराली जलाए बिना गेहूं की DBW-187 किस्म की बिना जुताई के सीधे बोनी की गई है। गेहूं की यह फसल 120 से 125 दिन में तैयार हो चुकी है। इस कारण ग्रीष्मकालीन फसल को पर्याप्त समय मिल गया है। किसान पटेल द्वारा इसी खेत में शीघ्र ही हैप्पी सीडर के माध्यम से उड़द की बोनी की जानी है, जिससे बारिश के पूर्व ही उड़द की फसल तैयार हो जायेगी।
हैप्पी सीडर से बोने में उन्हें कम लागत आई है और पानी भी कम लगा है। साथ ही समय की भी बचत हुई है और किसी भी प्रकार के कीट इत्यादि का प्रकोप नहीं हुआ है। फसल भी अच्छी तैयार हुई है। किसान पटेल के पास पशुधन की उपलब्धता को देखते हुए कृषि अधिकारियों द्वारा उन्हें बायो गैस संयंत्र स्थापित करने की सलाह दी गई थी, जिस पर अमल करते हुए किसान ने समक्ष में ही तत्काल संयंत्र स्थापना हेतु गड्ढा खुदवा गया।