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शुक्रवार, मई 16, 2025
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किसानों को किराए पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराने के लिए अनुदान पर की जाएगी कस्टम हायरिंग केंद्र की स्थापना

सरकार द्वारा कृषि रोड मैप के तहत सभी पंचायतों में कस्टम हायरिंग केंद्र CHC की स्थापना की जाएगी, सरकार इसके लिए किसानों और किसान समूहों को अनुदान देगी। कस्टम हायरिंग केंद्र से किसान जुताई, बुआई, रोपाई, हार्वेस्टिंग और थ्रेसिंग के लिए किराए पर कृषि यंत्र ले सकेंगे।

आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग कर किसान कम लागत में अधिक पैदावार प्राप्त कर सकें इसके लिए सरकार द्वारा किसानों को विभिन्न योजनाओं के तहत कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इस कड़ी में बिहार के उप मुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि बिहार सरकार द्वारा कृषि रोड मैप के अंतर्गत राज्य के प्रत्येक पंचायत में कस्टम हायरिंग सेंटर (CHC) की स्थापना की जाएगी।

कृषि मंत्री ने बताया कि कस्टम हायरिंग केंद्र की स्थापना का उद्देश्य लघु एवं सीमांत किसानों को आधुनिक कृषि यंत्रों की सुविधा उपलब्ध कराना है, ताकि वे समय पर खेती से जुड़ी सभी आवश्यक क्रियाएँ पूरी कर सकें। इससे खेती की लागत घटेगी, श्रम की बचत होगी और कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि होगी।

किसानों को किराए पर मिलेंगे कृषि यंत्र

कृषि मंत्री ने कहा कि कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना से किसानों को ट्रैक्टर चालित या स्वचालित यंत्र जैसे जुताई, बुआई, रोपाई, हार्वेस्टिंग और थ्रेसिंग के लिए उपकरण किराए पर मिलेंगे। इससे किसान बिना भारी निवेश किए आधुनिक तकनीकों का लाभ उठा सकेंगे। इन केंद्रों से विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसान लाभान्वित होंगे, जो अब तक संसाधनों के अभाव में आधुनिक खेती से वंचित रह जाते थे।

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कस्टम हायरिंग केंद्र के लिए मिलेगा अनुदान

उपमुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री ने कहा कि कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना हेतु अधिकतम 10 लाख रुपये की लागत निर्धारित की गई है। इस परियोजना में स्थानीय फसल चक्र के अनुसार प्रत्येक आवश्यक कृषि क्रिया के लिए कम से कम एक यंत्र लेना अनिवार्य है। राज्य सरकार इस लागत पर 40 प्रतिशत या अधिकतम 4 लाख रुपये का अनुदान देगी। जिससे किसानों और किसान समूहों को आर्थिक सहायता मिलेगी और वे सुगमता से इस योजना से जुड़ सकेंगे।

कृषि मंत्री ने कहा कि इस योजना का लाभ प्रगतिशील कृषक, जीविका समूह, ग्राम संगठन, क्लस्टर फेडरेशन, आत्मा से संबद्ध फार्मर इंटरेस्ट ग्रुप, नाबार्ड या राष्ट्रीयकृत बैंकों से संबद्ध किसान क्लब, किसान उत्पादक संगठन (FPO), किसान उत्पादक कंपनी, स्वयं सहायता समूह (SHG) और पैक्स द्वारा लिया जा सकता है।

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