किसान अब अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए पारंपरिक खेती के साथ-साथ चंदन, महोगनी और अन्य बहुमूल्य वृक्षों की खेती कर सकेंगे। इसके लिए वन विभाग किसानों को पौधे लगाने, उनकी सुरक्षा करने और लंबे समय में मुनाफा कमाने की पूरी जानकारी देगा। इसके लिए उत्तर प्रदेश के वन विभाग द्वारा जल्द ही ग्रीन चौपालों का आयोजन किया जाएगा। वन विभाग के अनुसार ग्रीन चौपालों के ज़रिए किसानों को यह बताया जाएगा कि खेत की मेड़ों पर चंदन, महोगनी जैसे वृक्षों को लगाकर 10 से 15 सालों में एक से डेढ़ लाख रुपये प्रति पौधा तक की कमाई संभव है। जिससे जहाँ किसानों की आमदनी बढ़ेगी वहीं पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान होगा।
गांव स्तर पर लगाई जाएगी चौपालें
वन विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक बारिश से पहले गांव स्तर पर चौपालें लगेंगी। इनमें रेंजर किसानों को पौधों के चयन, रोपण, संरक्षण और देखभाल की पूरी जानकारी देंगे। किसानों को निःशुल्क पौधे भी वितरित किए जाएंगे। इस बार विभाग ने हाईवे, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में फलदार पौधों को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है। यूपी में इस साल करीब एक करोड़ पौधरोपण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसमें 40 लाख फलदार पौधे लगाए जाएँगे। साथ ही इन पौधों को 90 प्रतिशत तक संरक्षित रखने की जिम्मेदारी तय की जाएगी।
नर्सरी में पहली बार लगाया गया चंदन
उरई जिले की रगौली नर्सरी को अब मॉडल नर्सरी के रूप में विकसित किया जा रहा है। पहली बार चंदन, महोगनी और कनक चंपा के पौधे तैयार किए गए हैं। खास बात यह है कि रगौली की मिट्टी में चंदन का पौधा अच्छी तरह लगा है। जिससे यह उम्मीद की जा रही है की किसान अपने खेतों में भी इसे सफलतापूर्वक लगा सकेंगे। बता दें कि चंदन एक आंशिक मूल परजीवी पौधा है, जो अपनी जड़े अन्य पौधों की जड़ों से जोड़कर पोषण लेता है। बीज बोते समय उसमें अरहर का बीज डाला गया था ताकि चंदन को शुरुआती पोषण मिल सके। इसमें अरहर स्वतः नष्ट हो गई और चंदन का पौधा विकसित हो गया।
इन वृक्षों के तैयार किए गए पौधे
रगौली नर्सरी में इस बार कुल 2.34 लाख पौधे तैयार किए गए हैं, जिनमें से 40 प्रतिशत फलदार पौधे हैं। इनमें आम, अमरूद, नीम, बरगद जैसे पौधे प्रमुख हैं। इसके अलावा 1600 कनक चम्पा के पौधे तैयार किए गए हैं जो साल भर हरे-भरे रहते हैं और सुंदर फूल देते हैं। वहीं 400 नीली गुलमोहर के पौधे भी तैयार हुए हैं जिन्हें मुख्य रूप से सड़क किनारे सजावटी उद्देश्यों के लिए लगाया जाएगा।
नर्सरी में 14,000 महोगनी के पौधे भी तैयार किए गए हैं, जो किसानों को खेत की मेड़ पर लगाने के लिए उपलब्ध कराए जाएंगे। महोगनी को सागौन से बेहतर माना जाता है क्योंकि इसका पत्ता मिट्टी में मिलकर खाद बनता है, जबकि सागौन का पत्ता भूमि को नुकसान पहुँचता है।