तिलहन फसलों में मूंगफली खरीफ सीजन की मुख्य फसलों में से एक हैं। ऐसे में मूंगफली फ़सल का उत्पादन बढ़ाया जा सके इसके लिए कृषि विभाग द्वारा फसल को कीट एवं रोगों से मुक्त रखने के लिए सलाह जारी की गई है। ग्राहृय परीक्षण केन्द्र तबीजी फार्म के उप निदेशक कृषि (शस्य) मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि अभी के मौसम में मूंगफली की फसल में टिक्का रोग (पत्ती धब्बा), पीलिया रोग व सफेद लट कीट का प्रकोप होने की संभावना है।
मूंगफली की फसल को टिक्का रोग (पत्ती धब्बा) से कैसे बचाएं
कृषि अनुसंधान अधिकारी (पौध व्याधि) डॉ. जितेन्द्र शर्मा ने बताया कि मूंगफली की फसल को टिक्का रोग से बचाने के लिए कार्बेन्डाजिम आधा ग्राम प्रति लीटर पानी या मैन्कोजेब डेढ किलो प्रति हेक्टेयर की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें एवं 10-15 दिन बाद दो बार छिड़काव पुनः दोहराएं। रसायनों का प्रयोग करते समय हाथों में दस्ताने, मुंह पर मास्क तथा पूरे वस्त्र अवश्य पहने।
मूंगफली की फसल को पीलिया रोग से कैसे बचाएं
कृषि अनुसंधान अधिकारी (रसायन) डॉ. कमलेश चौधरी ने किसानों को सलाह दी कि मूंगफली की फसल को पीलिया रोग से बचाने के लिए 0.5 प्रतिशत हराकसीस (फेरससल्फेट) या 0.1 प्रतिशत गंधक के अम्ल का घोल बनाकर फूल आने से पहले एक बार व फूल आने के बाद दूसरी बार छिड़काव करें। सावधानी के लिए इस घोल में थोड़ी मात्रा में साबुन आदि अवश्य मिलाना चाहिए।
मूंगफली की फसल को सफेद लट से कैसे बचाएं
कृषि अनुसंधान अधिकारी (कीट) डॉ. दिनेश स्वामी ने बताया कि मूंगफली की खड़ी फसल को सफेद लट से बचाने के लिए चार लीटर क्यूनालफॉस 25 ई.सी. या 300 मिली इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल प्रति हेक्टेयर की दर से सिंचाई के पानी के साथ डालें अथवा कीटनाशी रसायन को सूखी बजरी या खेत की साफ मिट्टी 80-100 किलो प्रति हेक्टेयर में अच्छी तरह मिलाकर पौधों की जड़ों के आस-पास डाल दें एवं फिर हल्की सिंचाई करें ताकि कीटनाशी पौधों की जड़ों तक पहुंच जाए। खड़ी फसल में उपचार मानसून की प्रथम बरसात के साथ अधिक संख्या में भृंग निकलने के 21 दिन बाद करें।