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शनिवार, जनवरी 18, 2025
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गेहूं और चना में कीट एवं रोगों से बचाव के लिए किसान करें इन दवाओं का छिड़काव

अभी मौसम हो रहे परिवर्तन के कारण रबी मौसम की प्रमुख फसलें गेहूं एवं चना में रोग एवं कीटों के प्रकोप होने की पूरी संभावना बनी हुई है। जिसको देखते हुए कृषि विकास विभाग के मैदानी अमले द्वारा कृषकों के खेतों का भ्रमण करके फसलों में आने वाली समस्याओं से रूबरू कराते हुए उनके बेहतर उपायों से किसानों को अवगत कराया जा रहा है। विभाग के अधिकारियों द्वारा कृषकों को फसलों में आने वाली समस्याओं के बारे में जानकारी दी जा रही है और उनके बेहतर उपायों से अवगत कराया जा रहा है।

चने में लग सकता है उकठा एवं जड़-सड़न रोग

एमपी के सीहोर कृषि विभाग के मुताबिक़ इस अवस्था में मौसम में परिवर्तन जैसे दिन में न्यूनतम तापमान के कारण पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया सुचारू रूप से न होने के कारण चना फसल प्रभावित होने के साथ-साथ फसल के पौधे पीले पड़कर सूख रहे है। जिसके चलते फसल में आर्थिक नुकसान होने की पूरी संभावना है और साथ ही फसल में चने की सुण्डी इल्ली के साथ-साथ उकटा व जड़-सड़न रोग के प्रकोप के कारण भी फसल सूख रही है।

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कृषि विकास विभाग ने किसान भाइयों को सलाह दी है कि वे चना फसल की सुरक्षा के लिए इमामेक्टिन बेन्जोएट + प्रोफेनोफास 200 ग्राम प्रति एकड़ या क्लोरोइन्ट्रानिलीप्रोल + लेम्ब्डासाइलोथ्रिन 80 मिली/एकड़ के साथ फ्लूपायराक्साइड + पायरोक्लोरोस्ट्रोबिन 150 मिली/एकड़ या एजोक्सीस्ट्रोबिन + टेबूकोनोजोल 150 मिली/एकड़ के साथ NPK 19:19:19, 1 किग्रा/एकड़ से 150 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करे।

गेहूं में जड़ माहू एवं कठुआ इल्ली का नियंत्रण

कृषि विभाग ने बताया कि जिले की मुख्य फसल गेहूं में भी वर्तमान समय में जड़ माहू कीट व कठुआ इल्ली का प्रकोप प्रारम्भिक अवस्था से ही फसल पर बना हुआ है जिसके कारण फसल पीली पड़ कर सूख रही है व इल्ली के प्रकोप के कारण फसल की वानस्पतिक वृद्धि व बालियाँ प्रभावित हो रही है। किसानों को सलाह है कि उक्त कीटों के निदान के लिए इमामेक्टिन बेन्जोएट + प्रोफेनोफास 200 ग्राम/एकड के साथ एनःपीःके 19:19:19, 1 किग्रा/ एकड़ की दर से 150 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करे। साथ ही किसानों को सलाह है कि अपनी फसलों की सुरक्षा के लिए सतत कृषि विभाग के अधिकारियों से सम्पर्क में रहे।

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