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किसान इस समय फसलों पर करें नैनो यूरिया, डीएपी, कॉपर और जिंक का छिड़काव, कृषि विभाग ने जारी की सलाह

नैनो उर्वरकों के प्रयोग से ना केवल फसल उत्पादन की लागत घटती है बल्कि गुणवत्ता युक्त उत्पादन भी प्राप्त होता है। जिसको देखते हुए कृषि विभाग द्वारा किसानों को नैनो यूरिया, डीएपी, कॉपर और जिंक के छिड़काव की सलाह दी गई है।

फसलों की लागत कम करने के साथ ही उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा नैनो खाद-उर्वरक के प्रयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग द्वारा किसानों को नैनो उर्वरकों के प्रयोग करने की सलाह दी गई है। कृषि विभाग, जबलपुर के उप संचालक डॉ. निगम के मुताबिक नैनो उर्वरकों का फसलों पर सीधे प्रयोग करने से पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। नैनो उर्वरकों का उपयोग फसल की क्रांतिक अवस्थाओं में एक या दो बार छिड़काव करने से परम्परागत उर्वरकों के उपयोग में 50 प्रतिशत तक कटौती की जा सकती है। वर्तमान में बाजार में विभिन्न कंपनियों के नैनो उर्वरक उपलब्ध हैं, जिनका प्रयोग किसान अपनी आवश्यकता अनुसार कर सकते हैं।

नैनो यूरिया प्लस खाद का छिड़काव

कृषि विभाग जबलपुर के उप संचालक डॉ. एस के निगम ने बताया कि नैनो यूरिया प्लस भारत सरकार ‌द्वारा प्रमाणित विश्व का प्रथम स्वदेशी नैनो उर्वरक है। यह पूर्णतः हानि रहित एवं सुरक्षित उत्पाद है। नैनो यूरिया प्लस के प्रयोग से कीट एवं रोग का प्रभाव कम होता है। नैनो यूरिया प्लस में 20 प्रतिशत नाइट्रोजन होती है एवं इसकी उपयोग दक्षता 85 प्रतिशत से भी अधिक होती है। नैनो यूरिया प्लस की एक बोतल एक बोरी यूरिया के बराबर होती है और यह उत्पादन, उत्पाद गुणवत्ता एवं आय में वृद्धि करने के साथ-साथ परिवहन, भंडारण करने में आसान एवं किफायती भी होता है।

किसानों को फसल पर दानेदार यूरिया की प्रथम टॉप ड्रेसिंग के बाद आवश्यकतानुसार नैनो यूरिया प्लस का दो से तीन बार छिड़काव करना चाहिए। नैनो यूरिया प्लस का उपयोग करने से वायु, जल एवं मृदा प्रदूषण में कमी आती है। किसानों को इसे परम्परागत यूरिया की अपेक्षा कम मात्रा में उपयोग करना चाहिए। उप संचालक कृषि विभाग ने बताया कि किसानों को अनाज, दलहन एवं तिलहन फसलों पर नैनो यूरिया प्लस का पहला छिड़काव अंकुरण से 35-40 दिन बाद, दूसरा छिड़काव अंकुरण से 55-60 दिन बाद एवं तीसरा छिड़काव फसल विशेष में नाइट्रोजन की आवश्यकतानुसार तथा गन्ना फसल में पहला छिड़काव अंकुरण से 45-60 दिन बाद, दूसरा छिड़काव 75-80 दिन बाद एवं तीसरा छिड़काव 100-110 दिन बाद करने की सलाह भी दी।

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नैनो डीएपी खाद का छिड़काव

उप संचालक ने बताया कि नैनो डीएपी तरल में नाइट्रोजन 8 एवं फास्फोरस 16 प्रतिशत होता है तथा इसकी एक बॉटल एक बोरी डीएपी के बराबर होती है। नैनो डीएपी के कणों का आकार 100 नैनोमीटर से भी कम होता है। यह बीज एवं जड़ की सतह पत्तियों के स्टोमेटा तथा अन्य छिद्रों के माध्यम से पौधों में आसानी से प्रवेश कर जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप बीज की ओज शक्ति में वृद्धि, पत्तियों में क्लोरोफिल अधिक बनता है, फलस्वरूप प्रकाश संश्लेषण अधिक होता है तथा फसल की गुणवत्ता और उपज में वृद्धि होती है।

नैनो डीएपी सभी फसलों में नाइट्रोजन एवं फास्फोरस प्रदाय करने का प्रभावी स्रोत है। अनुकूल परिस्थितियों में इसकी उपयोग दक्षता 90 प्रतिशत से अधिक है। बीज उपचार के रूप में जल्दी अंकुरण, पौध एवं फसल बढ़वार, उपज एवं फसल गुणवत्ता बढ़ाने में सहायक है। परम्परागत डीएपी से सस्ता होने के कारण यह किसानों के लिये किफायती है। यह जैव सुरक्षा एवं पर्यावरण हितैषी उत्पाद है। अतः विष मुक्त खेती के लिये उपयुक्त है। इसका परिवहन, भंडारण एवं उपयोग करना भी आसान है।

नैनो डीएपी से बीज उपचार कैसे करें

उप संचालक कृषि ने बताया कि नैनो डीएपी से बीज उपचार करने के लिये 5 मिलीलीटर नैनो डीएपी का प्रयोग प्रति किलो बीज की दर से करें। बीज में एक समान घोल की परत बनाने के लिये उसमें आवश्यकता अनुसार पानी मिलाएं। उपचारित बीज को 20-30 मिनिट तक छांव में सुखाने के बाद बुवाई करें। कंद उपचार हेतु 5 मिली लीटर नैनो डीएपी प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर 20-30 मिनिट तक कंद को डुबाकर रखने के उपरांत छांव में सुखाकर ट्रांसप्लांट या बुवाई करें। नैनो डीएपी की 4 मिलीलीटर मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फसल में क्रांतिक अवस्था में कल्ले शाखा बनते समय छिड़काव करें। लंबी अवधि वाली या अधिक फास्फोरस की आवश्यकता वाली फसलों में फूल आने से पहले की अवस्था में एक अतिरिक्त छिड़काव किया जा सकता है।

नैनो कॉपर का छिड़काव

कृषि विभाग के उप संचालक डॉ. निगम के मुताबिक पौधे में 70 प्रतिशत कॉपर क्लोरोप्लास्ट में पाया जाता है। यह साइटोक्रोम व अन्य कई एंजाइम्स का भाग होता है। साथ ही विटामिन ए के निर्माण में भी सहायक होता है। नैनो कॉपर एक चिलेटेड नैनो उत्पाद है। यह पौधों में क्लोरोफिल की मात्रा को बढ़ाता है। यह पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करता है एवं अन्य पोषक तत्वों का अवशोषण बढ़ाता है। साथ ही उत्पाद की गुणवत्ता को बढ़ाता है। नैनो कॉपर का उपयोग करने हेतु 1-2 मिलीलीटर नैनो कॉपर का 1 लीटर साफ पानी में घोल बनाकर पत्तियों पर छिड़काव करें। नैनों कॉपर को ड्रिप द्वारा भी उपयोग किया जा सकता है। बेहतर परिणाम के लिये नैनो यूरिया प्लस डीएपी के साथ मिलाकर उपयोग करें।

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फसलों पर नैनो जिंक का छिड़काव

उप संचालक ने जानकारी देते हुए बताया कि पौधे में जिंक फास्फोरस व नाइट्रोजन के उपयोग तथा प्रोटीन व न्यूक्लिक अम्ल निर्माण में सहायक होता है। यह पौधों में वृद्धि करने वाले हार्मोन इन्डोल एसिटिक एसिड के निर्माण में तथा बीज उत्पादन एवं दाना पकने की गति में भी सहायक होता है। नैनों जिंक एक चिलेटेड नैनो उत्पाद है। यह पौधों के बेहतर विकास, फल एवं फूल बनाने, अजैविक तनाव प्रतिरोधक क्षमता वृद्धि तथा फसलों के उत्पादन में वृद्धि में सहायक होता है। एक मिलीलीटर नैनो जिंक को 1 लीटर साफ पानी में घोल बनाकर पत्तियों पर छिड़काव करें।नैनो जिंक को ड्रिप द्वारा भी उपयोग किया जा सकता है। बेहतर परिणाम के लिये नैनो यूरिया प्लस और डीएपी के साथ मिलाकर उपयोग करें।

उप संचालक कृषि डॉ. एस के निगम ने किसानों को नैनो उर्वरकों के बेहतर प्रयोग के लिये स्प्रे हेतु फ्लैट फैन या कट नोजल का प्रयोग करने की सलाह दी है। किसानों से कहा है कि नैनो उर्वरकों का ठंडे व सूखे स्थान पर भंडारण करें तथा इनका छिड़काव सुबह या शाम को करे जब पत्तियों पर ओस ना हो। निर्माण तिथि से 12 महीने के अन्दर प्रयोग करें। छिड़काव के बाद 12 घंटे से पूर्व वर्षा होने की स्थिति में दोबारा छिड़काव करना चाहिए।

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